चार महीने पहले ही सीएम बने तीरथ रावत ने दिया इस्तीफा
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है। इसी के साथ उत्तराखंड में एक बार फिर सियासी भूचाल आ गया है। बुधवार को अचानक दिल्ली पहुंचे तीरथ सिंह रावत की बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद से ही उनके इस्तीफे की अटकलें जोरों पर थीं। शुक्रवार देर शाम उन्होंने जेपी नड्डा के सामने इस्तीफे की पेशकश कर दी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वह ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते चार महीने पहले ही सीएम बने तीरथ रावत को इस्तीफा देना पड़ गया? जब से उत्तराखंड एक प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आया है तभी से राजनैतिक उठा – पटक का सामना कर रहा है। साल 2000 में अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए उत्तराखंड 20 साल पूरे कर चुका है। दिलचस्प है कि इन बीस सालों में राज्य में सीएम के 9 चेहरे नजर आए। इनके नाम हैं– नित्यानंद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, एनडी तिवारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल, विजय बहुगुणा, हरीश रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत।
हिन्दी के एक दैनिक ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने के बाद हुए आंतरिक सर्वे में पाया गया कि तीरथ सिंह रावत के चेहरे के सहारे चुनाव जीतना मुश्किल है। फिर पार्टी नेतृत्व को यह डर भी था कि अगर रावत उपचुनाव में हार गये या उनकी तरफ से खाली की गई लोकसभा की पौड़ी गढ़वाल सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी हार गई तो इसका बड़ा सियासी नुक़सान होगा।
ख़बर के अनुसार, पौड़ी गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर तक विधानसभा चुनाव जीतना था। पहले उन्हें सल्ट उपचुनाव लड़ने की सलाह दी गई थी, लेकिन वो तैयार नहीं हुए।
इस बीच राज्य में दो और सीटें (गंगोत्री व हल्द्वानी) खाली हो गईं, जहाँ उपचुनाव होना है।
ख़बर के मुताबिक़, जब मार्च में उत्तराखण्ड के सीएम पद पर त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह तीरथ सिंह रावत को लाया गया था, तो उसके बाद सीटों की भी अदला-बदली होनी थी।तीरथ सिंह रावत की संसदीय सीट पौड़ी से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव लड़ाया जाना था और त्रिवेंद्र सिंह की विधानसभा सीट डोईवाल से तीरथ सिंह को लड़ना था। लेकिन वो भी नहीं हो पाया।
हालांकि, कुछ पर्यवेक्षकों का कहना ये भी था कि राज्य विधानसभा के कार्यकाल का एक साल से भी कम समय बचा है और मुमकिन है कि निर्वाचन आयोग उत्तराखण्ड की रिक्त सीटों पर उपचुनाव कराने का कोई आदेश ही ना दे।
लेकिन शुक्रवार को जब तीरथ सिंह रावत ने अपना इस्तीफ़ा दिया, तो उन्होंने पत्र में लिखा कि संवैधानिक बाध्यता के कारण मैं छह महीने में विधानसभा सदस्य नहीं बन सकता। ऐसे में मैं नहीं चाहता कि पार्टी के सामने कोई संकट उत्पन्न हो. इसलिए मैं सीएम पद से इस्तीफ़ा दे रहा हूँ।
हालांकि, अपने इस्तीफ़े से पहले 22 हज़ार करोड़ के कोविड पैकेज और 22 हज़ार नौकरियों की घोषणा कर, तीरथ सिंह रावत ने सबको चौंका दिया।
उन्होंने जिस अंदाज़ में 114 दिन की अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, उसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी। उन्होंने विदाई से पहले ख़ुद की पीठ थपथपाई और प्रेस के सवालों का जवाब दिये बिना ही, चुपचाप सबको धन्यवाद बोलकर चले गए।