छत्तीस गढ़ में कांग्रेस को दूसरा बड़ा झटका साहू थाम सकते हैं कमल


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. घनाराम साहू, अमित शाह की मौजूदगी में बीजेपी जॉइन कर सकते हैं


छत्तीसगढ़ कांग्रेस उपाध्यक्ष घनाराम साहू ने इस्तीफा दे दिया है. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में ये पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है.रिपब्लिक टीवी के मुताबिक, साहू बीजेपी का हाथ थाम सकते हैं.


ANI

@ANI

Chhattisgarh: Ghanaram Sahu, state Congress vice president has resigned from the membership of the party today.


कुछ ही दिनों में कांग्रेस को ये दूसरा बड़ा झटका है. इससे पहले कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रहे रामदयाल उईके ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था. उईके ने ‘कमल का साथ’ पकड़ा था. उईके तानाखार सीट से बीजेपी प्रत्याशी हैं. ये सीट कभी भी बीजेपी के पास नहीं रही है. इस बार पार्टी ने इस सीटे से अपना दाव रामदयाल उईके पर खेला है. कांग्रेस की तरफ से इस सीट पर भरत सिंह मैदान में हैं.

छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव सोमवार यानी 11 नवंबर को होगा. पहले चरण में 18 सीटों के लिए मतदान होगा. दूसरे चरण के चुनाव के लिए 20 नवंबर तय है. राज्य की सभी विधानसभा सीटों के रुझान 11 दिसंबर को आएंगे.

गहलोत को राजस्थान के चुनावी समर से पहले दिल्ली से दूर अमरावतीमें चंद्र बाबू नायडू के मेहमान


तीसरी ताकत के रूप में उभरने का दावा कर रहे घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल अभी ‘तेल देखो, तेल की धार देखो’ की रणनीति पर चल रहे हैं

गहलोत को इस समय आरवाती भेजने का आलाकमान का फैसला क्या राजस्थान कांग्रेस के हित में होगा ?


7 दिसंबर को हिने वाले चुनावों की बात करें तो रण राजस्थान का है लेकिन पूरी रणनीति दिल्ली में बन रही है. किसको मिलेगा टिकट से लेकर कौन होगा स्टार प्रचारक. कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक की ये पूरी कवायद दिल्ली में ही चली है और आगे भी शायद आदेश दिल्ली से ही तय होंगे. जयपुर के चुनावी दफ्तरों का दौरा करो तो सूनापन देखकर यकीन ही नहीं होगा कि 25 दिन बाद यहां चुनाव है.

दोनों पार्टियों ने राज्य में फील्ड सर्वे किए हैं और उन्ही के आधार पर टिकटों पर फैसला भी किया जा रहा है. बहुत से नाम तय हो गए हैं, कुछ तय होना बाकी हैं. बैठकों का दौर लगातार जारी है. सरकार और संगठन के तमाम पदाधिकारी दिल्ली में जमे हैं. टिकट की उम्मीद में तमाम छोटे-बड़े नेता अपने इलाकों के बजाय दिल्ली में दंगल जीतने की मशक्कत कर रहे हैं. आखिर आधुनिक लोकतंत्र में टिकट मिलना सेमीफाइनल जीतने जैसा जो हो गया है.

टिकट के जुगाड़ में हर नेता

टिकट चाहने वाले हर वो मुमकिन कोशिश कर रहे हैं, जो वो कर सकते हैं. फिर चाहे स्क्रीनिंग कमेटी से जुड़े नेताओं के नजदीकी लोगों से सिफारिश हो या उनके दूरदराज के रिश्तेदारों के घर ‘धोक’ देना हो. एक बड़े नेता ने बताया कि टिकटार्थी ऐसे-ऐसे रिश्तेदारों के घर भी पहुंच रहे हैं, जिनसे नेताजी खुद महीनों-सालों से नहीं मिले हैं.

खैर, इस जद्दोजहद के बीच कांग्रेस में चल रही उठापटक भी कम दिलचस्प नहीं है. शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत का अचानक ‘युद्ध’ से दूर अमरावती जाना दिल्ली से जयपुर तक चर्चा का विषय बना रहा.

गहलोत को गैर हाजिर क्यों किया गया ?

कई दौर की बातचीत, रस्साकशी और जद्दोजहद के बाद शनिवार को कांग्रेस नेताओं की मैराथन बैठकें हुई. गुरुद्वारा रकाब गंज के वॉर रूम से लेकर कुमारी शैलजा के घर तक 13 घंटे से भी ज्यादा समय तक राजस्थान कांग्रेस के आला नेता बैठकों में बिजी रहे.

मीडिया से स्क्रीनिंग कमेटी की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि 150 नाम फाइनल कर लिए गए हैं और केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस लिस्ट को अनुमोदन के लिए रखा जाएगा. शैलजा ने दावा किया कि इस हफ्ते के भीतर सभी 200 नामों की घोषणा कर दी जाएगी.

लेकिन सबसे बड़ी हैरानी रही शनिवार की इस कवायद में अशोक गहलोत की गैर मौजूदगी. 200 में से 150 नाम फाइनल कर लिए गए और राज्य के सबसे कद्दावर नेता यानी अशोक गहलोत बैठक से दूर रहे या कहें कर दिए गए.

इस अहम बैठक से ऐन पहले गहलोत को दिल्ली से दूर अमरावती भेज दिया गया. बताया गया कि 2019 के लिए गठबंधन पर चंद्रबाबू नायडू से अहम बैठक करनी है. ये समझ से परे है कि क्यों राजस्थान में टिकट वितरण जैसे तात्कालिक महत्त्वपूर्ण काम के बजाय 6 महीने बाद होने वाले चुनाव के बहाने सबसे बड़े नेता को बैठक से दूर कर दिया गया ?

इस बैठक में शैलजा के अलावा प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और विधानसभा में नेता विपक्ष रामेश्वर डूडी मौजूद थे. गहलोत की गैर मौजूदगी के सवालों से बचने के लिए शैलजा ने बयान में ये जरूर जोड़ा कि फाइनल किए गए नामों पर राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत की राय जरूर ली जाएगी. लेकिन राजनीतिक गलियारों में सब जानते हैं कि ऐसी राय में आज़ादी कितनी सीमित होती है.

चर्चा ये भी है कि जो 50 नाम छोड़े गए हैं, वे पश्चिमी राजस्थान की सीटों के हैं. इन्हें गहलोत की वजह से ही अभी फाइनल नहीं किया गया है. गहलोत जोधपुर से आते हैं और माना जा रहा है कि इन टिकटों को गहलोत की सिफारिश पर ही बांटा जाएगा. लेकिन सचिन पायलट ने गहलोत की गैर मौजूदगी में 150 सीटों पर नाम फाइनल करके ‘चुनाव बाद की फिल्म’ का ट्रेलर तो दिखा ही दिया है.

बीजेपी में भी जद्दोजहद कम नहीं

चुनाव को अब एक महीने से भी कम वक्त बचा है. लेकिन जयपुर में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों के दफ्तरों में आम दिनों से भी कम रौनक है. वजह सिर्फ यही है कि सारी कवायद दिल्ली में हो रही है तो टिकटार्थी भी वही हाजिरी लगा रहे हैं. कांग्रेस की तरह बीजेपी में भी शनिवार का दिन, दोपहर से देर रात तक लंबी बैठकों के नाम रहा.

दोपहर डेढ़ बजे केंद्रीय मंत्री और राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर के घर आला नेताओं की बैठक थी. लेकिन बैठक से पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने करीब आधे घंटे तक जावड़ेकर से अलग से चर्चा की. पिछली बार राजे अपनी बनाई लिस्ट को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से अप्रूव नहीं करवा पाई थी.

लिहाजा इस बार वे शायद कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती थी. हालांकि बैठक शुरू होने के समय वे बाहर निकल गई. जाते-जाते पत्रकारों से ये कहना नहीं भूलीं कि उनके जाने का गलत मतलब न निकाला जाए, वे लंच करके वापस आएंगी.

देर शाम तक जावड़ेकर के घर पर टिकटों को लेकर रणनीति बनती रही. सूत्रों के मुताबिक यहां 150 से ज्यादा नाम फाइनल कर लिए गए. इन नामों को लेकर सभी पदाधिकारी अमित शाह के घर पहुंचे. देर रात तक वहां मंत्रणा का दौर जारी रहा.

तीसरे मोर्चे को बागियों का इंतज़ार

दोनों प्रमुख पार्टियों के अलावा बीएसपी, आम आदमी पार्टी और जेडीयू जैसी दूसरी पार्टियां अपने उम्मीदवारों की घोषणा लगातार कर रही हैं. जेडीयू ने पहली लिस्ट में 13 नाम जारी किए हैं जबकि ‘आप’ ने अपनी नौवीं सूची में 25 और नाम घोषित किए हैं. किसान नेता रामपाल जाट को अपने खेमे में लाने के बाद आप का इरादा सभी 200 सीटों पर लड़ने का है

लेकिन तीसरी ताकत के रूप में उभरने का दावा कर रहे घनश्याम तिवाड़ी और हनुमान बेनीवाल अभी ‘तेल देखो, तेल की धार देखो’ की रणनीति पर चल रहे हैं. दरअसल दोनों बीजेपी और कांग्रेस की लिस्ट का इंतजार कर रहे हैं. तिवाड़ी और बेनीवाल दोनों की ही नजर बीजेपी-कांग्रेस के संभावित बागियों पर है. दोनों ने हाल ही में अपनी पार्टियों की घोषणा की है. ऐसे में वे चाहते हैं कि पहली ही बार में वे अपनी सशक्त मौजूदगी का अहसास कराएं.

इसी कोशिश के तहत वे बीजेपी-कांग्रेस के संभावित बागियों पर नजर बनाए हुए हैं. घनश्याम तिवाड़ी तो साफ कह चुके हैं कि जिनको राष्ट्रीय पार्टियों से टिकट न मिले, वे उनसे संपर्क कर सकते हैं. अभी तक जो ओपिनियन पोल सामने आए हैं, उनमें त्रिशंकु विधानसभा की संभावना तो नहीं जताई गई है लेकिन किसे पता राष्ट्रीय पार्टियों के बागी वोट काटकर संभावनाओं को जीवित कर दें. इसी आधार पर तिवाड़ी और बेनीवाल किंगमेकर बनने की रणनीति बना रहे है.

बगावत से डरे दोनों दल !

नई पार्टियां पुराने दलों में बगावत की संभावनाएं टटोल रही हैं तो पुरानी पार्टियां इसे रोकने की रणनीति पर काम कर रही हैं. बीजेपी-कांग्रेस, दोनों को ही इस बात का अच्छी तरह इल्म है कि जिसका टिकट कटेगा, वो अपना असर जरूर दिखाने की कोशिश करेगा. शायद यही कारण है कि बीजेपी को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा. पार्टी ने एंटी इनकम्बैंसी फैक्टर से निपटने के लिए मौजूदा 163 में से 100 विधायकों के टिकट काटने की बात कही थी. लेकिन खतरे की आशंका के मद्देनजर इस योजना को ‘माइल्ड’ करना पड़ा है.

कांग्रेस को भी डर है कि कहीं बागियों के कारण संभावित जीत हार में न बदल जाए. लिहाजा टिकटों की घोषणा से पहले ही पार्टी ने एक ‘बिग फोर’ कमेटी बना दी है. अहमद पटेल, मुकुल वासनिक, पी सी चाको और वीरप्पा मोइली के रूप में ये बिग फोर संभावित बागियों के साथ बातचीत और समझाइश के रास्ते अपनाएंगे.

बागियों से ख़तरा है भी बहुत बड़ा. 1993 में बीजेपी की सत्ता में वापसी कांग्रेस के बागियों की वजह से ही हुई थी. तब 20 से ज्यादा निर्दलीय जीते थे और इनमें से ज्यादातर कांग्रेस के बागी नेता ही थे. भैरों सिंह शेखावत ने इनके समर्थन से सरकार बनाई थी और कई निर्दलीय मंत्री भी बने थे. दोनों ही पार्टियां इस खतरे से अनजान नहीं हैं. घनश्याम तिवाड़ी बीजेपी के सवर्ण वोटबैंक में तो हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के जाट वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं. यहां जीत का अंतर वैसे भी 2-4 फीसदी से ज्यादा नहीं होता. ऐसे में ‘वोट कटुआ’ पूरे खेल पर हावी हो सकते हैं.

‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’: संबित पात्रा

Image result for वचन पत्र


कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ पर विवाद, BJP ने RSS को लेकर किए वादे पर जताई आपत्ति


चुनाव का सीजन आते ही वादों का सिलसिला भी शुरू हो जाता है. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने कुछ ऐसा वादा कर दिया है जिसे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. कांग्रेस ने शनिवार को अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. कांग्रेस के इस घोषणा पत्र को ‘वचन पत्र’ कहा जा रहा है. दिलचस्प है कि कई दूसरी चीजों के साथ कांग्रेस ने अपने इस घोषणा पत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं पर पाबंदी लगाने का भी वादा किया है. इस घोषणा पत्र के इस बिंदु को लेकर बीजेपी ने उस पर बड़ा हमला बोला है.

क्या लिखा है कांग्रेस के घोषणापत्र में?

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में लिखा है कि सरकारी ऑफिसों में RSS की शाखाएं नहीं लगने देंगे. कांग्रेस ने यह भी लिखा है कि शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों को शाखाओं में छूट संबंधी आदेश निरस्त करेंगे. इसके अलावा कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के लिए जारी अपने घोषणा पत्र में व्यापम घोटाले की परीक्षाओं में पिछले 10 सालों में शामिल हुए लाखों उम्मीदवारों का शुल्क वापस लौटाने का वादा किया है. साथ ही कांग्रेस का वादा है कि व्यापम को बंद कर दिया जाएगा.

शनिवार को 112 पन्नों के कांग्रेस के इस वचन पत्र में पार्टी की ओर से प्रदेश के हर वर्ग के लिए तमाम वादे किए गए हैं. बीजेपी ने वचन पत्र में कांग्रेस के इस वादे, ‘अगर वो सत्ता में आई तो सरकारी इमारतों और उनके परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की शाखा नहीं लगने देगी.’ पर आपत्ति जताई है.

बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस को इस पर घेरते हुए कहा, ‘ऐसा लगता है इन दिनों कांग्रेस का केवल एक ही मकसद है, ‘मंदिर नहीं बनने देंगे, शाखा नहीं चलने देंगे’

View image on Twitter
Looks like the Congress these days has only one motto- ‘Mandir nahi ban ne denge, Shakha nahi chalne denge:’ Sambit Patra,BJP on in its manifesto in says RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings

वहीं बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का वचन दिया है! अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते. पर वहां क्यों लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण और वोटबैंक की ही जो है. जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी.’


Kailash Vijayvargiya

@KailashOnline

मे अपने विचार सामने लाते हुए..  कांग्रेस ने संघ पर प्रतिबंध लगाने का “वचन” दिया है.!
अच्छा होता, अगर वो सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो पर प्रतिबंध लगाते। पर वहाँ क्यो लगाएंगे, आपकी राजनीति तुष्टिकरण व वोटबैंक की ही जो है। जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।


कांग्रेस के वचन पत्र में सरकार भवनों में RSS शाखा लगाने पर रोक का वादा

दरअसल कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा है कि वो यहां सरकार बनने पर सरकारी भवनों में आरएसएस की शाखा लगाने पर रोक लगेगी. साथ ही इसमें सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने के पूर्व के आदेश को भी रद्द करेगी.


in its manifesto in has said if the party comes to power then RSS ‘shakhas’ would not be allowed in Government buildings and premises, also earlier order to allow Govt employees to attend RSS ‘shakhas’ will be revoked.


कांग्रेस मध्य प्रदेश में बीते 15 वर्षों से सत्ता से दूर है. इसलिए उसकी कोशिश है कि वो हर हालत में चुनाव में शिवराज सरकार को उखाड़ फेंके. इसे सच साबित करने के लिए खुद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जहां लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं वहीं सरकार को घेरने के लिए कमलनाथ समेत पार्टी के बड़े नेता सार्वजनिक तौर पर सबके सहयोग की बात कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए 28 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना है. इसी दिन पूर्वोत्तर के राज्य मिजोरम में भी वोटिंग होगी. एमपी समेत पांचों चुनावी राज्यों में 11 दिसंबर को चुनाव के नतीजे आएंगे

भाजपा में शामिल हुए 10 विधायकों के समर्थकों को भी बाहर का रास्ता दिखाएगी कांग्रेस


अभी तक पार्टी विरोधी गतिविधि‍यों में शामि‍ल नेताओं पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई का डंडा चल रहा था, लेकिन हरीश रावत शासन काल में बीजेपी में शामि‍ल होने वाले तत्कालीन दस कांग्रेस विधायकों के सैकड़ों समर्थकों को भी बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है


कांग्रेस की आपसी गुटबाजी थमने का नाम नहीं ले रही है. अभी तक पार्टी विरोधी गतिविधि‍यों में शामि‍ल नेताओं पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई का डंडा चल रहा था, लेकिन हरीश रावत शासन काल में बीजेपी में शामि‍ल होने वाले तत्कालीन दस कांग्रेस विधायकों के सैकड़ों समर्थकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने की रणनीति भी तैयार की जाने लगी है. कांग्रेस के सूत्र कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं.

आपको बता दें कि साल 2016 में कांग्रेस के हाथ का साथ छोड़ बीजेपी का कमल थामने वाले नेताओं के तमाम समर्थक मौजूदा वक्त में कांग्रेस में ही हैं. पूर्व में कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले पार्टी नेताओं के समर्थकों को भले ही कांग्रेस एक कूटनीति के तहत पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने वाली हो, लेकिन बीजेपी इस मसले पर न सिर्फ ऐसे कांग्रेसि‍यों का स्वागत करने के लिए आतुर दिखाई दे रही है, बल्कि मौजूदा कांग्रेस के कुनबे को बीजेपी के प्रदेश महामंत्री नरेश बंसल ने तो पूरी तरह से बिखरा हुआ कुनबा ही करार दे दिया है.

भले ही आपसी गुटबाजी का दंश झेल रही विपक्षी पार्टी कांग्रेस की हालत मजबूत नहीं दिखाई दे रहे हो, लेकिन अब देखना होगा कि वास्तव में कांग्रेस के इस सियासी दांवपेंच का भविष्य में पार्टी को आखिर कितना फायदा मिल पाएगा?

चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है: प्रशांत किशोर


जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय लोग आज भी उनकी टीम को देते हैं. लोगों का मानना है कि उनकी टीम द्वारा की गई डिजिटल कैंपेनिंग से ही नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में काफी फायदा मिला था


2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय प्रशांत किशोर की डिजिटल कैंपेनिंग टीम को जाता है. लोगों का मानना है कि उन्होंने जिस तरह नरेंद्र मोदी और बीजेपी को लोगों के सामने उभारा था शायद ऐसा करना सबके बस की बात नहीं होती. पत्रकारों से बातचीत में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर कई बातें सामने रखीं.

किशोर के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बहुत बड़े नेता हैं लेकिन 2014 जैसा माहौल बनाना अब उनके लिए संभव नहीं है. इस तरह का माहौल तैयार अब कठिन हो गया है इसलिए बीजेपी को अब कड़ी मेहनत करनी होगी.

2014 में सिर्फ 4 से 5 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन थे

बातचीत में उन्होंने बताया कि आज के दिन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का किसी भी व्यक्ति के चरित्र को गढ़ने में बहुत बड़ा हाथ है. उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत का श्रेय लोग आज भी उनकी टीम को देती है. लोगों का मानना है कि उनकी टीम द्वारा की गई डिजिटल कैंपेनिंग से ही नरेंद्र मोदी को काफी फायदा मिला था. अपनी टीम की डिजिटल कैंपेनिंग के बारे में बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि 2014 में सिर्फ 4 से 5 करोड़ लोगों के पास ही स्मार्टफोन थे जबकि 2018 में इसकी संख्या 35 से 40 करोड़ के बीच में हो गई है. इसके अलावा 50 फीसदी मतदाता आज भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं.

सोशल मीडिया पर जाने का रास्ता काफी सस्ता हो गया है

2014 में कैंपेनिंग का एक वीडियो 5 करोड़ लोगों के पास पहुंचता था जबकि उस समय डेटा पैक महंगे थे. इसके बाद भी लोगों में इसे देखने की ललक थी क्योंकि उन्होंने पैसे खर्च कर इसका भुगतान किया था. आज ज्यादा लोगों के पास स्मार्टफोन हैं लेकिन सोशल मीडिया पर जाने का रास्ता काफी सस्ता हो गया है ऐसे में लोग इसे इग्नोर करते नजर आते हैं. लोगों को कई और साधनों को जरिए सही जानकारी मिल जाती है.

चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन पर बोलते हुए उन्होंने कहा- आप एक बड़ा गठबंधन कर सकते हैं लेकिन वह लाभदायी भी होना चाहिए. लोगों तक आपकी बात सही तरीके से सही रूप में पहुंचनी चाहिए. उनका मानना है कि चुनाव की दौड़ में बीजेपी आगे रहेगी लेकिन चुनाव जीतना या हारना सिर्फ 10-12 दिन में तय होता है. इसलिए अभी से ये फैसली कर लेना सही नहीं है कि परिणाम क्या हो सकते हैं. हालांकि उनका मानना है कि बीजेपी का आगे रहना तय है. बहुमत हासिल हो या न हो लेकिन बीजेपी अपने आप में एक बहुत पार्टी है. उसे विपक्षी दलों से डर नहीं लगता. वह अपना काम सही तरीके से करती है.

Gaja Cyclone to intensify into severe cyclonic storm by November 12


Coastal areas of north Tamil Nadu would experience moderate rainfall and heavy rainfall in isolated places from the night of November 14, the Met office said.


A deep depression in the Bay of Bengal has intensified into a cyclonic storm and is likely to cross the North Tamil Nadu and South Andhra Pradesh coast between Cuddalore and Sriharikota on November 15, regional weather office in Chennai said on November 11.

The cyclone, named Gaja, which lay around 860 km northeast of Chennai and moving at a speed of 12 kmph is likely to intensify into a severe cyclonic storm within the next 24 hours, a bulletin issued at 4 p.m. said.

Gales reaching 80-90 km per hour was likely over Tamil Nadu, Pudducherry and Andhra Pradesh.

Speaking to reporters, Area Cyclone Warning Centre Director S. Balachandran said coastal areas of north Tamil Nadu would experience moderate rainfall and heavy rainfall in isolated places from the night of November 14. “On November 15, many places will receive moderate rainfall and isolated places will get heavy rainfall.”

Fishermen have been advised not to venture into the sea from November 12 and those already in deep sea have been asked to return.

The India Meteorological Department however said the storm is likely to weaken gradually while crossing towards North Tamil Nadu and South Andhra Pradesh coasts as a cyclonic storm during forenoon of November 15.

Listing out measures taken to face the cyclone, Revenue Administration Commissioner K. Satyagopal told reporters in Tirunelveli that medical teams were on stand by in all districts.

“Competition is normal, but contest must not turn into conflict.”: Nirmala Sitharaman


India and China should respect each other and resolve issues through dialogues and join hands together for peace and prosperity.


Defence Minister Nirmala Sitharaman on Sunday pitched for dialogues between India and China on various issues, saying differences between the two nations should not be allowed to become disputes.

Both India and China should respect each other and resolve issues through dialogues and join hands together for peace and prosperity, Ms. Sitharaman said.

There are various issues such as defence, border disputes, border trades and presence of Indian and Chinese defence forces in the Indian Ocean which can be resolved through continuous dialogues, the minister said.

“Competition is normal, but contest must not turn into conflict. Differences should not be allowed to become disputes, she said in Itanagar.

“Solution lies in dialogue, solution lies in peaceful engagement. But for this, mutual trust should be there.” However, she added, mutual recognition of sensitivity in each country should be respected and resolved through dialogues.

Ms. Sitharaman was delivering the seventh memorial lecture of former RSS activist from Arunachal Pradesh, Rutum Kamgo, on the theme: ‘Towards Bridging the Indo-China Relationship for an Emerging Asia’

On a proposal of Chief Minister Pema Khandu for opening up border trade with China through Bum La Pass, Ms. Sitharaman said trade was possible with the border villages of both the countries, like the current border haats at Nathu La in Sikkim and Moreh in Manipur.

However, she added, the balance of trade between the countries was in favour of China. “Trade between India and China is done in large scale amounting to USD 80-90 billion. But, sadly, we are purchasing from them in huge quantities. But, for our products, their market is not open.”

“We have several products like telecommunication, vegetables, tea, soya, raw sugar, pharmaceuticals etc in which China evinces keen interest,” the Defence Minister said, adding that there were certain areas where both the nations could cooperate, especially in containing terrorism and promoting sustainable development.

The minister termed India and China the growth engines for the entire world, saying that emergence of both the countries would pave the way for an emerging Asia. “Peace, security and development in Asia are possible when India and China are developed. Development of both the nations is possible only when there is mutual respect and understanding among the two countries.”

She quoted Prime Minister Narendra Modi as saying that both the countries should follow the mantra of samman (respect), sambad (dialogue), sahyog(cooperation), shanti (peace) and samriddhi (prosperity) for development.

“There are many multi-lateral institutions in the world like (the) UN, IMF, World Bank etc where representations from country like us with more population and demands are negligible. India and China should raise the issue jointly for mutual benefits,” she added

The Indian Air Force is “very much alive”: Air Chief Marshal B.S. Dhanoa


“The IAF is prepared 24×7 for any threat and is ready for a befitting response to any contingency with all our available assets.”


The Indian Air Force is “very much alive” to emerging threats that could arise in the Indo Pacific region, Air Chief Marshal B.S. Dhanoa said Sunday, and asserted that his force was prepared to deal with any challenge to protect India’s national interests.

He also said there is cause for concern over the rate of modernisation and induction of new equipment in India’s neighbourhood, even as India faces challenges emanating from “unresolved territorial disputes” and “sponsored” non-state and transnational actors. But the IAF is capable of, and is moving ahead, for countering them effectively, he told media persons in an interview.

Asked whether the IAF can play a role in smashing terrorist training camps across the Line of Control in Jammu and Kashmir, he did not rule out such a possibility.

“The IAF is well equipped to take on threats which occur from across the border, be it in the realm of sub conventional or other domains,” the Air Chief Marshal said.

India’s immediate security challenges

Referring to India’s immediate security challenges, without naming China and Pakistan, he said, “The current challenges emanate from unresolved territorial issues, sponsored non-state actors and transnational actors who act against national interests through the global commons.”

“The IAF is prepared 24×7 for any threat and is ready for a befitting response to any contingency with all our available assets,” he told media persons.

Air Chief Marshal Dhanoa also made an indirect reference to China’s rapid modernisation of its air force and also about the infrastructure development Beijing has carried out in the Tibet Autonomous Region (TAR) bordering India.

“The IAF is well equipped to take on challenges across the entire range of threats that could emanate across our borders. While there is a cause for concern as regards to the rate of modernisation and induction of new equipment in our neighbourhood, the IAF is nevertheless, moving ahead with appropriate measures to cater to these new developments,” he said.

Geo-political influence

Asked whether the IAF was capable of playing a role to expand India’s geo-political influence in the Indo-Pacific region, he replied in the affirmative and talked about IAF’s capabilities including having the second largest fleet of C-17s.

“We have the second largest fleet of C-17s in the world. Therefore, India will pull its heft in helping out friendly nations in times of human distress and humanitarian relief. In addition, the IAF is very much alive to the emerging threats that could arise in the Indo Pacific region,” he said.

At present, the IAF has a fleet of ten C-17 Globemasters, used for strategic airlift missions, transporting troops and cargo for long-range missions.

The US has been pushing for a greater role for India in the Indo-Pacific which is seen by many countries as an effort to contain China’s growing clout in the region.

In November last year, India, the US, Australia and Japan gave shape to the long-pending “Quad” Coalition to develop a new strategy to keep the critical sea routes in the Indo-Pacific free of any influence.

Holistic approach

Air Chief Marshal Dhanoa said the IAF was adopting a holistic approach in harnessing all available resources at its disposal to deal with various security challenges in a collaborative and cohesive manner.

“The gradual shift in the centre of gravity of global financial power from the West to the East has brought many challenges to the fabric of existential peace in the Asia-Pacific,” he said.

“Security is no longer confined to the preservation of territorial integrity alone. It also encompasses a comprehensive concept including all elements of national power,” he added.

On IAF’s ambitious modernisation plan, the Chief of Air Staff said augmenting the fighter squadron strength was his top priority.

“To achieve this, the IAF is looking at new inductions and midlife upgrades. Towards this, MiG-29, Jaguar and Mirage-2000 aircraft are being upgraded in a phased manner in order to equip them with contemporary capabilities,” he said.

Induction of Tejas

He also mentioned the planned induction of 83 Tejas light combat aircraft and 36 Rafale jets.

“Further, case for 114 fighter aircraft is being processed under the Strategic Partnership model of DPP (Defence Procurement Procedure)-16. Other options are also being explored to build up to authorised strength at the earliest,” he added.

The IAF has already started the process to procure a batch of 114 fighter jets.

At present, the IAF has a total of 32 squadrons of fighter jets much below the authorised strength of 42 squadrons.

“The IAF is adopting a holistic approach in harnessing all available resources at its disposal to tackle emerging challenges in a collaborative and cohesive manner,” said the IAF chief.

Mahboob’s Commercial Cinema with Socio-Political Concern

Silver Screen

Sareeka Tewari

His Epic Mother India the remake of his own creation Aurat earned him the lot of fame international cinema. It was the first Indian movie to be nominated for Oscar. Although his Aan was not the first coloured movie yet he forced the other producer directors to switchover to the coloured screen.
Aurat brought the strong development in ideological cinema but Roti depicts the clear and strong socialist idea makes it the realistic film.
Politically and socially enlightened young man ,Ramzaan Khan later known as Mehboob Khan was born in Bilimora, Gujarat in 1907 to a poor family and worked in horse stable fixing the horseshoe and one day he accompanied Noor Muhammad Ali Muhammed Shipra (producer and horse supplier in Indian cinema) to Bombay to make a career in movies. Mehboob’s support of the farmers and the rural population as well a his strong criticism of western influences on Indian society remain the major topic of his films.
He started to direct his own movies in the mid 1930s, the films he made after India became independent are regarded as his masterpieces. His social concern and political views soon became the foundation of his attempt to create realistic films for the masses.


In 1949 Mehboob released his famous Andaaz starring three of India’s finest actors: Nargis, Raj Kapoor and Dilip Kumar. In Andaaz Mehboob shows how western influence on personal relationships destroys a woman and her marriage.
Together with his cameraman Faredoon Irani Mehboob constantly tried to work out new styles and possibilities in his movies.
Mehboob last release Son Of India was a commercial failure. His next project could not be finished. Mehboob died in 1964. Together with Raj Kapoor, Bimal Roy and Guru Dutt he is among those who defined Indian post independent cinema and who were able to combine commercial cinema with political views and social concern.

Khan has directed many blockbuster films the most notable being Andaz (1949), Aan (1951) and Mother India (1957), which was nominated for an Academy Award in 1957 He has directed 21 other films dating from the late 1930s. His earlier works were in Urdu, but his later material, including Mother India, were in Hindi.

Filmography

As Director
Son Of India, 1962
Mother India, 1957
Amar, 1954
Aan, 1952
Andaaz, 1949
Anokhi Ada, 1948
Elaan, 1947
Anmol Ghadi, 1946
Humayun, 1945
Najma, 1943
Taqdeer, 1943
Roti, 1942
Bahen, 1941
Alibaba, 1940
Aurat, 1940
Ek Hi Rasta, 1939
Hum Tum Aur Woh, 1938
Watan, 1938
Jagirdar, 1937
Deccan Queen, 1936
Manmohan, 1936
Judgement of Allah, 1935

As Producer
Son Of India, 1962
Mother India, 1957
Aan, 1952

As Script Writer
Judgement of Allah, 1935

References:
SPICE (Society Promoting Indian Cinematic Entertainment)

15 को मुख्यमंत्री को दिखाएंगे काले झंडे : विजय बंसल


सेब मंडी के विरोध में करेगे प्रदर्शन , काले झंडे दिखाकर करेंगे स्वागत
सेब मंडी क्यो, उद्योग क्यो नही


पिंजोर:

एचएमटी में 15 नवम्बर को सेब मंडी की आधारशिला रखने के लिए मुख्यमंत्री आ रहे है जिसके विरोध में एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सभी विपक्षी दलों के नेता,कार्यकर्ता व एचएमटी के कर्मचारी काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने बताया कि देर शाम एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति की एक बैठक पिंजौर में हुई जिसमें सर्वसमिति से निर्णय लिया गया कि सरकार के सेब मंडी लगाने के तानाशाह फैसले के विरोध में काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।बन्सल ने बताया कि सेब मंडी को न लगाने के लिए कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है जिसमे मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार, अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार,मुख्य प्रशासक हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड,चेयरमेन HSIIDC , अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार इंडस्ट्रीज व कामर्स विभाग आदि को कानूनी नोटिस भेज दिया गया है व यदि कार्यवाही न हुई तो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।विजय बंसल ने बताया कि हजारो की संख्या में संघर्ष समिति काले झंडे दिखाकर अपना रोष व्यक्त करेगे।

बैठक में विजय बंसल संरक्षक एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति, कांग्रेस प्रदेश महासचिव मनवीर गिल, सतिंदर टोनी पूर्व पार्षद , दीपांशु बंसल राष्ट्रीय संयोजक एनएसयूआई आरटीआई व मीडिया सेल , दिनेश वाल्मीकि, दीनानाथ शर्मा पूर्व जिलाध्यक्ष इनेलो, नायब , चंचल, सतपाल , बलबीर रेतगढ़िया,रूपचंद, बब्बल,बबली शर्मा आदि ने सम्भोधित कर आगामी रणनीति बनाई।

सन 1962 में तत्कालीन मुख्यमंत्री, संयुक्त पंजाब स्व प्रताप सिंह केरोंन ने एचएमटी को उद्योग लगाने के लिए 846 एकड़ भूमि निशुल्क दी थी।अब 27 अकटुबर 2016 को एचएमटी ट्रेक्टर प्लांट बन्द कर दिया गया जिसके बाद मुख्यमंत्री ने 24 अकटुबर 2018 को सरकार के 4 वर्ष पूरे होने पर एचएमटी में सेब मंडी लगाने का निर्णय लिया है।विजय बंसल ने मांग करी है कि सेब मंडी न लगाकर ,नया उद्योग लगाया जाए।23 दिसम्बर 2017 को प्रधानमंत्री कार्यालय मे व राज्य हरियाणा सरकार ने 30 मई 2018 को एचएमटी के मामले को सुलझाने के लिए विशेष बैठक कर प्रदेश व देश की जनता को ठगने का काम किया।बैठक में निर्णय लिए गए कि केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृति देदी है कि एचएमटी 446 एकड़ जमीन का कब्जा हरियाणा सरकार को दे जिसमे 297 एकड़ पर HSIIDC , 62.54 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से पूरी कीमत एचएमटी को देगी व बकाया 149 एकड़ की 60 प्रतिशत रकम जमा करवाएगी।बंसल ने बताया कि सरकार व एचएमटी इस जगह पर उद्योग लगाने की बजाय , 100 एकड़ भूमि में फल व सेब मंडी लगा रही है जिससे न तो प्रदेश सरकार को कोई आय होगी, न ही किसी युवा को रोजगार मिलेगा व जनता का 100 करोड़ खुर्द बुर्द करने का काम कर रहे है।पंचकूला में सेब मंडी का प्रोजेक्ट फेल साबित हुआ है और वहां के निवासियों की दुर्गंध की शिकायत की वजह से इसे बदलकर पिंजोर व आसपास की जनता को सेब की दुर्गंध देने के लिए जनता का पैसा बर्बाद किया जा रहा है।इस क्षेत्र में किसानो द्वारा सेब की पैदावार भी नही है।33 एकड़ जमीन रेलवे द्वारा एक्वायर का मुआवजा,18 एकड़ एनएचआई व कौशल्या डैम द्वारा अधिकृत जमीन का मुआवजा भी एचएमटी को देने का निर्णय लिया।इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि सेब मंडी पहले से पंचकूला,परवाणू,सोलन , चंडीगढ़ में स्थापित है।हरियाणा में सेब पर पहले 4 प्रतिशत मार्किट फीस थी जोकि अब शून्य हो चुकी है वही , चंडीगढ़ में 2 प्रतिशत मार्किट फीस है।हरियाणा में मार्किट फीस न होने से सरकार को आय न होकर नुकसान होगा।

बंसल ने आरोप लगाया है कि एचएमटी व सरकार की मिलीभगत से पहले एचएमटी को बन्द किया गया,अब सरकार द्वारा जमीन को एचएमटी को दिया गया,फिर जमीन को खुर्द बुर्द करने के लिए अपर्याप्त व गैर संबंधित प्रोजेक्ट्स को लगाने के लिए स्वीकृति दी गई और प्रदेश की जनता के पैसे को बर्बाद करने के लिए व कॉरपोरेट मित्रो को फायदे पहुंचाने के लिए एक सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया।भाजपा के देश व प्रदेश में शासन के 4 वर्ष पूरे हो गए है जोकि पूरी तरह विफल साबित हुए है।एक तरफ जहां सरकार मेक इन इंडिया व स्किल्ड इंडिया की बात करती है वही विश्वस्तरीय भारतीय उत्पादों व उद्योगों को बंद करने में कोई कसर नही छोड़ रही।एचएमटी बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक विजय बंसल ने भाजपा सरकार की 4 वर्ष कार्यशैली पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र व राज्य में भाजपा की सरकार है, केंद्र में हरियाणा से सम्बंधित 6 मंत्री है व राज्य में शिवालिक क्षेत्र से 4 मंत्री-10 विधायक है जबकि स्थानीय विधायक व सांसद भाजपा से है , परन्तु एचएमटी को बचाने में तथा भाजपा के चुनावी वायदों को पूरा करने में सभी विफल साबित हुए है।

इसके साथ ही तथ्यों के आधार पर बंसल ने यह भी कहा कि सेब मंडी लगने से कितने स्थानीय युवाओ को रोजगार मिलेगा,सरकार को कितनी आय होगी व स्थानीय व्यापार कितना बढेगा।बंसल ने कहा कि सेब मंडी लगने से दुर्गंध होगी-दरअसल ,पंचकूला में जब सब मंडी लगाई गई थी तब वहां आबादी नही थी अब जब वहां आबादी होगई है तो उसे स्थानांतरित करने के लिए एचएमटी को विकल्प बनाया जा रहा है जिससे पिंजोर वासियो समेत गार्डन के पर्यटकों पर भी असर पड़ेगा व पिंजोरवासियो को दुर्गंध का शिकार होना पड़ेगा।इस क्षेत्र में सेब की पैदावार तक नही है, हिमाचल आदि से जो भी व्यापारी आता है वह प्लेदार भी अपने लाते है, ऐसे में क्षेत्र के शिक्षित युवाओ को न तो रोजगार मिलेगा व न ही स्थानीय लोगो के लिए व्यापार के साधन।इसके साथ ही बंसल ने बताया कि सेब मंडी का कारोबारी समय केवल 2 माह का होता है,ऐसे में इस क्षेत्र को किसी प्रकार से फायदा नही होने वाला।विजय बंसल के अनुसार यदि सरकार 100 करोड़ खर्चना चाहती है तो सरकार को कोई उद्योग लगाने में क्या परेशानी है?सेब मंडी से केवल जनता के 100 करोड़ बर्बाद करना व एचएमटी की जमीन को खुर्द बुर्द करने का एक सुनियोजित षड्यंत्र है , इस जनविरोधी मनसूबे को किसी भी हाल में पूरा नही होने दिया जाएगा।विजय बंसल के अनुसार यदि सरकार द्वारा सेब मंडी के प्रोजेक्ट को रद्द करने के लिए शीघ्र कोई कार्यवाही नही करी तो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।