स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन
स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से पूरा देश शोक में डूब गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि लता जी का निधन उनके और दुनियाभर के लाखों लोगों के लिए हृदयविदारक है। आज सुह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वो पिछले 28 दिनों से अस्पताल में भर्ती थी।
मुंबई/चंडीगढ़, डेमोक्रेटिक फ्रंट :
स्वर कोकिला लता मंगेशकर निधन: सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का निधन आज ब्रीच कैंडी अस्तपाल में कोरोना संक्रमण से जंग लड़ते हुए 92 साल की उम्र में हो गया। पिछले 29 दिनों से वह ब्रीच कैंडी अस्तपाल में भर्ती थीं और उनकी स्थिति नाज़ुक बानी हुई थी. लता मंगेशकर के निधन पर दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। लता मंगेशकर का पार्थिव शरीर रविवार दोपहर को 12:30 बजे घर लाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार रविवार को ही मुंबई के शिवाजी पार्क में शाम 6:30 बजे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
‘भारत रत्न’ से सम्मानित दिग्गज गायिका लता मंगेशकर को 8 जनवरी 2022 को कोरोना संक्रमित पाए जाने पर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें न्यूमोनिया हो गया था, जिससे उनकी हालत बिगड़ने लगी। इसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। उनकी हालत में सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था, लेकिन 5 फरवरी को उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। आखिरकार, 6 फरवरी को ‘स्वर कोकिला’ ने अंतिम साँस ली।
बता दें कि लता मंगेशकर ने बॉलीवुड में करीब सात दशक तक अपनी मधुर आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया है। वह दुनियाभर में ‘भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से मशहूर हैं।
लता मंगेशकर और उनका परिवार उन लोगों में से हैं, जिन्होंने कभी भी कॉन्ग्रेस और उसके वफादारों के बनाए गए सिस्टम के प्रोपेगेंडा पर भरोसा नहीं किया। उन्होंने पाया कि वीर सावरकर भारत की स्वतंत्रता के लिए समर्पित देशभक्त और प्रतिभाशाली व्यक्ति थे, जो कविता और लेखन का कार्य भी करते थे।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर और उनका परिवार वीर सावरकर के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को लेकर हमेशा गौरवान्वित रहा है। हर साल सावरकर की जयंती और पुण्यतिथि पर (28 मई और 26 फरवरी) लता मंंगेशकर हिंदुत्व के इस विचारक को सार्वजनिक तौर पर श्रद्धांजलि देने और अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके अमूल्य योगदान को दोहराने से कभी नहीं कतराती थीं।