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दिल्ली

9 जून, 2018

पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा व विपक्ष नेता अभय चौटाला दोनों पर खतरे की बड़ी तलवार लटकती नजर आ रही है सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर बनाई गई स्पेशल कोर्ट की मार दोनों नेताओं पर पड़ सकती है जिसके चलते अगले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं के खिलाफ फैसला आने पर दोनों नेताओं को जेल जाना पड़ सकता है। भूपेंद्र हुड्डा और अभय चौटाला दोनों ही cm बनने की हसरत रखते हैं ऐसे में अगर दोनों नेताओं के खिलाफ स्पेशल कोर्ट का फैसला आता है तो प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच जाएगा।

क्या है मामला ?

सुप्रीम कोर्ट के सामने एक गंभीर बात सामने आई कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले सालों से लंबित चल रहे हैं। इस बारे में जब कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी तो 36 फ़ीसदी सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की बात सामने आई। इतने अधिक संख्या में सालों से मामले लंबित होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए 12 दिसंबर 2017 को ला मेकर्स के खिलाफ लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन करने के निर्देश जारी किए।

इन 12 स्पेशल कोर्ट में से दो स्पेशल कोर्ट दिल्ली में गठित करने को कहा गया। 10 अन्य कोर्ट आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराषट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी व पश्चिम बंगाल में गठित करने के आदेश जारी किए गए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए सभी 12 स्पेशल कोर्ट के गठन को मंजूरी दे दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्या किया?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलो के शीघ्र निपटारे के लिए दो विशेष अदालतें स्थापित की हैं। एक प्रशासनिक आदेश में 1 नवंबर, 2017 और 14 दिसंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में दिल्ली उच्च न्यायालय की एडिशनल मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और अन्य न्यायाधीशों ने राजनेताओं के मामलों के शीध्र निपटारे के लिए दो अदालतों को विशेष अदालतों के रूप में नामित किया है।

उच्च न्यायालय ने विशेष अदालतों की अध्यक्षता करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई न्यायाधीश अरविंद कुमार और अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को नामित किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल दिनेश कुमार शर्मा के माध्यम से जारी 23 फरवरी के आदेश में कहा गया है कि विशेष अदालतें 1 मार्च से पटियाला हाउस कोर्ट कॉम्प्लेक्स में काम करेगी।
इस अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने यह आदेश दिया है कि विभिन्न अदालतों में सांसदों / विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों को 1 मार्च से पहले इन दो अदालतों में स्थानांतरित कर दिया जाए और ऐसे मामलों को तेजी से ट्रैक पर रखा जाए और 1 साल के अंदर निपटाने के प्रयास किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किए गए उपरोक्त फैसले के अनुरूप एवं दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच के निर्देशानुसार इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का केस तीस हजारी कोर्ट से पटियाला हाउस में स्थित विशेष अदालत में स्थानांतरित हो चुका है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार पदों पर बैठे विधायकों व सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में निर्णय 1 साल के अंदर-अंदर किया जाना जरूरी है। अभय चौटाला का केस फरवरी 2018 के अंतिम सप्ताह में तीस हजारी से पटियाला हाउस ट्रांसफर हो चुका है।

अगर 26 फरवरी 2018 के हिसाब से 1 साल का समय गिना जाए तो अगली 25 फरवरी से पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभय चौटाला को फैसले का सामना करना पड़ सकता है। जो मामले ढीले चल रहे होंगे उनको दैनिक कार्रवाई की सुनवाई में शामिल किया जाएगा । अभय चौटाला के केस की भी दैनिक सुनवाई की श्रेणी में आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अगर इस मामले में अभय चौटाला के खिलाफ फैसला आया तो अगले चुनाव से पहले उनको सत्ता की बजाय जेल का सामना करना पड़ सकता है। अभय चौटाला के खिलाफ इस मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 1 साल के अंदर आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अभय चौटाला की तरह पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी आधा दर्जन मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ सीबीआई तेजी से जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अगर कोर्ट ने तेजी से इन मामलों में सुनवाई की तो अगले चुनाव से पहले भूपेंद्र हुड्डा को भी फैसलों का सामना करना पड़ेगा और खिलाफ फैसले आने के हालात में उनको भी जेल जाने को मजबूर होना पड़ सकता है।

खरी खरी बात यह है कि हरियाणा की सियासत में इस समय पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय चौटाला दोनों अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

अभय चौटाला सी एम् बनने के लिए बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के अलावा एसवाईएल मामले पर जेल भरो आंदोलन छेड़े हुए हैं,
दूसरी तरफ पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी कांग्रेस हाईकमान को झुकाने के लिए जन क्रांति रथ यात्रा के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर दोनों नेताओं के खिलाफ कोर्ट के फैसले आए तो प्रदेश की राजनीति में उथल पुथल मच जाएगी। इससे जहां दोनों ही नेताओं के समर्थकों को जोर का झटका लगेगा वहीं दूसरे दलों व नेताओं को चमकने का गोल्डन चांस मिल जाएगा।

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