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पंचांग, 28 जनवरी 2023

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा को अपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – राशिफल, 28 जनवरी 2023 :

नोटः आज रथसप्तमी व्रत है। भाष्माष्टमी व्रत, आरोग्य व्रत, पुत्र सप्तमी है।

Ratha Saptami 2020: आज ही 7 घोड़ों के रथ पर सवार हो प्रकट हुए थे सूर्य देव,  जानें पूजा की विधि एवं कथा - Ratha Saptami 2020 Puja Vidhi Daan Katha And  Importance
आज रथसप्तमी व्रत है

आज रथसप्तमी व्रत है : माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को सूर्य सप्तमी,अचला सप्तमी,रथ आरोग्य सप्तमी इत्यादि नामों से जाना जाता है | विशेषकर जब यह सप्तमी रविवार के दिन हो तो इसे अचला भानू सप्तमी के नाम से पुकारा जाता है और इस दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है | वर्ष 2023 में यह त्योहार 28 जनवरी, (शनिवार) को मनाया जाएगा।

आज आरोग्य व्रत है : आज है भानु सप्तमी, इस व्रत को करने से होती है आरोग्य की प्राप्ति, इस व्रत को आरोग्य व्रत भी कहा जाता है। किसी भी मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह व्रत किया जाता है। मन को शुद्ध और असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने वाला आशा दशमी व्रत बहुत पावन व्रत माना जाता है। इस व्रत को आरोग्य व्रत भी कहा जाता है।

आज संतान सप्तमी व्रत है : यह व्रत संतान प्राप्ति एवम उनकी रक्षा के उद्देश्य से किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है कि संतान सप्तमी के व्रत के प्रभाव से संतान के समस्त दुःख, परेशानीयों का निवारण होता है।

Bhishmashtami 2022 In Marathi Date Katha And Importance Of Bhishmashtami | भीष्माष्टमी  व्रत कथा महत्व आणि मान्यता
आज भीष्माष्टमी व्रत है

आज भीष्माष्टमी व्रत है : भीष्माष्टमी अथवा ‘भीष्म अष्टमी’ का व्रत माघ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। महाभारत में वर्णन है कि भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान था। माघ शुक्लाष्टमी तिथि को बाल ब्रह्मचारी भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण छोड़े थे। उनकी पावन स्मृति में यह पर्व मनाया जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः माघ, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः सप्तमी प्रातः काल 08.44 तक है, 

वारः शनिवार। 

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी, गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

नक्षत्रः अश्विनी, सांय कालः 07.06 तक है, 

योगः साध्य प्रातः काल 11.54 तक, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मकर, चंद्र राशिः मेष, 

राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 07.15, सूर्यास्तः 05.53 बजे।