राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ महिला आरक्षण बिल
राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हुआ। बिल के पक्ष में 215 वोट पड़े। राज्य सभा में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि नारी शक्ति को एक विशेष सम्मान सिर्फ विधेयक पारित होने से मिल रहा है ऐसा नहीं है बल्कि इस विधेयक के प्रति देश के सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच होना ये हमारे देश की नारी शक्ति को नई ऊर्जा देने वाली है।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, नई दिल्ली/चण्डीगढ़ – 21 सितम्बर :
राज्यसभा ने गुरुवार को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ को मंजूरी दे दी, जिसमें संसद के निचले सदन और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। विधेयक पारित किए जाने के दौरान उच्च सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौजूद थे. राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल के पक्ष में 215, जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा।
इससे एक दिन पहले बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक दो-तिहाई बहुमत से पारित हुआ था। ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ के कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की संख्या मौजूदा 82 से बढ़कर 181 हो जाएगी। राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी।
राज्यसभा में वोटिंग से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में पहुँचे, इसके बाद वोटिंग की कार्यवाही पूरी की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बिल पर चर्चा के लिए 132 सदस्य खड़े हुए, जो कि ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन करने के लिए सभी सांसदों का अभिनंदन करते हुए आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर जिस तरह से एकजुटता संसद में दिखी है, ये एक अप्रतिम उदाहरण की तरह याद रहेगा। पीएम मोदी ने कहा कि नारी शक्ति को सम्मान सिर्फ विधेयक पारित होने से नहीं मिल रहा, बल्कि सभी के मन में सकारात्मक सोच के होने से मिल रहा है। ये हमारे उज्जवल भविष्य की गारंटी बनने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में सभी सांसदों से सर्वसम्मति से मतदान की अपील की और सभी को हृदय से धन्यवाद दिया।
इस बिल पर सरकार की तरफ से जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोर्चा सँभाला। उन्होंने चुन-चुन कर कॉन्ग्रेस पर हमला बोला और अतीत में की गई कॉन्ग्रेस की गलतियों को भी गिनाया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनगणना के बाद परिसीमन होने के बाद ये कानून लागू होगा। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार को घेरा, उन्होंने कहा कि ये कानून 9 साल में कभी भी लाया जा सकता था।
हालाँकि, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के सवालों के जवाब में कहा कि जनगणना जैसा महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होने के बाद ही इस कानून को लागू किया जा सकता है। इसके लिए 2026 तक संवैधानिक बाध्यताओं को पार करने तक हमें रुकना होगा, तभी परिसीमन हो पाएगा।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत में है। आप ने एक झटके में तमाम चीजें कर दी। नोटबंदी कर दी। लेकिन महिला आरक्षण का मुद्दा लटकाए रखा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार रोटेशन में महिला आरक्षण अभी से दे सकती थी। उन्होंने कहा कि ओबीसी कैटिगिरी की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जा सकता था, इसके लिए संविधान में संसोधन कर प्रावधान लाया जा सकता था।
उन्होंने कहा कि तमाम असहमतियों के बावजूद मैं पूरी तरह से बिल का समर्थन करता हूँ। उन्होंने बैकवर्ड क्लास की महिलाओं को आरक्षण में शामिल न करने के लिए सरकार पर सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से इस कानून को लागू करने के लिए तारीख भी पूछा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि बहुत सोच-समझकर यह विधेयक तैयार किया है क्योंकि देखा गया है कि पूर्व की सरकारों ने भी कोशिश की लेकिन वह विफल रही। उन्होंने कहा कि लंबे समय से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार अनुच्छेद 370 निरस्त करने का मुद्दा भाजपा के हर घोषणापत्र में रहा है, उसी प्रकार महिला आरक्षण का मुद्दा भी शामिल रहा है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि महिला आरक्षण बिल भाजपा के लिए कभी राजनीति का विषय नहीं रहा बल्कि आस्था का मुद्दा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक ‘जुमला’ नहीं है जैसा कि कई विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया है जिसमें समय लगेगा।
इससे पहले, सरकार की ओर से जवाब देते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि आखिर कब से ये कानून लागू होगा। उन्होंने कहा कि जहाँ तक महिलाओं के लिए प्रस्तावित आरक्षण के कार्यान्वयन की बात है, विधेयक के अधिनियमित होने के बाद और विधेयक के लागू होने के बाद जब भी पहली जनगणना होती है और उस जनगणना के प्रासंगिक आँकड़े प्रकाशित किए जाते हैं, तो नए सिरे से परिसीमन की भी कवायद की जाती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं उस समय पंचायत राज में 33 प्रतिशत आरक्षण लाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को श्रेय देना चाहती हूँ। परिणामस्वरूप, हमने पंचायत स्तर पर एक जमीनी सुधार देखा है, जहाँ आज कई राज्यों द्वारा 33% आरक्षण है। इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जो पंचायत स्तर पर महिलाओं के योगदान को दर्शाता है।”
भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जो लोग जल्दबाजी में महिला आरक्षण को 2024 के संसदीय चुनाव से ही लागू कराने की बात कर रहे हैं, वही ऐसे कदम के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में नरसिंह राव की सरकार ने कार्यपालक आदेश जारी कर ऊँची जाति के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया था लेकिन उच्चतम न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर आरक्षण खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा, “महिलाओं को आरक्षण देने का फैसला करने और इसे लागू करने में केंद्र सरकार कोई वैधानिक त्रुटि नहीं छोड़ सकती।”
इससे पहले, संसद के विशेष सत्र में सबसे पहले लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया गया था। लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023’ 2 के मुकाबले 454 मतों से पास हो गया था। इसके साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण दिए जाने का रास्ता अब साफ़ हो गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सभी 3 कैटेगरी में, यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य वर्ग महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा। उन्होंने कहा कि सीटों के आरक्षण के निर्धारण का कार्य पारदर्शी तरीके से किया जाएगा।