मौजूदा संगठन पार्टी को आगे ले जाने की स्थिति में नहीं: वीरप्पा मोइली

चंडीगढ़(ब्यूरो):

कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल, पार्टी के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कहा कि यह ‘स्वीकार्य तथ्य’ है कि पार्टी का मौजूदा संगठन कांग्रेस की सोच को आगे ले जाने और लोकतंत्र की रक्षा करने की स्थिति में नहीं है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोइली ने सोनिया गांधी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि पत्र का मकसद पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव और अन्य चुनावों के लिए तैयार करना था और पार्टी के प्रति उनकी वफादारी जीवन भर रहेगी.

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘केंद्र की राजग सरकार लोकतंत्र के बुनियादी मूल्यों के लिए खतरा बन गई है. कांग्रेस को भाजपा की विभाजनकारी नीतियों का मुकाबला करने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए.’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में मैं भी शामिल हूं. इसका मकसद पार्टी को 2024 के लोकसभा चुनाव, अन्य विधानसभा चुनावों और स्थानीय निकाय के चुनावों के लिए तैयार रखना है.’’

मोइली ने कहा, ‘‘यह स्वीकार्य तथ्य है कि देश में चल रहे संकट के मौजूदा माहौल और हालात में कांग्रेस का संगठन पार्टी की सोच को आगे ले जाने और लोकतंत्र की रक्षा करने में स्थिति में नहीं है.’’

उनके मुताबिक, ‘‘गांधी परिवार हमेशा से देशभक्ति और त्याग के लिए जाना जाता है. सोनिया गांधी इस सोच का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनके नेतृत्व की हमेशा जरूरत है और कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर बने रहने के लिए उनका सहमत होना स्वागत योग्य कदम है.’’ मोइली ने कहा कि कांग्रेस के प्रति मेरी वफादारी हमेशा से दृढ़ रही है और जीवन भर रहेगी.

हम विरोधी नहीं, कांग्रेस नेतृत्व को कभी चुनौती नहीं दी

इस बीच कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व और पूर्णकालिक एवं सक्रिय अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल कई ने मंगलवार को कहा कि उन्हें विरोधी नहीं समझा जाए और उन्होंने कभी भी पार्टी नेतृत्व को चुनौती नहीं दी. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की हंगामेदार और मैराथन बैठक के एक दिन बाद इन नेताओं ने यह भी कहा कि पत्र लिखने का मकसद कभी भी सोनिया गांधी या राहुल गांधी के नेतृत्व पर अविश्वास जताना नहीं था और वे सोनिया के अंतरिम अध्यक्ष बने रहने के फैसले का स्वागत करते हैं.

पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि यह किसी पद के लिए नहीं, बल्कि देश के लिए है जो उनके लिए सबसे ज्यादा मायने रखता है. वह भी इन 23 नेताओं में शामिल हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘यह पद के लिए नहीं है. यह मेरे देश के लिए है, जो सबसे ज्यादा महत्व रखता है.’’

गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिब्बल ने यह टिप्पणी उस वक्त की है कि जब एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी की एक कथित टिप्पणी और फिर उन पर सिब्बल की तरफ से निशाना साधे जाने के बाद विवाद हो गया था. बाद में सिब्बल ने कहा कि खुद राहुल गांधी ने उन्हें सूचित किया कि उनके हवाले से जो कहा गया है वो सही नहीं हैं और ऐसे में वह अपना पहले का ट्वीट वापस लेते हैं.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि पत्र लिखने वाले नेताओं का इरादा देश के मौजूदा माहौल को लेकर ‘साझा चिंताओं’ से नेतृत्व को अवगत कराना था और यह सब पार्टी के हित में किया गया. पार्टी सांसद विवेक तन्खा के एक ट्वीट के जवाब में शर्मा ने कहा, ‘‘अच्छा कहा. पार्टी के हित में और देश के मौजूदा माहौल एवं संविधान के बुनियादी मूल्यों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराने के लिए पत्र लिखा गया.’’

पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल राज्यसभा सदस्य तन्खा ने ट्वीट किया, ‘‘हम विरोधी नहीं हैं, बल्कि पार्टी को फिर से मजबूत करने के पैरोकार हैं. यह पत्र नेतृत्व को चुनौती देना नहीं था, बल्कि पार्टी को मजबूत करने के उद्देश्य से कदम उठाने के लिए था. चाहे अदालत हो या फिर सार्वजनिक मामले हों, उनमें सत्य ही सर्वश्रेष्ठ कवच होता है. इतिहास बुजदिल को नहीं, बहादुर को स्वीकारता है.’’

इनके इस ट्वीट के जवाब में कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने कहा कि इस पत्र को अपराध के तौर पर देखने वालों को आज नहीं तो कल, इसका अहसास जरूर होगा कि पत्र में उठाए गए मुद्दे विचार योग्य हैं. वासनिक ने भी पत्र पर हस्ताक्षर किये हैं.

दूसरी तरफ, इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले एक अन्य नेता ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर एजेंसी से कहा, ‘‘सीडब्ल्यूसी की बैठक में जो नतीजा निकला, उससे हम संतुष्ट हैं. पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले कई नेता सीडब्ल्यूसी की बैठक में मौजूद थे और सबने प्रस्ताव पर सहमति जताई. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने कभी सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर कोई अविश्वास नहीं जताया और सोनिया जी जो भी कदम उठाएंगी , वो हमें मंजूर होगा.’’

पत्र लिखने वालों पर निशाना साधने वाले कांग्रेस नेताओं पर बरसते हुए इस नेता ने कहा, ‘‘हम पार्टी को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं, किसी के खिलाफ काम नहीं कर रहे हैं. जो हम पर आरोप लगा रहे हैं वो सिर्फ चापलूसी कर रहे हैं. अगर यह जारी रहा तो पार्टी का नुकसान होगा.’’

यह पूछे जाने पर कि क्या पत्र को अब सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया जाएगा तो उन्होंने कहा, ‘‘पत्र को जारी करने का मतलब नहीं है जब इसे बैठक में रख दिया गया और उस पर चर्चा हो गई.’’

पत्र लिखने वाले कई अन्य नेताओं से भी संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.

सीडब्ल्यूसी ने सोमवार को करीब सात घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद सोनिया गांधी से पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का आग्रह किया और उन्हें जरूरी संगठनात्मक बदलाव के लिए अधिकृत किया.

पार्टी के 23 नेताओं की ओर से नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया को लिखे गए पत्र से खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में हुई यह बैठक हंगामेदार रही और इसमें तकरीबन सभी नेताओं ने सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया.

कांग्रेस की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई ने नेताओं को कांग्रेस का अनुशासन एवं गरिमा बनाए रखने के लिए अपनी बातें पार्टी के मंच पर रखने की नसीहत दी और कहा कि किसी को भी पार्टी एवं इसके नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

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