आतंकी मसूद अजहर ने दी धमकी, कहा- राम मंदिर बना तो दिल्ली से काबुल तक मचेगी जबरदस्त तबाही


भारत को धमकी देते हुए मसूद अजहर ने बाबरी मस्जिद को लेकर 9 मिनट का ऑडियो जारी किया है, मसूद ने धमकी देते हुए कहा, अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराकर मंदिर बनाया गया है, वहीं हिंदू त्रिशूल लेकर इकठ्ठा हो रहे हैं। करतारपुर कॉरीडोर पर अपनी पीठ थपथपने के बाद पाकिस्तान पोषित आतंकी मसूद का यह ब्यान अपने आप में भारत के प्रति पाकिस्तान के दोगले रवैये को दर्शाता है।


भारत में राम मंदिर मुद्दे पर बहस और सियासी बयानबाजी तेजी से जारी है. इस बीच आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने एक ऑडियो जारी कर भारत को धमकी दी है. मसूद अजहर ने कहा कि अगर अयोध्या में राम मंदिर बना तो दिल्ली से लेकर काबुल तक तबाही मच जाएगी. वहीं, मसूद की इस धमकी के बाद खुफिया सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं.

बाबरी मस्जिद को लेकर 9 मिनट का ऑडियो जारी किया है

खबर है कि भारत को धमकी देते हुए मसूद अजहर ने बाबरी मस्जिद को लेकर 9 मिनट का ऑडियो जारी किया है. मसूद ने धमकी देते हुए कहा, अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराकर मंदिर बनाया गया है. वहीं हिंदू त्रिशूल लेकर इकठ्ठा हो रहे हैं. मुसलमानों को डराया जा रहा है. ऐसे में हमें आगे आना होगा. ऑडियो में जैश सरगना मसूद अजहर कह रहा है, अगर बाबरी मस्जिद वाले अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ, तो मेरे लड़ाके दिल्ली से लेकर काबुल तक धमाके से तबाही मचा देंगे.

जम्मू कश्मीर में जैश ए मोहम्मद लगातार आतंकियों को भेजता रहता है 

मसूद अजहर ने इस ऑडियो में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी कई बातें कही हैं. उसने कहा कि ये सब मोदी चुनाव के लिए कर रहा है. बता दें कि जम्मू कश्मीर में जैश ए मोहम्मद लगातार आतंकियों को भेजता रहता है ताकि वह भारत में अपने खौफनाक मंसूबों को अंजाम दे सकें लेकिन भारत के सुरक्षाकर्मी उन्हें उनके ढेर कर जहन्नुम भेजते रहते हैं.

नगरोटा में एक आर्मी कैंप में नवंबर 2016 में हमला हुआ था

एनआईए ने नगरोटा में सेना के शिविर पर हमला मामले में मौलाना मसूद अजहर के भाई और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना अब्दुल रऊफ असगर समेत 13 अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है. दरअसल जम्मू कश्मीर के नगरोटा में एक आर्मी कैंप में नवंबर 2016 में हमला हुआ था. एनआईए के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि दंड संहिता, गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और विदेशी नागरिक अधिनियम के तहत आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है.

एनआईए ने कहा है कि असगर नगरोटा हमले का सरगना था

प्रवक्ता ने बताया कि जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि इन लोगों ने भारी मात्रा में हथियारों से लैस तीन लोगों के एक समूह को सांबा-कठुआ से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा से जम्मू के होटल जगदंबा तक और फिर नगरोटा तक अपने वाहन में पहुंचाया था. बता दें कि पाकिस्तानी जैश-ए-मोहम्मद के तीन सदस्यों ने सेना के शिविर पर यह हमला किया था, जिसमें 7 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि 3 अन्य घायल हो गए थे. इस हमले के दौरान तीनों आतंकवादी भी मारे गए थे. एनआईए ने कहा है कि असगर नगरोटा हमले का सरगना था.

राजनाथ सिंह बोले- आंध्र प्रदेश से अलग करके ‘तेलंगाना’ में कितना विकास हुआ?


तेलंगाना में विधानसभा चुनाव सात दिसंबर को होने वाले हैं और मतगणना 11 दिसंबर को होगी

‘अटलजी ने जिन 3 राज्यों को बनाया वो आज विकसित राज्यों की श्रेणी में हैं लेकिन क्या तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अलगाव के बाद कोई विकास हुआ है?’


गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आंध्र प्रदेश से अलग करके बनाए गए राज्य तेलंगाना पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने तेलंगाना के आसिफाबाद में कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 नए राज्य बनाए थे. उन्होंने मध्य प्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ बनाया था, बिहार से अलग करके झारखंड बनाया था और उत्तर प्रदेश से अलग करके उत्तराखंड बनाया था.’

राजनाथ ने कहा, ‘अटलजी ने जिन 3 राज्यों को बनाया वो आज विकसित राज्यों की श्रेणी में हैं लेकिन क्या तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अलगाव के बाद कोई विकास हुआ है?’

तेलंगाना में विधानसभा चुनाव सात दिसंबर को होने वाले हैं और मतगणना 11 दिसंबर को होगी. चुनावों को देखते हुए सभी दल अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं और एक दूसरे पर जमकर निशाना साध रहे हैं.

गौरतलब है कि तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग होकर भारत का 29वां राज्य बना था. इसके लिए यह व्यवस्था की गई थी कि हैदराबाद को 10 साल के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी बनाई जाएगी.

इस नए राज्य के लिए ड्राफ्ट बिल को 5 दिसम्बर 2013 को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी और यह बिल 18 फरवरी 2014 को लोक सभा से पास हो गया था. दो दिनों के बाद इसे राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई थी.

“राहुल मेरे ‘कप्तान’ उनके कहने पर ही मैं पाकिस्तान गया” सिद्धु


डोकलाम विवाद के समय राहुल गांधी चीनी राजदूत से मिलते हैं ओर तस्वीरें जारी होने के बाद मुकर जाते हैं

‘हाफ़ीज़ साहब’ वाले ब्यान के बाद दिग्गी राजा भी ब्यान को तोड़ा मरोड़ा गया बताते हैं

मणि शंकर अइय्यर तो सारी हदें पार कर पाकिस्तान से भारत सरकार को पलटवाने की गुहार तक लगा देते हैं

वह मोदी को हारने पर काँग्रेस भवन में चाय का ठेला लगा देने की नसीहत तक दे डालते हैं

शशि थरूर मोदी को बिच्छू कह जाते हैं

इन सबसे अलग नवजोत सिद्धू पाकिस्तान जाते हैं ओर इमरान खान के कसीदे पढ़ते जाते हैं ओर मंच पर ही से और कासीदे काढ़ने के लिए समय की मांग भी रखते हैं 

बदले में इमरान आशा व्यक्त करते हैं की सिद्धू एक दिन भारत के प्रधान मंत्री बनेंगे ओर तब दोनों देशों में शांति स्थापित हो सकेगी

बाकी सब में और सिद्धू में एक फर्क है कि बाकी कांग्रेसी नेता मानते नहीं और सिद्धू ठोक कर, डंके कि चोट पर कहते हैं कि उन्हे राहुल ने ऐसा करने को कहा था वह पाकिस्तान राहुल के कहने से गए थे।  ठोको ताली:

सिद्धू ने सिख कौम (बक़ौल सिद्धू 12 करोड़ सिखों) कि मदद तो कर दी अब वह ज़रा भारत कि सुध भी लें, वह अपने मित्र इमरान ख़ान से दाऊद इब्राहिम और हफीज सईद समेत कुछ आतंकियों की मांग के साथ साथ इमरान को कश्मीर मुद्दे पर बड़ा दिल दिखाने को कहें ताकि भारत भी सिद्धू पर मान कर सके और इमरान ख़ान कि ख़्वाहिश भी जल्द से जल्द पूरी हो सके। 


करतारपुर कॉरिडोर मामले में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने बयान दिया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे कैप्टन राहुल गांधी हैं और उन्होंने मुझे हर जगह भेजा है.’ सिद्धू ने यह सफाई विपक्ष की उन टिप्पणियों के बाद दी है जिसमें कहा गया था कि पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह नहीं चाहते थे कि सिद्धू पाकिस्तान जाएं लेकिन वह फिर भी गए.’

इससे पहले सिद्धू ने कहा था कि जब मैं पहली बार पाकिस्तान गया था और करतारपुर कॉरिडोर के लिए उनसे वादा करने की बात की थी, तो आलोचकों ने मेरा मजाक उड़ाया था. मुझ पर हंसे थे और अब वही लोग अपना ही थूका हुआ चाट रहे हैं और अपनी बात से मुकर रहे हैं.

पाकिस्तान यात्रा के बारे में पंजाब के सीएम की मनाही का मुद्दा छिड़ा तो सिद्धू ने कहा कि मुझे कम से कम 20 कांग्रेसी नेताओं ने जाने के लिए कहा था. केंद्रीय नेताओं ने मुझे जाने के लिए कहा था. पंजाब के मुख्यमंत्री मेरे पिता समान हैं. मैंने उन्हें कहा था कि मैंने उन्हें वादा कर दिया है कि मैं जाउंगा।


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चीन में ऊईगुर मुसलमानों की जासूसी


चीन की सरकार वहां रहने वाले उइगूर समुदाय के लोगों पर बहुत नजदीकी से निगाह रखने के लिए भावनात्मक हथकंडे तक अपनाने में नहीं हिचक रही है


चीन की सरकार वहां रहने वाले उइगूर समुदाय के लोगों पर बहुत नजदीकी से निगाह रखने के लिए भावनात्मक हथकंडे तक अपनाने में नहीं हिचक रही है.

यहां रह रही हलमुरात इदरीस के पास एक फोटोग्राफ है, जिसमें उसकी 39 साल की बहन के साथ एक उम्रदराज महिला भी खड़ी है, जिसे वो नहीं जानती कि वह कौन है. इस फोटोग्राफ में उसकी बहन में नीचे की तरफ लिखा है, ‘देखिए, मुझे एक चीनी हान मां मिल गई है.’ हान चीन का एक समुदाय है.

इदरीस, फोटोग्राफ में दिख रही महिला पर शक जाहिर करती हुई कहतीं हैं कि यह बूढ़ी महिला कोई और नहीं बल्कि एक जासूस है, जिसे चीन सरकार ने भेजा है, ताकि वह उसके परिवार में घुसकर जानकारियां हासिल कर सकें. उसके जैसे कई और लोग चीनी सरकार ने इस समदुाय में भेज दिए हैं.

इसकी पुष्टि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक समाचारपत्र में भी यह कह कर की गई है कि सितंबर के अंत तक 11 लाख स्थानीय सरकार के कर्मचारियों को मूल जातीय अल्पसंख्यकों के शयनकक्षों, खाना खाने की जगहों और मुस्लिम पूजास्थलों में भेज दिया दिया गया है और शादी, शवयात्रा और अन्य अवसर जो निजी समझे जाते हैं, उनमें तक उनका प्रवेश करा दिया गया है.

यह सब चीन के सुदरवर्ती पश्चिमी क्षेत्र शिनच्यांग में हो रहा है. यह इलाका मुस्लिम बहुल है और ये लोग तुर्की भाषी उइगूर समुदाय के हैं. ऐसी खबरें अक्सर आती हैं कि चीन सरकार इस समुदाय के साथ भेदभाव बरत रही है.

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के शासनकाल में उइगूर पर कड़ी निगाह रखी जा रही है. सड़कों के नाकों पर संगीनधारी तैनात हैं और उनके पास चेहरे की पहचान करने में सक्षम सीसीटीवी उपकरण हैं. उइगूर समुदाय के लोगों का कहना है कि उन्हें अपने घरों के भीतर भी सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की तेज निगाहों के सामने रहना होगा.

किसान मार्च राजनैतिक और मोदी विरोध ही है


दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं.


किसान मुक्ति मार्च के दूसरे दिन दिल्ली के रामलीला मैदान से संसद का घेराव करने के लिए सुबह-सुबह किसानों का जत्था निकल पड़ा. अलग-अलग प्रदेशों और क्षेत्रों से आए किसान अपनी अलग-अलग टोलियों में किसान एकता का नारा लगाते संसद मार्ग की तरफ बढ़ रहे थे, जिसके आगे जाकर संसद का घेराव करने की इजाजत नहीं दी गई थी.

किसान मुक्ति मार्च के नेताओं का दावा है कि इस मार्च में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसान पहुंचे थे. ऐसा दिख भी रहा था. तमिलनाडु से आए किसानों ने तो मंच के बिल्कुल नीचे होकर अपने शरीर के कपड़े उतारकर सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध किया. तमिलनाडु से आए किसान सुरेंद्र जैन ने फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि सरकार न ही एमएसपी का डेढ़ गुना दाम दे रही है और न ही हमारा कर्ज माफ कर रही है.

इसी तरह बिहार के बाढ़ से आए शिवनंदन ने भी सरकार पर वादे से मुकरने का आरोप लगाया. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत के दौरान शिवनंदन का कहना था कि एमएसपी के डेढ़ गुना दाम देने की बात तो सरकार कहती है लेकिन, इसको लागू नहीं कर पा रही है. इनकी शिकायत है कि जमीन पर हालात इन दावों से अलग हैं. उनकी तरफ से भी सरकार से किसानों की कर्जमाफी की मांग की गई.

इसी तरह यूपी से लेकर मध्य प्रदेश तक, पंजाब से लेकर हरियाणा तक और महाराष्ट्र से लेकर राजस्थान तक के किसान इस मार्च में हिस्सा लेने पहुंचे थे. सबकी तरफ से एक ही नारा और एक ही मांग थी किसानों की मांगों को पूरी करो, वरना इसका अंजाम बुरा होगा.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले देशभर के 200 से भी ज्यादा किसान संगठनों ने इस मार्च में हिस्सा लिया, जिसका नेतृत्व स्वराज इंडिया के संरक्षक योगेंद्र यादव ने किया था. किसानों की दो मांगें थीं, पहला किसानों की कर्जमाफी के लिए एक बिल को पास कराना और दूसरा लागत के डेढ़ गुना एमएसपी दिलाने के लिए बिल को पास कराना. संघर्ष समिति ने मंच से सरकार से किसानों के हक और हित में इन दो बिल को पास कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है.


पूरे किसान मार्च का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र यादव ने भी इस मंच से मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक दिया. उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो पार्टी इस मंच से किसानों की इन दो मांगों के समर्थन में खड़ी पार्टियों को किसान हितैषी और इस रैली में शामिल नहीं होने वाली पार्टियों को किसान विरोधी तक कह डाला. किसान मुक्ति मार्च में कोशिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसान विरोधी बताने की थी.


जब मंच पर इस तरह सरकार विरोधी बात हो और मंच के नीचे देश के अलग-अलग कोने से आए किसान और किसानों के संगठन के लोग हैं तो फिर विरोधी पार्टियां भला कैसे पीछे रह सकती हैं. देखते ही देखते किसानों के समर्थन में और सरकार के विरोध में सभी विपक्षी दलों का जमावड़ा लग गया.

लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी से लेकर डी. राजा तक और फिर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, एलजेडी नेता शरद यादव, एसपी नेता धर्मेंद्र यादव, आप से संजय सिंह, एनसी के फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी से दिनेश त्रिवेदी भी मंच पर पहुंचे. इसके अलावा टीडीपी और आऱएलडी के भी नेता इस मार्च में पहुंचे. सबने एक सुर में किसानों की मांगों का समर्थन किया.

लेकिन, अंत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस आंदोलन में किसानों के सुर में सुर मिलाकर माहौल को और गरमा दिया. राहुल गांधी ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा, ‘मोदी जी ने कहा था कि एमएसपी बढ़ेगी, पीएम ने बोनस का भी वादा किया था, लेकिन हालात पर नजर डालें, सिर्फ झूठे वादे किए गए थे और कुछ नहीं.’

राहुल गांधी ने कहा ‘आज हिंदुस्तान के सामने दो बड़े मुद्दे हैं. एक मुद्दा हिंदुस्तान में किसान के भविष्य का मुद्दा, दूसरा देश के युवाओं के भविष्य का मुद्दा. पिछले साढ़े चार साल में नरेंद्र मोदी ने 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया है. अगर 15 अमीर लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो किसानों का कर्ज माफ क्यों नहीं किया जा सकता?’


राहुल गांधी के अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी इस मंच पर आने के बाद सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. केजरीवाल ने सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा, ‘जिस देश के अंदर किसानों को आत्महत्या करनी पड़ी, जिस देश का किसान खुद भुखमरी का शिकार हो.


ऐसा देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. बीजेपी ने किसानों से जो वादे किए उससे वो मुकर गई. किसानों को 100 रुपए में से 50 रुपए मुनाफा देने की बात बीजेपी कह रही थी. सबसे पहले किसानों का जितना कर्ज है वो सारा कर्ज माफ होना चाहिए. दूसरी मांग किसानों को फसल का पूरा दाम मिलना चाहिए’

राहुल और केजरीवाल के अलावा लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी और शरद पवार सहित सभी नेताओं ने किसानों की दोनों मांगों का समर्थन करते हुए मोदी सरकार को अगले चुनाव में नतीजे भुगतने की चेतावनी भी दी.

दरअसल, किसान मुक्ति मार्च की पूरी कवायद से भी साफ लग रहा है कि विरोधी पार्टियां और संगठन मिलकर किसानों के मुद्दे पर भी मोदी विरोधी एक मंच तैयार करना चाहते हैं. किसान मुक्ति मार्च भी किसानों की समस्या का दीर्घकालिक समाधान ढ़ूंढ़ने के बजाए मोदी विरोधी मंच बनकर रह गया.

 

 

Advertising Rajpal Yadav sentenced to three-month civil prison in loan recovery case


Delhi-based businessman M G Agarwal, the owner of Murli Projects, had filed a recovery suit against the actor and his wife for failing to repay a loan of Rs 5 crore which Yadav had taken in 2010 to make his directorial debut film Ata Pata Laapata in 2012 

The court, however, did not award imprisonment to his wife.


Bollywood actor Rajpal Yadav was today awarded six-month imprisonment by a Delhi court in seven cheque bounce cases for not repaying loan worth over Rs eight crore to a businessman.

The court, however, did not award imprisonment to his wife, who was also held guilty along with Rajpal for the offence under section 138 (cheque bounce) of the Negotiable Instruments Act (NI Act), considering that she had signed those cheques on being asked by her actor husband.

However, Additional Chief Metropolitan Magistrate (ACMM) Amit Arora granted Rajpal bail on a personal bond of Rs 50,000 and one surety of like amount.

The court also imposed separate fines on the convicted couple, asking Rajpal to pay Rs 11.2 crore and his wife Radha to pay Rs 70 lakh collectively in all the seven cases in which they have been held guilty.

“There are seven separate complaint cases filed by the complainant where in the convicts have been held guilty under section 138 of NI Act. Cheque in question in each case is of Rs 1.5 crore,” the court noted.

The court said the convicted couple had originally availed a loan of Rs five crore from the complainant – Murli Projects – in the year 2010 and agreed to repay a sum of Rs eight crore, including the principle and the interest by June 30, 2011.

The court, while rejecting the actor’s contention that he was liable to pay Rs eight crore, said he and his wife could not repay the amount and a fresh schedule of payment was worked out by them where they agreed to pay the subsequent interest which accrued over and above the principle amount and the initially agreed interest amount of Rs eight crore.

“It is in these circumstances, the convicts handed the impugned cheques to the complainant which all got dishonoured in 2013. Thus I do not find any merit in the contention of the defence counsel that the liability of the convict is only to the extent of Rs three crore,” the ACMM said.

The ACMM also noted that several undertakings were given by the actor and his wife before the Delhi High Court to repay the amount, but to no avail.

“Complainant has been litigating this matter for last five years. As per a high court order of 2016, settlement was agreed upon by both the parties by which Yadav had to pay Rs 10.40 crore to the complainant but the amount has still not been paid.

“Record reflects that convicts have made several undertakings before the high court claiming that the amount will be repaid, however, of no avail,” it said,

It also noted that another undertaking was given by the convicts before the high court regarding cheques worth Rs seven crore given by them to the complainant that they shall be honoured, but it never happened.

“Thus it shows that the approach of the convict number 2 (Rajpal Yadav) is highly contemptuous and he had acted in complete disregard to undertakings given by him.

“Thus in these circumstances, no leniency is called for and accordingly convict 2, Rajpal Yadav is hereby sentenced to simple imprisonment for a period of six months in each case,” the ACMM said.

Regarding his wife Radha Yadav, the court said she was only a signatory on the cheques and signed those cheques on being asked by her husband Rajpal Yadav. It also took into consideration that she was a woman.

101 फड़ीवालों के काटे गए चालान, सामान भी जब्त

फोटो और ख़बर कपिल नागपाल

चंडीगढ़। नगर निगम की इंफोर्समेंट विंग ने गुरूवार को एंटी अतिक्रमण अभियान के तहत सेक्टर -22 की शास्त्री मार्केट और सेक्टर-19 की सदर माकेट में अवैध वैंडर्स के खिलाफ कार्रवाई की। एडिशनल कमिशनर, एमसी तिलक राज की अगुवाई में सेकटर 19  की मार्केट में सरकारी जमीन पर 84 अवैध रेहड़ी फड़ी वालों के चालान काटे गए साथ ही उनका सामान भी जब्ज किया। इसके अलावा शास्त्री मार्केट 17 अवैध दुकानदारों के चालान कर उनका समान जब्त किया गया। इंफोर्समेंट की टीम ने दो टुकडिंयों में उक्त दोनों सेक्टरों में ड्राइव चलाकर करीब 9 ट्रकों में अवैध सामन को अपने कब्जे में लिया।

खाटौली मर्डर केस: लावली न्यायिक हिरासत में और राम कुमार 4 दिन की पुलिस रिमांड पर

फोटो और ख़बर: कपिल नागपाल

पंचकूला खटोली मर्डर केस पंचकूला खटोली मर्डर केस में आज पंचकूला कोर्ट में बुआ लवली और रामकुमार को किया पंचकूला कोर्ट में पेश लवली बुआ को कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में भेजा और रामकुमार को 4 दिन का पुलिस रिमांड मिला

फोटो: कपिल नागपाल

 

चीन ने पीओके को भारत का हिस्सा दर्शाया पाक नाराज़।


आधिकारिक तौर पर जारी किए गए मैप में चीन ने इसके पहले कभी भी PoK को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया. सूत्रों का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी में ऊपर से मिले सिग्नल के बगैर सरकारी मीडिया अलग मैप का इस्तेमाल भी नहीं करता है


सरकार द्वारा संचालित सीजीटीएन टेलीविजन ने पहली बार पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को पाकिस्तान के मानचित्र से बाहर कर दिया है. पिछले हफ्ते पाकिस्तान में चीन के दूतावास पर हुए हमले की खबर दिखाते हुए चीन ने यह तस्वीर जारी की है.

अब क्योंकि यह असंभव है कि सरकार द्वारा संचालित टेलीविजन कभी भी बीजिंग के विरुद्ध जाएगा, इसलिए यह माना जा रहा है कि यह कदम जानबूझकर उठाया गया है.

चीन के सरकारी चैनल द्वारा भारत की कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाने से पाकिस्तान को झटका लग सकता है. सरकारी चैनल CGTN ने पहली बार अपने कार्यक्रम के दौरान दिखाई एक तस्वीर में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को पाकिस्तान के बदले भारत के नक्शे में दिखाया है.

हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हुआ है कि चीन के सरकारी चैनल CGTN ने वो तस्वीरें जानबूझ कर पाकिस्तान को कोई संदेश देने के लिए छापी गई हैं या फिर गलती से दिखाई हैं. हाल के दिनों में चीन और भारत की सरकारों के बीच बातचीत बढ़ी है. इसलिए ये भी हो सकता है कि भारत की तरफ चीन के झुकाव को दर्शाने के लिए भी यह कदम उठाया गया हो.

चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर से जोड़कर भी देखा जा रहा है:

PoK को भारत के नक्शे में दिखाने को चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर से जोड़कर भी देखा जा रहा है. इस योजना को लेकर भारत ने चीन के सामने कड़ी आपत्ति जताई थी. चीन ने यह रुख ऐसे समय में दिखाया है जब 10 दिसंबर को भारत और चीन के बीच सैन्य अभ्यास होना है. वहीं, करतारपुर मसले पर बहस भी हो रही है. ‘दोस्त’ चीन के इस रवैये पर पाकिस्तान ने नाराज़गी जाहिर की है.

दरअसल, आधिकारिक तौर पर जारी किए गए मैप में चीन ने इसके पहले कभी भी PoK को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया. सूत्रों का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी में ऊपर से मिले सिग्नल के बगैर सरकारी मीडिया अलग मैप का इस्तेमाल भी नहीं करता है.

जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, तो पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है. वहीं अक्साई चिन पर चीनी कब्जा है. PoK का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अक्साई चिन शामिल नहीं है. यह इलाका महाराजा हरिसिंह के समय में कश्मीर का हिस्सा था. 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध के बाद कश्मीर के उत्तर-पूर्व में चीन से सटे इलाके अक्साई चिन पर चीन का कब्जा है.

भारतीय संसद में है पीओके की 7 रिजर्व सीटें:

आजादी के बाद भारत-पाक युद्ध में कश्मीर 2 हिस्सों में बंट गया था. कश्मीर का जो हिस्सा भारत से लगा हुआ था, वह जम्मू-कश्मीर नाम से भारत का एक सूबा हो गया, वहीं कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सटा हुआ था, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया.

भारत सरकार ने पाक अधिकृत कश्मीर का नाम बदलकर पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर कर दिया है. भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा में पीओके के लिए 25 सीटें और संसद में 7 सीटें रिजर्व रखी हैं.

कोयला घोटाला मामले में पूर्व सचिव एचसी गुप्ता दोषी, 3 दिसंबर को सजा पर होगा फैसला


कोयला घोटाला मामले में दिल्ली की एक कोर्ट के जरिए पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और अन्य को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के एक मामले में दोषी ठहराया है.


कोयला घोटाला मामले में दिल्ली की एक कोर्ट के जरिए पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और अन्य को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के एक मामले में दोषी ठहराया है. यह मामला पश्चिम बंगाल में कोयला ब्लॉक के आवंटन से जुड़ा हुआ है.

मामला पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉकों का वीएमपीएल को किए आवंटन में कथित तौर पर अनियमितता पाए जाने से जुड़ा है. कोयला घोटाले के इस मामले में सीबीआई के जरिए सितंबर 2012 में एफआईआर दर्ज की गई थी.

कोयला घोटाले से जुड़े इस मामले में विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने गुप्ता के साथ ही निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड, एक सेवारत और एक सेवानिवृत्त नौकरशाह कोयला मंत्रालय में पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा और कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-1) केसी सामरिया को दोषी करार दिया गया है. साथ ही कोर्ट के जरिए कंपनी के प्रबंध निदेशक विकास पटानी, उसके अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक को भी दोषी ठहराया गया है.

वहीं सभी दोषियों को हिरासत में ले लिया गया है. सजा के लिए सुनावाई 3 दिसंबर को की जाएगी. माना जा रहा है कि इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई करते हुए अधिकतम पांच साल तक की जेल की सजा दी जा सकती है. वहीं अगस्त 2016 में गुप्ता के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश रचने के आरोप समेत दो नौकरशाहों, कंपनी और उसके दो अधिकारियों पर आरोप तय किए थे.