पंडित देव शर्मा को मिला सम्मान

– महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय ने पंडित देव शर्मा को श्रेष्ठ पंचांगकर्ता के लिए किया सम्मानित
हिसार/पवन सैनी

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र द्वारा हिसार के पंडित देव शर्मा को विशेष उपलब्धियों एवं श्रेष्ठ पंचांगकर्ता के लिए सम्मानित किया गया। कैथल के विश्वविद्यालय द्वारा सूक्ष्म दिक्साधन पंचांग मंडन विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में कैलाश पंचांग के निदेशक पंडित देव शर्मा ने बतौर मुख्यातिथि हिस्सा लिया।  कार्यशाला के दौरान उन्होंने कहा कि भारत को विश्व गुरु बनना है तो हमें अपनी प्राचीन प्रतिष्ठा को पाना होगा तथा संस्कृत की ओर लौटना होगा। उन्होंने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति काफी महान है। पहले हमें स्वयं इसकी अनुभूति करनी होगी फिर अन्य लोगों को इसका भान करवाना होगा। उन्होंने कहा कि विवाह योग्य युवक-युवती की कुंडली मिलान के समय तत्वों का मिलान अवश्य करना चाहिए। यदि परस्पर विरोधी तत्व प्रभावी हों तो विवाह फलदायी नहीं होता। पंडित देव शर्मा ने बताया कि गुण मिलान की अपेक्षा कुंडली मिलान का अधिक महत्व है। उन्होंने कैलाश पंचांग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वार, तिथि, नक्षत्र, योग, करण की महिमा हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करती है। अत: प्रत्येक कार्यों में पंचांग का अनुसरण करते हुए धर्मसम्मत कार्य करने चाहिए। उन्होंने बताया कि ब्राह्मण का शरीर वैदिक कार्यों के लिए मिलता है। मनुष्य, पशु-पक्षी, कीट -पतंग आदि की रचना के बाद इनकी मुक्ति के लिए धर्म भी बनाया। धर्म का प्रारंभ संकल्प से होता है। मनमाना आचरण न करते हुए शास्त्रों के निर्देशानुसार हमें जीवन व्यतीत करना चाहिए।  महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा पंडित देव शर्मा को प्रशस्ति-पत्र, स्मृति चिह्न, शॉल, नारियल व नकद राशि देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान कुलपति रमेशचंद्र भारद्वाज, विभागाध्यक्ष डॉ. नरेश शर्मा, आचार्य डॉ. नवीन शर्मा, प्रो. बोदला, संकाय अध्यक्ष डॉ. जगत नारायण, पंडित भूपेंद्र दत्त शास्त्री, सुरेश शास्त्री एवं अन्य विभागाध्यक्ष, आचार्यगण एवं काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।   उल्लेखनीय है कि पंडित देव शर्मा ब्रह्म संघ के संस्थापक हैं और कैलाश पंचांग के निदेशक हैं। बहुत सी ज्योतिष आधारित व धार्मिक पुस्तकों का लेखन करके बहुत से पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। इसके साथ-साथ धार्मिक व सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं।