अयोध्या मामले पर जनवरी 2019 तक टली सुनवाई इसके राजनैतिक मायने


अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है.


अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अब सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक जनवरी में ही तय होगा कि इस मामले की नियमित सुनवाई होगी या नहीं. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच में हो रही है जिनकी तरफ से यह फैसला आया है.

इससे पहले 27 सितंबर को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इनकार कर मस्जिद को इस्लाम का आंतरिक हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था. उस वक्त इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 27 सितंबर को अपने फैसले में 2:1 से आदेश दिया था कि अयोध्या मामले की सुनवाई सबूतों के आधार पर होगी. 27 सितंबर के फैसले के बाद 29 अक्टूबर की तारीख तय की गई थी जिसके बाद अब वर्तमान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने जनवरी तक सुनवाई को टाल दिया है.

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर, 2010 को दिए अपने फैसले में 2:1 के बहुमत से अयोध्या की उस 2.77 एकड़ जमीन को तीनों पक्षों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. इसे फैसले के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट में सभी पक्षों की तरफ से याचिका दायर की गई है, जिस पर सुनवाई की जानी है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करेगी सरकार ?

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जबकि संघ परिवार की तरफ से फिर से मंदिर निर्माण को लेकर सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है. मोदी सरकार मंदिर निर्माण को लेकर पहले से ही अपना स्टैंड साफ कर चुकी है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा या फिर आपसी समहति से ही बीच का रास्ता निकालकर वहां मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा. सरकार के सूत्रों के मुताबिक, सरकार अभी भी अपने उसी स्टैंड पर कायम रहेगी.

लेकिन, इस बीच संघ परिवार का दबाव सरकार पर आने वाला है. संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत की तरफ से इस मामले में कानून बनाने की मांग कर दी गई है. दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी ने साधु-संतों के साथ मिलकर अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने को लेकर जनजागरण अभियान पहले ही शुरू कर रखा है. संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में वीएचपी नेताओं और साधु-संतों ने भव्य मंदिर निर्माण को लेकर सांसदों का उनके संसदीय क्षेत्र में घेराव करने और संसद मे कानून बनाने की मांग को लेकर सांसदों के अलावा हर राज्य में राज्यपालों से मिलकर ज्ञापन सौंपने का कार्यक्रम है. साधु-संत प्रधानमंत्री से मिलकर भी राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार की पहल की मांग करने वाले हैं.

बीजेपी के फायरब्रांड नेताओं की बयानबाजी

संघ परिवार के मुखिया की तरफ से जल्द राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग करने के बाद बीजेपी के भीतर भी उन नेताओं को खुलकर अपनी बात रखने का मौका मिल गया है जो राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं या जो खुलकर हिंदुत्व के मुद्दों को उठाते रहे हैं.

बीजेपी नेता और पूर्व सांसद विनय कटियार ने राम मंदिर आंदोलन मामले में देरी के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नहीं चाहती कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर पर कोई फैसला आए जिसके चलते इतनी देरी हो रही है.

उधर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि हिंदुओं का सब्र अब टूट रहा है. उन्होंने कहा, ‘मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूट गया तब क्या होगा?’

विनय कटियार औऱ गिरिराज सिंह के बयान से साफ है कि बीजेपी के भीतर एक बड़ा तबका है जो इस मुद्दे पर संघ परिवार और साधु-संतों की लाइन पर चल रहा है. बीजेपी का यह धड़ा हर हाल में अध्यादेश लाकर या फिर कानून बनाकर राम मंदिर का रास्ता साफ करना चाहता है. लेकिन, फिलहाल सरकार के लिए यह सबसे बड़ी मुश्किल है कि इस मुद्दे पर कानून या अध्यादेश का रास्ता अख्तियार करे.

अब क्या होगा फैसले का असर ?

सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी संगठन और सरकार इस मुद्दे पर काफी संभलकर चल रहे हैं. पांच सालों के अपने काम-काज और बेहतर प्रशासन के मुद्दे पर चुनावी मैदान में उतरने की सोंच रहे सरकार के लोगों को उम्मीद थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनाव से पहले आ जाता है तो उन्हें इसका सीधा सियासी फायदा हो सकता है. बीजेपी के रणनीतिकारों को उम्मीद थी कि चुनाव से पहले इस मुद्दे पर फैसला चाहे जो भी हो उस पर हो रहे सियासी ध्रुवीकरण का फायदा उन्हें ही मिलेगा

बीजेपी नेताओं के बयानों से इसकी झलक भी मिल रही थी. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी राम मंदिर पर बयान आया लेकिन, उसके बाद उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान माहौल को ज्यादा गरमाने वाला था जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के विपरीत आने पर भी कानून बनाकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की बात की थी.

 

बीजपी नेताओं और संघ परिवार की तरफ से यूपी समेत देश भर में जो माहौल बनाया जा रहा था उसी का परिणाम था कि अचानक राष्ट्रीय स्तर पर यह मसला फिर से उछलने लगा. लेकिन, कोर्ट के फैसले ने उनकी रणनीति पर फिलहाल पानी फेर दिया है.

दूसरी तरफ, कांग्रेस भले ही राम मंदिर मुद्दे पर अदालत के फैसले को मानने की ही बात कर रही थी, लेकिन, वो नहीं चाहती थी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला चुनावों से पहले हो. कांग्रेस को इस बात का एहसास है कि लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या मुद्दे पर अगर फैसला आ जाता तो फिर फैसला जो भी हो, उस पर नुकसान कांग्रेस को ही होता. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी दोनों ही सूरत में अयोध्या मसले को अपने हिसाब से भुनाने और ध्रुवीकरण की राजनीति करने में माहिर है, लिहाजा फायदा उसे ही मिलता.

मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने भी दलील देकर 2019 के लोकसभा चुनावों तक अयोध्या मामले को टालने की अपील की थी. उसके बाद से ही बीजेपी और संघ परिवार की तरफ से कांग्रेस पर हमला किया जा ता रहा है.

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कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व को काट पाएगी बीजेपी ?

दूसरी तरफ, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस वक्त चुनावों से पहले सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर हैं. कभी शिवभक्त तो कभी रामभक्त बनकर राहुल गांधी लगातार अपने-आप को ‘हिंदू’ के तौर पर पेश कर रहे हैं. अगर चुनाव से पहले राम मंदिर पर कोई फैसला आता है तो फिर कांग्रेस अध्यक्ष के हिंदुत्व कार्ड की हवा निकल जाएगी और बीजेपी पूरा फायदा ले लेगी. यही डर कांग्रेस को था, लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, अब सुनवाई टलने से अंदर खाने कांग्रेस खेमे में खुशी ही है. सूत्रों की मानें तो सर्वोच्च नयायालय में एक कांग्रेसी डीएनए से सराबोर है जो कपिल सिबल के प्रत्येक आदेश का अक्षरश: पालन करेगा और उन्हे फायदा पंहुचाएगा,  भाजपा इस मामले में कुछ भी नहीं कर सकती। राम मंदिर मुद्दे पर उनकी हवा निकाल गयी है।

हालांकि संघ परिवार की तरफ से अभी भी अध्यादेश या कानून के जरिए राम मंदिर मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए दबाव बनाया जाएगा. कुछ लोगों का तर्क यह भी है कि अध्यादेश या कानून पर समर्थन और विरोध की सूरत में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भी हिंदुत्व कार्ड फ्लॉप हो जाएगा, लेकिन, सरकार इस संवेदनशील मसले पर अध्यादेश शायद ही लाए. ऐसे में संघ परिवार और साधु-संतों का आंदोलन चलता रहेगा जिसके जरिए 2019 तक इस मसले को जिंदा करने की कोशिश की जाती रहेगी.

राम जन्मभूमि पर अध्यादेश लाने पर ओवैसी सरकार को देख लेंगे


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी ने कहा कि बीजेपी कब तक अध्यादेश के नाम पर राम मंदिर मामले में डराती रहेगी

ओवैसीने कहा की सरकारी मर्ज़ी का अध्यादेश नहीं चलेगा देश संविधान से चलेगा 


अयोध्या राम मंदिर मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई जनवरी तक टाल दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी में शुरू किए जाने का फैसला दिया है. मामले की नियमित सुनवाई पर फैसला भी अब जनवरी में ही होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद ही अब मामले में अलग-अलग नेताओं का प्रतिक्रिया सामने आ रही है.

 

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राम मंदिर मामले पर केंद्र सराकर को चुनौती दे डाली है. उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि आप सत्ता में है. अगर हो सके तो राम मंदिर पर अध्यादेस लाकर दिखाइए, उन्होंने कहा कि हर बार सरकार अध्यादेश लाने की धमकी देती है. उन्होंने कहा बीजेपी कब तक अध्यादेश के नाम पर राम मंदिर मामले में डराती रहेगी. ओवैसी ने कहा कि अगर पीएम का 56 इंच का सीना है तो अध्यादेश लाकर दिखाएं.

वहीं उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने फैसले के बाद कहा कि ये कोर्ट का फैसाल है इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता. हालांकि ये अच्छा संकेत नहीं हैं.

दूसरी तरफ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि यह एक परिचित कहानी है. हर 5 साल में चुनाव से पहले, बीजेपी राम मंदिर का मुद्दा उठाती है. कांग्रेस पार्टी की स्थिति यह है कि मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के सामने है, सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए

सीबीआई विवाद: अस्थाना को सर्वोच्च नयायालय द्वारा गुरुवार तक गिरफ्तारी से राहत


सीबीआई अपने स्पेशल डायरेक्टर के मामले में अब तक अपने जांच पर कायम है जिसमें अस्थाना को 1 नवंबर 2018 तक छुट्टी पर भेज दिया गया है


सीबीआई विवाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा रिश्वत के मामले में घिरे सीबीआई के नंबर दो ऑफिसर राकेश अस्थाना को अगले गुरुवार तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. दिल्ली उच्च न्यायालय ने सीबीआई विवाद से जुड़े मामले में ये टिप्पणी की है. सीबीआई अपने स्पेशल डायरेक्टर के मामले में अब तक अपने जांच पर कायम है जिसमें अस्थाना को 1 नवंबर 2018 तक छुट्टी पर भेज दिया गया है. जस्टिस नजमी वजीरी की बेंच ने सीबीआई की जांच पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर क्यों अस्थाना और दूसरे अधिकारियों की एफआईआर पर रिपोर्ट क्यों नहीं जमा की. वहीं हाई कोर्ट ने सीबीआई को गुरुवार से पहले रिपोर्ट फाइल करने का निर्देश दिया है.

दिल्ली उच्च न्यायालय में मनोज प्रसाद के वकील ने कहा कि यह दो हाथी और एक चूहे के बीच की लड़ाई है. बता दें कि मनोज प्रसाद दुबई स्थित एक इंवेस्टमेंट बैंकर हैं जिन पर रिश्वत लेने का आरोप है. मनोज प्रसाद को राकेश अस्थाना केस में 17 अक्टूबर को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था.

सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सीबीआई के वकील ने कहा कि उन्हें काउंटर रिप्लाई फाइल करने के लिए थोड़ा और समय चाहिए.

हमारे हरियाणा के किसानो का अपमान कर बदनाम ना करो केजरीवाल जी : विपुल गोयल

केजरीवाल के ट्वीट पर उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने पलटवार करते हुए  कहा की केजरीवाल हरियाणा के किसानों का अपमान कर रहे हैं,  जब कुरुक्षेत्र और अंबाला की एयर क्वालिटी ठीक-ठाक है तो दिल्ली की एयर क्वालिटी के लिए हरियाणा जिम्मेदार कैसे हो सकता है ?

केजरीवाल ने ट्वीट कर दिल्ली में प्रदूषण के लिए बताया था हरियाणा, पंजाब और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।

विपुल गोयल यहीं नहीं रुके उन्होने आगे कहा की केजरीवाल ने एसवाईएल मुद्दे पर भी काँग्रेस नीट पंजाब सरकार का समर्थन किया था, जो अपनी ही मिट्टी का न हुआ वह किसी और का क्या होगा?

उन्होने कहा की बे – वजह दोषारोपण करने के बजाए अपने काम पर ध्यान दें दिल्ली के मुख्यमंत्री।

Earthquake of 5.3 magnitude hits J&K


 An earthquake of magnitude 5.3 struck Jammu & Kashmir at 08:13 pm today, as per ANI. No casualties were reported. The epicentre of the earthquake is not known as of now. Further details awaited


Srinagar:

An earthquake of magnitude 5.3 struck Jammu & Kashmir at 08:13 pm today, as per ANI. No casualties were reported. The epicentre of the earthquake is not known as of now.

Last week, a low-intensity quake hit Himachal Pradesh’s Kinnaur district. No loss of life or property was reported in the quake that hit on October 22, officials said. A 3-magnitude earthquake was recorded at 9:11 am, Shimla Meteorological Centre Director Manmohan Singh told

To build Ram Mandir, BJP should do what Indira Gandhi did!

Despite the Allahabad High Court giving its  verdict in 2010 that the Babri structure was built over the ruins of an existing temple ( believed to be  that of  Maryada Purushottam  Rama’s at the Janmasthan),   the Babri Masjid Action Committee  incited and supported  by the  “eminent” Marxist historians and “secular”  warriors of the  JNU, AMU etc,  the matter had been taken to the Supreme Court which seems to be  avoiding a verdict .  Even if Supreme Court gives a verdict in favour of  Rama Mandir the irredentist will take to some other  artifice to not allow the construction of  the temple.  However, the  temple can be  constructed if  the present government  takes a lesson from Indira Gandhi and  implements  her method.

When 14 banks were nationalised, they went to the Supreme Court which gave a judgement that nationalisation was  ultra-vires . Indira Gandhi got an ordinance signed by the President and took over the banks.  She then wanted to abolish the privy purses which required  an amendment to the Constitution. The amending bill was passed  in the  Lok Sabha but was defeated  by one  vote in Rajya Sabha.  Indira Gandhi  dissolved the  Lok Sabha and went for the  mid-term polls.  By her oratory espousing the cause of the  poor and socialism for which the abolition of the  privy purses and other  poor –oriented  measures were necessary, she got a thumping  majority  in the midterm elections in 1972.  She  amended the Constitution and  the  privy purses were  abolished.

If The BJP and the government  led by it are to be proved  sincere in their commitment to the  re-construction of the Rama temple on the  Janmasthan in Ayodhya, Indiraji’s way is the only recourse they should take to ie, issue an ordinance; if it is struck by the  Supreme Court, dissolve Lok Sabha, go for early election with Ram Mandir as the  prime issue; win it and let the  Mandir be constructed and  close this  matter ones for all.

Supreme Court adjourns Ayodhya dispute matter, 3-judge bench led by CJI Gogoi says date of hearing will be fixed in January


70 years, 2 minutes, indefinite date of January 2019

Why if one sees Congress Connection in SC

Sibal is obeyed today

When parties indicate urgency and an early hearing, CJI-led Bench clarifies that it cannot really say when hearing will begin.


A three-judge Bench of the Supreme Court, led by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, on Monday posted the Ayodhya title suit appeals in January before an appropriate Bench to fix a date for hearing the case.

When parties indicated urgency and an early hearing, the CJI-led Bench clarified that it cannot really say when hearing would begin. It left it to the discretion of the “appropriate Bench” before which the matter would come up on January.

“We have our own priorities… whether hearing would take place in January, March or April would be decided by an appropriate Bench,” the CJI said.

The CJI repeated that all the court was ordering was that the appeals would come up in January first week before a Bench “not for hearing but for fixing the date of hearing”.

On September 27, a three-judge Bench of the court led by then Chief Justice Dipak Misra, in a majority opinion, decided against referring the question ‘whether offering prayers in a mosque is an essential part of Islam’ to a seven-judge Constitution Bench.

With this, the court had signalled that it would decide the appeals like any other civil suit, based on evidence, and pay little heed to arguments about the “religious significance” of the Ayodhya issue and the communal strife it has led to over the past many years.

The Misra Bench’s judgment, authored by Justice Ashok Bhushan on the Bench, directed the hearing in the appeals to start from October 29. This last paragraph in the September 27 judgment led to questions whether the court would deliver a judgment in the appeals before the May 2019 general election.

These appeals are against the September 30, 2010 verdict of the Allahabad High Court to divide the disputed 2.77 acre area among the Sunni Waqf Board, the Nirmohi Akhara and Ram Lalla. The Bench had relied on Hindu faith, belief and folklore.

Lord Ram’s birthplace

The High Court concluded that Lord Ram, son of King Dashrath, was born within the 1,482.5 square yards of the disputed Ramjanmabhoomi-Babri Masjid premises over 900,000 years ago during the Treta Yuga. One of the judges said the “world knows” where Ram’s birthplace was while another said his finding was an “informed guess” based on “oral evidences of several Hindus and some Muslims” that the precise birthplace of Ram was under the central dome.

The final hearings in the Ayodhya appeals began before the Misra Bench, also comprising Justice S. Abdul Nazeer, on December 5 last.

The day happened to be the eve of the 25th anniversary of the demolition of the 15th century Babri Masjid by kar sevaks on December 6, 1992. The appeals were taken up after a delay of almost eight years. They remained shelved through the tenures of eight Chief Justices of India from 2010.

However, the Muslim appellants, a cross-section of Islamic bodies like the Sunni Wakf Board and individuals, had drawn the Bench’s attention to certain paragraphs in a 1994 five-judge Constitution Bench judgment in the Dr Ismail Faruqui case. One of these paragraphs stated that “a mosque is not an essential part of the practice of the religion of Islam and namaz [prayer] by Muslims can be offered anywhere, even in open”.

Mosque and Islam

“So is the mosque not an essential part of Islam? Muslims cannot go to the garden and pray,” their lawyer and senior advocate Rajeev Dhavan had asked the court. He asked the Bench to freeze the Ayodhya appeals’ hearing till this question is referred and decided by a seven-judge Bench.

In their majority view, Chief Justice (retired) Misra and Justice Bhushan refused to send the question to a seven-judge Bench. Their opinion said the observations were made in the context of the Faruqui case which was about public acquisition of places of religious worship. It should not be dragged into the Ayodhya appeals. The minority decision authored by Justice Nazeer dissented with the majority on the Bench, and said this observation about offering prayer in a mosque influenced the Allahabad High Court in 2010. He questioned the haste of the court.

During the maiden Supreme Court hearing of the Ayodhya appeals last year, senior advocate Kapil Sibal suggested to the court to post the Ayodhya hearings after July 15, 2019.

Along with Mr. Sibal, senior advocate Dushyant Dave and Mr. Dhavan argued that the Ayodhya dispute was not just another civil suit. The case covered religion and faith and dates back to the era of King Vikramaditya. It is probably the most important case in the history of India which would “decide the future of the polity”. The appeals would have the court decide “whether this is a country where a mosque can be destroyed”.

“These appeals go to the very heart of our secular and democratic fabric,” Mr. Dhavan had submitted.

Mr. Sibal had alleged the government was using the judiciary to realise its agenda for a Ram mandir assured in the ruling BJP’s 2014 election manifesto.

खेलों से जीवन स्वस्थ और अनुशासित हो जाता है: बी॰ एस॰ संधु

पंचकूला, 29 अक्टूबर:
हरियाणा पुलिस महानिदेशक, श्री बी0 एस0 संधू ने कहा कि युवाओं को अपने जीवन में कम से कम एक खेल अवश्य अपनाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल उन्हें स्वस्थ एवं अनुशासित नागरिक बनने में मदद मिलेगी बल्कि वे नशे जैसी बुराई के खतरे से भी दूर रह सकेंगे।
  श्री संधू आज पुलिस मुख्यालय में गांव बसोला, जिला पंचकूला की टीम के खिलाडिय़ों को 11,000 रुपये की नकद इनाम राशि से सम्मानित करने के बाद बोल रहे थे। बसोला की टीम गांव रतेवाली में आयोजित 9वीं कबड्डी चैंपियनशिप में प्रथम स्थान पर रही थी।
उल्लेखनीय है कि श्री संधू ने कल जिला पंचकूला के गांव रतेवाली में आयोजित 9वीं कबड्डी चैंपियनशिप के पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर प्रथम व रनर-अप रही टीमों को सम्मानित करने की घोषणा की थी।
  इस अवसर पर, श्री संधू ने टीम के सदस्यों को उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बधाई दी और कहा कि किसी भी खेल में भागीदरी करना आत्मविश्वास को बनाने के साथ-साथ व्यक्तित्व को भी विकसित करता है। उन्होंने आने वाली प्रतियोगिताओं में सफल प्रदर्शन के लिए सभी खिलाडियों को शुभकामनाएं भी दीं।

30 ओक्टूबर लिटीजेंट हॉल में दिव्याङ्ग बच्चों के लिए वर्कशाप का आयोजन

पंचकूला 29 अक्तूबर:
जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण की ओर से 30 अक्तूबर को दोपहर बाद 2.00 बजे प्राधिकरण के लिटीजेंट हॉल में चमकते सितारे दिव्यांग बच्चों के लिए एक वर्कशॉप लगाई जाएगी, जिसमें आंगनवॉडी वर्कर के साथ साथ 15 से 44 साल की महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
यह जानकारी विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सचिव एवं मुख्य दंडाधिकारी विवेक गोयल ने आज यहां दी। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण द्वारा अगामी 14 नवंबर को बाल दिवस के उपलक्ष्य में राजकीय सीनियर सकेंडरी स्कूल मोरनी, राजकीय सीनियर सकेंडरी स्कूल रायपुररानी, न्यू स्टेंड्रड हाई स्कूल बरवाला, राजकीय उच्च विद्यालय सेक्टर-17 तथा राजकीय उच्च विद्यालय बीड़ घग्गर में कानूनी साक्षरता शिविर आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि उक्त स्कूलों में पैनल एडवोकेट व पैरा लिगल वॉलेंटियर की ड्यूटी लगाई गई है ताकि कानूनी साक्षरता शिविर को सफल बनाया जा सके।

पटाखों के स्टाल का ड्रा निकाला गया 35 स्टाल आबंटित

फोटो: कमल कलसी

कमल कलसी, पंचकूला 29 अक्तूबर:
जिला सचिवालय के सभागार में दीपावली के पर्व पर पटाखों की बिक्री करने के लिए लाईसेंस जारी करने हेतू उपायुक्त मुकुल कुमार की अध्यक्षता में ड्रा निकाला गया, जिसमें बरवाला, रायपुररानी, कालका, पिंजोर, पंचकूला तथा रामगढ़ में 35 स्टाल लगाने की अनुमति प्रदान की गई।
उपायुक्त मुकुल कुमार ने बताया कि पटाखों की बिक्री के लिए पंचकूला में 13 स्टाल, पिंजोर में 5, कालका में 10, रायपुररानी में 3 तथा रामगढ़ व बरवाला में 2-2 स्टाल लगाने के लिए 26 अक्तूबर तक लाईसेंस जारी करने हेतू आवेदन मांगे गए थे, जिनमें जिला के 259 व्यक्यितों ने आवेदन किया। उन्होंने बताया कि पिंजोर में 19, कालका में 100, पंचकूला में 118, रायपुर रानी में 7, रामगढ में 4 व्यक्तियों ने पटाखों की बिक्री के लिए लाईसेंस हेतू आवेदन किया जबकि बरवाला में दो ही व्यक्तियों ने आवेदन किया। उन्होंने बताया कि बरवाला में दोनों आवेदनकर्ताओं को लाईसेंस जारी किए गए तथा शेष स्थानों के लिए ड्रा निकाला गया।
श्रीकुमार  ने बताया कि पंचकूला में हैफेड ग्राउंण्ड सैक्टर 5, रामगढ में दशहरा ग्राउण्ड सैक्टर 27 व 28, बरवाला में राजकीय महाविद्यालय ग्राउण्ड मेें स्टालें लगाने के लिए स्थान निर्धारित किए गए है। इसी प्रकार रायपुरारानी में नेता जी स्टेडियम ग्राउण्ड, कालका में राजकीय महाविद्यालय स्टेडियम तथा पिंजोर में नालागढ रोड़ पर स्थित सब्जी मण्डी में पटाखों की बिक्री के लिए स्थान बनाए गए है। उन्होंने बताया कि पटाखों की बिक्री के लिए निर्धारित नॉर्म अपनाने होगें तथा पटाखों की बिक्री 5 से 7 नवंबर तक ही की जा सकेगी।
ड्रा के समय नगराधीश ममता शर्मा, एसडीएम पंचकूला पंकज सेतिया, कालका की एसडीएम रिचा राठी, एओ रविन्द्र यादव, ईटीओ प्रीति चौधरी, अधीक्षक अनिता, बलबीर सिंह, रमन, सज्जन, कर्मचारी एवं अधिकारियों सहित आवेदनकर्ता भी मौजूद रहे।