- प्रदूषण के मुद्दे पर राजनीति से भाजपा का पंजाब और किसान विरोधी रूख सामने आया : मुख्यमंत्री
- राज्य के मेहनती और प्रगतिशील किसानों को बदनाम करने के लिए मुहिम शुरु करने पर भाजपा और केंद्र सरकार की आलोचना की
- काले खेती कानूनों के विरुद्ध किसान आंदोलन का नेतृत्व करने के कारण पंजाब के किसानों के साथ नफऱत करती है भाजपा
- कोई टिकाऊ हल न देकर पंजाब के किसानों को बदनाम कर रहे हैं तथाकथित अर्थशास्त्री
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
पराली जलाने के मुद्दे पर राजनीति करने की ख़ातिर धरातल की नयी शिखरें छूने पर भाजपा की आलोचना करते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को कहा कि यह भगवा पार्टी राज्य के किसानों के साथ इस बात से नफऱत करती है क्योंकि उन्होंने काले खेती कानूनों के खि़लाफ़ बग़ावत का झंडा उठाया था।
यहाँ जारी एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के ज़्यादा प्रदूषित 32 शहरों के हवा के गुणवता सूचक अंक ( ए. क्यू. आई.) में पंजाब के सिर्फ़ तीन शहर आए परन्तु इसके बावजूद भाजपा और केंद्र सरकार ने वातावरण प्रदूषण के लिए राज्य के मेहनती और प्रगतिशील किसानों को बदनाम करने के लिए फज़ऱ्ी मुहिम शुरु की हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कितनी हास्यप्रद बात है कि अनाज उत्पादन में देश को आत्म-निर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले पंजाब के किसानों को पराली जलाने के लिए दोषी ठहराया जा रहा है, जबकि भाजपा ने हवा की गुणवत्ता सूचक अंक में घटिया कारगुज़ारी दिखाने वाले अन्य राज्यों पर आँखें मूंद ली हैं। उन्होंने कहा कि हवा की गुणवत्ता पक्ष से बुरी कारगुज़ारी वाले अन्य शहरों जिनमें फरीदाबाद, मानेसर, गुडग़ांव, सोनीपत, ग्वालियर, इन्दौर और अन्य शामिल हैं, के बारे भाजपा की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है क्योंकि यह शहर भाजपा के शासन वाले राज्यों से सम्बन्धित हैं। भगवंत मान ने कहा कि इससे भाजपा और केंद्र सरकार की पंजाब विरोधी और किसान विरोधी मानसिकता का पता चलता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका बुनियादी कारण यह है कि भाजपा राज्य के किसानों को नफऱत करती है क्योंकि उन्होंने काले खेती कानूनों के खि़लाफ़ मुहिम का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा कि इसका बदला लेने के लिए भाजपा राज्य और इसके किसानों को किसी भी कीमत पर बदनाम करने पर तुली हुई है। भगवंत मान ने कहा कि यह अचंभे वाली बात है कि पंजाब के किसानों के राष्ट्रीय ख़ाद्य पुल में बड़े योगदान को नजरअन्दाज करके लगातार पंजाबी किसानों को बदनाम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को याद करवाया कि उन्होंने किसानों को पराली न जलाने के बदले 2500 रुपए प्रति एकड़ की वित्तीय मदद सांझे तौर पर देने का विकल्प केंद्र सरकार को दिया था परन्तु इस प्रस्ताव को मानने की बजाय केंद्र सरकार किसानों को इस संकट में से निकालने के लिए मदद से शरेआम टालमटोल कर रही है। भगवंत मान ने कहा कि पराली के निपटारे के लिए टिकाऊ हल के तौर पर बड़ी संख्या में निवेशक पंजाब में आने और यहाँ जैविक ऊर्जा प्लांट लाने के इच्छुक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण केंद्र सरकार यह प्लांट लाने की मंजूरियां देने से इन्कार करके रास्ता में रूकावटें डाल रही है। उन्होंने कहा कि पंजाबी किसान पराली न जलाने के बारे अच्छी तरह जानते हैं क्योंकि इसका उनके परिवारों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। भगवंत मान ने कहा कि दिल्ली के ए. सी. कमरों में बैठे तथाकथित अर्थशास्त्री किसानों को पराली जलाने का कोई विकल्प तो दे नहीं रहे, बल्कि किसानों पर पराली जलाने का लगातार दोष लगा कर उनको बदनाम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब यह समस्या समूचे उत्तर भारत की है तो प्रधान मंत्री को इस मसले के हल के लिए मीटिंग बुलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह विरोधाभासी बात है कि जब तक पंजाब के किसान केंद्रीय पुल में धान का योगदान देते हैं, तब तक वह अन्नदाता होते हैं परन्तु जब खऱीद सीजन ख़त्म हो जाता है, उनको तुच्छ जैसे मुद्दों पर बदनाम करना शुरू कर दिया जाता है। भगवंत मान ने कहा कि यह पंजाबी किसानों का सरासरी निरादर और बेइन्साफ़ी है, जो किसी भी कीमत पर बर्दाश्त करने योग्य नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी किसान पराली जलाने की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं परन्तु केंद्र सरकार उनको कोई हल तो दे। उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार को कहा कि वह राज्य को केस दर्ज करने के लिए कह कर पंजाबी किसानों को रोज़मर्रा के धमकाना छोड़ें। भगवंत मान ने कहा कि पंजाबी किसानों को धमकाने की बजाय केंद्र सरकार को उनको इस समस्या का टिकाऊ हल देना चाहिए।