विरोध में हो या पक्ष में, अगले 20-30 साल तक BJP के इर्द-गिर्द घूमेगी भारतीय राजनीति : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की बड़ी भविष्यवाणी
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि आजादी के बाद के 50-60 सालों में राजनीति कांग्रेस के इर्दगिर्द घूमती थी। लेकिन आज इसके केंद्र में बीजेपी है। उनका कहना है कि आप साथ रहिए या विरोध में, अगले 20-30 साल तक राजनीति बीजेपी के इर्दगिर्द रहेगी। Express E.Adda में इंडियन एक्सप्रेस के कार्यकारी निदेशक अनंत गोयंका और नेशनल ओपिनियन एडिटर वंदिता मिश्रा के साथ बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि 1977 के दौर को छोड़कर आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस ही राजनीति के केंद्र में रही। उस समय भी आज जैसा माहौल था। आप साथ रहिए या विरोध में, उस समय राजनीति का हर पैंतरा कांग्रेस की तरफ से था या फिर उसके विरोध में। कोई भी पार्टी पैन इंडिया अपनी पकड़ नहीं बना पा रही थी।
नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी आगामी दो दशकों तक देश की राजनीति में प्रभावी बनी रहेगी और दूसरे दलों के लिए चुनावों में उसे हराना बहुत कठिन होगा। अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ खास बातचीत में प्रशांत किशोर ने कहा है कि कांग्रेस को बिहार से सीखना चाहिए कि राजनीतिक विरोधी को चुनौती कैसे दी जाती है और विपक्ष में कैसे रहा जाता है। उनका इशारा बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से था।
प्रशांत किशोर ने इंटरव्यू में कहा, ‘1977 के दौर को छोड़कर आजादी के बाद से 1990 तक कांग्रेस पार्टी ही भारतीय राजनीति के केंद्र में रही। उस समय भी आज जैसा माहौल था.। आप साथ रहिए या विरोध में, उस समय राजनीति का हर पैंतरा कांग्रेस की तरफ से होता था। उस दौर में कोई दूसरी पार्टी पैन इंडिया अपनी पहुंच नहीं बना पा रही थी। आज के दौर में बीजेपी ने वह पकड़ बना रखी है।’
उन्होंने गिनाया कि कॉन्ग्रेस की चुनावी गिरावट तभी से चालू हो गई थी। उन्होंने कहा कि भारत में 60 करोड़ लोग रोज 100 रुपए से भी कम कमाते हैं, वहाँ विपक्ष को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि विपक्षी एकजुटता या गठबंधन मजबूत हो जाएगा। उन्होंने शाहीन बाग़ और किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि चेहरा न होने के बावजूद आप नैरेटिव सही कर के चीजों को ठीक कर सकते हैं, एक मुद्दा चुन कर एकाध साल के लिए उस पर अड़े रह सकते हैं।
उन्होंने कहा कि क्या आपने कभी विपक्ष को पिछले कुछ वर्षों में आम लोगों या कोविड पीड़ितों की आवाज़ उठाते हुए देखा? साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि केवल प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से काम नहीं चलता। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए सही मैसेज होना चाहिए, जिसे एक सही मैसेंजर (चेहरे) द्वारा जनता को पहुँचाया जाए, इसके बाद पार्टी मिशनरी को इसे अभियान में बदलना होता है। इस दौरान उन्होंने अपनी अगली योजना की भी बात की।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में बदलाव के लिए वो जनता के बीच जाकर यात्रा करेंगे और जानेंगे कि क्या-क्या किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजद के काल में सामाजिक न्याय की बात कही जाती है, उसके बाद नीतीश कुमार के काल में आर्थिक विकास की बात कही जाती है – इन 30 वर्षों के बाद भी बिहार देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य है। उन्होंने कहा कि विकास के मानकों पर बिहार सबसे नीचे हैं, लेकिन लालू-नीतीश काल से आगे अग्रणी आने के लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है।
हालाँकि, उन्होंने माना कि ये किसी एक व्यक्ति के बाद की बात नहीं। उन्होंने कहा कि बिहार में कई लोग ऐसे हैं जो बदलाव के लिए क्या करना चाहिए, ये जानते हैं। उन्होंने कहा कि अगर लोग साथ आकर राजनीतिक पार्टी के गठन की बात करते हैं तो वो भी होगा, लेकिन ये प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा बल्कि जो इसके संस्थापक साथ आएँगे – उनका होगा। उन्होंने खुद को कैटेलिस्ट बताते हुए कहा कि वो बस बदलाव लाने वालों को साथ लाना चाहते हैं, उन्हें नहीं पता कि नेता वो होंगे या कोई और।
उन्होंने बताया कि कहीं उन्होंने अपना चेहरा तक नहीं लगाया है, बल्कि महात्मा गाँधी को रखा है। उन्होंने बताया कि बिहार के 17-18 हजार लोगों तक वो पहुँचे हैं, जिनमें कई शिक्षक, पूर्व अधिकारी और समाजसेवी जैसे लोग हैं। उन्होंने कहा कि सह-संस्थापक के रूप में कितने लोगों को साथ लाया जा सकता है, ये वो सबसे मिल कर तय करेंगे। उन्होंने कहा कि 1000-1200 लोग साथ आकर पार्टी बनाएँगे। उन्होंने ये भी कहा कि राजनीतिक दल या पार्टी गाँधी का प्रयोग सही से नहीं कर रहे हैं।