अभय सिंह चौटाला बेशक अपनी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के अकेले विधायक हैं परंतु विधानसभा में उसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं जैसे उस समय कराते थे जब वे इसी विधानसभा में विपक्ष के नेता नेता हुआ करते थे l उनकी सीट जरूर बदल गई है परंतु तासीर नहीं बदली है l विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन उन्होंने बिजली मंत्री और अपने चाचा श्री चौधरी रणजीत सिंह से उनके विभाग से संबंधित कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे l
धर्मपाल वर्मा–चंडीगढ़
अभय सिंह चौटाला ने गृहमंत्री अनिल विज से प्रश्न और पूरक प्रश्न पूछे lसरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेराl एसवाईएल और दादूपुर नलवी नहर की चर्चा की और इस बात पर सवाल उठा दिया कि सरकार ने जिस आयोजन औपचारिकता पर साढे 5लाख खर्च किए उसमें से लोक संपर्क विभाग की भजन और नाटक मंडली के सदस्यों को मात्र ₹15000 नसीब हो पाए l
अपनी बात को सही सिद्ध करने , पूरा समय देने की कशमकश में वे स्पीकर तथा डिप्टी स्पीकर से भी नाराजगी दिखाने से नहीं चूके और उस समय विधानसभा से बहिर्गमन कर गए जब उनकी भाभी नैना चौटाला अपनी बात कहने के लिए उठ रही थी lश्री चौटाला यह कहते हुए सदन से चले गए कि आप लोग सुनना नहीं चाहते संयोग से उस समय डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सदन की कार्रवाई चला रहे थे l श्री चौटाला के सवाल पर बिजली मंत्री रंजीत सिंह ने कहा कि जिन बड़े संस्थानों स्कूल अस्पताल आदि के ऊपर से बिजली की तारें बड़ी लाइने गुजर रही हैं उन्हें स्थानांतरित किया जाएगा और खर्च विद्युत विभाग ही वहन करेगा l
गृह मंत्री ने उनके सवाल के जवाब में यह बताया कि वर्ष 2015 से 2019 के बीच विभिन्न सरकारी विभागों के 811 कर्मचारियों के विरुद्ध मुकदमे दर्ज हुए थे इनमें से 567 टू कोर्ट में 195 का इकविट्ठल हुआ मतलब उन्हें छोड़ दिया गया l कितने बरी हुए कितने अंडर ट्रायल हैंl
इस पर उन्होंने एक नया सवाल खड़ा कर दिया कि जिन केसों में कर्मचारी बरी हुए हैं उनमें सरकार ने शिकायत कर कर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की l उन्होंने एक यह सवाल भी उठाया कि 9 दिसंबर को पंचकूला में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में भ्रष्टाचार विरोधी दिवस पर जो आयोजन किया उसमें काफी फिजूलखर्ची हुई परंतु कुल ₹553000 में से नाटक और भजन मंडली के सदस्यों को मात्र ₹15000 देकर विदा कर दिया गया l उन्होंने धान घोटाला सरसों और सूरजमुखी की सरकारी खरीद की अनियमितताओं को भी हक से उजागर किया उनकी अंबाला के भाजपा विधायक असीम गोयल से नोकझोंक भी हुई lउन्होंने औद्योगिक सुरक्षा बल के उन लोगों के पक्ष में भी खूब जद्दोजहद की जिन्हें नौकरी से हटा दिया गया था l
अब भी पुलिस के लिए धड़कता है धर्म सिंह का दिल l
बेशक समालखा के कांग्रेस के विधायक धर्म सिंह छोकर राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हो गए हैं परंतु वह पहले पुलिस में थे और पुलिस के लिए अब भी उनका दिल धड़कता है l यह बात आज विधानसभा की कार्यवाही के दौरान साबित हुई lविधानसभा में कई दिन इंतजार करा कर आज पहुंचे धर्म सिंह सदन में बोलने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते रहे l बात नहीं बन रही थी तो उन्होंने कई बार हाथ उठाए l बीच-बीच में उठकर यह संदेश देने की कोशिश करते रहे कि उन्हें भी समय दिया जाना चाहिएl जब स्वीकृति मिली तो वे पुलिस के लिए दो वरदान मांगते नजर आए l यह अलग बात है कि अभी यह तय होना बाकी है कि सरकार यह वरदान देगी भी या नहीं l धर्म सिंह छोकर ने मांग की कि हरियाणा पुलिस के कर्मचारियों को पंजाब के समान वेतन वेतनमान दिया जाए और अनुसंधानकर्ता अर्थात जांचकर्ता पुलिसकर्मी को स्टेशनरी का खर्च भी दिया जाए l उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा करना भी जरूरी है lउन्होंने इसके अलावा हल्के की भी कुछ मांगे प्रस्तुत की l
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/Abhay-Singh-Chautala-600x314-1.jpg314600Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-27 03:57:222020-02-27 15:19:22आज भी नेता विपक्ष का जज़्बा रखते हैं अभय सिंह चौटाला
27 फरवरी 2020: अपने कामकाज के बारे में गंभीरता से विचार करें. आपको दूसरों की सलाह पर ध्यान देना होगा. नए लोगों से मुलाकात होने से आपको कुछ फायदे हो सकते हैं. शिक्षा, बिजनेस, नौकरी या महत्वपूर्ण कागजात से जुड़ी यात्रा हो सकती है. यात्रा के दौरान ही कई नई बातें आपको पता चल सकती है. विवाह संबंधी चर्चा हो सकता है. किसी सकारात्मक व्यक्ति से आपकी लंबी बात होगी.
27 फरवरी 2020: अचानक फायदा हो सकता है. धन लाभ के योग बन रहे हैं. आपकी मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हो सकती है जो आपको अपनी सोच बदलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. आज आप अपनी भावनाएं और टेंशन अच्छी तरह शेयर कर सकेंगे. रोजमर्रा के कुछ काम पूरे हो सकते हैं.पार्टनर से सहयोग मिलने के योग बन रहे हैं.
27 फरवरी 2020: आज आपका जोश भी चरम पर हो सकता है. नए लोग आपसे जुड़ सकते हैं. रिश्तों से जुड़े कई पहलू आपके लिए खास हो सकते हैं. किसी रिश्ते को मजबूत करने या टूटते रिश्ते को बचाने के लिए कोई सलाह लेनी हो, तो आपके लिए समय बहुत अच्छा हो सकता है. आजआप ऐसे कई काम निपटा सकते हैं, जिनकी अनदेखी आप काफी समय से करते आ रहे हैं. अचानक सामने आने वाले कामों के लिए खुद को पहले से तैयार कर लें.
27 फरवरी 2020: संतान से मदद मिलने के योग हैं. बिजनेस में किस्मत के सहयोग से ज्यादातर काम भी पूरे हो सकते हैं. पैसों या रोजगार के संबंध में कोई खुशखबरी मिलने के भी योग बन रहे हैं. आसपास के कुछ लोगों के साथ आपका व्यवहार और बातचीत बहुत हद तक सफल हो सकती है.आप सकारात्मक रहेंगे. आज आप जो भी कोशिश करेंगे, लोगों से उसका समर्थन भी आपको मिल सकता है. आपके सोचे हुए ज्यादातर काम भी पूरे हो सकते हैं.
27 फरवरी 2020: आपके जीवन में कई बदलाव हो सकते हैं. आज नए लोगों से दोस्ती होने और संपर्क बनाने का योग है. आपका व्यक्तित्व और क्षमताएं आज विकसित हो सकती हैं. आप अपनी अलग पहचान बनाने में समर्थ रहेंगे. प्रेमी के साथ संबंधों में सुधार होने के योग बन रहे हैं. भागीदारीमें आपके फैसले फायदेमंद हो सकते हैं. सेहत का पूरा ध्यान रखें. स्टूडेंट्स के लिए दिन अच्छा रहेगा.
27 फरवरी 2020: आपका रवैया काफी सहानुभूतिपूर्ण और लचीला हो सकता है. ज्यादातर मामलों को आप पूरी गहराई में जाकर ही समझ सकेंगे. माता-पिता के साथ संबंधों में सुधार होने के योग बन रहे हैं. किसी दोस्त को आपकी सलाह से बड़ा फायदा हो सकता है. आपकी मदद से साथवाले लोगों की कोई समस्या खत्म हो जाएगी. आप कोई ऐसा फैसला भी कर सकते हैं, जिसका असर दूसरों पर पड़ता हो. दोस्त आपसे संपर्क करते रहेंगे. आपका दाम्पत्य जीवन भी अच्छा रहेगा.
27 फरवरी 2020: किसी बात को लेकर मन में उत्सुकता रहेगी. अच्छा बोलकर आपकी कोशिशें पूरी हो सकती हैं. आपको कोई महत्वपूर्ण बातचीत करनी हो या इंटरव्यू आदि हो, तो सफलता मिल सकती है. आज आप निस्वार्थ ढंग से कई काम कर सकते हैं. आप सकारात्मक भी रहेंगे. आपकेलिए दिन सामान्य रहेगा. परिवार में कोई नया सदस्य भी आ सकता है. खुद पर भरोसा रखें तो आपकी सेहत अच्छी हो सकती है.
27 फरवरी 2020: सुखद और आनंददायक दिन रहेगा. आप खुद में कुछ बदलाव भी करने की कोशिश करेंगे. कोई योजना भी आपके मन में है, तो आपके लिए दिन खास हो सकता है. करियर के लिहाज से दिन यादगार है. जो भी प्रस्ताव है, उस पर बातचीत में आप पूरी तरह सफल हो सकते हैं. पैसे कमाने के कुछ नए अवसर आज आपको मिल सकते हैं. ऑफिस में अपने व्यवहार में विनम्रता रखें. कोई रिश्तेदार आपसे मिलने आ सकता है. परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा.
27 फरवरी 2020: आज आप थोड़े व्यावहारिक रहेंगे. इससे आपको फायदा होगा. सामाजिक तौर पर आप बहुत सक्रिय भी रहेंगे. भावनात्मक दृष्टि से आप उत्साहित रहेंगे. आपको खुद पर भी पूरा भरोसा है और दूसरों पर भी रहेगा. नए विचार भी आपके दिमाग में आएंगे. कोई नया प्रेम संबंध भीशुरू होने की संभावना है. बहुत से लोगों के चहेते बन सकते हैं. स्टूडेंट्स के लिए भी समय अच्छा कहा जा सकता है.
27 फरवरी 2020: आज दिमागी और शारीरिक तौर पर व्यस्त रहेंगे. अपने काम से पीछे न हटें. पैसे कमाने के कुछ नए और अच्छे मौके भी मिल सकते हैं. अपने आत्मविश्वास के दम पर आप दूसरों से अलग पहचान बनाने में सफल हो सकते हैं. आपकी इनकम बढ़ेगी. संतान की उन्नति से खुशीहो सकती है. आज आप बिजनेस में नई योजनाएं बना सकते हैं. जो आगे जाकर आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं.
27 फरवरी 2020: लेन-देन और बचत के मामलों में आज आपको सीरियस रहना होगा. आपके लिए दिन अच्छा है. भविष्य की योजनाओं पर ध्यान दें. जीवनसाथी के साथ मतभेद खत्म करने की कोशिश हो सकती है, इसमें आपको सफलता मिल सकती है. जीवनसाथी की भावना समझने की कोशिश करें. संतान संबंधित कोई अच्छी खबर आपको मिल सकती है. माता-पिता की मदद मिलती रहेगी.
27 फरवरी 2020: किस्मत का साथ मिल सकता है. आज के हालात और आपसे मिलने वाले लोग आपको कुछ नया करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. इस समय की गई कोशिशों की सफल होने की उम्मीद भी ज्यादा हो सकती है. आज हो सकता है कि आपको वर्तमान नौकरी में ही एक्स्ट्रा जिम्मेदारी या काम मिल जाए. आपकी इनकम बढ़ने के भी चांस ज्यादा है. आपका मन काम में लगेगा. ससुराल पक्ष से कोई उपहार मिलने के योग बन रहे हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/rashifal.jpg476715Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-27 02:52:532020-02-27 02:54:09आज का राशिफल
योगः शुभ प्रातः 10.26 तक, करणः वणिज, सूर्य राशिः कुम्भ, चंद्र राशिः मीन, राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.33,
सूर्यास्तः 06.15 बजे।
नोट: आज रात्रि 01.08 बजे से पंचक समाप्त हो रहे हैं।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/12/Hindu-Panchang-1.jpg388997Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-27 02:02:202020-02-27 02:04:21आज का पंचांग
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी।कारण सपष्ट है की भारत में नवोदय sekular धर्म को कट्टरता से मानने वाली कॉंग्रेस को मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण सावरकर का भूत भयभीत करता है । हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना ने चुप्पी साध ली थी।
मुंबई
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर को लेकर बीजेपी ने शिवसेना को घेरने का मन बनाया है। बुधवार को बीजेपी राज्यभर में सावरकर की पुण्यतिथि मनाएगी, लेकिन उनकी नजर शिवसेना पर भी होगी। बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि आज शिवसेना का सावरकर प्रेम परखा जाएगा।
बीजेपी चाहती है कि शिवसेना दोनों सदन में वीर सावरकर का ‘गौरव प्रस्ताव’ लाए जिसकी संभावना गठबंधन धर्म के कारण है ही नहीं। पाटील कहते हैं कि आज पता चलेगा कि सावरकर के प्रति शिवसेना कितना सम्मान रखती है या फिर उनके मन में सम्मान के नाम पर ढोंग है। पाटील ने कहा कि देखते हैं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मातोश्री में सावरकर की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हैं या फिर विधानमंडल में अभिनंदन प्रस्ताव लेकर आते हैं?
कांग्रेस और शिवसेना में टकराव की नौबत
महाविकास आघाडी में कांग्रेस और शिवसेना के बीच वीर सावरकर को लेकर भारी मतभेद हैं। शिवसेना हमेशा वीर सावरकर को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करती रही थी, जबकि हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस की मासिक पत्रिका शिदोरी में वीर सावरकर को लेकर जो लेख छापे गए थे, बीजेपी ने उन्हें आपत्तिजनक करार देकर उसका विरोध किया था। तब शिवसेना चुप रही थी। जाहिर है शिवसेना इस मुद्दे पर कांग्रेस के आगे दंडवत है अर्थात न चाहते हुए भी उसे सावरकर को ले कर कांग्रेस दर्शन स्वीकारणीय है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/unnamed-1.jpg205246Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 18:02:002020-02-26 18:02:21सावरकर को लेकर शिवसेना ने कॉंग्रेस के आगे घुटने टेके
शायद ही कभी जिन्ना की निंदा खुले मंच से हुई हो, जिस जिन्ना ने भारत माता के विभाजन में सबसे अग्रणी भूमिका निभाई थी. यहाँ तक कि पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना के लिए तो अलीगढ़ में भाजपा सरकार का विरोध तक कर डाला. इतनी निंदा उन अंग्रेजो की नहीं की गई जिन्होंने देश को लगभग 200 साल लूटा. हजारों वर्ष अत्याचार करने वाले मुगलों को महान बताया गया , क्योकि जिन्दा रखने थे तथाकथित सेकुलरिज्म के नकली सिद्धांत.
लेकिन जब भी और जिस भी मंच से भाषण दिया गया, वहां वीर सावरकर को अपमानित किया गया. अपने पूर्वजो का इतिहास कभी न बताने वालों ने वीर सावरकर को अपमानित कर के किसका वोट हासिल किया ये सभी जानते हैं. उनके भी वोट हासिल करने की कोशिश सावरकर को अपमान कर के की गई जो भारत की सेना और पुलिस बल के खिलाफ दिन रात मोर्चा खोले रहते हैं.
ये निंदा स्थानीय नेताओं के बजाय सर्वोच्च पदों पर आसीन राहुल गाँधी जैसो ने की. उनका इशारा पाते ही बाकी सब भी उनके सुर में सुर मिलाते रहे और अनगिनत हिन्दुओं के हत्यारे मुग़ल आक्रान्ता टीपू सुलतान की जय जयकार करने वाली कांग्रेस आजादी के नायक, हिन्दू राष्ट्रवाद के प्रणेता अमर हुतात्मा वीर सावरकार के खिलाफ तनकर खड़ी हो गई. कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सरकार ने नए पाठ्यक्रम में विनायक दामोदर सावरकर को वीर और देशभक्त नहीं, बल्कि जेल से बचने के लिए अंग्रेजों से दया मांगने वाला बता दिया. इतना ही नही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा टीम सावरकर जी पर अनैतिक संबंध बनाने का आरोप लगाया. यद्दपि देश देखता रहा ये सब और राष्ट्रीय जनादेश ऐसा करने वालों के विरुद्ध गया.
राजवीरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़:
न ही भाजपा-संघ वाले स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के बारे में बात करते थकते हैं और न ही कॉन्ग्रेस वाले हिन्दू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर में नुक्स निकालते। इन दोनों राजनीतिक ध्रुवों के बीच जो खो जाता है, वह है लेखक, इतिहासकार, विचारक सावरकर- जिसने शायद एक व्यक्ति या नेता से आगे जाकर भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ें खोद दीं। जिसने दशकों बाद पहली बार भारत-भूमि को याद दिलाया कि 1857 में महज कुछ दिशाहीन, अनुशासन-विहीन सैनिकों की हिंसा नहीं, स्वतंत्रता का पहला संग्राम हुआ था। जिसके ‘मास्टर-प्लान’ पर काम करते हुए बारीन्द्र घोष, शचीन्द्रनाथ सान्याल, रासबिहारी बोस आदि ने अपनी उम्र झुलसा दी और बिस्मिल, बाघा जतीन, राजेन्द्र लाहिड़ी आदि अनगिनत वीरों ने प्राणोत्सर्ग किया। जिसकी प्रेरणा से अध्यक्ष चुने जाने के बावजूद कॉन्ग्रेस में हाशिये पर धकेल दिए गए सुभाष चन्द्र बोस आज़ाद हिन्द फ़ौज के ‘नेताजी’ बनने नजरबंदी से भाग निकले। जिसकी किताबें इतनी लोकप्रिय थीं कि भगत सिंह उसकी प्रतियाँ बेचकर बंदूकें खरीदने का पैसा जुटा सकते थे!
‘1857 दोहरा कर ही मिलेगी आज़ादी’
1857 के विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों ने जो क्रूरता और निर्ममता दिखाई थी, वह अनायास या अकारण ही नहीं थी। पूरी ब्रिटिश शासन व्यवस्था ब्रिटिश सेना के संरक्षण पर टिकी थी और ब्रिटिश सेना (चाहे वह ईस्ट इंडिया कम्पनी की हो या बाद में ब्रिटिश क्राउन की) में केवल मुट्ठी-भर अंग्रेज अफ़सर होते थे- भारतीयों को विदेशियों का गुलाम बना कर रखने वाली असली ताकत भारतीय सैनिक ही थे; उन राजाओं की सेनाओं के, जिनकी कम्पनी बहादुर या ब्रिटेन के राजपरिवार के साथ संधि हुई थी, या सीधे ब्रिटेन की गुलामी में पड़े हुए भू-भाग की ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिक। अतः 1857 को क्रूरता से कुचलना अंग्रेजों के लिए ज़रूरी था, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक किसी सैनिक के दिमाग में अपने गोरे मालिकों पर बंदूक तानने की जुर्रत न आए। इसीलिए उन्होंने न केवल लोमहर्षक निर्ममता के साथ इस संग्राम को कुचला (किवदंतियाँ हैं कि मंगल पाण्डे के घर वालों की पहचान करने में नाकाम रहने पर उन्होंने कानपुर से बैरकपुर तक के हर गाँव के हर पाण्डे उपनाम वाले बच्चे-बूढ़े-औरत को गाँवों के पेड़ों से फाँसी पर लटका दिया था), बल्कि इतिहास में इसे अधिक महत्व न देते हुए महज़ एक अनुशासनहीन विद्रोह के रूप में दिखाया। वह सावरकर ही थे जिन्होंने पहले मराठी और फिर अंग्रेजी में प्रकाशित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’/The Indian War of Independence के ज़रिए इस लड़ाई के असली रूप को जनचेतना में पुनर्जीवित किया।
1909 में प्रकाशित इस किताब में उन्होंने न केवल इस विद्रोह की राजनीतिक चेतना को रेखांकित किया बल्कि इसके राष्ट्रीय स्वरूप के पक्ष में भी तर्क रखे। यही नहीं, उन्होंने यह भी अनुमानित कर लिया था कि अगर भारत को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होना है तो अंततः यही रास्ता फिर से पकड़ना होगा। ब्रिटिश सेना को पुनः राष्ट्रवादी, देशभक्त सैनिकों से भरना होगा जो वर्षों तक चुपचाप सेना में अपनी पैठ बनाएँ, प्रभुत्व स्थापित करें, अन्य सैनिकों की निष्ठा विदेशी शासन से इस देश की जनता की ओर मोड़ें। अंत में जब संख्याबल आदि सभी प्रकार से मजबूत हो जाएँ तो अपने नेता के इशारे पर, सही समय पर विद्रोह कर दें। महत्वपूर्ण रणनीतिक संसाधनों, हथियारों, रसद, आपूर्ति मार्गों आदि पर कब्ज़ा कर अंग्रेजों की व्यवस्था को घुटने पर ले आएँ।
सारे जहाँ में प्रतिबंधित
बौखलाए अंग्रेजों ने किताब और सावरकर पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। लंदन के सभी प्रकाशकों को इस किताब के अंग्रेजी अनुवाद/संस्करण के प्रकाशन के खिलाफ़ आगाह कर दिया गया। फ़्रांस ने भी अंग्रेज़ी दबाव में घुटने टेक दिए। अंततः किताब का अंग्रेज़ी संस्करण हॉलैंड (अब नीदरलैंड) में प्रकाशित हुआ- वह भी इसलिए कि ‘काली’ और ‘भूरी’ दुनिया को गुलाम बनाने में इंग्लैण्ड और हॉलैंड में ऐतिहासिक दौड़ मची थी। दोनों एक-दूसरे के औपनिवेशिक शासन को कमजोर करना चाहते थे। इस किताब को भारत में बाँटे जाने के लिए ब्रिटिश साहित्य के पन्नों में छिपा कर, या उसकी जिल्द चढ़ाकर लाया जाता था।
पीटर होपकिर्क अपनी किताब On Secret Service East of Constantinople में लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सावरकर की किताब को ब्रिटिश लाइब्रेरी की सूची तक में जगह नहीं दी, ताकि भारतीय छात्रों को इसके बारे में पता न चल जाए। इसी किताब में वह यह भी बताते हैं कि सावरकर की किताब को ‘तस्करी’ कर भारत में लाने के लिए चार्ल्स डिकेंस का मशहूर उपन्यास ‘पिकविक पेपर्स’ काफ़ी इस्तेमाल हुआ है।
भगत सिंह
भगत सिंह ने न केवल सावरकर के साहित्य का खुद गहन अध्ययन किया (उनकी जेल डायरियों और लेखन में सावरकर से अधिक उद्धृत केवल एक लेखक हैं), बल्कि कई इतिहासकारों की राय है कि वे अपने क्रांतिकारी संगठन में भी सावरकर के अध्ययन को प्रोत्साहित करते थे। यही नहीं, सावरकर की ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ और इसके अंग्रेजी संस्करण की आमजन के बीच भारी माँग और प्रतिबंध के चलते आपूर्ति में किल्लत को देखते हुए भगत सिंह के इसकी व्यवसायिक पैमाने पर तस्करी करने के भी उद्धरण इतिहास में मिलते हैं। इस किताब को ऊँचे दामों पर बेचकर उनका संगठन अंग्रेजों के खिलाफ़ क्रांति के लिए हथियार खरीदने का धन उगाहता था। इस किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित करवाने में भगत सिंह की भूमिका का ज़िक्र विक्रम सम्पत द्वारा लिखित सावरकर की जीवनी में है। यही नहीं, भगत सिंह ने सावरकर की केवल इस किताब ही नहीं, ‘हिन्दू पदपादशाही’ का भी ज़िक्र अपने लेखन में किया है।
सावरकर भी भगत सिंह का काफी सम्मान करते थे। इसकी एक बानगी यह है कि सावरकर की मृत्यु के उपरांत 1970 में प्रकाशित उनकी जीवनी ‘आत्माहुति’ का विमोचन भगत सिंह की माता माताजी विद्यावती देवी के हाथों हुआ। इस समारोह में उनके छोटे भाई भी शरीक हुए थे।
आज यह कतई ज़रूरी नहीं है कि जो कुछ सावरकर ने लिखा है, वह सही ही हो। बहुत कुछ ऐसा भी हो सकता है जो उस समय भले सही रहा हो, लेकिन आज प्रासंगिक न हो। सावरकर के जीवनकाल में ही ‘हिंदुत्व’ और हिंदूवादी राजनीति की उनसे अलग परिभाषाएँ रहीं हैं। ऐसा माना जाता है कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के हिन्दू महासभा छोड़ने के पीछे एक महती कारण पाकिस्तान को लेकर उनमें और सावरकर में पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार कर लेने (डॉ. मुखर्जी का मत) बनाम पुनः एक दिन अखण्ड हिंदुस्तान की सावरकर की परिकल्पना का गंभीर मतभेद था। ‘हिंदुत्व’ शब्द सावरकर के पहले भी था और सरसंघचालक मोहन भागवत ने यह कई बार साफ़ किया है कि आज का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोलवलकर-सावरकर से आगे बढ़ चुका है। ऐसे में यदि सावरकर को यदि जीवित रखना है तो उनके प्रशंसकों, उनके अनुयायियों को उन्हें दोबारा पढ़ना होगा, उन्हें दोबारा ‘खोजना’ होगा।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/Veer-Savarkar-Biography-In-Hindi.jpg375500Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 17:19:532020-02-26 17:27:58क्रांतिकारी, विचारक और लेखक राष्ट्रवादी वीर सावरकर कांग्रेस की परेशानी
सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि एक नामपता नामालूम व्यक्ति दिनांक 13.02.2020 को गांव महेशपुर सेक्टर 21 पंचकुला से घायल अवस्था मे मिला था। जिसकी दिंनाक 23.02.2020 को इलाज के दौरान PGI चण्डींगढ मे मृत्यु हो गई है जिसके बारे में अभी तक कोई भी सुराग नही मिला है। जिसकी लाश 72 घन्टे के लिये PGI चण्डींगढ की मोर्चरी में शिनाख्त हेतु रखवाई गई है। मृतक व्यक्ति का हुलिया इस प्रकार से है। रंग सांवला लम्बा चेहरा कद 5 फुट 11 इंच उम्र करीब 40 से 45 साल सफेद शर्ट व कोका कोला पैन्ट शरीर सामान्य व पैरो मे जुते पहने हुये है। जिस किसी भी व्यक्ति को मृतक नाम पता नामालूम व्यक्ति के बारे में कोई सूचना मिले तो वह SHO थाना सैक्टर-5 के मोबाईल न0 8146630014 से सम्पर्क कर सकते है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/body.png204171Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:41:472020-02-26 14:42:05अज्ञात शव मिला
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) के आह्वान पर 11 मार्च से 13 मार्च 2020 (तीन दिन) को पूरे भारत में10 लाख से अधिक अधिकारी / कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे आईएबीए और यूएफबीयू के बीच वेज रिवीजन और अन्य मुद्दों क़े बारे जों 01/11/2017 से लागू है , के बारे में आज आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ बैंक स्क्वायर सेक्टर 17 चंडीगढ़ मे विरोध पर्दर्शन मे किया जिस मे त्रिसिटी के 1000 से अधिक बैंक कर्मचारियों /अधिकारियों ने भाग लिया। 20 फ़रवरी ईसी स्थान पर वीशाल प्रदर्शन किया गया था | जिस में हजारों बैंक कर्मियों नए हिस्सा लिया ।
UFBU के सहयोगी संगठनों के आज के आंदोलन के दूसरे चरण के दौरान आईबीए के रवैये की निंदा की और अपनी मांगों के शीघ्र समाधान के लिए जोरदार नारे लगाए । कर्मचारियों / अधिकारियों की वास्तविक मांगों के प्रति आईएबीए के उदासीन रवैये के खिलाफ निंदा की गई
यूएफबीयू के पर्वक्ताने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में सेवाओं और वेतन बढ़ोतरी के नियम इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) और अधिकारी संघों और कर्मचारी संघों के बीच के समझौते होता है, जों 01/11/2017 से लम्बित है। यूएफबीयू पांच कामगार यूनियनों और चार अधिकारियों के संघों का प्रतिनिधित्व करता है जो वर्तमान में बैंक कर्मियों / अधिकारियों को मजदूरी के संशोधन के लिए आईबीए के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने हमेशा इस देश की वृद्धि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और पिछले 6 दशकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वर्ग बैंकिंग को बड़े पैमाने पर विशेष रूप से अर्थव्यवस्था मे निमन वर्ग की तरफ विशेष धयान दिया उन्होंने आगे कहा कि पिछले 2 वर्षो में 21 से अधिक दौर की चर्चाएँ आईबीए के साथ हुई हैं, लेकिन आज तक बैंकरों के लिए सम्मानजनक वेतन बढोतरी नहीं हुई। भारत सरकार को चाहिए कि वह आईबीए को तत्काल वेतन निपटान के लिए निर्देश दे, बैंकरों की वास्तविक मांगों सहित 5 दिन सप्ताह का कार्यान्वयन करे। उन्होंने आगे कहा कि बैंक यूनियन्स कर्मी १ अप्रैल से देश व्यापी हड़ताल अनिश्चित कालीन करेगें ।
उन्होंने आगे कहा कि हम ईमानदारी से सम्मानित ग्राहकों / महिलाओं को होने वाली असुविधा के लिए खेद है बैंक कर्मचारियों / अधिकारियों द्वारा हड़ताल के कारण और उनके नैतिक समर्थन के लिए उनसे अपील की गई।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200226-WA0034.jpg9601280Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:32:002020-02-26 14:33:43यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स का तीन दिविसीय देश व्यापी हड़ताल का आह्वान
सांसद आजम खां और उनकी विधायक पत्नी और बेटे के कोर्ट में सरेंडर के बाद कचहरी परिसर की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जिले के सभी सपा नेता और पदाधिकारी कचहरी में जमे रहे। वहीं भीड़ बढऩे की वजह से परिसर की सुरक्षा व्यवस्था भी बढ़ा दी गई थी।
रामपुर:
समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किल बढ़ गई है. कोर्ट ने पूरे परिवार को 7 दिन तक जेल भेजने का आदेश दिया है. आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिम और बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को 2 मार्च तक के लिए जेल भेज दिया गया है. रामपुर के एडीजी 6 अदालत में आजम खान अपने परिवार के साथ पेश होने पहुंचे थे. आपको बता दें कोर्ट पिछले काफी समय से आजम खान हाजिर होने के लिए समन जारी कर रहा था. जिसकी अनदेखी आजम खान कर रहे थे. गैर हाजिरी होने के चलते कई बार कोर्ट ने आजम खान, बेटे अब्दुल्लाह आजम और पत्नी तंजीम फातमा के खिलाफ जमानती और गैर जमानती वारंट जारी किया. अब तक सपा सांसद आजम खान पर 88 मुकदमे भी दर्ज है.
आपको बता दें कि आजम खां ने 20 मामलों में जमानत याचिका दायर की थी. इनमें 2 जन्म प्रमाणपत्र मामले में कोर्ट ने कल कुर्की के आदेश दिए थे. बधुवार को 17 मामले सुने गए. 4 में जमानत मिल गई जबकि 13 मामलों में अलग अलग डेट लगी है. एक मामले में कल भी सुनवाई होगी. जबकि बाकी मामलों में 2 मार्च को सुनवाई होगी. इनमें चुनाव में दर्ज हुआ अचार संहिता के उल्लंघन के 4 मामलों में बेल दी गई. अगली सुनवाई तक आजम खान जेल में ही रहेंगे. कई मामले में तो जमानत मंजूर हो गई है, लेकिन बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट के मामले में धारा 420 के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका खारिज की गई है.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/063.jpg385800Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:20:132020-02-26 14:21:15धोखाधड़ी के आरोपी आजम परिवार सहित 2 मार्च तक रहेंगे जेल में
नाम: गगनदीप पिता: श्री महेंद्र शर्मा माता: श्रीमती चम्पा देवी जन्म तिथि: 09-05-2004 रंग: पूर्णरूपेण गोरा ऊँचाई(height):5’2 पता: ग्राम नन्दपुर, पोठ मल्ला तहसील कालका, जिला पंचकूला पिन कोड:134102 सम्पर्क: 8053590071 पिता जी 9485618487 माता ji
यह बालक पिछले 18 फरवरी से लापता है। पुलिस को सूचना दी जा चुकी है। इस बालक को आखिरी बार मनसा देवी स्थित लक्ष्मी भवन शाम 5:00 बजे घर के लिए निकलते हुए देखा गया था, तब ही से यह घर नहीं पहुंचा ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/gagandeep.jpg1280960Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 14:07:402020-02-26 14:08:23गुमशुदा की तलाश
दिल्ली हिंसा का असर दिखने लगा है, अब दिल्ली में भी काश्मीर जैसे हालात बन गए हैं। एक समुदाय विशेष के शांति दूतों द्वारा 80 पीड़ित परिवारों ने रात को पुलिस थाणे में शरण ली और अब वही 80 परिवार अपने रिशतेदारों के यहाँ शरण लेने को मजबूर हैं। दिल्ली के कई इलाकों के हाल अब काश्मीर से होते जान पड़ते हैं। लोग अपने पुरखों के मकान/जायदाद मात्र जान और इज्ज़त बचाने के लिए छोड़ कर जा रहे हैं। मस्जिदों से हिंदुओं को दिल्ली छोड़ कर जाने के फरमान की बातें सुनने में आ रहीं हैं।
नई दिल्ली.
दिल्ली के गोकुलपुरी में सोमवार और मंगलवार की रात इलाके में रह रहे कई परिवारों के लिए तांडव की रात लेकर आया. गोकलपुरी इलाके के गंगा नगर मोहल्ले में रह रहे 80 परिवार 35 सालों से अपने घरों में रह रहे थे. लेकिन दिल्ली के इस इलाके में हिंसा भड़कने के बाद कुछ असमाजिक तत्वों ने इनके घरों पर हमला कर दिया, लेकिन पुलिस के सही समय पहुंचने पर इन लोगों की जान बची. बाद में पुलिस इस मोहल्ले से सभी 80 परिवार को सुरक्षित निकालकर दयालपुर थाने ले गई.
इन्हीं परिवार में से बचाकर दयालपुर थाने लाए गए एक शख्स का कहना है कि हम लोग सभी गोकुलपुरी के गंगा नगर में पिछले 35 सालों से रह रहे हैं. कभी कोई दिक्कत नही हुई, लेकिन सोमवार और मंगलवार को जैसे ही मौजपुर और बाबरपुर इलाकों में दंगा भड़की, अफवाहों का बाजार गर्म हो गया. इसके नतीजे में दूसरे लोगों ने हमारे घरों पर हमला कर दिया. किसी तरह हम लोग अपने अपने घरों में कैद हो गए. पुलिस को फोन कर सहायता मांगी. इन लोगों का कहना है कि अगर पुलिस समय पर नहीं पहुंचती तो हम लोग आज जिंदा नहीं बचते.
पुलिस ने मंगलवार की रात लगभग 100 लोगों को थाने में शरण दी थी, जो बुधवार को मेट्रो के शुरू होते ही अपने अपने सगे सबंधी के घर चले गए. ऐसे ही एक परिवार को गाजियाबाद से ले जाने आए एक अन्य शख्स कहते हैं कि मुझे मेरे भाई ने मंगलवार सुबह ही माहौल ठीक न होने की बात कही थी, लेकिन हालत ठीक नहीं होने की वजह से नहीं आ पाया. वह कहते हैं कि शुक्रिया पुलिस का जिन्होंने मेरे परिवार की जान बचाई.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “इन परिवार में से अधिकतर कल शाम को ही अपने अपने करीबी के घर चले गए. जो रहना चाहते थे उनके लिये खाने पीने की व्यवस्था की गई. अब धीरे धीरे स्थिति ठीक हो रही है. पुलिस हर जगह है. इसलिए जो जाना चाहते हैं, धीरे-धीरे कर अपने रिश्तेदारों के घर जा रहे हैं.”
इस बीच कल देर रात से दिल्ली के इन हिंसा प्रभावित इलाकों में पुलिस और अर्ध सैनिक बलों का फ्लैग मार्च जारी है. खुद पुलिस के आला अधिकारी सड़कों पर पेट्रोलिंग करते दिख रहे हैं.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2020/02/gdh.jpg527750Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2020-02-26 13:53:452020-02-26 13:54:58क्या दिल्ली में भी हिंदुओं के लिए काश्मीर जैसे हालात होंगे
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