प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर का वार्षिक  उत्सव का आयोजन

  • उत्सव में भजन, कीर्तन व प्रवचन से निहाल हुए श्रद्धालु
  • प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर का वार्षिक  उत्सव का आयोजन
  • उत्सव में भजन, कीर्तन व प्रवचन से निहाल हुए श्रद्धालु

चंडीगढ़ 19 मई 2022: 

सेक्टर 36 बी में स्थित प्राचीन गुग्गा माडी मंदिर में लखदाता पीर के वार्षिक उत्सव मंदिर के गद्दीनशीन महंत, विश्वकर्मा समाज, चंडीगढ़ के शंकराचार्य व सूर्यवंशी अंतर्राष्ट्रीय अखाड़़ा के जगतगुरू जयकृष्ण नाथ तथा मंदिर की सह-संचालिकाविश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर माता सुरिंद्रा देवी के सानिध्य में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उत्सव में शामिल हुए दूर-दर्राज से आये श्रद्धालु भगवान के मधुर भजन, कीर्तन व प्रवचन सुनकर निहाल हो गये।

उत्सव का शुभारंभ भव्य हवन के साथ किया गया जिसके पश्चात विधि-विधान के साथ ध्वजारोहण किया गया। कार्यक्रम के दौरान शहर की विभिन्न भजन मंडलियों ने अपने भजनों के द्वारा प्रभु नाम का आनंद बरसाया। जबकि दूसरी और मंदिर की सह-संचालिका व विश्वकर्मा महिला मंडल की महामंडलेश्वर माता सुरिद्रा देवी ने भगवान विश्वकर्मा व गणेश वंदना से उत्सव को प्रारंभ करते हुए मधुर भजनों से संगत को निहाल किया । इसके साथ म्यूजिक पर कुमार साहिल एंड पार्टी द्वारा भजनों में चार चांद लगाने में पूर्ण सहयोग दिया। इसी कड़ी में राम दरबार के बिट्टू कव्वाल, साहिल एंड पार्टी ने भी भक्तों का समा बांधा। अंत में संगत और आए हुए समस्त संत समाज को सम्मानित करते हुए सभी का श्रीमती सीमा रानी द्वारा धन्यवाद किया गया ।

इस अवसर पर मंदिर के गद्दीनशीन महंत, विश्वकर्मा समाज, चंडीगढ़ के शंकराचार्य व सूर्यवंशी अंतर्राष्ट्रीय अखाड़़ा के जगतगुरू जयकृष्ण नाथ जी ने प्रभु नाम की महत्ता समझाते हुए उत्सव में शामिल हुए श्रद्धालुओं को प्रभु नाम में मन से जुड़े रहने को प्रेरित किया और धर्म के मार्ग पर चलते हुए और संसार के साथ अलौकिक जगत का मार्ग भी सुगम बनाए रखने पर प्रवचन देते हुए उत्सव को प्रारंभ किया। वहीं माता सुरिंद्रा देवी ने अपनी मधुर वाणी से संगत को ईमानदारी और सत्यनिष्ठ रहकर धर्म की शिक्षा पर जोर दिया। योगी सूरज नाथ जी ने संगत को संतो के साथ जुड़े रहने के साथ साथ नाम सिमरन सत्संग जनसेवा में लगे रहने को प्रेरित करते हुए अपनी वाणी द्वारा वातावरण को शुद्धता व शांति प्रदान की। अंबाला से आए हुए स्वामी ज्ञान नाथ जी ने संगत को प्रभु से आत्मा को जोड़ने की शिक्षा दी। महामंडलेश्वर राजनाथ जी, ने संत समाज के साथ संगत को जुड़ कर रहने का संदेश दिया। गंगा नाथ जी के अलावा अन्य संत समाज भी सम्मेलन में उपस्थित हुए।।जिनका सम्मान किया गया।