इन मीडियाई कामरेडो को सरदार पटेल की मूर्ति ही व्यर्थ क्यों लगती है ??
3 साल पहले रवीश कुमार ने अपने ब्लॉग पर स्टेचू ऑफ यूनिटी पर यह लिखा था कि यह भी नरेंद्र मोदी की तमाम घोषणाओं की तरह एक हवा हवाई है और कहीं कोई काम नहीं हो रहा है
कल जब मैंने एनडीटीवी देखा तो मैं इस आदमी का दोगलापन देखकर चौक गया कि यह आदमी दुनिया भर के गरीबी के आंकड़े गिना रहा था …कितने लोग आवास हीन है यह दिखा रहा था ..कितने बच्चे कुपोषित हैं यह बता रहा था
मगर इस ने कभी यह जिक्र नहीं किया देश की राजधानी दिल्ली जहां जमीने सोने से भी महंगी है वहां पर 272 एकड़ में नेहरू की समाधि 100 एकड़ में इंदिरा गांधी की समाधि डेढ़ सौ एकड़ में राजीव गांधी की समाधी बनी है ..इतना ही नहीं जिस आवास में नेहरू रहते थे उसे नेहरू म्यूजियम बना दिया गया है जिस सरकारी आवास तीन मूर्ति भवन में इंदिरा गांधी रहती थी उसे भी म्यूजिक बना गया है ….जहां राजीव गांधी की हत्या हुई यानी श्रीपेरंबदूर में वहां 400 एकड़ में राजीव गांधी स्मारक बना दिया गया है
देश में लाखों की संख्या में लगे गांधी नेहरू और अंबेडकर की मूर्तियों पर तो यह यह तर्क देते हैं कि इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी….. इन मीडियाई कामरेडो को सरदार पटेल की मूर्ति ही व्यर्थ क्यों लगती है ??
अगर आज इस मूर्ति को बनाने में 3000 करोड़ का खर्चा हुआ यदि कांग्रेस ऐसी मूर्ति 50 साल पहले बना देती तो शायद 50 करोड़ में ही काम हो जाता ..गलती तो कांग्रेस की है कि जिसने सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्व को भुला दिया जो भारत के बिस्मार्क हैं यानी वह बिस्मार्क जिन्होंने जर्मनी के छोटे-छोटे टुकड़ों को इकट्ठा करके एक संयुक्त जर्मनी बनाया ठीक उसी तरह सरदार पटेल ने 562 रियासतों को मिलाकर एक अखंड भारत बनाया और जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे जो भारत में नहीं मिलना चाहती थी उन्हें लाठी मारकर मिलाया
आप गुजरात आइए यहां ऐसे तमाम बुजुर्ग आपको मिलेंगे जो जूनागढ़ या सोमनाथ दर्शन करने जाते थे तो केशोद के पास स्थित एक जूनागढ़ रियासत के बनाए ऑफिस में उन्हें परमिट लेना पड़ता था और उन्हें कहीं और घूमने की इजाजत नहीं होती थी
आज अगर सरदार पटेल नहीं होते तो सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गीर का विशाल जंगल, जूनागढ़ शहर यह सब पाकिस्तान में होते क्योंकि जूनागढ़ के नवाब महावत खान बॉबी ने अपनी रियासत को पाकिस्तान में मिलाने का ऐलान कर दिया था
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