शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई बच्चे की मौत पर सर्वोच्च नयायालय का संग्यान

दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले करीब 50 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच प्रदर्शन में एक चार महीने की बच्चे की मौत मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. सोमवार को कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा.

  • बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित छात्रा सदावर्ते ने लिखी थी SC को चिट्ठी
  • सोमवार को SC में शाहीन बाग से जुड़ी 2 याचिकाओं पर होगी सुनवाई

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

जेन ने सीजेआई बोबडे को भेजे पत्र में लिखा था कि जनवरी 30, 2020 को शाहीन बाग़ में एक बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल किए जाने पर रोक लगाई जाए। इस मामले में संज्ञान लेने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

शाहीन बाग़ में एक नन्हे बच्चे की हुई मौत से जहाँ मीडिया के एक बड़े वर्ग ने मुँह मोड़ लिया, एक 12 साल की बच्ची ने वो कर दिखाया जो बड़े-बड़े समाजिक कार्यकर्ता नहीं कर पाए। या हम ये भी कह सकते हैं कि कथित एक्टिविस्ट्स ने उसे दिखाने की जहमत ही नहीं उठाई। जेन सदावर्ते नामक 12 वर्षीय बच्ची को देश के मुख्य न्यायाधीश बोबडे को पत्र लिख कर इस मामले को संज्ञान में लेने की अपील की थी। अब सीजेआई ने इस मामले को संज्ञान में लिया है।

जेन ने सीजेआई बोबडे को भेजे पत्र में लिखा था कि जनवरी 30, 2020 को शाहीन बाग़ में एक बच्ची की मौत पर संज्ञान लेते हुए ऐसे विरोध प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल किए जाने पर रोक लगाई जाए। इस मामले में संज्ञान लेने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

जेन सदावर्ते का कहना है कि बच्चों को सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध प्रदर्शन में लेकर जाना सही नहीं है क्योंकि उन बच्चों को पता ही नहीं होता कि उन्हें कहाँ और किसलिए लाया गया है। उसने कहा कि बुजुर्गों को तो नहीं लेकिन बच्चों को कहा जा सकता है कि वहाँ न जाएँ। जेन सदावर्ते ने कहा कि देश के ‘यंग सिटिज़न्स’ की ‘राइट टू लाइफ’ का हनन हो रहा है। सदावर्ते ने कुछ माह की बच्ची की मौत पर दुःख जताया।

बता दें कि कुछ महीने पहले जन्मी उस बच्ची को लेकर उसकी अम्मी जामिया नगर और शाहीन बाग़ और के सीएए विरोधी प्रदर्शनों में जाती थीं। भीषण ठण्ड में भी उस बच्ची और ऐसे कई बच्चे-बच्चियों को उनके परिजन विरोध प्रदर्शन में लेकर सिर्फ़ इसीलिए जाते थे ताकि मीडिया अटेंशन मिले, खासकर इंटरनेशनल मीडिया का।

बच्ची की मौत के बाद उसकी अम्मी ने कहा कि उसने सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में अपनी बच्ची को कुर्बान कर दिया। जबकि अन्य प्रोटेस्टरों का कहना था कि वो अल्लाह की बच्ची थी और उसे अल्लाह ने ले लिया। ऐसे कई बयान दिए गए, जिससे पता चलता है कि बच्ची मरी नहीं, उसकी ‘हत्या’ की गई।

जहाँ तक जेन गुणरत्न सदावर्ते की बात है, उसने 2018 में 10 साल की उम्र में 17 लोगों की भीषण आग से जान बचाई थी, जिसके बाद उसे बहादुरी का अवॉर्ड दिया गया था। उसे ‘नेशनल ब्रेवरी अवॉर्ड’ मिला था। मुंबई के क्रिस्टल टॉवर में लगी आग के दौरान उसने ये कारनामा किया था।

ज्ञानवापि मस्जिद के मामले में स्टे बरक़रार रखने की मांग कोर्ट ने ख़ारिज कर दी

  • अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शुरू हो गई है ज्ञानवापी मस्जिद केस की सुनवाई
  • वाराणसी की सीनियर डिविजन-फास्‍ट ट्रैक कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा फैसला
  • इस केस में एक पक्ष का दावा है ज्ञानवापी मस्जिद ज्‍योतिर्लिंग विश्‍वेश्‍वर मंदिर का एक अंश है

वाराणसी की फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में स्वयंभू भगवान विश्वनाथ और यूपी सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के बीच मुकदमा चल रहा है। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया बनारस भी वक़्फ़ बोर्ड के साथ है। मुस्लिम पक्ष की माँग थी कि इस मामले में स्टे बरक़रार रहे लेकिन कोर्ट ने उनकी माँग ख़ारिज कर दी है। अब ज्ञानवापी मस्‍जि‍द के पुरातत्‍वि‍क सर्वेक्षण की वादी पक्ष की माँग पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। प्रतिवादियों की याचिका ख़ारिज होने के बाद लोगों में उम्मीद बँधी है कि अब इस मामले में तेज़ी से सुनवाई होगी।

इस मामले में भगवान विश्वेश्वर पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजेंद्र प्रताप पांडेय पैरवी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंजुमन इंतेजामि‍या बनारस और यूपी सुन्‍नी सेंट्रल चाहता था कि इस कार्यवाही को स्थगित कर दी जाए और आगे कोई सुनवाई न हो। कोर्ट द्वारा उनकी माँगें ख़ारिज किए जाने के बाद अब इस मामले में कार्यवाही चलेगी। नवम्बर 2019 में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्ष में फ़ैसला आने के बाद अब लोगों के भीतर उम्मीद जगी है कि मथुरा व काशी विवाद में भी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा।

काशी विश्वनाथ व ज्ञानवापी मस्जिद का मामला हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट, दोनों में ही चल रहा था। बाद में हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा एक ही कोर्ट में चलेगा और सेशन कोर्ट में जारी रहेगा। वादी पक्ष की तरफ से पूरे ज्ञानवापी परिसर के एएसआई द्वारा भौतिक सर्वे कराने के लिए आवेदन दिया गया था, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी। उसका कहना था कि हाईकोर्ट के 1998 में दिए गए आदेश के अनुसार इस मामले में स्टे लगा हुआ है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा- सिविल जज को केस की सुनवाई का अधिकार नहीं

आपत्तियों पर मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई होने पर अंजुमन इंतजामिया के वकील एखलाक अहमद और वक्‍फ बोर्ड के वकील तौहीद खां ने हाईकोर्ट में प्रकरण से संबंधित याचिका हाई कोर्ट में लंबित और स्‍टे होने की जानकारी दी। कहा कि ऐसी स्थिति में इस कोर्ट (सिविल जज) को मुकदमे की सुनवाई का अधिकार नहीं है। सुनवाई स्‍थगित की जानी चाहिए।

वादमित्र विजय शंकर रस्‍तोगी ने विपक्षियों के कथन का विरोध किया। उनका कहना था कि हाई कोर्ट का स्‍थगन आदेश समाप्‍त होने पर ही यहां सुनवाई शुरू हुई है। पक्षों की लंबी बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। बताते चलें कि इस मामले में भगवान विश्‍वेश्‍वर के पक्षकारों की ओर से कहा गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद ज्‍योतिर्लिंग विश्‍वेश्‍वर मंदिर का अंश है। वहां हिंदू आस्‍थावानों को पूजा-पाठ, राग-भोग, दर्शन आदि के साथ निर्माण, मरम्‍मत और पुनरोद्धार का अधिकार प्राप्‍त है। इस मुकदमे में वर्ष 1998 में हाई कोर्ट के स्‍टे से सुनवाई स्‍थगित हो गई थी, जो अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में फिर से शुरू हुई है।

क्या है ज्ञानवापी विवाद?

विजय शंकर रस्‍तोगी ने कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा है कि कथित विवादित ज्ञानवापी परिसर में स्‍वयंभू विश्‍वेश्‍वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्‍थापित है। मंदिर परिसर के हिस्‍सों पर मुसलमानों ने कब्जा करके मस्जिद बना दिया। 15 अगस्‍त 1947 को भी विवादित परिसर का धार्मिक स्‍वरूप मंदिर का ही था। इस मामले में केवल एक भवन ही नहीं, बल्कि बड़ा परिसर विवादित है। लंबे इतिहास के दौरान पूरे परिसर में समय-समय पर हुए परिवर्तन के साक्ष्‍य एकत्रित करने और धार्मिक स्‍वरूप तय करने के लिए भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराया जाना जरूरी है। रस्तोगी ने भवन की बाहरी और अंदरूनी दीवारों, गुंबदों, तहखाने आदि के सबंध में एएसआई की निरीक्षण रिपोर्ट मंगाने की अपील की है।

रिश्वत लेते हुए दिल्ली के उप मुख्यमन्त्री मनीष सीसोदिया का ओएसडी गिरफ्तार

नई दिल्ली: 

CBI ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के OSD और GST में तैनात अधिकारी गोपाल कृष्ण माधव को 2.26 लाख की रिश्वत लेने के आरोप में गुरुवार देर रात गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने मिडिलमैन (Middleman) धीरज गुप्ता की निशानदेही पर गोपाल कृषण माधव को गिरफ्तार किया था.

दरअसल CBI को शिकायत मिली थी की धीरज गुप्ता मनीष सिसोदिया के OSD गोपाल कृष्ण के लिए मिडलमैन का काम करता है और दिल्ली के ट्रांसपोर्टरों से टैक्स बचाने के नाम पर रिश्वत लेता है. गोपाल कृष्ण जो कि GST अधिकारी के तौर पर दिल्ली सरकार के ट्रेड और टैक्स विभाग में भी तैनात है, धीरज के साथ मिल कर रिश्वत लेकर ट्रांस्पोर्टरों के टैक्स चोरी करने में मदद कर रहा था. 

CBI ने इसी सूचना के आधार पर पहले धीरज गुप्ता को 2.26 लाख रुपयों के साथ 5 फरवरी को गिरफ्तार किया और उसके बाद गुरुवार की देर रात गोपाल कृष्ण माधव को गिरफ्तार किया. 

अपने ओएसडी की गिरफ्तारी पर डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘मुझे पता चला है कि सीबीआई ने एक GST इन्स्पेक्टर को रिश्वत लेते हुए गिरफ़्तार किया है. यह अधिकारी मेरे ऑफ़िस में बतौर OSD भी तैनात था. सीबीआई को उसे तुरंत सख़्त से सख़्त सजा दिलानी चाहिए. ऐसे कई भ्रष्टाचारी अधिकारी मैंने खुद पिछले 5 साल में पकड़वाए हैं’ 

वहीं भाजपा आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने एबीपी न्यूज़ की एक वीडियो के साथ ट्वीट किया है।

भारतीय स्टेट बैंक ने मियादी जमा यानी फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर में कटौती की

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

देश के सबसे बड़ा सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने मियादी जमा यानी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दर में कटौती की है. एसबीआई ने रिटेल एफडी पर ब्याज दरों में 10-50 आधार अंकों की कटौती की है, जबकि थोक एफडी पर ब्याज दरों में 25-50 आधार अंकों की कटौती की है, जो 10 फरवरी से लागू होगी.

बैंक ने सात से 45 दिनों की परिपक्वता अवधि के छोड़कर बाकी एफडी पर ब्याज दरों में कटौती की है. एसबीआई ने 46 से 179 दिनों के भीतर परिपक्वता वाली एफडी पर ब्याज दर में 50 आधार अंकों की कटौती की है. इन जमा राशि पर अब ब्याज दर पांच फीसदी होगी.

वहीं, 180 से 210 दिनों और 211 दिनों से एक एक साल से कम अवधि के भीतर परिपक्वता वाली एफडी पर एसबीआई 5.50 फीसदी की दर से ब्याज देगा. इससे पहले जमा रकमों पर एसबीआई 5.80 फीसदी ब्याज की पेशकश करता था.

एक से दस साल की अवधि की परिपक्वता वाली एफडी पर एसबीआई ने ब्याज दर 6.10 फीसदी से घटाकर छह फीसदी कर दी है.

वहीं, 180 दिनों से लेकर 210 दिनों और 211 दिनों से लेकर एक साल से कम अवधि में परिपक्व होने वाली एफडी पर भी एसबीआई अब छह फीसदी ब्याज दर देगा.

सीनियर सिटीजन्स के लिए 6.50 फीसदी ब्याज दर

एफडी पर हालिया ब्जाज दर कटौती के बाद एसबीआई वरिष्ठ नागरिकों को एक साल से 10 साल की अवधि के बीच में परिपक्व होने वाली एफडी पर 6.50 फीसदी ब्याज दर देगा. बता दें कि आरबीआई ने गुरुवार को रेपो रेट 5.15 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया.

मालूम हो कि SBI की भारत में 24000 शाखाएं हैं और दुनियाभर के 35 अन्य देशों में 190 से अधिक दफ्तर हैं. SBI के पास भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की 1/5 बाजार हिस्सेदारी है. साथ दुनियाभर में इस बैंक के 40 करोड़ से ज्यादा ग्राहक हैं.

आज फिर संविधान के कुछ पन्ने बचाने में नाकामयाब रही काँग्रेस

संपादक
डेमोक्रेटिक्फ्र्ण्ट॰ कॉ

जब से मोदी सरकार ने अपना दूसरा कार्यकाल आरंभ किया है तभी से संविधान खतरे में आ गया है। तीन राज्य जीतने के पश्चात कांग्रेस के सुर बदल चुके हैं। पिछली चुनावी रैलियों में राहुल गांधी चुनाव प्रचार में मोदी को चोर कह कर बुलाते थे अब दिल्ली चुनावों में तो उन्होने मोदी को डंडे मारने का दंड भी सुना दिया। भारत के चुने हुए प्रधानमंत्री को दंड सुना देना और वह भी विपक्ष के एक साधारण सांसद द्वारा न केवल अशोभनीय है अपितु घोर निंदनीय है। परंतु राहुल और उसके दल को लगता है की संविधान खतरे में है। आज संसद भवन में प्रश्नकाल के दौरान डॉ॰ हर्षवर्धन और भाजपा ने सोचा भी नहीं होगा की डॉ॰ हर्षवर्धन का राहुल गांधी से उसके प्रधान मंत्री मोदी के लिए दिये गए घृणा से भरे हुए भाषण के लिए राहुल से माफी की मांग करना इतना भारी पड़ जाएगा की सदन ई गरिमा को तार तार करते हुए कोंग्रेसी सांसद उनसे हाथा पाई करने को लपक पड़ेंगे। सत्ता पक्ष के कुछ सांसदों द्वारा बीच बचाव किया गया अन्यथा आज काँग्रेस ने तो संविधान के कुछ पन्ने बचा ही लिए थे।

“द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” : क्या है बस्ती बावा खेल की FIR NO.98/2016 का राज़ ?

जालंधर (अनिल वर्मा):

दोस्तों आम तोर पर हमें अगर कोई दिक्कत व परेशानी अति है तो सबसे से पहले सबकी जुबां पर होता है की पुलिस के पास जाओ ! परन्तु अगर यही रक्षक पुलिस आम व्यक्ति की भक्षक बन जाये और अगर किसी इंसान को अपनी वर्दी और पद का गलत इस्तेमाल करकर किसी पर झूठी FIR दर्ज करवा दे तो क्या बीतेगी उस व्यक्ति/इंसान पर ?

आज की हमारी कहानी जालंधर के 120 फूटी रोड पर रहने वाले मनीष मेहता की है जो पेशे से एक दुकानदार है और मनीष मेहता के अनुसार साल 2016 में थाना 5 में हेड कांस्टेबल(HC) तेनात था और अब जालंधर पुलिस में बतौर ASI तैनात है, जोकि उक्त ASI अभी जालंधर में तेनात डीसीपी अमरीक सिंह पोवार का रीडर है, मनीष मेहता के मुताबिक उक्त ASI ने उन्हें साल 2016 में जब वह थाना 5 में हेड कांस्टेबल (HC) तेनात था और अपनी वर्दी का गतल इस्तेमाल करते हुए उन पर थाना बस्ती बावा खेल में एक FIR दर्ज करवाई जिसमे उक्त शातिर ASI ने मनीष मेहता को एक डॉक्टर बताया और IPC धारा 354-A, POCSO 7,8 एक्ट के तेहत मामला रातो रात दर्ज करवा दिया| वही पीड़ित मनीष मेहता का कहना है की वह न तो डोक्टर है, न कभी डॉक्टर थे, फिर भी उक्त ASI द्वारा अपनी वर्दी व पद का गलत इस्तेमाल करते हुए उनपर झूठी FIR दर्ज करवाई गई|

अगली खबर में हम इस किस्से के और भी कई राज़ खोलेंगे जिससे कही न कही ये सही में लगता है की कुछ पुलिस वाले अपनी वर्दी का गलत इस्तेमाल करते है और फिर चन्द इसे पुलिस वालो की वजह से आम जनता में पुलिस की छवि कही न कही ख़राब होती है जिस करण से आम लोग सभी पुलिस वालो को एक जेसा ही समझ बैठते है, मनीष मेहता की मने तो यही लगता है पुलिस की नोकरी हासिल कर कोई कुछ भी कर सकती है जिसे चाहे किसी भी केस में फसा दे जिसे चाहे किसी भी केस से बहार निकल दे|

पीड़ित मनीष मेहता की माने तो इस पर कई सवाल खड़े होते है और आम तौर पर हमें कई लोग ये कहते व सुनते मिल जाते है की पुलिस कुछ भी कर सकती है अब ये कहा तक सही है! आने वाले समय के एपिसोड “द स्टोरी ऑफ़ शॉप कीपर या डॉक्टर” उजागर होंगे|