पंचांग, 08 सितम्बर 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 07सितम्बर 22 :
नोटः आज रात्रिः 12.39 से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं, पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है।चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पॉच व्यक्तियों के अकालमृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।
नोटः आज प्रदोष व्रत है : सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। प्रदोष व्रत पर विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत कल यानी 8 सितंबर को पड़ रहा है। प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है। गुरुवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः भाद्रपद़,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः त्रयोदशी रात्रिकाल 09.03 तक है,
वारः गुरूवार।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः श्रवण दोपहर 01.46 तक है,
योगः अतिगण्ड रात्रि 09.40 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः मकर,
राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.07, सूर्यास्तः 06.31 बजे।