पंजाब चुनावों से पहले सिद्धू प्रेम में पगी कॉंग्रेस आलाकमान क्या ‘हिन्दू विरोधी’ का ठप्पा झेल पाएगी

पंजाब में कॉंग्रेस की स्थिति काफी सुदृढ़ है। भाजपा अकाली गठबंधन टूटने के और किसान अनोलन शुरू होने के बाद से अकाली भाजपा द्व्य के खिलाफ माहौल है। आम आदमी की फिरकापरस्त ताकतों के तुष्टीकरण की छवि पंजाब में कॉंग्रेस को मौका देती है। ऐसे में कॉंग्रेस हेलीकाप्टर उम्मीदवार को पुराने नेताओं पर नहीं थोपना चाहिए। कॉंग्रेस पार्टी के अंदर यह सवाल भी उठ रहे हैं कि चुनाव से ठीक पहले पार्टी इस तरह का प्रयोग आखिर क्यों करना चाहती है। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि इस वक्त सिद्धू पर दांव खेलने के बजाए कांग्रेस को कैप्टन को मजबूत करना चाहिए। इसमें कई बुराई नहीं है कि पार्टी मुख्यमंत्री को चुनावी वादों को पूरा करने और विधायकों से मिलने की हिदायत दे। पर चुनाव से ठीक पहले इस तरह की स्थिति पैदा नहीं करनी चाहिए कि मुख्यमंत्री परेशान हो जाए।

सारिका तिवारी,चंडीगढ़ :

पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन कॉंग्रेस की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही  हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात के बाद पार्टी में कलह को खत्म करने के लिए उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाने या फिर चुनावी कैंपेन कमेटी करें कमान देने का फार्मूला रखा जिसे सिद्ध ने हाथों हाथ लपक लिया लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसी हिंदू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग रख कर कांग्रेस हाईकमान के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कॉंग्रेस पहले ही मुस्लिम तुष्टीकरण का दंश झेल रही है ऐसे में पार्टी सिद्धू को प्रदेश की कमान देकर हिंदू विरोधी होने का सियासी ठप्पा बर्दाश्त कर पाएगी

उधर कैप्टन ने  हिंदू नेताओं को लंच दिया

 अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को अपने खेमे के हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाया था। इसमें पार्टी के कई नेताओं ने भाग लिया। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से कहा है कि हिंदुओं और सिखों को समान प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए पार्टी को एक हिंदू को प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नामित करना चाहिए। हिंदू नेताओं की इस मांग से अमरिंदर सिंह और सिद्धू की लड़ाई सुलझने के बजाय और उलझ गया गई है,  जबकि प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग से कांग्रेस हाईकमान के सामने फिर राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।  

कैप्टन ने कांग्रेस के हिंदू नेताओं को दिए लंच में छह मंत्री कई विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।  बैठक में शामिल नेताओं ने कहा कि पंजाब में सिखों के बाद हिन्दू सबसे बड़ा वोट बैंक है लेकिन उनकी उपेक्षा की जा रही है।  राज्य की 15 सीटें ऐसी हैं जो हिंदू बहुल है और कभी यहां हिंदू उम्मीदवार ही मैदान में उतारे जाते थे, लेकिन अब वहां जट सिख विधायक हैं ऐसे में हिंदू नेता कहां जाएंगे इसका जवाब ढूंढना चाहिए।

 हिंदू नेताओं ने बठिंडा गुरदासपुर फिरोजपुर कोटकपूरा सीट को प्रमुख तौर पर चिन्हित किया 1957 से 2017 तक इस सीट पर 14 विधानसभा चुनावों में 11 बार हिंदू उम्मीदवार जीते हैं। गुरदासपुर सीट पर कांग्रेस पहले रमन बहल को आगे करती रही है तो कोटकपूरा में उपेंद्र शर्मा जैसे नेता पार्टी के उम्मीदवार रहे हैं।

 सिद्धू को हाईकमान का फार्मूला

 वहीं पंजाब कांग्रेस में चल रही कलह को दूर करने के मकसद से पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के लिए सम्मानजनक स्थिति वाला फार्मूले पर मंथन कर रहा है और विधायक मंत्रियों की बैठक के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात की थी। इसके बाद खबर आई के सिद्धू को पंजाब में भूमिका दी जा सकती है। इसके लिएसिद्धू को  अध्यक्ष का पद या फिर चुनावी कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाने का फार्मूला रखा गया था, जिस पर वह राज़ी भी हो गए थे।

 कांग्रेस हाईकमान अपने फार्मूले को अमलीजामा पहनते उससे पहले कैप्टन अमरिंदर ने हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाकर नया सियासी दांव चल दिया, कॉंग्रेस के हिन्द नेताओं को सिद्ध का प्रदेश अध्यक्ष बनाना उन्हें पसंद नहीं है।  इस समय मुख्यमंत्री के पद पर कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं जो कि जट सिख नेता है ऐसे में अगर पार्टी की कमान भी जात सिक्ख को खुले तौर पर नवजोत सिंह सिद्धू को सौंप दी जाती है तो संगठन और सरकार दोनों सिख नेता के हाथों में हुई, इससे हिंदू वोटों के नाराज होने का खतरा और पार्टी का सियासी नुकसान हो सकता है

 प्रदेश अध्यक्ष के पद पर  हिन्दू

 अमरिंदर सिंह  कांग्रेस प्रदेश के अध्यक्ष के पद पर किसी हिंदू चेहरे को बिठाए रखना चाहते हैं हिंदू जाट नेता हैं जिन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह का करीबी भी माना जाता है कैप्टन की ओर से गुरुवार को दिए गए लंच में कांग्रेस के सभी वरिष्ठ हिंदू नेताओं को बुलाया गया था लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ नहीं पहुंचे ऐसे में उनकी चर्चा का विषय है ओके लंच पर हुई बैठक में मंत्री मनप्रीत बादल ब्रह्म महिंदरा भारत भूषण आशू ओपी सोनी सुंदर शाम अरोड़ा विजय इंद्र सिंगला सांसद मनीष तिवारी गुरजीत औजला सहित करीब 30 नेता मौजूद रहे जिस तरह से हिंदू प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई है उसे हाईकमान के सामने मुश्किल यह हो गई है कि पंजाब में और सिद्धू को कैसे पार्टी की कमान सौंपी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गैर से को पार्टी की कमान देने की बात पहले कि केंद्रीय नेतृत्व से कह चुके हैं हम जिन दो नेताओं को पंजाब प्रदेश कमेटी का अध्यक्ष बनाना चाहती है उसमें सांसद मनीष तिवारी और राज्य के शिक्षा पीडब्ल्यूडी मंत्री विजय इंद्र सिंगला सूत्रों की मानें तो लंच पर बैठक के दौरान इन हिंदू नेताओं ने कहा कि विनोद सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे

 पंजाब की सियासत में हिंदू वोटर अहम

 पंजाब की सियासत में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के राजनैतिक आधार हिंदू मतदाता है हंस रहा है कि बीजेपी जब भी कमजोर हुई है उसका लाभ कांग्रेस को मिला है यही वजह है कि अकाली और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस को अपनी सियासी लाभ उठाने की कवायद है पंजाब का मालवा इलाका हिंदू वोटों का गढ़ माना जाता है जहां करीब 67 विधानसभा सीटें आती है बीजेपी के चलते अकाली दल को सियासी फायदा होता रहा है क्यों बीजेपी के चलते ही हिंदू वोट बैंक अकाली दल के पक्ष में जाता रहा है हालांकि अकाली दल से बीजेपी का गठबंधन होने के चलते हिंदू मतदाताओं की पसंद कांग्रेस बनी हुई है ऐसे में अब इन वोटों पर सीधे कांग्रेस और बीजेपी के बीच लड़ाई होगी ऐसे में साफ जाहिर है कि हिंदू वोट के बर्थडे का फायदा कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है लेकिन कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को पार्टी की कमान सौंपकर क्या पंजाब में हिंदू विरोधी होने का ठप्पा बर्दाश्त कर पाएगी गी गी गी