गुजरात कि राजनीति में ‘KHAM’ से कॉंग्रेस को जीत दिलाने वाले सोलंकी का 94 वर्ष कि आयु में निधन
बिहार में कभी लालू प्रसाद यादव ने ‘भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ़ करो’ का नारा दिया था और बाद में स्वजातीय यादव तथा मुस्लिम वोटरों को मिलाकर ‘माय’(MY) नामक जिताऊ समीकरण गढ़ा था। ठीक उसी प्रकार माधवसिंह सोलंकी ने ‘खाम'(KHAM) गढ़ा था। KHAM यानी Kshatriya, Harijan, Adivasi and Muslim (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम)। इसे राजनैतिक समीकरण मनवा कर इन वोटों को बांटा गया था। इस समीकरण के बलबूते माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 1980 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने 182 में 149 सीटें जीती थी। उस समय भाजपा को केवल 9 सीटें मिली थी।
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधव सिंह सोलंकी का 94 साल की आयु में निधन
- KHAM जातिगत राजनीति या यूं कहें कि बांटो ओर राज करो कि नीति की बदौलत चार बार रहे थे गुजरात के मुख्यमंत्री,
- नरसिम्हा राव सरकार में विदेश मंत्री भी रह चुके थे सोलंकी
गुजरात/नईदिल्ली:
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान ‘खाम (KHAM)’ थ्योरी की खूब चर्चा हुई थी। ‘भूरा बाल साफ करो’ और ‘तिलक, तराजू और तलवार-उनको मारो जूते चार’ जैसे नारों को सुनकर बड़ी हुई पीढ़ी के ज्यादातर लोगों ने उससे पहले इस राजनीतिक फॉर्मूले के बारे में कम ही सुना था। आज यानी 9 जनवरी 2021 को अचानक से फिर से इस फॉर्मूले का यशगान हो रहा है। कारण, इसके जनक माधव सिंह सोलंकी का निधन हो गया है।
माधव सिंह सोलंकी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे। लंबे समय से बीमार चल रहे थे। नरसिम्हा राव वाली कॉन्ग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे थे। गुजरात कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी कई मौकों पर सॅंभाल चुके थे। उनके बेटे भरत सिंह सोलंकी भी गुजरात कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष और मनमोहन सिंह की दूसरी सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
लंबे समय से राजनीतिक वनवास काट रहे माधव सिंह सोलंकी आखिरी बार चर्चा में तीन साल पहले यानी गुजरात चुनावों के वक्त ही आए थे। लेकिन अपनी राजनीतिक औकात की वजह से नहीं। अतीत में एक समीकरण गढ़कर सत्ता हासिल करने के कारण। असल में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हो रहा था। हार्दिक पटेल की अगुवाई में राज्य में हिंसक आंदोलन हो चुका था। जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर भी अपनी-अपनी जातीय गोटी फिट करके बैठे थे। ऐसे में कॉन्ग्रेस के टुकड़ों पर पलने वाले पूरे लिबरल गैंग ने यह हवा जोर-शोर से चलाई थी कि इन सबके बलबूते चुनावों में कॉन्ग्रेस वही चमत्कार करने जा रही है, जैसा कभी उसके लिए माधव सिंह सोलंकी ने ‘खाम’ का प्रयोग कर किया था।
2017 के चुनावों के नतीजे क्या रहे और कैसे कॉन्ग्रेस का प्रोपेगेंडा ध्वस्त हुआ, ये सब जानते हैं। अब जानते हैं कि ‘खाम’ का मतलब क्या है? KHAM यानी Kshatriya, Harijan, Adivasi and Muslim (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम) वोटर। इस समीकरण के बलबूते माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में 1980 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस ने 182 में 149 सीटें जीती थी। उस समय भाजपा को केवल 9 सीटें मिली थी।
यह कोई राजनीति का अनूठा प्रयोग नहीं था। कॉन्ग्रेस और तमाम क्षेत्रीय दल हिंदुओं को जाति में बाँट और मुस्लिमों को साध कर अतीत में कई बार सफलता हासिल कर चुके हैं। मसलन, बिहार में कभी लालू प्रसाद यादव ने ‘भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला) साफ़ करो’ का नारा दिया था और बाद में स्वजातीय यादव तथा मुस्लिम वोटरों को मिलाकर ‘माय’ (MY) नामक जिताऊ समीकरण गढ़ा था।
ये राजनीतिक फॉर्मूले असल में मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति की उपज होते हैं। हिंदू घृणा से पैदा होते हैं। इनसे भले तात्कालिक तौर पर राजनीतिक सफलता मिल जाती है, लेकिन ऐसे राजनीतिक प्रयोग हिंदुओं को बड़ा नुकसान पहुँचाने के मकसद से ही किए जाते हैं। लालू-राबड़ी के दौर की जातीय हिंसा इसी का नतीजा थी। इसी तरह माधव सिंह सोलंकी ने ‘खाम’ के बलबूते भले एक चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया था, लेकिन उसके बाद गुजरात को भी जातीय हिंसा का दौर देखना पड़ा था। हिंदुओं के खिलाफ समुदाय विशेष की हिंसा तेज हो गई थी। बाद के दौर में जब राज्य में बीजेपी मजबूत हुई, खासकर नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह दौर थमा और गुजरात ने विकास के अपने मॉडल के तौर पर देश और दुनिया में चर्चा हासिल की।
यही कारण है कि माधव सिंह सोलंकी को श्रद्धांजलि देते हुए ‘खाम’ का यशगान करने वाले चेहरे वही हैं, जो इस देश में सेकुलरिज्म के नाम पर मुस्लिम तुष्टिकरण के पैरोकार रहे हैं। याद रखिएगा हेडलाइन में यह लिख देने से कि ‘बनाया ऐसा रिकॉर्ड जो मोदी-शाह भी नहीं तोड़ पाए’ किसी माधव सिंह सोलंकी का राजनीतिक कद ऊँचा नहीं हो जाता है। बल्कि यह हमें उन राजनीतिक साजिशों के प्रति आगाह करते हैं, जिनका एक ही मकसद होता है: हिन्दुओं को बाँटो, मुस्लिमों को पालो।