Sunday, December 22


डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ – 09 जनवरी : 

            विभिन्न हितधारक संगठनों और पीजीआईएमईआर के विशेषज्ञों ने एक परामर्श में जैव-विविधता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देने के लिए बाजरा को मुख्यधारा में लाने पर विचार किया। यह सेमिनार डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ और स्ट्रेटेजिक इंस्टीट्यूट फॉर पब्लिक हेल्थ एजुकेशन (एसआईपीएचईआर) द्वारा इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलट्स के एक भाग के रूप में आयोजित किया गया।


            इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर राज बहादुर, परियोजना निदेशक एवं सदस्य सचिव थे रीजनल स्पाइनल इंजरी सेंटर, मोहाली और एक पूर्व-कुलपति, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस फरीदकोट ने शिरकत की जिन्होंने बाजरा उत्पादकों के साथ जुडऩे पर जोर दिया। इनके अलावा इस सेमिनार में एसआईपीएचईआर के प्रेसिडेंट डॉ. राकेश गुप्ता, पीजीआईएमईआर की प्रोफेसर डॉ. पूनम खन्ना, सिटीजन अवेयरनेस ग्रुप के चेयरमेन सुरिन्दर वर्मा, होम साइंस कॉलेज की हेड़  और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रितु प्रधान   समाज कल्याण विभाग, चंडीगढ़ स्टेट कंसल्टेंट, पोषण अभियान सरिता गोदवानी, डेजिग्नेटिड ऑफिसर कम लाइसेंसिंग ऑथोरिटी, एचओडी फूड सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन, यूटी चंडीगढ़ श्री सुखविंदर सिंह, पीजीआईएमईआर के प्रोफेसर डीसीएम एंड एसपीएच डॉ. रवींद्र खाईवाल, एमसी चंडीगढ़ के डॉ विवेक त्रिवेदी, सीआईएचएम, चंडीगढ़ के विभागाध्यक्ष डॉ. जे.पी.कांत, वित्त और संचालन निदेशक श्री अरुण वर्मा, डॉ नैन्सी साहनी एचओडी डायटेटिक्स पीजीआईएमईआर, श्री राजीव कुमार, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, आरसीटीसी पीजीआईएमईआर ने बाजरे के महत्व पर अपने अपने विचार रखे।


            सेमिनार के विषय पर अपने अपने विचार रखते हुए डॉ. पूनम खन्ना एसोसिएट प्रोफेसर, पीजीआई एमईआर, ने इयोम 2023 के महत्व पर चर्चा की। होम साइंस कॉलेज की हेड़  और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रितु प्रधान ने सेमिनार के दौरान कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता में बाजरा एक महत्वपूर्ण आहार वस्तु है। उन्होंने बड़ी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए होम साइंस कॉलेजों, केवीके की भूमिका और सूचना के प्रसार के लिए अच्छे प्लेटफॉर्म के बारे में अपने विचार साझे किए। वहीं सुश्री सरिता गोदवानी, स्टेट कंसल्टेंट, पोषण अभियान, समाज कल्याण विभाग, चंडीगढ़ ने आईसीडीएस और एमडीएम राशन में बाजरा शामिल करने के की बात पर जोर दिया तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए बाजरे के गर्म पके भोजन और पोषक लड्डू से अवगत करवाया। डॉ. रवींद्र खाईवाल, प्रोफेसर डीसीएम एंड एसपीएच, पीजीआईएमईआर ने बाजरा के पर्यावरणीय प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि  एनसीडी और जलवायु परिवर्तन पर इसका प्रभाव बहुत होता है। ज्यादा सिंचाई, कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग फसल पैटर्न फसल विविधता के लिए अग्रणी है। वायु प्रदुषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। डॉ नैन्सी साहनी एचओडी डायटेटिक्स पीजीआईएमईआर, बाजरा के न्यूट्रास्युटिकल गुणों और अस्पताल-आधारित आहारों में चिकित्सीय आहार में बाजरा शामिल करने के महत्व पर चर्चा की। सीलिएक रोगी, कैंसर रोगी (ज्वार), और बाल रोगियों में वीनिंग फूड (कोदो एन कोदरा)। उन्होंने चिकित्सीय आहार में बाजरा की अनिवार्य शुरूआत पर जोर दिया।


            सिटीजन अवेयरनेस ग्रुप के चेयरमेन सुरिन्दर वर्मा ने इस सेमिनार को जागरूकता पूर्ण व ज्ञानवर्धक बताया और दैनिक आहार में बाजरे को शामिल करना आज के समय की जरूरत बताई, जिसे प्राथमिकता के तौर पर करना चाहिए।

 
इस अवसर पर खेती विरासत मिशन के सदस्य भी मौजूद थे।

 
            वित्त और संचालन निदेशकअरुण वर्मा ने चर्चा किए गए मुद्दों को सारांशित किया और पिछले चार वर्षों में एसआईपीएचईआर की उपलब्धियों के बारे में भी बात की। श्री राजीव कुमार, प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर, आरसीटीसी पीजीआईएमईआर ने सभी को धन्यवाद प्रस्ताव दिया।