75 कविताओं के काव्य संग्रह ‘मन परिंदा ‘का हुआ भव्य लोकार्पण
बदलते रिश्तों, सामाजिक कुरीतियों व इच्छाओं से ऊपर उठ कर ही नारी बनेगी सशक्त: सुषमा जोशी
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़, 21 अक्टूबर:
साहित्य प्रेमियों और सामाजिक विचारकों के लिए यह एक यादगार दिन रहा, जब लेखिका सुषमा जोशी के 75 कविताओं के काव्य संग्रह ‘मन परिंदा का भव्य लोकार्पण हुआ। इस विशेष अवसर पर, सुषमा जोशी ने अपने संबोधन में महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में समाज के बदलते रिश्तों, कुरीतियों और इच्छाओं से ऊपर उठने की जरूरत पर जोर दिया।
सुषमा जोशी ने कहा, “नारी को अगर सशक्त बनना है, तो उसे समाज में मौजूद कुरीतियों, बंधनों और अपने ही भीतर की इच्छाओं से ऊपर उठना होगा। जब तक नारी इन सीमाओं को पार नहीं करती, वह अपनी वास्तविक शक्ति को पहचान नहीं पाएगी।”
काव्य संग्रह ‘मन परिंदा नारी के भीतर की उड़ान, उसकी अस्मिता, चुनौतियों और उसकी आंतरिक ताकत को बखूबी व्यक्त करता है। जोशी ने बताया कि यह काव्य संग्रह उनके जीवन के अनुभवों और महिलाओं से जुड़े सामाजिक मुद्दों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति है।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा महृषि बाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में शहर के कई प्रतिष्ठित साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा कवि उपस्थित रहे। सभी ने सुषमा जोशी के इस संग्रह की जमकर सराहना की और इसे नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि मनोज भारत व राजेश अत्रेय ने कहा, “सुषमा की कविताएँ नारी की स्वतंत्रता और उसके संघर्षों का सजीव चित्रण हैं। ‘मन परिंदा ‘के माध्यम से उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति को बेहद संवेदनशील ढंग से पेश किया है, जो प्रत्येक पाठक के दिल को छू जाती है।”
इस अवसर पर सुषमा जोशी ने अपने कुछ पसंदीदा अंश भी सुनाए, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा।
विशिष्ट अतिथि प्रेम विज, अध्यक्ष संवाद साहित्य मंच पंचकूला, डॉ. महेंद्र सिंह ‘सागर’, अध्यक्ष, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, हरियाणा इकाई (हरियाणा), और
शंखुदत्ता काजल, अध्यक्ष, भारत कला संगम, पिंजौर, भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे / पुस्तक समीक्षा के लिए डॉ. मनीष भारद्वाज महासचिव, अखिल भारतीय साहित्य परिषद (हिमाचल प्रदेश) और श्राजेश आत्रेय, सचिव, हरियाणा मंच, नई दिल्ली नाट्य अकादमी विशेष रूप से उपस्थिति दर्ज़ कराई