पंचांग, 17 अक्टूबर 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 17 अक्टूबर 2024

नोटः आज शरद पूर्णिमा कोआश्विन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैक्योंकि यह आश्विन मास में आती है। आश्विनी पूर्णिमा तथा पंचक समाप्त सांय काल 04.20 में, तथा श्री सत्यनारायण व्रत पूजन कथा आदि है तथा महर्षि श्री बाल्मीकि जंयती है। एवं कार्तिक संक्रांति है। तथा कार्तिक स्नान नियम प्रारम्भ नवान्भक्षण तथा आकाश दीपदान प्रारम्भ है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः आश्विनी़ 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः पूर्णिमा सांयः काल 04.56 तक है, 

वारः गुरूवार।

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः रेवती सांय काल 04.20 तक है, योग हर्ष़ रात्रिः काल 01.42 तक है, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः तुला, चन्द्र राशिः मीन, 

राहू कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,

सूर्योदयः 06.27, सूर्यास्तः 05.45 बजे।