Happy Father’s Day

 

प्रस्तुत हैं पिता को समर्पित कुछ पंक्तियाँ जाने maआने लोगों की :-

 

निदा फाजली :-

 

तुम्हारी कब्र पर मैं, फ़ातेहा पढ़ने नही आया,
मुझे मालूम था, तुम मर नही सकते

तुम्हारी मौत की सच्ची खबर, जिसने उड़ाई थी, वो झूठा था,
वो तुम कब थे?, कोई सूखा हुआ पत्ता, हवा मे गिर के टूटा था ।

मेरी आँखे
तुम्हारी मंज़रो मे कैद है अब तक
मैं जो भी देखता हूँ, सोचता हूँ
वो, वही है
जो तुम्हारी नेक-नामी और बद-नामी की दुनिया थी ।

कहीं कुछ भी नहीं बदला,
तुम्हारे हाथ मेरी उंगलियों में सांस लेते हैं,
मैं लिखने के लिये जब भी कागज कलम उठाता हूं,
तुम्हे बैठा हुआ मैं अपनी कुर्सी में पाता हूं |

बदन में मेरे जितना भी लहू है,
वो तुम्हारी लगजिशों नाकामियों के साथ बहता है,
मेरी आवाज में छुपकर तुम्हारा जेहन रहता है,
मेरी बीमारियों में तुम मेरी लाचारियों में तुम |

तुम्हारी कब्र पर जिसने तुम्हारा नाम लिखा है,
वो झूठा है, वो झूठा है, वो झूठा है,
तुम्हारी कब्र में मैं दफन तुम मुझमें जिन्दा हो,
कभी फुरसत मिले तो फातहा पढनें चले आना |

 

एहसानमन्द हूँ पिता: सविता सिंह

एहसानमन्द हूँ पिता
कि पढ़ाया-लिखाया मुझे इतना
बना दिया किसी लायक कि जी सकूँ निर्भय इस संसार में
झोंका नहीं जीवन की आग में जबरन
बांधा नहीं किसी की रस्सी से कि उसके पास ताकत और पैसा था
लड़ने के लिए जाने दिया मुझको
घनघोर बारिश और तूफ़ान में

एहसानमन्द हूँ कि इन्तज़ार नहीं किया
मेरे जीतने और लौटने का
मसरूफ़ रहे अपने दूसरे कामों में

कुमार विश्वास

फिर पुराने नीम के नीचे खड़ा हूं
फिर पिता की याद आई है मुझे
नीम सी यादें ह्रदय में चुप समेटे
चारपाई डाल आंगन बीच लेटे

सोचते हैं हित सदा उनके घरों का
दूर है जो एक बेटी चार बेटे
फिर कोई रख हाथ कांधे पर

कहीं यह पूछता है-

“क्यूं अकेला हूं भरी इस भीड़ में”

मैं रो पड़ा हूं
फिर पिता की याद आई है मुझे
फिर पुराने नीम के नीचे खड़ा हूं

 

 

 

पं. ओम व्यास ‘ओम’

 

पिता, पिता जीवन है, सम्बल है, शक्ति है,

पिता, पिता सृष्टि में निर्माण की अभिव्यक्ति है,

 

पिता अँगुली पकडे बच्चे का सहारा है,

पिता कभी कुछ खट्टा कभी खारा है,

 

पिता, पिता पालन है, पोषण है, परिवार का अनुशासन है,

पिता, पिता धौंस से चलना वाला प्रेम का प्रशासन है,

 

पिता, पिता रोटी है, कपडा है, मकान है,

पिता, पिता छोटे से परिंदे का बडा आसमान है,

 

पिता, पिता अप्रदर्शित-अनंत प्यार है,

पिता है तो बच्चों को इंतज़ार है,

 

पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं,

पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं,

 

पिता से परिवार में प्रतिपल राग है,

पिता से ही माँ की बिंदी और सुहाग है,

 

पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है,

पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है,

 

पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है,

पिता, पिता रक्त निगले हुए संस्कारों की मूर्ति है,

 

पिता, पिता एक जीवन को जीवन का दान है,

पिता, पिता दुनिया दिखाने का अहसान है,

 

पिता, पिता सुरक्षा है, अगर सिर पर हाथ है,

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है,

 

पिता नहीं तो बचपन अनाथ है,

तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो,

पिता का अपमान नहीं उनपर अभिमान करो,

 

क्योंकि माँ-बाप की कमी को कोई बाँट नहीं सकता,

और ईश्वर भी इनके आशिषों को काट नहीं सकता,

 

विश्व में किसी भी देवता का स्थान दूजा है,

माँ-बाप की सेवा ही सबसे बडी पूजा है,

 

विश्व में किसी भी तीर्थ की यात्रा व्यर्थ हैं,

यदि बेटे के होते माँ-बाप असमर्थ हैं,

 

वो खुशनसीब हैं माँ-बाप जिनके साथ होते हैं,

क्योंकि माँ-बाप के आशिषों के हाथ हज़ारों हाथ होते हैं।

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