पंचांग, 07 अक्टूबर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 07 अक्टूबर 22 :

नोटः त्रयोदशी तिथि का क्षय है। आज प्रदोष व्रत एवं है।

प्रदोष व्रत इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं और इस व्रत करने से जीवन में हर तरह के सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति को पाप कर्म से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत के करने से व्रती को सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है और संतान प्राप्ति का वर भी देते हैं।

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सरस्वती बलिदान : सनातन धर्म शास्त्रों में कहीं भी किसी जीव का बलिदान का विधान नहीं लिखा गया है और न ही माँ हमें ऐसा करने की आज्ञा देती हैं। इसलिए किसी भी जीव का बलिदान न दें।  बलिदान देना है तो अपने अंदर के क्रोध, झूठ, कुकर्म का बलिदान दें और संकल्प लें की आगे आप एक बेहतर व्यक्ति बनेंगे।

क्षय तिथि – सूर्योदय के पश्चात प्रारंभ होकर अगले दिन सूर्योदय से पूर्व समाप्त होने वाली तिथि ‘क्षय तिथि’ कहलाती है | इसे ‘तिथि क्षय’ भी कहते हैं | यह तिथि सभी मुहूर्तों के लिए छोड़ दी जाती है |

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः आश्विऩ, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः द्वादशी प्रातः 07.27 तक है,

वारः शुक्रवार।  

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः शतभिषा सांय 06.17 तक है, 

योगः अतिगण्ड, रात्रिः 11.30 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः कुम्भ, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक

सूर्योदयः 06.21, सूर्यास्तः 05.56 बजे।