पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 04 जनवरी 23 :
नोटः आज बुध प्रदोष व्रत है: आज पौष माह का अंतिम प्रदोष व्रत है। यह बुधवार दिन को होने के कारण बुध प्रदोष व्रत है। आज पौष शुक्ल की त्रयोदशी तिथि देर रात 12 बजे तक है। आज प्रदोष व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बना हुआ है। साथ ही शुक्ल योग का भी संयोग है। यदि आज आप प्रदोष व्रत हैं तो आपको विधि विधान से शाम के समय भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः पौष,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः त्रयोदशी, रात्रि काल : 12.01 तक है,
वारः बुधवार।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः रोहिणी, प्रातः कालः 6.48 तक है,
योगः शुक्ल (की वृद्धि है, जो गुरूवार को प्रातः काल 07.33 तक है),
करणः कौलव,
सूर्य राशिः धनु, चंद्र राशिः वृष,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 07.19, सूर्यास्तः 05.33 बजे।