पंचांग, 19 सितम्बर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 19 सितम्बर 22 :

पितृपक्ष : श्राद्ध में मातृ नवमी का विशेष महत्व, जानिये उपाय
सौभाग्यवतीनां श्राद्ध

नोटः आज सौभाग्यवतीनां श्राद्ध, नवमी का श्राद्ध, मातृ नवमी है।  सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों का तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करने की परंपरा है। मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरों के लिए श्राद्ध करने से उन्हें मुक्ति मिलती है। साथ ही उनका आशीर्वाद सदैव अपने परिजनों पर बना रहता है। वैसे तो पूरे पितृपक्ष में श्राद्ध पूजन किया जाता है, लेकिन इसकी नवमी तिथि का अलग ही महत्व है। ब्रह्म पुरांण की एक कथा के अनुसार, यही वह समय है, जब पितृ धरती पर वास करते हैं और अपने परिजनों के सुखमय जीवन की कामना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार नवमी तिथि के दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म किया जाता है, इसलिए इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः आश्विऩ, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः नवमी सांयः 07.02 तक है, 

वारः सोमवार। 

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः आर्द्रा सांय 06.10 तक है, 

योगः व्यातिपात प्रातः 07.28 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः कन्या, चंद्र राशिः मिथुन, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.12, सूर्यास्तः 06.17 बजे।