सोमवती अमावस्या 02 सितंबर को, बन रहा विशेष संयोगः पं. जोशी
पितृ पूजन कर पाएं पितरों का आशीर्वाद
जैतो, 30 अगस्त (रघुनंदन पराशर)ः प्रत्येक हिंदू महीने के आखिरी दिन को अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या तिथि आती हैं। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ, स्नान और दान आदि का विशेष महत्व माना जाता है। इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को आ रही है। भाद्रपद माह की अमावस्या को भादो अमावस्या या भादी अमावस्या भी कहा जाता है। भाद्रपद माह की ये अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है। इसलिए इस अमावस्या को सोमवती अमावस्या का विशेष संयोग बन रहा है। सभी अमावस्या में सोमवती अमावस्या का बहुत अधिक महत्व माना जाता है।ये जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पंडित पूरन चंद्र जोशी मुक्तसर साहिब वालों ने सोमवती अमावस्या पर प्रकाश डालते हुए दी। पं. जोशी ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान के साथ पितृ पूजन भी किया जाता है। इसलिए इस खास दिन पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। भाद्रपद माह की अमावस्या का आरंभ 2 सितंबर दिन सोमवार को सुबह 5ः21 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 3 सितंबर को सुबह 7ः24 मिनट पर होगा। भाद्रपद माह की अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जाएगी। सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त का समय प्रातः 4ः38 मिनट से लेकर सुबह के 5ः24 मिनट तक रहेगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6ः09 मिनट से लेकर सुबह के 7 ः44 मिनट तक रहेगा।*इस अमावस्या बन रहे हैं ये शुभ योग*— पं. जोशी अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या के दिन दो शुभ योगों का निर्माण भी हो रहा है। इस दिन सुबह सूर्योदय से लेकर शाम के 6 बजकर 20 मिनट तक शिव योग रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग रहेगा। शिव योग को लेकर मान्यता है कि इस योग में पूजा-पाठ करने से देवी- देवताओं की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। और इस योग में पितरों का विधि विधान के साथ श्राद्ध और तर्पण करने से पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है। अमावस्या वह दिन होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, जिसके कारण इस दिन पूरी रात्रि चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। अमावस्या को पितरों का पर्व कहा जाता है। यह तिथि विशेष तौर पर पितरों को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन पितृ लोक से पितर धरती पर आते हैं. इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति, शांति और उनकी प्रसन्नता के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। अमावस्या के दिन पूजा, जप- तप, दान और पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान और पूजन करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है। अमावस्या के दिन सूर्यास्त के बाद वायु रूप में पितृ श्राद्ध व तर्पण की इच्छा से अपने परिजनों के घर की चौखट पर आते हैं। इसलिए अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण या पितृ पूजन जरूर करना चाहिए। इससे पितरों को तृप्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। श्राद्ध और तर्पण से पितृ प्रसन्न होकर अपने परिजनों को सुख, शांति व समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। *राशियों अनुसार जातक पितृों के नाम पर करें ये दान* :-पं. जोशी ने बताया कि मेष राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर गेहूं का दान करें वृषभ राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर सफेद वस्त्र का दान करें। मिथुन राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर साबुत मूंग का दान करें। कर्क राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर चावल का दान करें। सिंह राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर गेहूं और मूंग दाल का दान करें। कन्या राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर हरी सब्जी का दान करें। तुला राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर चूड़ा और चीनी का दान करें। वृश्चिक राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर लाल रंग के वस्त्र का दान करें। धनु राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर जौ, पके केले, घी का दान करें। मकर राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर काले तिल का दान करें। कुंभ राशि के जातक महापात्र को चमड़े के जूते और चप्पल का दान करें। मीन राशि के जातक सोमवती अमावस्या पर पीले रंग के कपड़े का दान करें।