जब तक संगठन के चुनाव नहीं हो जाते, सोनिया गांधी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगी

बीते करीब 19 महीने में कांग्रेस के अंदर का ये प्रेशर ग्रुप अक्सर चुनाव के वक्त ही चर्चा में आया है। अगस्त 2020 में जब इस समूह ने पहली बार सोनिया गांधी को पत्र लिखा। उस वक्त राजस्थान के उप मुख्यमंत्री बगावती तेवर अपनाए हुए थे। वहीं, एक महीने बाद ही बिहार में चुनाव तारीखों का ऐलान होने वाला था।  एक बार फिर ये नेता चर्चा में हालांकि, इस बार चुनाव नतीजों के बाद इस समूह ने सक्रियता दिखाई है। इसके अलावा भी गाहे बगाहे ये नेता अपने बयानों और ट्वीट से पार्टी और गांधी परिवार से मुश्किल सवाल पूछते रहते हैं। पंजाब में चुनाव से पहले जारी कलह पर मनीष तिवारी अक्सर बोलते रहते थे। पंजाब से आने वाले मनीष तिवारी को पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व ने हाशिए पर रखा था। 

  • वैसे कांग्रेस में यह एक आम सहमति है कि सोनिया गांधी के बाद पार्टी का जिम्मा राहुल गांधी ही संभालेंगे

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

पांच राज्यों में हुई करारी हार और चौतरफा उठ रहे सवालों के बीच कांग्रेस कार्यसमिति ने फैसला लिया है कि जब तक संगठन के चुनाव नहीं हो जाते, सोनिया गांधी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगी। पांच घंटे चली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में तमाम सदस्यों ने हार के कारणों पर अपनी अपनी राय रखी और पार्टी को मजबूत करने की सलाह भी दी। लेकिन सबने तय किया कि जल्दबाज़ी में फैसला लेना उचित नहीं है, इसलिए 20 अगस्त को संगठन के चुनाव के बाद ही तय होगा कि पार्टी का नया नेतृत्व किसे मिलेगा।

कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने हालिया विधानसभा चुनावों में हार के संदर्भ में ‘खामियों’ को स्वीकार करते और नतीजों पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए फैसला किया कि जल्द ही एक ‘चिंतन शिविर’ का आयोजन किया जाएगा जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सीडब्ल्यूसी ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया और उनसे आग्रह किया कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए जरूरी बदलाव करें।

वैसे कांग्रेस में यह एक आम सहमति है कि सोनिया गांधी के बाद पार्टी का जिम्मा राहुल गांधी ही संभालेंगे। आज इस मीटिंग से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान भी चर्चा में रहा जिसमें उन्होंने राहुल गांधी को नेतृत्व संभालने की बात कही। यही नहीं जब सीडब्लूसी के मेंबर्स पार्टी दफ्तर के अंदर मंथन कर रहे थे, तब भी बाहर राहुल गांधी के समर्थन में यूथ कांग्रेस के नेता धरने पर बैठे रहे। हालांकि पार्टी का एक धड़ा उनकी रणनीतियों के तहत लड़े जा रहे चुनाव और लगातार मिल रही हार से निराश है, गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में तेईस नेताओं का ये धड़ा मानता है कि कांग्रेस को आमूल परिवर्तन करके ही रास्ते पर लाया जा सकता है। 

हाल में हुई चुनावी हार के बाद गुलाम नबी आजा़द ने कहा था कि इस हार से उनका दिल बैठा जा रहा है। नेताओं की इस उद्वेलना और निराशा को देखते हुए ही कार्यसमिति बुलायी गयी थी। लेकिन हार की समीक्षा के कारणों में रणनीति से ज्यादा नए नेतृत्व के मुद्दे पर बात हुई। कई नेताओं ने अपने सुझाव भी रखे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी नेतृत्व को संगठन के लोगों तक अपनी पहुंच आसान बनानी होगी, वहीं गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि नेतृत्व

G-23 में शामिल कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी पार्टी की हार पर ट्वीट किया। उन्होंने कहा कि पार्टी हारी है, पराजित नहीं हुई है। उन्होंने चुनावों में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए भाजपा को बधाई भी दी। उन्होंने ट्वीट किया कि कांग्रेस अभी भी योग्य विरोधी साबित होगी। जैसा मेरे सहयोगी आलिम जावेरी ने कहा, हम हारे हैं लेकिन पराजित नहीं हुए हैं। हमारा विश्वास, मूल्य और हमारी विरासत की भावना बहुत गहरी है और आगे भी बनी रहेंगी। कांग्रेस नेता अजय कुमार ने कहा कि दुखी हैं लेकिन टूटे नहीं हैं। हिले हैं लेकिन बिखरे नहीं। दिल छोटा न करें, धर्मी अकेले और कठिन लड़ाई लड़ते हैं।