सकल जैन समाज ने निकाला शांतिपूर्ण रोष मार्च, झारखंड सरकार का किया विरोध
जैन तीर्थों पर हमले के विरोध में उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 05 जनवरी :
जिला सकल जैन समाज ने महासाध्वी श्री मंजूशा जी महाराज के सानिध्य में सामूहिक रूप से रोष मार्च निकालकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, ग्रहमंत्री, पर्यटन मंत्री, मुख्यमंत्री हरियाणा व मुख्यमंत्री झारखंड के नाम एक ज्ञापन उपायुक्त को सौंपा। दिगम्बर समाज यमुनानगर के प्रधान अजय जैन, श्वेताम्बर समाज यमुनानगर के प्रधान विनोद जैन, स्थानक समाज के प्रधान राकेश जैन तथा तेरापंथ समाज से बिमल चोपड़ा जैन, जगाधरी दिगम्बर समाज के प्रधान नरेन्द्र जैन, बूडिय़ा दिगम्बर जैन समाज के प्रधान भूषण जैन, सढौरा दिगम्बर समाज के प्रधान रोबिन जैन, श्वेताम्बर समाज जगाधरी के महामंत्री आशीष जैन व जिला जैन मिलन प्रधान महेश जैन ने समूहिक रूप से जानकारी देते हुये बताया कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित सम्मेद शिखर जी, जिसे पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है, और यह क्षेत्र जैन धर्म का अनादि निधन, सबसे बड़ा तीर्थ क्षेत्र है, जहां से 24 में से 20 जैन तीर्थंकर सिद्धालय गये है।
माना जाता है कि इस तीर्थ क्षेत्र का कण-कण इतना पवित्र है कि यदि कोई व्यक्ति निर्मल भावों से एक बार वंदना कर लेता है उसको कभी नरक तिर्यंचगति का बंध नहीं होता है। ऐसे पावन तीर्थ क्षेत्र पर कुछ समय से अप्रिय घटनाएं हो रही है, जो कि निन्दनीय है। तीर्थ क्षेत्र की स्वतंत्र पहचान, पवित्रता और संरक्षण हेतू सम्मेद शिखर जी बचाओं आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके समर्थन में पांच सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सम्मपूर्ण भारत वर्ष से सभी समाजों के द्वारा स्थानीय प्रसाशन के माध्यम से भारत सरकार को भेजा जा रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि समाज द्वारा पांच सूत्रीय मांगें रखी गई है जिसमें पारसनाथ पर्वतराज को वन्यजीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिये घोषित मास्टर प्लान में धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाये, तीर्थक्षेत्र को बिना जैन समाज की सहमती के वन्यजीव अभ्यारण्य का एक भाग व तीर्थ माना जाता है, इसको नष्ठ करने वाली झारखंड सरकार द्वारा जारी अधिसूचना को अविलम्भ रद्द किया जाये, इस तीर्थक्षेत्र और मधुबन को मांस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किया जाये। पर्वतराज की वन्दना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अभक्ष्य समग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, समान जांच हेतु सी. आर. पी. एफ. व स्कैनर, सी. सी. टी. वी. कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाये जाएं।
पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान, पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिये आग लगाना प्रतिबंधित हो। जैन समाज ने आह्वाहन करते हुये कहा कि श्री सम्मेद शिखर जी पर्यटन के रूप में समाज को बिलकुल भी स्वीकारिय नहीं है। जैन समाज नहीं चाहता है कि यहां पर पर्यटन रूपी सुविधाओं की शुरुआत की जाये। अतीत में कई बार पर्यटकों टोंकों पर जूते-चप्पल लेजाकर उसकी पवित्रता को भंग करते है, वहीं कुछ अन्य यात्री यहां आकर मांस-मदिरा का प्रयोग करते है जो कि इस तीर्थक्षेत्र की पवित्रता को तार-तार करता है। जैन समाज इस प्रकार के कार्यों का घोर विरोध करता है और इसको पवित्र धार्मिक जैन तीर्थ घोषित करने की अपील करता है।
जैन समाज यहां की बुनियादी सुविधाओं के बदले इसकों पर्यटन क्षेत्र में बदलना कभी स्वीकार नहीं करता है। इस अवसर पर भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे तथा पुरुष व समस्थ जैन समाज के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित रहे।