हिंदू Vs हिंदुत्ववादी के चक्कर में राहुल गाँधी ने भाषण से एक बार फिर हिन्दु धर्म पर प्रश्न उठाए
दुर्भाग्यवश हमारे देश में तथाकथित, ‘ स्वयंभुव ‘ बुद्धिजीवी लोगों का एक ऐसा वर्ग है जिन्होनें अपने को ‘ सेक्युलर ‘ साबित करने के लिए हिन्दुत्व को गाली देने का एक आसान रास्ता ढूंढ लिया है। निहित स्वार्थवश हिन्दुत्व के बारे में तरह तरह के भ्रम फैलाना इनका मुख्य पेशा है। यह लोग राजनीतिज्ञों की चापलूसी करके उनसे निकटता स्थापित कर लेते हैं। सरकार में ऊंचे ऊंचे पद हथिया लेते हैं। सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करके इनकी रोटी चलती है। किसी भी छोटी छोटी बात को लेकर ये लोग अपने को मिले पिछले पुरस्कार वापस करने जैसे नौटंकी करते रहते हैं। यह इनका चरित्र है। इनके षड्यंत्रों को अनाव्रत किया जाय, इसके लिए हमें हिन्दुत्व को समझना होगा।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़/ जयपुर :
कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से करने के बाद उपजे विवाद पर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी द्वारा हिंदू और हिंदुत्व में अंतर बताने के बाद अब उन्होंने एक बार फिर दोनों को परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादी पीछे से पीठ में चाकू मारता है, जबकि हिंदू आगे से। राजस्थान की राजधानी जयपुर की रैली में रविवार (12 दिसंबर) को बोलते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि 2014 से सत्ता में हिंदुत्ववादी बैठे हैं और इन्हें सत्ता से बाहर करना है।
रैली को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने कहा, “किसानों की जो आत्मा है… उनका जो दिल है… छाती में चाकू मारा…। और भाईयों और बहनों… आगे से नहीं… यूँ नहीं (चाकू मारने का प्रक्रिया बताते हुए)… यूँ (एक सुरक्षाकर्मी के पीछे जाकर चाकू मारने का संकेत हुए)। आगे से नहीं, पीछे से। क्यों? क्योंकि वो हिंदुत्ववादी है। हिंदू अगर मारता तो आगे से मारता। हिंदुत्ववादी है तो पीछे से मारेगा।”
राहुल गाँधी ने हिंदू और हिंदुत्व के बीच अंतर को दोहराते हुए कहा कि हिंदूवादी सत्य के लिए मरता है, लेकिन हिंदुत्ववादियों को सत्य को कोई लेना देना नहीं होता। उन्होंने कहा कि एक हिंदू के लिए सत्य उसका पथ होता है। वह आजीवन सत्य की खोज में रहता है और सत्य के लिए ही मरता है। महात्मा गाँधी का उदाहरण देते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि उन्होंने पूरे जीवन सत्य की खोज की, लेकिन हिंदुत्ववादी गोडसे ने उनके सीने में तीन गोलियाँ मारकर उनकी जीवन लीला समाप्त कर दी।
रैली में बोलते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि हिंदू और हिंदुत्व एक नहीं हो सकते। जैसे दो जीवों की एक आत्मा नहीं हो सकती, उसकी तरह दो शब्दों का एक मतलब नहीं हो सकता। हर शब्द का अलग मतलब होता है। एक हिंदू सत्य की खोज में कभी झुकता नहीं है, लेकिन एक हिंदुत्ववादी को नफरत से भरा होता है, क्योंकि उसके मन में खौफ होता है। रैली में जुटे कार्यकर्ताओं से कहा कि अब वक्त आ गया है कि सत्ता में बैठे हिंदुत्ववादियों को हटाकर हिंदुओं को लाया जाए।
न्होंने कहा, “मैं हिंदू हूँ, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं हूँ। इस देश में दो शब्दों का टक्कर है। महात्मा गाँधी हिंदू थे और गोडसे हिंदुत्ववादी था।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि आज देश के सारे संस्थान एक संगठन और एक हाथ में है। हर मंत्री के दफ्तर में संघ के OSD बैठे हैं।
पूरी वीडियो आप नीचे सुन सकते हैं। राहुल गाँधी जैसे युवा नेता का भाषण पूरा सुनने की सहनशक्ति अगर नहीं है तो छाती में पीछे से कैसे चाकू मारा जाता है, उसके लिए 2:14:40 के आगे से सुनें।
इसके पहले नवंबर में राहुल गाँधी ने कहा था, “हिंदुस्तान में 2 विचारधाराएँ हैं, एक कॉन्ग्रेस पार्टी की और एक RSS की। आज के हिन्दुस्तान में बीजेपी और RSS ने नफरत फैला दी है और कॉन्ग्रेस की विचारधारा जोड़ने, भाईचारे और प्यार की है। उनका कहना है कि आरएसएस की विचारधार आज प्यार-भाईचारे पर हावी हो गई है।”
भाजपा पर सवाल उठाते हुए उन्होंने आगे कहा था, “बीजेपी हिंदुत्व की बात करती है। हिंदू और हिंदुत्व में क्या फर्क है, क्या ये एक हो सकते हैं? अगर हैं तो इनका नाम क्यों एक जैसा नहीं है। ये सच में अलग हैं। क्या हिंदू धर्म में ये है कि सिख और मुस्लिम को पीटा जाए? हिंदुत्व में ये है।”