इसे बीजेपी का ऐसा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है जिस पर विपक्षी दलों को भी अपना उम्मीदवार खड़ा करने में कई दौर की बैठक करनी पड़ी
राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव के लिए बीजेपी ने काफी सोच-समझकर सियासी बिसात बिछाई है. बीजेपी ने अपनी सहयोगी जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश को अपना उम्मीदवार बनाया है. हरिवंश वरिष्ठ पत्रकार भी रहे हैं. उनके नाम को आगे कर बीजेपी ने एनडीए के भीतर के सियासी समीकरण को साधने की पूरी कोशिश की है.
हरिवंश का नाम सामने आने के बाद अपनी पार्टी के उम्मीदवार की जीत के लिए बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार काफी सक्रिय हो गए हैं. नीतीश कुमार ने उपसभापति पद के चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार के समर्थन के लिए कई दूसरे छोटे राजनीतिक दलों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जिनकी भूमिका काफी अहम है. इन राजनीतिक दलों की ताकत भले ही कम है, लेकिन, राज्यसभा के भीतर अपने उम्मीदवार की जीत के लिए इनका समर्थन बेहद अहम है.
गैर-यूपीए और गैर-एनडीए दलों की भूमिका बढ़ी
एनडीए और यूपीए के मौजूदा सांसदों की तादाद लगभग बराबर है. लेकिन, टीआरएस, बीजेडी और एआईएडीएमके जैसे गैर-एनडीए और गैर-यूपीए दलों की भूमिका बढ़ गई है. टीआरएस के 6, बीजेडी के 9 और एआईएडीएमके के 13 सांसदों का समर्थन काफी अहम हो गया है.
एआईएडीएमके के सभी 13 सांसद एनडीए उम्मीदवार का ही समर्थन करेंगे क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी उन्होंने सरकार का ही साथ दिया था. भले ही एआईएडीएमके औपचारिक तौर पर एनडीए का हिस्सा नहीं हो, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, पार्टी एनडीए और सरकार के खिलाफ नहीं जाएगी.
दूसरी तरफ टीआरएस के राज्यसभा में 6 सदस्य हैं. एनडीए उम्मीदवार को जीत दिलाने के लिए टीआरएस के समर्थन की जरूरत होगी. नीतीश कुमार ने टीआरएस के समर्थन के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से बात भी की है. अभी पिछले कुछ महीनों में केसीआर के बीजेपी के करीब आने की संभावना भी दिख रही है. ऐसे में इस बात की उम्मीद की जा रही है कि टीआरएस एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में ही वोट करेगी.
नीतीश के चलते मान सकती है बीजेडी
बीजेपी को उम्मीद बीजेडी से भी है. बीजेपी के रणनीतिकारों को लग रहा है कि सीधे-सीधे बीजेपी के नाम पर नहीं तो कम-से-कम जेडीयू और नीतीश कुमार के नाम पर बीजेडी राजी हो सकती है. उम्मीद की जा रही है कि नीतीश कुमार के कहने पर ओडीशा के मुख्यमंत्री शायद मान जाएं. बीजेडी अगर समर्थन कर देती है तो फिर एनडीए के लिए राहें आसान हो जाएगी.
बीजेपी का गेम प्लान भी यही है. बीजेपी को लगा कि अकले अपने दम पर बहुमत नहीं होने की सूरत में नीतीश कुमार को आगे कर उन दलों को साधा जा सकता है जो बीजेपी के साथ तो नहीं हैं, लेकिन, कांग्रेस के साथ भी जाना पसंद नहीं करते.
दूसरी तरफ, एनडीए के सहयोगी दलों की तरफ से भी जेडीयू के नाम पर ऐतराज नहीं है. अकाली दल और शिवसेना दोनों को लेकर पहले कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. अकाली दल के राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल का भी नाम उपसभापति पद के लिए चर्चा में था. लेकिन, दूसरी सहयोगी जेडीयू के उम्मीदवार के नाम के ऐलान के बाद अकाली दल में थोड़ी नाराजगी भी दिखी थी. लेकिन, आखिर में अकाली दल ने एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में खड़ा होने का फैसला किया है.
शिवसेना भी एनडीए के पक्ष में खड़ी हो सकती है
दूसरी तरफ, शिवसेना को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. बीजेपी के साथ शिवसेना के रिश्ते ठीक नहीं हैं. सरकार में रहते हुए भी शिवसेना बीजेपी के खिलाफ बोलती रहती है. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भी शिवसेना ने जिस तरह से सदन से बाहर रहने का फैसला किया वो दोनों दलों के रिश्तों में कड़वाहट को दिखाने वाला है.
फिर भी शिवसेना को साधने के लिए जेडीयू उम्मीदवार को आगे करने की कोशिश सफल होती दिख रही है. सूत्रों के मुताबिक, राज्यसभा के भीतर 6 सांसदों वाली शिवसेना पार्टी एनडीए के समर्थन में खड़े हो सकती है.
राज्यसभा के गणित को आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 245 सदस्यीय राज्यसभा में अभी 244 सदस्य हैं और 1 सीट खाली है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए 123 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी. एनडीए के राज्यसभा में 90 सांसद हैं. इसमें बीजेपी के 73, बोडो पीपुल्स फ्रंट के पास 1, जेडीयू के 6, नामांकित सदस्य 4, आरपीआई (ए) के 1, शिरोमणि अकाली दल के 3 और सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के 1 सांसद शामिल हैं. ऐसे में एनडीए को उम्मीद एआईएडीएमके के 13 सांसदों के अलावा सहयोगी शिवसेना के 3 और टीआरएस के 6 सांसदों पर टिकी है.
दूसरी तरफ विपक्ष के पास भी 112 सांसदों का समर्थन दिख रहा है. इसमें कांग्रेस के 50, आम आदमी पार्टी के 3, बीएसपी के 4, टीएमसी के 13, सीपीआई के 2, सीपीएम के 5, डीएमके के 4, इंडियन मुस्लिम लीग के 1, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस के 1, एनसीपी के 4, आरजेडी के 5, एसपी के 13, टीडीपी के 6 सांसद शामिल हैं.
लेकिन, सबकी नजरें टिकी हैं बीजेडी के उपर. अगर बीजेडी ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने का फैसला कर लिया तो फिर उपसभापति के चुनाव में एनडीए की राह आसान हो जाएगी.
राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में बीजेपी की रणनीति चर्चा का विषय है. जेडीयू उम्मीदवार के आगे आने से बीजेपी के साथ नीतीश कुमार की नजदीकी भी दिख रही है. नीतीश का बढ़ा हुआ कद भी दिख रहा है. इसे बीजेपी का ऐसा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है जिस पर विपक्षी दलों को भी अपना उम्मीदवार खड़ा करने में कई दौर की बैठक करनी पड़ी.