मध्य प्रदेश में सियासी संकट फिर उभरा
होली से ठीक पहले मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर एक बार फिर सियासी संकट के बादल घिरने लगे हैं जिसके बाद दिल्ली, भोपाल और बेंगलुरु तक में धूप छांव का खेल खेला जाने लगा. ये हलचल तब शुरू हुई जब मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में ये खबर गूंजने लगी है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों के फोन बंद हो गए हैं. सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश कांग्रेस के 6 मंत्रियों समेत 17 विधायक जो पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक बताए जाते हैं, वो एक चार्टर्ड विमान से बीजेपी शासित कर्नाटक के बेंगलुरू चले गए हैं. बागी कांग्रेस विधायकों व अन्य, जो पाला बदलने के लिए तैयार रहे हैं, उनके लिए बेंगलुरू सुर्खियों में रहा है. सूत्रों के अनुसार कभी गांधी परिवार के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल दिल्ली में हैं और कांग्रेस एक समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिलहाल कोई समाधान होता नजर नहीं आ रहा. 230 विधायकों की राज्य सभा में वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं. बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं.
- दिल्ली में सोनिया गांधी से मिले मुख्यमंत्री कमलनाथ, मुलाक़ात के बाद कहा सब ठीक है
- राज्य में तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है
- बेंगलुरू गए विधायकों में 6 मंत्री भी शामिल हैं
भोपाल:
49 वर्षीय सिंधिया दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में तब पिछड़ गए थे जब उन्हें केवल 23 विधायकों का ही समर्थन मिल सका था जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की जीत में उन्होंने बड़ा योगदान दिया था. कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे पार्टी की राज्य इकाई पर भी उनका ही नियंत्रण रहा. तब सिंधिया को पिछले साल के लोकसभा चुनावों के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना कर शांत करने की कोशिश की गई लेकिन वहां कांग्रेस को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा.
प्रदेश की सियासत में तख्तापलट के इतिहास को देखते हुए भोपाल की सियासत में सुदूर दक्षिण के बेंगलुरु शहर का नाम ही भूकंप लाने के लिए काफी है. तख्तापलट से पहले बेंगलुरु कई राज्यों के विधायकों का ‘सेफ हाउस’ बन चुका है. लिहाजा कमलनाथ सरकार में मंत्री-विधायकों के भोपाल की तरफ भागने की खबरें आने लगीं. यानी हर खेमे की गोलबंदी शुरू हो गई है ताकि ‘कयामत के वक्त’ में ताकत भरपूर हो और जोर आजमाइश में कोई कमजोर न निकले. तब तक कई संभावनाओं पर समीकरण टटोले जाने लगे. खबर आई कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है. यानी उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्य में जारी सियासी संकट के मद्देनजर सोमवार को ही पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात थी और उसके बाद कहा था कि सब ठीक है. लेकिन लगता नहीं की वहां सरकार में सबकुछ ठीक चल रहा है.
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा था कि बैठक में राज्य के सियासी संकट और राज्यसभा चुनाव पर चर्चा हुई. मंत्रिमंडल में विस्तार पर भी चर्चा हुई. मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा, ‘पार्टी अध्यक्ष से मुलाकात हुई, तमाम मुश्किलों पर बात हुई. राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर बातचीत हुई है और जो राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है, उसको लेकर भी बातचीत हुई है.’ हालांकि कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी और उनके कई करीबियों के संपर्क में नहीं होने के सवाल पर कमलनाथ ने कोई जवाब नहीं दिया था.
इससे पहले कांग्रेस के 4 विधायक बेंगलुरु चले गए थे जिनमें से दो वापस लौट आए हैं. हालांकि दो अन्य विधायकों से अबतक कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है, जो लौटे हैं वो सीधे मंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं, जो रुके हैं उन्हें भी मंत्री बनना है. सबको मंत्री बनना है.
राज्य में 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से 34 सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं. इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 29 मंत्री है. 5 मंत्री और शामिल किए जा सकते हैं. वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं. बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं.
मध्यप्रदेश में रिक्त हो रहीं तीन राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन 13 मार्च तक किए जा सकते हैं. कांग्रेस और बीजेपी की विधानसभा में मौजूदा सीटों को देखते हुए कांग्रेस के खाते में तीन में से दो सीटें आने की संभावना बनी हुई है. कांग्रेस में यह दो सीटें सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों के नामों को लेकर मंथन चल रहा है. मध्यप्रदेश से कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह को बड़ा दावेदार माना जा रहा है.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछले मंगलवार से सियासी ड्रामा जारी है. बीजेपी पर कांग्रेस का आरोप है कि उसने उसके चार विधायकों का अपहरण कर लिया. यह कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए किया गया. हालांकि बीजेपी ने इस आरोप से इनकार किया है. बीजेपी के नेता नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि यह सरकार खुद ब खुद गिर जाएगी, बीजेपी को उसे गिराने की जरूरत नहीं है. दूसरी तरफ लापता चार विधायकों में से एक निर्दलीय एमएलए सुरेंद्र सिंह ‘शेरा भैया’ शनिवार को भोपाल लौट आए और उन्होंने अपहरण की बात से इनकार किया. मध्यप्रदेश में मचे इस सियासी घमासान के बीच राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. इन हालात में कांग्रेस के सामने कमलनाथ सरकार को सुरक्षित रखने और साथ ही राज्यसभा की दो सीटें सुनिश्चित करने की भी चुनौती है.
मसला जो हो लेकिन भोपाल की पॉलिटिक्स में बेंगलुरु से नया ऐंगल जुड़ा तो प्रदेश सरकार से ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी के मुद्दे पर खुल कर चर्चा होने लगी. राज्य की सियासत में ग्वालियर राजघराने के ‘महाराज’ की अलग हैसियत है. कहा जा रहा है कि इस हैसियत की अनदेखी से महाराज ज्यादा खफा हुए. रोड पर उतरने वाला बयान दे कर उन्होंने पानी ऊपर जाने का संकेत दिया लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ से भाव नहीं मिला. कमलनाथ ने कहा था कि अगर सिंधिया को रोड पर उतरना है तो उतर जाएं. इस पर सिंधिया समर्थक इमरती देवी का जो बयान आया उससे ही इशारा मिलने लगा था कि ये खेल खतरनाक होता जा रहा है. उन्होंने कहा था कि अगर महाराज सड़कों पर उतरे तो प्रदेश की जनता भी उनके साथ उतरेगी.
पिछले हफ्ते जब ऑपरेशन लोटस की बात छिड़ी तो ज्योतिरादित्य सिंधिया चुप्पी साधे हुए थे. हालांकि उनके समर्थक विधायक ने कहा था कि अगर सिंधिया का प्रदेश सरकार ने अनादर किया तो कमलनाथ सरकार पर संकट जरूर आ जाएगा. इसके बाद सिंधिया गुट के विधायक इस पूरे सियासी घटनाक्रम से खुद को दूर रखे रहे.
हालांकि सिंधिया समर्थक विधायकों और मंत्रियों के अचानक गायब होने पर मंत्री ओमकार मरकाम ने चुटकी ली है. उन्होंने कहा कि सब मंत्री विधायक होली मनाने गए होंगे. शायद यही वजह है कि उनके मोबाइल भी बंद आ रहे हों
कांग्रेस विधायकों के बेंगलुरु कनेक्शन पर मंत्री ओमकार मरकाम का कहना है कि सभी विधायक, मंत्री बेंगलरु ही क्यों जा रहे हैं ये तो बड़े नेता ही बता सकते हैं. वहीं मरकाम ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस का वरिष्ठ नेता बताते हुए उनकी जमकर तारीफ़ भी की है. साथ ही प्रदेश के सभी कांग्रेस विधायक सीएम के संपर्क में होने का दावा भी किया है.
कांग्रेस में गुटबाजी के बीच बीजेपी अपनी रोटी सेंकने की जुगत में है. सिंधिया की नाराजगी को भांपते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान दिल्ली से भोपाल जाएंगे. कल शाम 7 बजे बीजेपी ने विधायक दल की बैठक भी बुला ली है. वहीं सीएम हाउस में मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं. लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में है. देर शाम उन्होंने सचिन पायलट से मुलाकात की और खुद कार चलाकर दिल्ली स्थित अपने घर पहुंचे.
- देर शाम तक ‘सिंधिया खेमे’ के ये विधायक संपर्क में नहीं
- गिर्राज दंडोतिया, कांग्रेस विधायक दिमनी (मुरैना)
- कमलेश जाटव, कांग्रेस विधायक अम्बाह (मुरैना)
- यशवंत जाटव, कांग्रेस विधायक, करैरा (शिवपुरी)
- इमरती देवी, महिला एवं बाल विकास मंत्री (ग्वालियर)
- प्रद्युम्न सिंह तोमर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री (ग्वालियर)
- गोविंद सिंह राजपूत, परिवहन मंत्री, विधायक -सुरखी (सागर)
- ओपीएस भदोरिया, कांग्रेस विधायक, मेहगाव (भिण्ड)
- रघुराज सिंह कंसाना, कांग्रेस विधायक मुरैना
- जसपाल सिंह जग्गी, अशोक नगर विधायक
- बृजेंद्र सिंह यादव, मुंगावली विधायक
- श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया लापता (मंत्री के दफ्तर और स्टाफ को भी नहीं जानकारी, समर्थकों को भी कल शाम से नहीं मंत्री की जानकारी)
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