लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर “आज़ाद” की जयंती के उपलक्ष में..राष्ट्रीय हास्य कवि सम्मेलन


लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं चन्द्रशेखर आज़ाद की जयंती के उपलक्ष में संस्कार भारती, पंचकूला इकाई के सहयोग से “एम० के० साहित्य अकादमी (रजि०) पंचकूला” द्वारा भव्य “राष्ट्रीय हास्य कवि सम्मेलन” का आयोजन दिनांक – 29/07/2023 को प्रातः 10:30 बजे भारत विकास परिषद भवन, सैक्टर: 12 ए, पंचकूला के प्रांगण में आयोजित किया गया। श्री नवीन शर्मा, उत्तर संस्कार भारती के प्रभारी की अध्यक्षता तथा माननीय मुख्य अतिथि – अंतरराष्ट्रीय हास्य कवि राजेश चेतन के सानिध्य में डॉ० तूलिका सेठ, डॉ० कांता वर्मा, डॉ० अनीश गर्ग तथा युवा कवि गौतम शर्मा ने अपनी प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। डॉ० प्रतिभा “माही” ने सभी अतिथियों का स्वागत कर दीप प्रज्ज्वलित करवाया तथा सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का आगाज किया।

युवा कवि गौतम शर्मा ने सर्वप्रथम अपनी प्रस्तुति देते हुए क्या कहा देखिए..!

“जो रुक गया, रुकने दिया, जो चल दिया, चलने दिया।
जो भी हुआ होने दिया, जो टल गया, टलने दिया।।”

तो दूसरी तरफ डॉ० अनीश गर्ग ने इंकलाब की बात करते हुए अपनी बात रखी और कहा –

“मैं बेशुमार अपना वतन चाहता हूं ।
तिरंगे में लिपटा कफन चाहता हूं।।”

तत्पश्चात डॉ० कांता वर्मा ने अपनी हुंकार से पूरे प्रांगण को हिला दिया और सभी श्रोताओं में जोश का संचार किया वह कहती हैं-

” मैं वो कवयित्री हूं जो दिल में आग,
जुबां पर अंगार रखती हूं ।
शब्दों से भगत सिंह पैदा करती,
कलम से इंकलाब लिखती हूं।।”

और गाजियाबाद से पधारी डॉ० तूलिका सेठ ने अपनी पेशकश में कुछ यूं कहा-

” बोलो, इतना प्यार लुटाना, किससे सीखे हो।
बात बात पर, बात बनाना, किससे सीखे हो ।।
छेड़छाड़ करने पर तो, सब ही चिल्लाते हैं।
बिना बात के, शोर मचाना, किससे सीखे हो ।।

डॉ० प्रतिभा “माही” ने हिंदू राष्ट्र के एक होने की बात कही और समाज में वक्त बदलने का संदेश दिया –

“करे राज हिंदुत्व हमारा, वक्त बदलना चाहिए।
अगर लाल भारत माँ के हो, रक्त उबलना चाहिए।।
विजय विश्व की शपत उठाओ, नाज़ करे भारत भूमि।
चले विश्व पर सत्ता अपनी,तख्त पलटना चाहिए।।”

और अंत में हास्य कवि राजेश चेतन जी ने सभी को हंसा हंसा कर लोट पोट कर दिया । श्रोताओं की तालियों से पूरा हॉल गूंजने लगा। चेतन जी ने अपनी प्रिय कविता “वनवासी राम” से काव्य पाठ को विराम दिया। देखिए उनकी बानगी –

“मात-पिता की आज्ञा का तो, केवल एक बहाना था।
मातृभूमि की रक्षा करने, प्रभु को वन में जाना था।।

कार्यक्रम के अंत में डॉ प्रतिभा “माही” सभी कवियों अतिथियों को उपहार देकर सम्मानित किया । यह समारोह संपूर्ण रूप से सफल रहा, जिसका श्रेय डॉ० प्रतिभा “माही” की मेहनत व संस्कार भारती पंचकूला इकाई के अध्यक्ष सुरेश गोयल मंत्री सतीश अवस्थी तथा संपूर्ण टीम के सहयोग को जाता है।