अपनी बहिन रोबिया मुफ़्ती को अगुआ करने वाले और घाटी में अमन केसबसे बड़े दुश्मन यासीन मालिक जिसके सर पर हजारों बेगुनाहों के कत्ल की साजिश रचने के अरूप हैं, जिसने 4 वायु सेना के अधिकारियों को सर-ए-आम मारा था और घाटी में हिन्दू पलायन के मुख्य कारक यासीन के आतंकवादी संगठन पर जब केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया गया तब महबूबा मुफ़्ती बिलबिला गईं उनकी भाषा देख लगता है कि जब उनके पिता भारत के गृह मंत्री थे तब उनकी बहिन का अपहरण मात्र एक ढकोसला था नाटक था, वह घाटी के हुक्मरानों का भारत के खिलाफ खूनी षड्यंत्र आरंभ करने का खेल मात्र था।
श्रीनगर:
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को कहा कि यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध एक “हानिकारक कदम” है जो कश्मीर को एक खुली जेल में बदल देगा. अधिकारियों ने नई दिल्ली में बताया कि संगठन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को कथित तौर पर बढ़ावा देने को लेकर प्रतिबंध लगाया गया है. महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, “ऐसे हानिकारक कदमों से कश्मीर सिर्फ खुली जेल में तब्दील होगा.”
उन्होंने
बताया कि सुरक्षा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक
उच्चस्तरीय बैठक के बाद संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न
प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है और केंद्र की राय है कि जेकेएलएफ “आतंकी संगठनों के संपर्क में है” तथा जम्मू-कश्मीर व अन्य जगहों पर
उग्रवाद और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है.
मुफ्ती ने
कहा, “जम्मू
कश्मीर मुद्दे के हल के लिये यासीन मलिक ने काफी समय पहले हिंसा की आलोचना की थी.
तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की वार्ता पहल में उन्हें एक पक्षकार के तौर पर
देखा गया था. उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा?”
जेकेएलएफ पर आतंकवाद रोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगाया गया
बता दें कि
केंद्र सरकार ने यासीन मलिक के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट
(जेकेएलएफ) को शुक्रवार को आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि संगठन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को कथित
तौर पर बढ़ावा देने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.
उन्होंने
बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के
तहत प्रतिबंधित किया गया है. इसके प्रमुख यासीन मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह
जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं. यह जम्मू-कश्मीर में दूसरा संगठन है जिसे इस
महीने प्रतिबंधित किया गया है. इससे पहले, केंद्र ने जमात-ए-इस्लामी
जम्मू-कश्मीर पर प्रतिबंध लगा दिया था.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/mehbooba.jpg498885Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 19:51:442019-03-22 19:51:46जेकेएलएफ़ के प्रतिबंध पर महबूबा की रूदाली
आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ कड़े कदम उठाते हुए मोदी सरकार
ने शुक्रवार को बड़ा फैसला किया. केंद्र सरकार ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक के संगठन JKLF (जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट) पर
प्रतिबंध लगा
दिया है. कैबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक में ये फैसला किया गया. सरकार ने
आतंकवाद विरोधी कानून के तहत ये कार्रवाई की है.
यासीन मलिक
पर आरोप है कि 1994 से भारत
विरोधी गतिविधियां चलाते थे. वह देश के पासपोर्ट पर पाकिस्तान जाते और वहां पर
देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहते थे. इससे पहले मोदी सरकार ने जमाते
इस्लामी पर भी प्रतिबंध लगाया था. बैन लगाने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में गृह
सचिव ने कहा, जेकेएलएफ
देश की सुरक्षा के लिए खतरा है. उन्होंने बताया कि संगठन को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम)
अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रतिबंधित किया गया है। इसके प्रमुख यासीन
मलिक गिरफ्तार हैं और फिलहाल वह जम्मू की कोट बलवल जेल में बंद हैं.
1988 से हिंसा में शामिल
सरकार ने
इस पर बैन लगाते हुए कहा है कि ये संगठन घाटी में 1988 से हिंसा में शामिल है. गृह सचिव
के अनुसार, कश्मीरी
पंडितों को घाटी से भगाने का मास्टर माइंड यासीन मलिक ही है. उसका संगठन कश्मीर
में पत्थरबाजों को पैसे देता है. वह इसके लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग करता है.
पूरी घाटी में तिरंगे का विरोध करते थे यासीन मलिक की गिनती उन अलगाववादी नेताओं में होती है, जो घाटी में भारत विरोधी गतिविधियों को हवा देते हैं. वह घाटी में तिरंगा के खिलाफ अभियान चलाते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यासीन मलिक जैसे नेताओं पर बहुत पहले बैन लगाया जाना चाहिए था. लेकिन ये बहुत देर में हुआ है. यासीन मलिक को सरकार ने करोड़ों रुपए देकर पाला है.
जमात ए इस्लामी को किया था बैन 28 फरवरी को केंद्र सरकार ने जमात-ए-इस्लामी (JIA) पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दल इस पर बैन हटाने की मांग लगातार कर रहे हैं. गृह मंत्रालय की कार्रवाई में जेईआइ के प्रमुख हामिद फैयाज सहित 350 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. केंद्र के निर्देश पर अलगाववादी संगठनों और उनके नेताओं पर कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियां भी जब्त कर लीं या सील कर दीं.
हुरियत नेता गिलानी पर कसा शिकंजा, फेमा के तहत मामला दर्ज
हुरियत
कान्फ्रेंस नेता सैयद अली शाह गिलानी पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा
है. ईडी ने शुक्रवार को बताया कि गिलानी को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा)
के तहत आरोपित किया गया है. ईडी निदेशक संजय मिश्रा ने कहा कि गिलानी के
जम्मू-कश्मीर स्थित घर से बिना हिसाब-किताब की विदेशी मुद्रा जब्त करने के बाद उन
पर 14.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/Yasin-Malik-Arrested.jpg350525Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 19:35:342019-03-22 19:35:37अलगाववादी संगठनों पर कसा शिकंजा
40 लोक सभा सीटों वाले बिहार में विपक्ष ने सीटों का बटवारा कर लिया है। लालू के परिवार ने कांग्रेस को 40 में से मात्र 9 सीटें दिन हैं, यकीन है की गठबंधन मजबूत रहेगा। अस्तित्व की लड़ाई के लिए तैयारी कर रही कांग्रेस के लिए यह कैसा समाचार है यह तो समय ही बताएगा फिलहाल सब ठीक ही जान पड़ता है।
नई दिल्ली:
बिहार में महागठबंधन की सीटों का ऐलान हो चुका है. काफी मशक्कत के बाद सभी दल सहमत हो गए हैं. इस समझौते के तहत सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी को मिली हैं. महागठबंधन में सदस्य दलों के बीच बिहार की 40 सीटों पर हुये बंटवारे के तहत आरजेडी 20, कांग्रेस नौ, आरएलएसपी को पांच और वीआईपी एवं एचएएम को तीन तीन सीट दी गई हैं. सभी 40 सीटों का बंटवारा हो गया है लेकिन महागठबंधन ने सीपीआई को कोई सीट नहीं दी है. सीपीआई ने बेगूसराय से कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है. लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा. महागठबंधन ने कोई भी सीट सीपीआई को नहीं दी है.
हालांकि आरजेडी की ओर से मनोज झा ने कहा है कि वह एक सीट पर सीपीआई एमएल को समर्थन देंगे, सीपीआई को नहीं. महागठबंधन के नजरिए से सीपीआई काफी निराश है. लेकिन सबसे ज्यादा निराशा जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को होगी. हालांकि ये भी माना जाता है कि लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव कन्हैया कुमार को पसंद नहीं करते हैं. कन्हैया और तेजस्वी एक ही उम्र के हैं. ऐसे में तेजस्वी को डर है कि कहीं कन्हैया उनकी ही जमीन हथिया कर राजनीति में आगे न बढ़ जाएं.
बेगूसराय पर रहेगी नजर
सीपीआई ने कन्हैया कुमार को बेगूसराय से अपना उम्मीदवार बनाया है. वह बेगूसराय के ही रहने वाले हैं. ये सीट भूमिहार बहुल है. माना जा रहा है कि बीजेपी यहां से गिरिराज सिंह को अपना उम्मीदवार बना सकती है. ऐसे में आरजेडी को लगता है कि वह गिरिराज के सामने कमजोर साबित होंगे.
आरजेडी मुस्लिम केंडीडेट पर दांव की फिराक में है
आरजेडी बेगूसराय सीट पर किसी मुस्लिम चेहरे को उतार सकती है. ये सीट कम्यूनिस्ट पार्टी का बड़ा गढ़ रही है. पिछली बार यहां से बीजेपी के भोला सिंह जीते थे. उन्होंने भी अपनी राजनीति कम्यूनिस्ट पार्टी से हीशुरू की की थी. आरजेडी इस बार तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है जो 2014 के चुनाव में 60 हजार वोट से हार गए थे. 2009 में इस सीट को जेडीयू के मोनाजिर हसन ने जीता था.
लालू के वादे के बावजूद महागठबंधन से भाकपा को बाहर रखना दुखद : रेड्डी
भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी ने बिहार में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन में भाकपा को शामिल नहीं करने पर दुख जताते हुये कहा है कि इस मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद से सहमति कायम होने के बावजूद इस पर अमल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है. रेड्डी ने शुक्रवार को महागठबंधन में राजद सहित अन्य दलों के बीच सीट बटवारे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘महागठबंधन में वामदलों को शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है. भाकपा की बिहार इकाई बदली हुयी परिस्थितियों की 24 मार्च को समीक्षा कर भविष्य की रणनीति तय करेगी.’
रेड्डी ने कहा, ‘‘पिछले साल मुझसे मुलाकात के दौरान लालू प्रसाद ने मिलकर चुनाव लड़ने पर सहमति जतायी थी. लालू जेल में हैं इसलिये मुझे नहीं मालूम लालू की बात को उनके बेटे के पास किस तरह पेश किया गया.’ भाकपा ने बिहार की बेगूसराय सीट पर जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. रेड्डी ने कहा कि लालू प्रसाद के आश्वासन के आधार पर पार्टी को उम्मीद थी कि इस सीट पर विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘महागठबंधन का स्वरूप तय होने के बाद अब यह साफ है कि हमें बिहार में अपने बलबूते चुनाव लड़ना होगा. बेशक हम बिहार में चुनाव लड़ेंगे और इस बारे में स्पष्ट रणनीति पर जल्द फैसला किया जायेगा.’
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/kanhaiya-kumar-jnu-01-450x300.jpg300450Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 19:14:332019-03-22 19:19:31बिहार कांग्रेस के खाते में 40 में से 9 सीटें, कन्हैया खाली हाथ
On
Thursday evening, Shareefa Bano stood near an army van, her hands shaking with
fear and her dry lips murmuring divine verses, as an army soldier handed a
microphone. Another soldier comforted her by placing his hand on her back.
Hours
ago, a Pakistani militant from Lashkar-e-Taiba, Ali, active in Hajin belt since
2017, appeared at the Mir’s house in Mir Mohallah and took the family hostage,
demanding they bring back one of their daughters who was shifted to Sopore
after Ali had started threatening her to get married to him.
On
Thursday, the police and army had launched three cordon and search operations
(CASO) in Hajin belt and during one such operation, they arrived at the Mir’s
house.
As
forces cordoned off the house, two Pakistani militants, Ali and Hubaib, both
affiliated with the Lashkar-e-Taiba (LeT) militant outfit, took 12-year-old
Atif Mir, a Class 6 student, and his uncle Abdul Hamid Mir, hostage.
“For
Allah’s sake, for the sake of Prophet Mohammad (PBUH), please let them go. I
appeal to you, I used to give you food. Please, for Allah’s sake, let them go.
Let my husband and child go,” Shareefa cried in Kashmiri on the microphone.
There
was no response from the other side.
Much before the gunfight started on Thursday evening, the family had met a militant group, asking for their help to persuade their colleague against marrying their daughter. “They told us to solve the dispute among ourselves,” a relative said.
The
gunfight broke after the forces failed to get the two members of the family
out. When the initial exchange of fire started, one militant was injured, a
police officer said. Abdul, the uncle, managed to jump out of the window and
was rescued by the police. But the militants kept the 12-year-old boy hostage,
until he died, along with them. Yasir
Around
a dozen of Shareefa’s family had managed to give a slip to militants but two
were stuck inside for hours. The day-long encounter in Hajin in northern
Kashmir ended on Friday morning. Hajin was once a bastion of pro-government
militia Ikhwan, but in recent years it has become a hub of Pakistani militants.
This
was the first time in a decade that a child was held hostage by militants.
At the funeral, the villagers seemed visibly angry and openly criticised
Pakistani militants for using the boy as a human shield and refusing to let him
go.
“This was a chance encounter. We rescued six civilians with the help of the mohalla committee. When the team went to the third floor, the militants opened fire on them,” said Rahul Malik, SP, Bandipora, under whose jurisdiction Hajin lies.
“The
child was killed on Thursday evening only. The terrorists killed him inside,”
Malik added.sday. Sameer Yasir
Mohammad
Shafi Mir, the father of the child, said the family members were taken to the
encounter site by the army to convince the militants to let the child go but
that did not help. “There was no response from the militants’ side,” he said.
“The
boy was being held hostage by Ali. He did not allow the boy to go and before we
stormed the building, he killed the boy,” Malik said, adding, “We
showed a lot of patience for nine hours but they did not relent and killed the
boy.”
A video featuring the child’s uncle went viral in Kashmir after
the gunfight ended. “This is not jihad (crusade)
but jahalat (ignorance),”
the uncle was heard shouting towards the house where the militants were
trapped. The videos of both the mother and uncle surfaced on social media, showing
them pleading with the militants to release Atif Mir and his uncle.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/Funeral-of-Atif-Mir_825_Sameer-Yasir.jpeg500825Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 18:09:072019-03-22 18:09:10‘This is not jihad but jahalat’ Kashmir
Exactly five years ago, at the onset of the summer of 2014, the
BJP surprised everyone by announcing Smriti Irani as its candidate from Amethi.
Irani was BJP’s giant killer, to take on Rahul Gandhi, heir of ruling Congress
and prince of India’s mightiest political family.
Amethi was Congress’ first family’s Pocket borough since the
1980s. The constituency has the distinction of sending Sanjay Gandhi, Rajeev
Gandhi (four terms), Sonia Gandhi and whosoever it named, for example, Satish
Sharma and Sanjay Singh. Rahul had won twice from Amethi, his victory margin in
the election prior to 2014 was over 3.70 lakh votes. Congress had been
projecting him as the future of the nation.
Smriti was tasked to take on the Gandhi scion on his home turf,
which even the BJP, its supporters and Sangh Parivar thought was impenetrable.
It was a challenge not many would like to take. She was a complete outsider to
Uttar Pradesh. A television actor-turned-politician, Irani had contested one
parliamentary election from Chandni Chowk against Kapil Sibal and lost it
badly. She belonged to a community, Parsi (by marriage), which perhaps didn’t
have any voter in that backward area called Amethi. It was brave on part of BJP
and Irani to go to a state where caste was a guiding and in some cases the
abiding principle of politics.
But Irani had the grit and appetite to take the challenge, and
stamina to pursue it relentlessly to succeed. Over a period of time, having
worked in various posts in the party — secretary, Mahila Morcha chief and
vice-president — and as a Rajya Sabha MP and campaigner, Irani had proved that
she was a fighter and had a propelling capability to leave a mark.
Her beginning in Amethi was tentative. Two persons who believed (who mattered most) in her capacity were Narendra Modi, the then prime ministerial candidate of BJP and Amit Shah the then general secretary in-charge of Uttar Pradesh.
Kumar Vishwas, who was then with the Aam Admi Party, had made an
early beginning in Amethi. And the people in the constituency lent an ear to
him. That made it clear that a big segment of the constituency was willing to
accept somebody else as their leader, provided they had the right quality, grit
and the strong backing of a strong party, to give Rahul a run for his money.
Vishwas had great oratorical skills but didn’t have the party.
Irani with her energetic presence, sharp oratorical skills and
the backing of BJP came as a person which the people, perhaps, had wanted to
see for several decades. Still, not many in Amethi and outside the constituency
believed that she may win.
Amethi had been a living example of how leaders, and that too
the topmost leaders of the party which ruled India neglected their constituency
and believed that only cosmetic work and occasional presence would ensure their
victory in perpetuity. She was there to challenge that.
Though she had lost, as the result showed, she caused a great
deal of scare in the Congress camp. Rahul’s victory margin was reduced from
3.70 lakh to 1.07 lakh.
Those in the rival camps dismissed her as a one time phenomenon
in Amethi and believed that she may not return after the 20014 election. But
contrary to their beliefs, Irani made Amethi her second home, preparing for
2019 elections, and taking up a series of developmental projects in the region.
Her name figured in the first list of BJP’s candidates for Lok
Sabha, which was released on Thursday evening. No surprises this time. It was
taken that she may be the candidate to challenge the Congress president.
The difference between Irani’s candidacy in 2014 and 2019 is
noteworthy – this time around, the BJP and its sympathisers believe that she
may win to write one of important chapters in India’s political history.
In the last five years, what Irani has done very effectively is, as they call “gherabandi (fencing)” of Amethi and Rahul Gandhi. Recently, a manufacturing unit for AK-203 Kalashnikov rifles, an India-Russia joint venture, was inaugurated in the presence of Prime Minister Narendra Modi, Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath and Union Minister of Defence Nirmala Sitharaman. Ironically, Rahul had laid the foundation stone for the arms factory in 2007 but not much had moved from there because there were a series of confusions.
By visiting Amethi to open a unit as big as this, Modi has
clearly displayed his intent and purpose, how he values Irani as a leader and
Amethi as her constituency.
In the upcoming election for the Amethi Lok Sabha constituency,
Smriti has a strong start. She has already made Congress worry, forcing the
party to look another seat for Rahul in Karnataka or in Maharashtra. One after
another, senior Congress leaders from south and west India are offering a seat
to Rahul in their state.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/07/RAHUL-1-1-1.jpg498884Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 17:31:482019-03-22 17:31:51Rahul may opt a safe seat in Karnatka or Maharashtra
On the
eve of Holi Festival, Chandigarh Police conducted special drive against drunken
driving, overspeeding, without helmets, triple riding and other traffic
violations in the city.
During this drive, 1298 violators have been challaned for
various traffic offences and 328
vehicles have been impounded. The description of the same is as under:-
S.No.
Offence
Challans
1.
Without
Helmet
849
2.
Triple Riding
144
3.
Drunken
Driving
130
On the eve of Holi festival
during this special checking, driving licences of approx. 200 drivers will be
recommended for suspension for the violations of drunken driving, speeding, red
light jump and use of mobile phone while driving. Further, during this year
upto 21.3.2019, more than 1657 cases
for suspension on driving license have been recommended by Chandigarh Traffic
police.
It is pertinent to mention that
during this year upto 21.3.2019, 1269
offenders have been booked for the violation of drunken driving.
As per
Section 185 of Motor Vehicle Act, 1988, offender of drunken driving shall be
punishable for the first offence with imprisonment
for a term which may extend to six
months, or with fine which may extend to two thousand rupees, or with both.
Further,
as per Section 20 (2) of MV Act, 1988, drunken driving offender’s driving license shall be disqualified
for period of not less than six months.
As per Section 22(2) of Motor
Vehicle Act, 1988, if a person, having been previously convicted of an offence
punishable under Section 185 is again convicted of an offence punishable under
that section, the Court, making such subsequent conviction shall, by order, cancel the Driving Licence held by such
person.
Chandigarh
Police appeals to the general public to please follow traffic rules and
regulations for their own safety.
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/08/161690Chandigarh-Police.jpg350350Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 15:26:512019-03-22 15:26:531298 violaters challaned and 328 vehicles were impounded on the eve of festival
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बतलाया कि चुनाव को मद्देनजर रखते हुए दिनांक 22-03-2019 को पंचकुला पुलिस द्वारा फ्लैग-मार्च निकाला गया । यह मार्च पुलिस लाईन मोगीनन्द से शुरू होकर रामगढ़, सैक्टर-28 आशियाना, सैक्टर-26 आशियाना, सैक्टर-25 मार्किट, सैक्टर-19 आशियाना, अभयपुर 19 आशियाना, सैक्टर-19 इंड्रस्ट्रियल एरिया पार्ट-2, बुढनपुर, राजीव कलोनी, सैक्टर-7 मार्किट, MDC इंदिरा कलोनी स्लम एरिया तक गया । यह मार्च सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे समाप्त हुआ । इस मार्च मे पंचकूला पुलिस, एक BSF की कम्पनी तथा 2 IRB की कम्पनी शामिल हुई।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/99aeef47-4fc1-4b99-932c-ca13fca57603.jpg1152648Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 15:22:322019-03-22 15:38:40पंचकुला पुलिस द्वारा फ्लैग मार्च
पुलिस उपायुक्त कमलदीप गोयल ने जिला में स्थित शस्त्र लाईसैंस धारकों को निर्देश दिये कि वे 31 मार्च तक अपना यू0आई0एन(यूनिक आडनटी नं0) अवश्य प्राप्त कर ले । उन्होंने कहा कि गृहमंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रत्येक शस्त्र लाईसैंस धारक के लिये यू0आई0एन जारी किया है ।
उन्होंने कहा कि जिन लाईसैंस धारकों ने अभी तक यह नं0 डाउन लाउड नहीं किया है वे 31 मार्च तक यह नं0 अवश्य प्राप्त कर ले । उन्होंने कहा कि जिन शस्त्र लाईसैंस धारकों के पास यू0आई0एन0 न0 नही होगा उनके लाईसैंस की वैधता नही रहेगी ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/DSC00012.jpg10801920Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 15:14:302019-03-22 15:16:35हथियार धारक 31 मार्च तक यूआईडी नंबर अवश्य लें
हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा 31 मार्च को हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा आयोजित की जायेगी। पंचकूला जिला में 20 शिक्षण संस्थानों में आयोजित होने वाली इस परीक्षा के लिये 27 परीक्षा केन्द्र स्थापित किये जायेगें।
यह जानकारी आज अतिरिक्त उपायुक्त उत्तम सिंह ने जिला सचिवालय में इस परीक्षा के प्रबन्धों के लिये आयोजित एक बैठक की अध्यक्षता करते हुये दी। उन्होंने कहा कि परीक्षा को शान्तिपूर्वक और नकल रहित आयोजित करने के लिये प्रशासन द्वारा पुख्ता प्रबन्ध किये गये है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक तीन से चार परीक्षा केन्द्रों पर एक डियूटी मैजिस्ट्रेट तैनात रहेगा। उन्होंने कहा कि परीक्षा केन्द्रों पर पर्याप्त संख्या में पुरूष कर्मी तैनात रहेंगे। उन्होंने कहा कि इन परीक्षा केन्द्रों पर 7392 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक परीक्षार्थी को तलाशी के बाद ही परीक्षा केन्द्र में प्रवेश करने की इजाजत होगी। परीक्षार्थी परीक्षा केन्द्र में पैन,व्यक्तिगत पहचान पत्र और परीक्षा प्रवेश पत्र ही साथ ले जा सकेगा। उन्होंने कहा कि परीक्षार्थी व्यक्तिगत पहचान के लिये क्या-क्या दस्तावेज प्रस्तुत कर सकता है,इसकी जानकारी उसके एडमिट कार्ड पर दी गई है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी परीक्षा केन्द्रों पर सी0सी0टी0वी0 कैमरे और जैमर लगाये जायेगें। उन्होंने बताया कि परीक्षार्थी को यह परीक्षा दो सत्र में देनी होगी। पहला सत्र 10 बजे से 12 बजे तक और दूसरा सत्र 3 बजे से 5 बजे तक होगा।
अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि परीक्षार्थी को परीक्षा अवधि के दौरान परीक्षा केन्द्र से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जायेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रातःकालीन सत्र के बाद परीक्षार्थी परीक्षा केन्द्र से बाहर जा सकता है लेकिन बाद दोपहर सत्र में उसके प्रवेश से पूर्व पुनः तलाशी ली जायेगी।उन्होंने इस परीक्षा को आयोजित करने के लिये आवश्यक प्रबन्धों और हरियाणा पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा जारी हिदायतों की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा के लिये एसडीएम पंचकूला पंकज सेतिया को नोडल अधिकारी तैनात किया गया है।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/DSC00012.jpg10801920Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 15:10:482019-03-22 15:12:00हरियाणा सिविल सर्विस की परीक्षा 31 मार्च को
अतिरिक्त उपायुक्त उत्तम सिंह ने सभी विभागों को निर्देश दिये कि वे आई0टी0आई का कोर्स करने वाले विद्यार्थियों को अपने कार्यालय में प्रशिक्षण देने के लिये समय से आवेदन करे । उन्होंने कहा कि प्रत्येक कार्यालय में स्टाफ की उपलब्धता के आधार पर 2.5 प्रतिशत से लेकर 10 प्रतिशत तक ऐसे विद्यार्थियों को एक वर्ष के लिये प्रशिक्षण के लिये कार्यालय में रखा जा सकता है।
अतिरिक्त उपायुक्त आज जिला सचिवालय के कान्फ्रैंस हाल में आयोजित अधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे । उन्होंने कहा कि आई0टी0आई के जिन विद्यार्थियों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है,उनकी कार्यशैली की अस्समैंट भी निर्धारित प्रोफार्मा में भरकर जल्द आई0टी0आई में उपलब्ध करवाये । उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है वह स्वंय भी यह अस्समैंट लेकर आई0टी0आई0 में जमा करवा सकते है । उन्होंने स्पष्ट किया कि आफ लाईन अस्समैंट के साथ-साथ सभी कार्यालयों को आन लाईन अस्समैंट भी प्रस्तुत करनी है और इसके लिये किसी प्रकार की दिक्कत आने की स्थिति में आई0टी0आई से मार्गदर्शन लिया जा सकता है । उन्होंने कहा कि सभी विभाग आफ लाईन अस्समैंट 10 अप्रैल तक अवश्य जमा करवाये।
उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृति का 25 प्रतिशत भाग औद्योगिक प्रशिक्षणएवं व्यवासयिक शिक्षा विभाग द्वारा दिया जाता है । इसके लिये सम्बन्धित विभाग को आईटीआई बैवसाईट पर आन लाईन आवेदन करना होगा । उन्होंने कहा कि यह 25 प्रतिशत छात्रवृति प्रत्येक तीन महीने के बाद कलेम की जा सकती है । उन्होंने कहा कि आईटीआई में कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिये अप्रंेटिशिप व्यावारिक ज्ञान हासिल करने का एक बेहतर माध्यम है और सम्बन्धित अधिकारी उन्हें अपने कार्यालय की कार्यप्रणाली सिखाने में हर सम्भव सहयोग करे ।
https://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2019/03/DSC00012.jpg10801920Demokratic Front Bureauhttps://demokraticfront.com/wp-content/uploads/2018/05/LogoMakr_7bb8CP.pngDemokratic Front Bureau2019-03-22 15:07:002019-03-22 15:07:02आईटीआई प्रशिक्षु समय पर करें आवेदन
We may request cookies to be set on your device. We use cookies to let us know when you visit our websites, how you interact with us, to enrich your user experience, and to customize your relationship with our website.
Click on the different category headings to find out more. You can also change some of your preferences. Note that blocking some types of cookies may impact your experience on our websites and the services we are able to offer.
Essential Website Cookies
These cookies are strictly necessary to provide you with services available through our website and to use some of its features.
Because these cookies are strictly necessary to deliver the website, you cannot refuse them without impacting how our site functions. You can block or delete them by changing your browser settings and force blocking all cookies on this website.
Google Analytics Cookies
These cookies collect information that is used either in aggregate form to help us understand how our website is being used or how effective our marketing campaigns are, or to help us customize our website and application for you in order to enhance your experience.
If you do not want that we track your visist to our site you can disable tracking in your browser here:
Other external services
We also use different external services like Google Webfonts, Google Maps and external Video providers. Since these providers may collect personal data like your IP address we allow you to block them here. Please be aware that this might heavily reduce the functionality and appearance of our site. Changes will take effect once you reload the page.
Google Webfont Settings:
Google Map Settings:
Vimeo and Youtube video embeds:
Google ReCaptcha cookies:
Privacy Policy
You can read about our cookies and privacy settings in detail on our Privacy Policy Page.