ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट और अरेंगी मुगलिस्तान का समर्थन : जेनेट लेवी

जेनेट लेवी ने अपने लेख में लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी. आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है. कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है. वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं.”

जेनेट लेवी के americanthinker.com में प्राषित लेख से साभार

अमेरिका से आयी बंगाल के बारे में ऐसी खौफनाक रिपोर्ट, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। कभी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाले बंगाल की दशा आज क्या हो चुकी है, ये बात तो किसी से छिपी नहीं है. हिन्दुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे तो पिछले काफी वक़्त से होना शुरू हो चुके हैं और अब तो हालात ये हो चुके हैं कि त्यौहार मनाने तक पर रोक लगाई जानी शुरू हो गयी है।  बंगाल पर मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है और उसमे जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी।

जेनेट लेवी का दावा – बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश

जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की मांग की जायेगी। यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ।

जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं। उन्होंने लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी। आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है। कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है। वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं।”

आप यहाँ जेनेट का पूरा लेख खुद भी पढ़ सकते हैं। http://www.americanthinker.com/articles/2015/02/the_muslim_takeover_of_west_bengal.html

बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी को ठहराया जिम्मेदार

 बता दें कि जेनेट ने ये लेख अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में लिखा है. ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है, जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं। जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की मांग शुरू कर दें।

उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं। पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहां के मुस्लिम ही हैं। बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियां बनाती है।

सऊदी से आने वाले पैसे से चल रहा जिहादी खेल?

जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की मांग उठने जा रही है और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए। उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट?

गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है। उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं, मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है।

पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं।

जेनेट ने मुस्लिमों को आतंकवाद का दोषी ठहराया

जेनेट लेवी ने लिखा है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता। जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे।

आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो।

तस्लीमा नसरीन का उदाहरण किया पेश

जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है. बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल

1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।

मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए। मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया। क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता।

बंगाल में हो रही है ‘मुगलिस्तान’ देश की मांग

जेनेट लेवी ने आगे लिखा है कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है?

ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे। लेख में बताया गया है कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते।

यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। ये वो जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता

इसके आगे जेनेट ने लिखा है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है।

हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके। हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है।

लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं। जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं, कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडेगा।

बंगाल में चुनाव के बाद,जनवरी 1990 की याद ताजा हो गईं,जब 6 लाख कश्मीरी पंडितों को मस्जिदों से चेतावनी दी गई कि यदि आप जीवित रहना चाहते हैं तो अपने परिवार की महिलाओं को (बेटियों, बहनों, पत्नियों) को छोड़कर कश्मीर से भाग जाओ, तब देश में वी पी सिंह की सरकार बनी थी, उनके गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद थे, और कश्मीर में कांग्रेस के समर्थन से फारुख अब्दुल्ला की सरकार थी। मुस्लिमो ने उनकी संपत्ति हड़प ली और महिलाओं का लगातार बलात्कार होता रहा, और कत्लेआम  होता रहा, किसी मीडिया ने कोई News नहीं दिखाई, फलस्वरूप कश्मीर से हिंदू समाज को अपनी संपत्ति और महिलाओं को छोड़कर भागना पड़ा, वही स्थिति आज बंगाल में होने जा रही है, भाजपा के नेता भी लगभग नपुंसक हो गये हैं, सारी शक्ति हाथ में होते हुए भी लगभग असहाय हो रहे हैं। हिंदुओं के ऊपर होते हुए अत्याचार  देख कर सभी तथाकथित सेकुलर नेता चुप है। यही नेता किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के साथ उनकी ही गलती से कोई खंरोच भी आती तो छाती पीटते हुए सारे देश की नाक में दम कर देते हैं, और UNO तक शिकायत करके देश की छवि बिगाड़ने में भी संकोच नहीं करते। पूरा अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार में एकजुट हो जाता है।  

हिंदू समाज को इतना ज्ञान होना चाहिए कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ था बल्कि भारत 5000 वर्ष पुरानी हमारी संस्कृति है, हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं जिसमें पशु पक्षी वृक्ष सभी प्राणी शामिल हैं व धरती को अपनी माता मानते हैं। लगभग आधे से अधिक विश्व पर हमारा शासन था। लेकिन अपनी उदारता के कारण हम अपनी जमीन पर दूसरों को बसाते गये और खुद बेघर होते गए। हिंदू घटता गया तो देश बंटता गया। यदि हमें सुरक्षित रहना है तो हनुमान जी की तरह अपनी शक्ति को पहचाना होगा। हमें मंदिरों में केवल मनोकामनाएं पूर्ती के लिए ही नहीं जाना बल्कि हमें अपने देवी-देवताओं से सीखना भी है,वो एक हाथ में माला रखते थे वे दूसरे हाथ में भाला भी रखते थे, हमें शास्त्र के साथ साथ शस्त्र का भी ज्ञान होना चाहिए।  हिंदू समाज को अपनी आत्मरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। केवल सरकार व पुलिस के ऊपर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए।

हिंदू समाज अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर के अलावा कहीं भी जा सकता है चाहे वो धरती के नीचे गड़े हुए मुर्दे ही क्यों न हो, वहां भी बढ़े शान से चादर चढ़ाकर आता है जबकि अन्य कोई भी समाज ऐसा नहीं करता। हमें अपने भविष्य को बचाना है या अपने अस्तित्व को समाप्त करना है ॽ