महाराष्ट्र में एक मई से NPR लागू हो जाएगा
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे राज्य में 1 मई से एनपीआर की प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं. वहीं कांग्रेस और एनसीपी इस पूरी कवायद का खुलेआम विरोध कर रही है.
नई दिल्ली(ब्यूरो):
महाराष्ट्र में एक मई से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) लागू हो जाएगा. इसी बीच महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन महाविकास अघाडी के साझेदारों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच तनातनी बढ़ती दिख रही है. मुख्यमंत्री एवं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आपत्तियों को दरकिनार करते हुए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर पर आगे बढ़ने का फैसला लिया है.
ये फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब देश भर में एनपीआर, नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है.
राज्य सरकार के एनपीआर लागू करने के फैसले को लेकर सहयोगी दलों के बीच तनातनी देखने को मिल रही है. राज्य में एनपीआर लागू करने को लेकर शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महाविकास अघाड़ी में तनातनी नजर आ रही है.
एनसीपी के वरिष्ठ नेता माजिद मेमन ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि पार्टी एनपीआर का समर्थन नहीं करती. शरद पवार ने भी इसे लेकर आपत्तियां जताई है. इस मामले में ऐसा ही फैसला लिया जाएगा, जो तीनों पार्टियों को स्वीकार्य हो.’
हालांकि ये पहला मौका नहीं, जब महाराष्ट्र के सत्ताधारी गठबंधन में इस तरह मतभेद दिखे हों. इस पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने एल्गार परिषद मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपे जाने को लेकर उद्धव ठाकरे सरकार की शुक्रवार को आलोचना की थी.
शरद पवार ने कहा, ‘मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केन्द्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया.’
सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर हो रहे देशव्यापी विरोध के बावजूद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक मई से 15 जून तक एनपीआर के तहत सूचनाएं इकट्ठा करने की अधिसूचना जारी की है.
महाराष्ट्र में एनपीआर को लागू करना उद्धव ठाकरे सरकार के लिए आसान नहीं होगा. महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की महाअघाड़ी गठबंधन की सरकार है. कांग्रेस शुरू से ही CAA, NRC और NPR का खुलकर विरोध कर रही है. एनसीपी ने अभी इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया है.
दूसरी तरफ शिवसेना के सांसद अनिल देसाई भी साफ कह चुके हैं कि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि एनपीआर जनगणना जैसी है. वैसे भी जनगणना हर 10 साल में होती ही है तो इसमें किसी को क्या आपत्ति है.