राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने शिक्षाविदों से विद्यार्थियों को मानवीय मूल्यों व आदर्शों से जोड़ने का किया आहवान
- राज्यपाल ने विश्व परमार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में ‘‘शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को किया संबोधित
- नई शिक्षा नीति-2020 में विद्यार्थी मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण कर भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में समावेश कर पाएगें-राज्यपाल
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 16 अगस्त, 22 :
हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि शिक्षा मनुष्य को विनम्रता प्रदान करती है, और विनम्रता किसी भी मनुष्य को किसी कर्म के लिए योग्य बनाती है। उन्होंने शिक्षाविदों से आहवान किया कि वे विद्यार्थियों में नई चेतना, नई उमंगों को जगाते हुए उन्हें मानवीय मूल्यों व आदर्शों से भी जोड़े, जिससे विद्यार्थियों में देश प्रेम, राष्ट्र भक्ति की भावना के साथ-साथ सामाजिक समरसता का भाव पैदा होगा।
राज्यपाल आज पंचकूला के सेक्टर 5 स्थित इन्द्रधनुष आॅडिटोरियम में विश्व परमार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में ‘‘शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि आज समय की आवश्यकता को मद्देनजर रखते हुए विश्व परमार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में ‘शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व‘ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसके लिए वे श्री सम्पूर्णानंद ब्रह्मचारी जी व फाउंडेशन से जुड़ी सभी विभुतियों को साधुवाद देते हैं। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि उन्हें प्रसन्नता है कि उन्होंने संगोष्ठी के लिए ऐसे विषय का चयन किया जो शिक्षा को चरित्र एवं मानवीय मूल्यों से जोड़ता है।
उन्होंने कहा कि भारत में विदेशी शासन के चलते देश की सभ्यता व संस्कृति को नुकसान पहुंचाया गया और भारतीय संस्कृति को शिक्षा से ही दूर नही रखा गया बल्कि हमारे लोगों को शिक्षा से ही दूर कर दिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी देश में लार्ड मैकाले पद्धति की शिक्षा को लागू रखा गया जिससे देश में बाबू संस्कृति विकसित हुई और देशवासियों को अंग्रेजी का गुलाम बना दिया गया। उन्होंने कहा कि विदेशी भाषा जानना, सीखना अच्छी बात है, लेकिन गुलाम बनना ठीक नहीं।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति व महान शिक्षक डा0 राधाकृष्णन सर्वपल्ली ने शिक्षा को सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के साधन के रूप में परिभाषित किया है। देश के विभिन्न महान शिक्षा शास्त्रियों, दार्शनिकों तथा समाज सुधारकों ने शिक्षा को भारतीय संस्कृति पर आधारित शिक्षा के उचित उद्देश्यों के निर्माण की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति 2020 में विश्व स्तरीय रोजगारोन्मुखी और कौशल शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति मूल्यों, मातृ भाषा, प्रथाआंे, परम्पराआंे, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहरों इत्यादि के समावेश की भी वकालत की।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में जहां प्रोद्यौगिकी, ऑन लाईन शिक्षा, इनोवेशन, रोजगारपरक शिक्षा, कम्प्यूटर आधारित विश्व स्तरीय शिक्षा के ढांचे पर बल दिया गया है। वहीं युवा पीढ़ी को चरित्रवान बनाने पर भी सांस्कतिक, सामाजिक मूल्यों व मातृ भाषा के साथ व्यावहारिक शिक्षा को महत्व दिया गया है। हमारे बच्चे मातृ भाषा में शिक्षा ग्रहण कर भारतीय संस्कृति एवं मानवीय मूल्यों को अपने जीवन में समावेश कर पाएगें। भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा ग्रहण कर युवा पीढ़ी नशा, जातिवाद, छुआछुत, भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा व अन्य सामाजिक कुरितियों से दूर होगी। एक समृद्ध समाज और नव-भारत का निर्माण होगा। इससे बच्चे अपने देश की संस्कृति से रू-ब-रू होगें, उनमें आत्म विश्वास पैदा होगा। इस प्रकार से बच्चों की प्रतिभा निखरेगी और पुरूषार्थ से लबालब होगें और जीवन के हर क्षेत्र में अपना शत-प्रतिशत देकर देश का नाम रोशन करेगें।
राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक, हमारी शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ होते हैं। योग्य समर्पित, ईमानदार, सहृदय व निष्ठावान शिक्षक वर्तमान शिक्षा के स्वरूप में बदलाव ला सकते हैं। वर्तमान संदर्भ में शिक्षा केवल भौतिक उपलब्धियां प्राप्त करने का साधन ही नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के बौद्धिक व मानसिक विकास का भी सशक्त माध्यम होनी चाहिए।
उन्होंने विश्व परमार्थ फाउण्डेशन को बधाई देते हुए कहा उनके द्वारा समय-समय पर जन कल्याण, सामाजिक मूल्यों, जन चेतना जगाने, समरसता बढ़ाने के साथ-साथ शिक्षा व सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमांे का समाज में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्र के निर्माण महत्वपूर्ण योगदान होगा।
इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि संपूर्णानंद जी महाराज प्रतिवर्ष अपनी एक महीने की तपस्या के पश्चात समाज के एक ऐसे विषय को लेकर कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जिनकी आज के समय में चिंता करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज जो विषय ‘‘शिक्षा में भारतीय मूल्यों का महत्व’’ चुना गया है यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण विषय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमारे घर से शुरू होती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि आज का युवा देश में शिक्षा ग्रहण कर विदेशों में जा रहा है और माता-पिता वृद्धावस्था में अपने आप को बेसहारा महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति लागू की गई है, जिसमें सांस्कतिक, सामाजिक मूल्यों व मातृ भाषा के साथ व्यावहारिक शिक्षा पर भी बल दिया गया है।
इस अवसर पर पुलिस आयुक्त डाॅ. हनीफ कुरैशी, उपायुक्त श्री महावीर कौशिक, पुलिस उपायुक्त सुरेन्द्र पाल सिंह, नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल, बीजेपी जिला अध्यक्ष अजय शर्मा, हरियाणा बाल कल्याण परिषद की मानद महासचिव रंजीता मेहता, कालका की पूर्व विधायक लतिका शर्मा, वरिष्ठ प्रचारक प्रेम गोयल, श्री अग्नि अखाड़ा के सचिव सम्पूर्णानन्द जी महाराज, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं प्रसिद्ध शिक्षाविद अतुल कोठारी, हरिद्वार से सतपाल जी ब्रहमचारी, प्रयागराज से आचार्य विचित्रानंद, हरियाणा व अन्य प्रदेशों से आए सांसद और विधायक व अन्य वरिष्ठ अधिकारी व गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।