उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के छोटे पुत्र अभिजीत उर्फ विवेक की संदिग्ध हालत में मौत


पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह कुदरती मौत नहीं लग रही थी.

मृत्यु का कारण पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही पता चला की यह हत्या गला दबा कर की गयी थी


उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव के छोटे पुत्र अभिजीत उर्फ विवेक की संदिग्ध हालत में मौत हो गई. विवेक उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए गए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक विधान परिषद सभापति के बेटे अभिजीत यादव (22) का शव लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र स्थित दारुल शफा में यादव के सरकारी आवास में मिला.

दारुल शफा के डी ब्लॉक स्थित रुम नंबर 28 में विवेक का शव पाया गया. विवेक की मृत्यु की खबर उनके परिजनों ने दी थी. परिवार ने बताया कि विवेक रात ग्यारह बजे के करीब घर आया था और मां को सीने में दर्द की शिकायत की. इसके बाद मां ने उसके सीने पर मालिश की और सुला दिया. अगले दिन सुबह जब वो बहुत देर तक नहीं उठा तो मां उसे जगाने गई. वहां उन्होंने देखा कि विवेक के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही. फिर उन्होंने भाई को बुलाया.

पुलिस को मौत कुदरती नहीं लग रही:

उन्होंने विवेक की जांच करने के बाद बताया कि वो मर चुका है. फिर पुलिस को सूचना दी गई. हालांकि पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि यह कुदरती मौत नहीं लग रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि अभिजीत की मौत गला दबाने से हुई है. पुलिस को शव के गले पर निशान नजर आ रहे थे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर दुख जाहिर करते हुए मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की है.

कुलगाम जिले के लारो इलाके में रविवार सुबह से ही आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़, 3 आतंकी ढेर


सुरक्षाबलों को यहां कुछ आतंकियों के छुप होने की खबर मिली थी. ऐस में जब सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया तो वहां छुपे आतंकियों ने उनपर हमला बोल दिया


रविवार को सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई मुठभेड़ के बाद हुए एक रहस्यमयी विस्फोट में छह नागरिक और तीन आतंकवादी मारे गए और 40 अन्य घायल हो गए. दक्षिण कश्मीर जिले के कुलगाम जिले में दोनों घटनाएं हुईं. आईजीपी कश्मीर एस पी पानी ने बताया कि मुठभेड़ के बाद हुए विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई है.

उन्होंने बताया, ‘लोग मुठभेड़ की जगह पर जा रहे थे तभी रहस्यमयी तरीके से वहां एक बम विस्फोट हुआ. इसी विस्फोट से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ.’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘लोगों ने पुलिस की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया. हमने बार-बार उनसे कहा है कि मुठभेड़ की जगह के आस-पास इकट्ठा न हों.’

4 घायलों को श्रीनगर रेफर किया गया:

इसके पहले पुलिस ने तीन आतंकियों और सेना के बीच चल रहे मुठभेड़ का विरोध करने वाले युवाओं पर पुलिस ने आंसू के गोले और छर्रों चलाए. कुलगाम के लारो गांव में छः घंटे चली इस मुठभेड़ में सभी तीन आतंकवादी मारे गए थे. एक अधिकारी ने कहा कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया जिसमें से चार को श्रीनगर शिफ्ट कर दिया गया. अनंतनाग अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक डॉ अब्दुल मजीद मेहराब ने बताया कि 11 घायल व्यक्ति यहां लाए गए थे. उनमें से तीन को विशेष उपचार के लिए श्रीनगर शिफ्ट कर दिया गया.

मृत नागरिकों की पहचान लारो के मोहम्मद मकबूल लॉय के पुत्र उबैद लॉय, उजैर अहमद, मंसूर अहमद और तालिब मकबूल. डेनू बोगुंड के ताजमुल अहमद और शूरत के इरशाद अहमद के रूप में की गई है. एक किशोर लड़के की अभी तक पहचाना नहीं हो पाई है. तालिब, ताजमूल और इरशाद की मौत मुठभेड़ की जगह पर हुए विस्फोट में हुई. जबकि दो अन्य- उजैर और मंसूर की मौत एसएमएचएस अस्पताल में हुई.

सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती पर पीएम मोदी ने लाल किले से झंडा फहराया

फोटो: साभार ANI


सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती पर पीएम मोदी ने लाल किले से झंडा फहराया


सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली ‘आजाद हिंद सरकार’ की 75वीं जयंती पर पीएम मोदी ने लाल किले से झंडा फहराया. ये मौका इसलिए भी खास है क्योंकि अब तक देश के प्रधानमंत्रियों द्वारा केवल 15 अगस्त को ही लाल किले पर झंडारोहण किया जाता रहा है. कार्यक्रम में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. इस मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के लोग भी शामिल हुए थे. कार्यक्रम की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक का भी उद्घाटन किया. गौरतलब है कि आजाद हिंद सरकार का गठन 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में किया गया था. आइए जानते हैं इस कार्यक्रम की 10 बड़ी बातें-

– पीएम मोदी ने कहा, मैं मानता हूं कि कानूनी वजहों से कुछ वर्ष काम रुका लेकिन पहले की सरकार की इच्छा होती, उसने दिल से प्रयास किया होता, तो ये मेमोरियल कई वर्ष पहले ही बन गया होता. लेकिन पहले की सरकार ने आडवाणी जी द्वारा स्थापित पत्थर पर धूल जमने दी. 2014 में जब फिर NDA की सरकार बनी तो हमने बजट आवंटन किया और आज ये भव्य स्मारक देश को समर्पित की जा रही है. ये हमारी सरकार के काम करने का तरीका है. आज समय पर लक्ष्यों को प्राप्त करने की कार्यसंस्कृति विकसित की गई है.

– पीएम ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पुरानी सरकारों ने बलिदान देने वाले सैनिकों के प्रति बेरुखी दिखाई है. पीएम ने कहा कि जिन जवानों ने आपदा प्रबंधन में लोगों की जान बचाई है, उन्हें हर साल 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर सम्मान दिया जाएगा.

– प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, देश के नक्सल प्रभावित जिलों में जो जवान अभी ड्यूटी पर तैनात हैं, उनसे भी मैं यही कहूंगा कि आप बेहतरीन काम कर रहे हैं और शांति स्थापना की दिशा में आप तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. नॉर्थ ईस्ट में डटे हमारे साथियों का शौर्य और बलिदान भी अब शांति के रूप में दिखने लगा है. शांति और समृद्धि का प्रतीक बन रहे हमारे उत्तर-पूर्व के विकास में आपका भी योगदान है

– पीएम ने कहा, आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया. मैं नतमस्तक हूं उन सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया. आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं. इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था.

– पीएम मोदी ने कहा, नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी. यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था. भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है. इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं. एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी.

– प्रधानमंत्री ने कहा,  कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था कि – हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है. इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है. आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती.

– पीएम ने कहा, ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया. देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी. आजादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है

– पीएम मोदी ने कहा, आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था. जोश, जुनून औरजज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है.

– पीएम ने बताया, हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी. हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा.

– पीएम ने कहा, चुनौती देने वालों को दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा. अब हालात को हम बदल रहे हैं. हमें दूसरों की जमीन की चाहत नहीं है. महिलाओं को बराबरी देने की नींव नेताजी ने ही रखी थी. स्वदेशी चश्मे से भारत को देखते तो हालात कुछ और होते. लाखों बलिदान देने के बाद स्वराज की प्राप्ति हुई थी. ये हमारी जिम्मेदारी है कि स्वराज को सूरज की तरह संभाल कर रखें

CBI names its No.2 Rakesh Asthana in bribery case


Rakesh Asthana is accused of accepting a bribe of ₹ 2 crore in a case that also involves businessman Moin Qureshi


The Central Bureau of Investigation has named its second-in-command Rakesh Asthana as an accused in a bribery case along with another agency official and two private persons.

Those named as accused in the FIR (13A/2018) are Mr. Asthana, CBI Deputy Superintendent of Police Devender Kumar, Dubai-based investment banker Manoj Prasad and his brother Somesh Prashad. More than ₹3 crore in bribes were paid by the complainant for getting relief in a case against meat exporter Moin Qureshi and others, the agency said.

Searches conducted

The CBI arrested Manoj in the evening of October 16. Searches were also conducted on the Investigating Officer’s premises on Saturday. Earlier, despite repeated questions from the media, the agency had not confirmed the developments.

The case has been registered on the complaint from Satish Sana Babu, a businessman from Hyderabad, who had first been summoned by Devender Kumar, Moin Qureshi case Investigating Officer, in October 2017. The CBI has got his statements recorded before a magistrate under Section 164 of the Criminal Procedure Code twice, on October 4 and 20.

The agency alleges that bribes were taken in five instalments in December 2017 and October 2018 to give a clean chit to the Hyderabad businessman.

As alleged, ₹1 crore was paid on December 10 and ₹1.95 crore on December 13 last; ₹25 lakh on October 10; and      55, 000 dirhams on October 14. The agency has claimed that the complainant’s statement before the magistrate “corroborates” the allegations to the minutest details. “Then, there are WhatsApp conversations and mobile phone location records that confirm the movement of the accused persons. Accused Somesh handled Mr. Asthana’s investments in Dubai and London,” a CBI official said on Sunday.

The CBI said the amended provision of the Prevention of Corruption Act, which mandates prior approval for initiating a probe against senior government functionaries, would not apply in the case of Mr. Asthana.

According to the FIR, the businessman was summoned in the Moin Qureshi case several times for questioning on a ₹50 lakh transaction in 2011. During a trip to Dubai, he met Manoj who allegedly got him in touch with his brother for getting relief from CBI summonses.

The FIR alleges that Somesh, after talking to a CBI official on the phone, demanded ₹3 crore as the initial amount and ₹2 crore after the filing of the charge sheet in the case. Subsequently, the businessman allegedly paid about ₹3 crore through middlemen.

However, on September 25 this year — when he along with his family was to board a flight from Hyderabad to Paris — he was stopped at the airport as a look-out circular had been issued against him. On an inquiry with the case investigating officer, he was told to pay up the rest of the amount, as alleged.

Turf war

The latest move by the CBI is yet another indication of the escalating turf war between the top brass in the top agency: CBI Director Alok Verma and Mr. Asthana.

Even as the news of the new complaint emerged, the CBI sent a team of officials to interrogate some businessmen in Vadodara with regard to expenses made by Mr. Asthana in lavish wedding of his daughter. CBI officials have interrogated around a dozen persons about the wedding reception held in sprawling Laxmi Vilas Palace owned by the Baroda’s erstwhile royal family Gaekwads. “Two officers came and asked me about bookings in our hotel and catering for the reception,” Piyush Shah, a prominent hotelier in Vadodara.

Before the present complaint was filed, Mr. Asthana filed a complaint against the CBI Director before the Central Vigilance Commission (CVC), accusing him of interfering in a corruption case involving family members of RJD leader Lalu Prasad. Subsequently, in a statement, the agency denied Mr. Asthana’s charges against the Director and said the Special Director himself was under probe in half-a-dozen cases and was trying to intimidate officials probing his role. The CBI Director is learnt to have written to the CVC on October 18 and 19 about the FIR registered against Mr. Asthana.

In August this year, Mr. Asthana wrote to the Cabinet Secretary “bringing to his notice certain corrupt practices within the CBI.”

This is not for the first time Mr. Asthana is facing bribery allegations. Earlier, his name had surfaced in the Sandesara brothers’ case. The Vadodara-based businessmen Sandesara brothers are now abroad, evading probe and arrests by the CBI and the Enforcement Directorate for allegedly defrauding banks of ₹5,200 crore. The CBI is investigating its two former chiefs A.P. Singh and Ranjit Sinha in other cases.

बीजेपी इतिहास फिर से लिखने, नेताजी की धरोहर हथियाने को व्याकुल: सिंघवी


सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही बहादुर देशभक्त और धर्मनिरपेक्षतावादी बोस के आदर्शों को संरक्षित रखने और उन्हें प्रसारित करने की कोशिश की है


कांग्रेस ने बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धरोहर हथियाने के लिए ‘षडयंत्रपूर्ण प्रयास’ करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि भगवा पार्टी इतिहास फिर से लिखने के लिए व्याकुल है.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) ने राष्ट्र नायकों को अपमानित करने के नरेंद्र मोदी सरकार के नापाक मंसूबों को खारिज दिया है.

उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल सांप्रदायिकता एवं धर्मांधता के दर्शन के पूरी तरह से खिलाफ थे, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैचारिक संस्थाओं-आरएसएस और हिंदू महासभा- द्वारा इसका समर्थन किया गया. वहीं, विनायक दामोदर सावरकर ने देशवासियों से ब्रिटिश इंडियन आर्मी में शामिल होने की पुरजोर अपील की थी. सावरकर को आरएसएस बहुत सम्मान की नजरों से देखता है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नेहरू – गांधी परिवार पर परोक्ष हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सिर्फ ‘एक परिवार’ का महिमामंडन करने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल, भीमराव आंबेडकर और बोस जैसे कई नेताओं के योगदान को जानबूझ कर भुला दिया गया. प्रधानमंत्री ने आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर यह कहा.

वहीं, सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही बहादुर देशभक्त और धर्मनिरपेक्षतावादी बोस के आदर्शों को संरक्षित रखने और उन्हें प्रसारित करने की कोशिश की है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों की अपनी कोई विचारधारा और आदर्श नहीं हैं और जिनका राष्ट्रीय आंदोलन में कुछ भी योगदान नहीं रहा है, वे खुद को राष्ट्रवादी के तौर पर पेश करने का प्रयास करते हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की धरोहर हथियाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज, प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही करने की हताशापूर्ण कोशिश की.

सिंघवी ने कहा, ‘व्याकुल बीजेपी इतिहास फिर से लिखने की कोशिश कर रही है और सरदार पटेल एवं जवाहरलाल नेहरू के बीच तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं नेहरू के बीच एक काल्पनिक प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है. इसने शुभ अवसरों का इस्तेमाल इन ओछे राजनीतिक हथकंडों के लिए किया है.’

उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि पटेल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे अपने पत्र में कहा था कि हिंदू महासभा की गतिविधियां सरकार के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट खतरा है और प्रतिबंध के बावजूद गतिविधियां खत्म नहीं हुई हैं.

उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि नेहरू आजाद हिंद फौज के सेनानियों पर चले मुकदमे के दौरान बोस के वकीलों में शामिल थे.

सिंघवी ने पूछा, ‘क्या आरएसएस से किसी व्यक्ति ने नेताजी का समर्थन किया था? बीजेपी और प्रधानमंत्री हर राष्ट्रीय धरोहर को हथियाने की हताशापूर्ण कर रहे हैं.’

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि आरएसएस और बीजेपी देश को आजाद कराने की बोस की सैन्य कोशिशों को लेकर उनकी सराहना कर रही है, जबकि उनके वैचारिक पूर्वजों ने इसके ठीक उलट कार्य किया था.

उन्होंने कहा कि जब नेताजी जापान में आजाद हिंद फौज को तैयार कर कर रहे थे और गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन का आह्ववान किया था, उस वक्त आरएसएस अंग्रेजों से घनिष्ठ संबंध बना रहा था.

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्विटर पर कहा कि यदि आप इतिहास को हथियाना चाहेंगे, तो राष्ट्र को यह याद दिलाना पड़ेगा कि नेताजी ने सैन्य अभियान के जरिए अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाने की अलख जगाई थी. जबकि वीर सावरकर जैसे लोगों ने अंग्रेजों के पिट्ठू के तौर पर काम किया था. सांप्रदायिक बीजेपी विभाजन का यही खेल आज खेल रही है.

Sack Navjot Sidhu, arrest Mrs Sidhu, order judicial inquiry, demands SAD core committee


Gives ultimatum to govt to give justice to poor victims or face agitation


Chandigarh, October 21, 2018 – The Shiromani Akali Dal (SAD) core committee today demanded the immediate sack of Local Bodies minister Navjot Singh Sidhu and registration of a murder case against Mrs Navjot Kaur Sidhu as well as organizers of Dussehra function who were responsible for abetting the Amritsar tragedy.

The core committee, which met here under the chairmanship of former chief minister S Parkash Singh Badal and was attended by SAD president Sukhbir Singh Badal and other senior leaders, rejected the magisterial inquiry ordered by the Congress government and demanded a judicial inquiry by a sitting judge of the Punjab and Haryana high court.

Terming the man-made disaster as unparalleled on account of the criminal negligence and sheer abetment by the function organizers, the core committee condemned the cover up operation launched by chief minister Capt Amarinder Singh and demanded registration of a fresh case in the matter as per the statement of the victim families.

The core committee said  like it was doing to every other section of society, the Congress government was now muzzling the voice of the poor by instituting a tailor made inquiry with the sole aim of giving a clean chit to the culprits and putting the blame squarely on the Indian Railways. It said this was being done despite the fact that the victim families were ready to present irrefutable evidence against a Congress councilor as well as Mrs Navjot Kaur Sidhu for abetting the tragedy. It also noted that evidence against the councilor and Mrs Sidhu was present in the public domain and that this should be taken into account while proceeding against both of them. It said keeping all these facts into account there was no possibility of a free and fair inquiry by a magistrate who was reporting to cabinet minister Navjot Sidhu and his family. It also condemned the casual attitude of Navjot Sidhu.

The core committee said it was condemnable that the State was refusing to take action against the Congress leaders despite worldwide condemnation and a demand that the guilty be prosecuted however high and mighty they may be. It noted that even heads of State including those from Russia, Canada and Pakistan, had expressed shock at the tragedy. It said the entire world was watching and in case the government continued to fail to give justice in the case it would invite international condemnation on itself as well as the country.

The committee also passed a resolution calling for Rs one crore compensation to each of the victim families as well as grant of government job to the next of kin of the victims. It said a separate government programme should be initiated to adopt the children of the victims.

The meeting also served an ultimatum to the government to register a fresh case as per the statement of the victims and institute a judicial inquiry besides giving compensation as demanded failing which it would initiate an agitation to ensure justice to the tragedy victims.

Senior leaders who attended the meeting included SGPC president Gobind Singh Longowal besides senior leaders Jathedar Tota Singh, S.Balwinder Singh Bhundar,S Charanjit Singh Atwal, S.Nirmal Singh Kahlon, Prof Prem Singh Chandumajra, S Maheshinder Singh Grewal,  S. Janmeja Singh Sekhon, Bibi Upinderjit Kaur, S. Sikander Singh Maluka, S Sharanjit Singh Dhillon, Bibi Jagir Kaur, , S. Gulzar Singh Ranike, S. Hira Singh Zira, S. Bikram Singh Majithia, S. Surjit Singh Rakhra, Dr Daljit Singh Cheema, S. Baldev Singh Mann & S. Virsa Singh Valtoha

सलमान खुर्शीद बोले- कांग्रेस को रोकने की कीमत पर नहीं होना चाहिए विपक्ष का महागठबंधन

सलमान खुर्शीद बोले- कांग्रेस को रोकने की कीमत पर नहीं होना चाहिए विपक्ष का महागठबंधन


खुर्शीद ने कहा कि 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए सहयोगियों को त्याग करने और तालमेल बिठाने के लिए तैयार रहना चाहिए


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का मानना है कि मौजूदा हालात में पार्टी का अकेले दम पर सत्ता में आना मुश्किल है, लेकिन ‘कांग्रेस को रोकने की कीमत पर’ विपक्षी महागठबंधन नहीं बनना चाहिए.

खुर्शीद ने कहा कि 2019 के आम चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए सहयोगियों को त्याग करने और तालमेल बिठाने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमारे सभी नेताओं ने साफ कर दिया है कि देश की सरकार को बदलने के लिए गठबंधन की जरूरत है. बीजेपी को जाना होगा. गठबंधन को मूर्त रूप देने के लिए चाहे जिस त्याग, तालमेल और बातचीत की जरूरत हो, कांग्रेस वह करने के लिए तैयार है.’

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘लेकिन अच्छा यहीं रहेगा कि अन्य (विपक्षी) पार्टियों का भी रुख ऐसा ही हो. गठबंधन कांग्रेस को रोकने के लिए नहीं होना चाहिए, गठबंधन बीजेपी को हटाने के लिए होना चाहिए और हम किसी भी चीज के लिए तैयार हैं.’

यह पूछे जाने पर कि क्या अकेले के दम पर कांग्रेस का सत्ता में आना संभव है, इस पर खुर्शीद ने कहा, ‘निश्चित तौर पर आज यह मुश्किल है.’ उन्होंने कहा, ‘यदि यह (अकेले दम पर बहुमत पाना) उद्देश्य है तो हमें पांच साल काम करना होगा. क्योंकि आप तीन साल तक गठबंधन की दिशा में काम करके अचानक यह नहीं कह सकते कि हम (अपने दम पर) जीतने के लिए चुनाव लड़ेंगे. आपको पांच साल लड़ना होगा. आज हम गठबंधन के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे कि गठबंधन सफल हो.’

खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस एकमात्र पार्टी है जिसे पूरे देश से सीटें मिलती हैं और अन्य सभी (विपक्षी) पार्टियों को अपने-अपने राज्यों से सीटें मिलती हैं. पूर्व विदेश मंत्री ने यह बयान ऐसे समय में दिया है जब विपक्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए महागठबंधन बनाने की कोशिशों में जुटा है. बीएसपी प्रमुख मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया, जिससे महागठबंधन बनने की उम्मीदों को झटका लगा है.

समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने का फैसला किया है. खुर्शीद ने कहा कि महागठबंधन का मकसद मोदी सरकार को मात देना है. उन्होंने कहा, ‘यदि महागठबंधन में शामिल होने वाले दल इस मकसद को भूलेंगे तो निश्चित तौर पर यह नहीं बन पाएगा और यह हर पार्टी एवं देश का नुकसान होगा.’ खुर्शीद ने उम्मीद जताई कि मायावती की बीएसपी महागठबंधन में लौट आएगी. उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों के मुद्दे लोकसभा चुनावों से अलग होते हैं.

 मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, परिवहन विभाग के एसीएस धनपत सिंह और रोडवेज यूनियन के नेताओं के बीच हुई बहस

चंडीगढ़:

हरियाणा रोडवेज की तालमेल कमेटी और सरकार के बीच बातचीत सीढ़ी चढ़ते हुए नहीं दिखाई दे रही है .तीसरे दौर की बातचीत एक बार फिर ब्रेक के लिए स्थगित हो गई है । बातचीत के दौरान जमकर दोनों तरफ से बहस जा रही है. सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव आरके खुल्लर जहां बस चलाने को लेकर दबाव बना रहे हैं. वही यूनियन कि तालमेल कमेटी किलोमीटर आधारित बसों के टेंडर रद्द करने और उसकी फिर से जांच करने की मांग कर रही है. तालमेल कमेटी का दावा है कि 510 बसों को अब तक जो टेंडर दिए गए हैं उसमें भ्रष्टाचार हुआ है. इसकी जांच करवाई जाए साथ ही रोडवेज के बेड़े में नयी बस शामिल करवाई जाएं ताकि जनता को सुविधाएं मिल सके. क्योंकि प्राइवेट बसों के ऑपरेटर रोडवेज की तरह लोगों को फ्री में कुछ सुविधाएं नहीं देंगे . जिससे जनता को परेशानी होगी. रोडवेज उन्होंने कहा कि उनके पास कई गांव से प्रस्ताव भी आए हैं जिसमें उन्होंने सरकारी बसों की मांग की है. यूनियन का यह भी कहना है कि प्राइवेट बसों के शुरू करने से रोजगार में कमी आएगी एक प्राइवेट बस के शुरू करने से करीब 6 लोगों के रोजगार खत्म हो जाएंगे. इसलिए सरकार जनहित को देखते हुए प्राइवेट बसें ना चलाएं ।

बातचीत के दौरान रोडवेज यूनियन के सदस्यों का कहना है कि सरकार निजी बसों को चलाने के लिए उन पर शोषण कर रही है. उन्हें बार-बार धमकाया जा रहे हैं गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाता है और रोडवेज की हड़ताल के कारण जो नुकसान हो रहा है वह सरकार की जिम्मेवारी है .बातचीत के दौरान ट्रांसपोर्ट विभाग के एसीएस धनपत सिंह ने कहा कि रोडवेज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है .कर्मचारियों को हर महीने 130 करोड रुपए का ओवरटाइम दिया जाता है जो प्रति व्यक्ति करीबन ₹65000 बैठता है . इसके बाद रोडवेज यूनियन के कर्मचारी बिखर गए उनका कहना था कि कर्मचारी जान हथेली पर रखकर 13 घंटे ड्यूटी करते हैं .वह अपनी मेहनत का पैसा मांग रहे हैं ना कि काम चोरी का .यदि अधिकारी अपना ओवरटाइम ना लें तो वह साथ ही रोडवेज के कर्मचारियों का कहना था कि यदि सरकार को उनके ओवरटाइम से ज्यादा ही दिक्कत है तो नए कर्मचारी भर्ती कर कर ले और ओवरटाइम ना दें ।

अमृतसर ट्रेन त्रासदी: भीड़ प्रबंधन की नाकामी, सरकारी उदासीनता और संवेदनहीनता बनी दशहरा हादसे की वजह

दशहरे के दिन अमृतसर में रावण दहन देख रहे सैकड़ों लोगों की भीड़ को ट्रेन ने कुचल दिया. इस हादसे में 61 लोगों की मौत हो गई


हादसे से पहले अधिकारियों के एक दल ने आयोजन स्थल का मुआयना किया था लेकिन उन्होंने बस यही देखा-परखा कि मंच पर वीआईपी के बैठने का इंतजाम कैसा है. उनका इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं गया कि लोग धोबी घाट की चारदीवारी के बाहर भी जमा होंगे और रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रामलीला देखेंगे


अमृतसर के जोड़ा फाटक से गुजरते हुए उचटती सी नजर भी दौड़ाएं तो जाहिर हो जाता है कि शुक्रवार के रोज दशहरे के जश्न के दौरान 59 लोगों की मौत किसी अचानक हुए हादसे का नतीजा नहीं थी. आपको जान पड़ेगा कि पवित्र शहर के इस इलाके में उत्सवों के आयोजन को लेकर दशकों से उपेक्षा बर्ताव जारी है, इंतजाम में गड़बड़ी चलती आई है और 59 लोगों की मौत इसी बदइंतजामी का नतीजा है.

अधिकारियों ने जुटने वाली भीड़ की परवाह न करते हुए आयोजन करने की इजाजत दे दी

इस साल भी यहां रामलीला का मंचन किसी खुले मैदान में नहीं बल्कि एक बेतरतीब धोबी घाट की चारदीवारी के भीतर हुआ था. बीते 14 वर्षों से ऐसा ही होता आ रहा है. धोबी घाट में चारों तरफ पत्थर की पट्टियां और पानी के गड्ढे हैं. इन्हीं के बीच घास से भरा एक मैदान भी है जिसमें मुश्किल से 2000 लोग समा सकते हैं. इसके बावजूद इस साल के रामलीला के आयोजकों को स्थानीय अधिकारियों ने 20 हजार की तादाद में आ जुटी भीड़ के लिए आयोजन करने की अनुमति दे दी.

पूरे शहर में कम से कम 10 जगहों पर रामलीला का आयोजन था. लेकिन धोबी घाट परिसर में आयोजित होने वाली रामलीला की तरफ लोगों का ध्यान खींचने के लिए आयोजकों ने खूब बढ़-चढ़कर कोशिश की थी. आसपास के इलाके में रंग-बिरंगे, चमकीले पोस्टर लगाकर बताया गया था कि रामलीला का मंचन ठीक-ठीक किस जगह किया जा रहा है और आयोजन के दौरान कौन-कौन से खेल-तमाशे दिखाए जाने हैं. यह पोस्टर अब शुक्रवार को हुए हादसे के गवाह के तौर पर टंगे नजर आ रहे हैं. यह बताते हुए कि रामलीला देखने के लिए आए लोगों के साथ जो कुछ हुआ वो किसी भयानक दु:स्वप्न (बुरा सपने) से कम नहीं था.

जोड़ा फाटक के नजदीक बने घाट के चारों तरफ पक्की दीवार है. चारदीवारी के पूरब में एक ओर बड़ा सा प्रवेश द्वार है. इस प्रवेश द्वार के ठीक सामने भीड़-भाड़ वाली गोल्डेन एवेन्यू स्ट्रीट है. एक मुहाना चारदीवारी के दक्षिण की ओर भी बना है लेकिन यह मुश्किल से 3 फीट चौड़ा, इसलिए इस ओर से गाड़ियों का आना-जाना नहीं हो पाता. घाट के दक्षिण की ओर परिधि की 5 फीट ऊंची दीवार से परे घास से भरी एक मैदानी पट्टी है. इस मैदानी पट्टी से होकर पत्थर की पट्टियों के ऊपर रखकर बनाई गई 3 ट्रैक वाली रेलवे लाइन गुजरती है. हादसे की गवाह बनी इस रेल लाइन से सटी एक बड़ी रिहाइशी बस्ती है. झुग्गी-झोपड़ियों से भरी इस बस्ती में अमृतसर के कामगार तबके के लोग और बिहार-यूपी के कुछ सर्वाधिक गरीब जिलों से आए अप्रवासी मजदूर रहते हैं.

स्थानीय पार्षद इस आयोजन का कर्ता-धर्ता था लेकिन हादसे के बाद वो फरार हो गया 

यह ही अप्रवासी मजदूर रामलीला के इश्तहार के तौर पर लगाए गए रंग-बिरंगे, चमकीले पोस्टर की तरफ आकर्षित हुए थे. रामलीला में स्थानीय कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू को भी आना था. मिट्ठू मदान (स्थानीय पार्षद) इस आयोजन का कर्ता-धर्ता था लेकिन जैसे ही हादसा पेश आया वो मौके से फरार हो गया और अभी तक वार्ड नंबर 29 में बने अपने घर वापस नहीं लौटा है. जबकि हादसे के शिकार हुए लोगों के शोक-संतप्त परिजन इस घर का शनिवार से ही घेराव कर रहे हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हादसे को लेकर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. जांच में पता किया जाएगा कि आखिर रामलीला देखने आए लोग ट्रेन की चपेट में कैसे आए. स्थानीय लोग एक स्वर से आरोप लगा रहे हैं कि हादसे की दोषी नवजोत कौर सिद्धू हैं. इलाके के स्थानीय कार व्यवसायी हेमंत राज का कहना है कि ‘सिद्धू रावण दहन के लिए तकरीबन डेढ़ घंटे की देरी से पहुंची थीं. पुतला दहन गोधूलि वेला में होना चाहिए यानी लगभग 6 बजे शाम को लेकिन सिद्धू आयोजन स्थल पर 7 बजे के बाद पहुंची. उस वक्त तक अंधेरा छा चुका था और यह देख पाना मुश्किल था कि हमारी तरफ कोई ट्रेन आ रही है या नहीं.’ हेमंत राज शुक्रवार को हुए हादसे में मौजूद थे और उन्होंने घायलों को अस्पताल पहुंचाने में मदद की.

हादसे के शिकार ज्यादातर लोग यूपी और बिहार के रहने वाले हैं जो यहां कामकाज के सिलसिले में आए थे

हर साल (2017 को छोड़कर, इस वर्ष स्थानीय नेता की मृत्यु के कारण रामलीला का आयोजन नहीं हुआ था) धोबी घाट पर दशहरा के उत्सव में हजारों लोगों की भीड़ जुटती है. अपना ठेला संभाले दुकानदार बिहार-यूपी की मिठाइयां बेचते हैं. उन्हें पता होता है कि दशहरे के मौके पर ग्राहकों की तादाद अच्छी-खासी रहने वाली है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस साल आयोजकों की ओर से कम से कम एक (शायद दो) बड़ी एलईडी टीवी स्क्रीन लगाया था. टीवी स्क्रीन को कई मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया था और एक टीवी स्क्रीन रेलवे ट्रैक की तरफ मुड़ा हुआ था.

रामलीला आयोजक जानते थे कि धोबी घाट की क्षमता से ज्यादा भीड़ जुटेगी 

यह काम आयोजकों की तरफ से हुआ था. वो जानते थे कि धोबी घाट की क्षमता से ज्यादा भीड़ जुटेगी. मान लिया गया कि लोग रेलवे ट्रैक पर बैठकर या फिर खड़े होकर एलईडी स्क्रीन पर चल रहे जश्न को देखेंगे. रेलवे ट्रैक कुछ ऊंचाई पर बना हुआ है सो वहां खड़े होकर यह भी नजर आ जाता है कि धोबी घाट के भीतर क्या हो रहा है. तांबे-पीतल के काम के सहारे जीविका चलाने वाले रमेश कुमार हादसे में गंभीर रुप से घायल होकर अब अमृतसर के सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं. इलाज करवा रहे रमेश कुमार ने बताया कि शुक्रवार शाम 6 बजे ‘रेलवे ट्रैक पर मानो सारा संसार ही आ जुटा था. लोग एलईडी स्क्रीन पर चल रहे पंजाबी गानों को देख रहे थे.’ एलईडी स्क्रीन को देखने के लिए रेलवे ट्रैक पर खड़े होने के अतिरिक्त कोई और विकल्प नहीं था और इसी कारण लोग ट्रैक पर जमा थे.

हादसे से पहले जिले के अधिकारियों के एक दल ने आयोजन स्थल का मुआयना किया था लेकिन मुआयने में इन अधिकारियों ने बस यही देखा-परखा कि मंच पर वीआईपी अतिथियों के बैठने का इंतजाम कैसा है. इन अधिकारियों का इस जाहिर सी बात पर जरा भी ध्यान नहीं गया कि लोग धोबी घाट की चारदीवारी के बाहर भी जमा होंगे और रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रामलीला देखेंगे.

जैसा कि चलन है, बच्चे रावण का पुतला दहन देखने के लिए जिद करते हैं. इसी कारण सिख और अप्रवासी मजदूर दोनों ही परिवारों के मां-बाप अपने बच्चों को लेकर जोड़ा फाटक पर बड़ी तादाद में जमा हुए थे. अप्रवासी मजदूर अपने परिवार से काफी दूर रहते हैं. उनका परिवार देश के किसी दूर-दराज के हिस्से में होता है. इसलिए अप्रवासियों मजदूरों में खास उत्साह था कि चल रहे जश्न की तस्वीर मोबाइल फोन के सहारे उतार ली जाए.

रावण दहन की तस्वीर

इन अप्रवासी मजदूरों का कहना है कि वो पंजाब के अमृतसर में हुए रावण के पुतला दहन और रामलीला का वीडियो दूर बसे अपने परिजनों को भेजना चाहते थे. दूर बसे परिजन के साथ नेह (प्रेम) का नाता जोड़ने की यह सहज सी कोशिश अप्रवासी मजदूरों के सिर पर दुखों का पहाड़ बनकर टूटी. वो यह न देख सके कि खतरा उनकी तरफ तेज रफ्तार से बढ़ता चला आ रहा है. उन्हें पता भी नहीं चला कि 1 घंटे के भीतर धड़धड़ाती हुई ट्रेन उन्हें रौंद डालेगी. यह सभी मजदूर एकदम ठगे से रह गए.

पटाखा फूटने पर लोग ट्रैक पर कुछ और आगे चले गए या फिर वो ट्रैक पर खड़े लोगों के और पास चले आए

शाम को तकरीबन 7:40 बजे के वक्त रावण दहन के फौरन बाद पुतले में भरे हुए पटाखे फूटे, पुतला धू-धू कर जल रहा था और आगे के गोले आकाश में उठ रहे थे. दीवार के बाहर खड़े लोग उड़ते पटाखों और रॉकेट वैगरह से बचने के लिए तनिक दक्षिण की ओर चले गए. यह लोग या तो ट्रैक पर कुछ और आगे की तरफ चले गए या फिर ट्रैक पर खड़े लोगों के और ज्यादा नजदीक चले आए.

ऐसा होने के तुरंत पहले जालंधर (उत्तर की तरफ) की ओर जाने वाली दो ट्रेन एक के बाद एक अलग-अलग पटरियों से गुजरीं. स्थानीय लोगों का कहना है कि दोनों ही ट्रेन के गुजरने की रफ्तार बहुत धीमी थी और ऐसा ही चलन रहा है क्योंकि अधिकारी जानते हैं कि साल के इन दिनों में इलाके में दशहरा का उत्सव मनाया जाता है. रेलवे ट्रैक पर जमा भीड़ ने इन दोनों ही रेलगाड़ियों से अपने को आसानी से बचाया लेकिन बचाव की इस कवायद का एक नतीजा यह हुआ कि तीसरी ट्रैक की ओर लोग ज्यादा तादाद में जमा हो गए: यह तीसरी ट्रैक धोबी घाट से लगती दीवार के सबसे नजदीक थी. इसके बाद एक तीसरी ट्रेन उत्तर की तरफ से आई. इस ट्रेन का रुख अमृतसर सिटी की तरफ था और ट्रैक पर जमा भीड़ आती हुई इस ट्रेन को ना देख पाई.

Amritsar Train Accident

पंजाब सरकार ने हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं जो 4 महीने में इसपर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

फ्यूल स्टेशन पर काम करने वाले देवेंद्र कुमार धोबी घाट से सटी कृष्णानगर कहलाने वाली एक झुग्गी बस्ती में रहते हैं. देवेंद्र ने बताया कि यह तीसरी ‘ट्रेन बड़ी तेज गति से चली आ रही थी. उस वक्त रावण का पुतला जल रहा था, पटाखे फूट रहे थे और शोर इतना ज्यादा तेज था कि हम लोगों ने कान में उंगलियां डाल ली थीं. इसी कारण ना तो हमलोग ट्रेन के आने की आवाज सुन पाए और ना ही उसे अपनी तरफ आता हुआ देख पाए.’ देवेंद्र का कहना था कि ‘कृष्णानगर की संकरी गलियों से साइकिल दौड़ाते हुए हजारों की तादाद में लोग रावण का पुतला दहन देखने के लिए जमा हुए थे. यह लोग या तो मारे गए या फिर घायल हुए हैं क्योंकि यह लोग हमारी कॉलोनी में साइकिल जमा कराने के लिए फिर कभी नहीं लौटे.’

ट्रेन के ड्राइवर के हॉर्न बजाने की आवाज लोगों को सुनाई ना देने की एक वजह यह भी हो सकती है कि साल-दर-साल उत्सवों के आयोजन में शोर-शराबा बढ़ता जा रहा है और भीड़ भी पहले से ज्यादा तादाद में जुट रही है. ट्रेन की चपेट में आकर घायल हुए और अस्पताल में उपचार करा रहे ज्यादातर लोगों का कहना है कि दशहरा के मेले की चकाचौंध ने उन्हें मोहित कर लिया था. रावण के पुतले के जलने और पटाखों को फूटते देखने का आकर्षण तो था ही, साथ ही आयोजकों ने पंजाबी के मशहूर गायकों को भी बुलाया था. मुख्य अतिथि नवजोत कौर सिद्धू थीं और उनके आने के पहले के वक्त में इन पंजाबी गायकों का कार्यक्रम रखा गया था.

Navjot Kaur Siddhu

नवजोत कौर सिद्धू पर आरोप लगे कि वो भीड़ जुटने तक शाम 7 बजे तक नहीं आयीं और हादसा होने के तुरंत बाद वहां से चली गईं

‘हादसे के बाद हमलोगों से कोई मिलने नहीं आ रहा, सभी राजनेता और प्रशासक हमें भुला बैठे हैं’

स्वर्ण गोरे ने इस हादसे में अपना बेटा खोया है. वो ट्रेन के ड्राइवर को हादसे का जिम्मेवार मानती है. उन्होंने सिद्धू और आयोजकों पर भी आरोप लगाया. स्वर्ण गोरे के लड़के दलबीर ने इस साल रामलीला में रावण का किरदार निभाया था और अब दलबीर के घर को जाने वाली गली नंबर-2 में लोगबाग कह रहे हैं कि उस हादसे में तो ‘रावण भी मारा गया.’ दलबीर की मां स्वर्ण गोरे का कहना है, ‘सबसे ज्यादा दुख की बात यह है कि परिवार की रोजी-रोटी का एकमात्र सहारा मेरा बेटा ही था और रामलीला में बरसों से अलग-अलग किरदार निभाने वाला मेरा बेटा इस हादसे में ना रहा. यह बात भी नहीं समझ आ रही कि हादसे के बाद आखिर हमलोगों से कोई मिलने क्यों नहीं आ रहा. सभी राजनेता और प्रशासक हमें भुला बैठे हैं.’

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह शनिवार की दोपहर घटनास्थल पर पहुंचे. उन्हें भीड़ के गुस्से और विरोध का सामना करना पड़ा. गुस्साई भीड़ पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर स्थिति पर काबू पाया. लोग सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे. लोग कह रहे थे कि ट्रेन रौंदते हुए निकल जायेगी इसका उन्हें यकीन नहीं है. लोगों का कहना था कि दशहरा के समय ट्रेन की रफ्तार इलाके में धीमी हो जाती है और ऐसा वो अपने बरसों के अनुभव के सहारे जानते हैं. अमरिंदर ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देने के वक्त कहा था कि आयोजन के लिए प्रशासन की मंजूरी थी या नहीं- इस मसले पर वो अभी कुछ नहीं कहेंगे. भारतीय रेलवे का दावा है कि वाकया कोई हादसा नहीं बल्कि ट्रेसपास (अनधिकार प्रवेश) का नतीजा है लेकिन अमरिंदर सिंह ने रेलवे के इस दावे पर भी कुछ कहने से इनकार किया. इन दोनों मसलों और बाकी सवालों पर अमरिंदर सिंह का कहना था कि मजिस्ट्रेट जांच से ही सही जवाब मिल पाएगा.

शुक्रवार की शाम लोग सिर्फ ट्रेन की चपेट में ही नहीं आए. अमृतसर सिविल अस्पताल और गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती मरीज और स्थानीय लोगों का कहना है कि हादसे के बाद भगदड़ मची थी और उनके परिजन इस भगदड़ के भी शिकार हुए. ट्रेन की चपेट में आए लोगों के शरीर छिटककर ट्रैक से दूर खड़े लोगों पर गिर रहे थे और लोग इस क्रम में भगदड़ के बीच घायल हो रहे थे. ऐसे ही घायलों में एक हैं पंजाब की संदीप कौर. संदीप कौर का कहना है कि भगदड़ में उनके बेटे-बेटी और पिता की जान चली गई.

संदीप कौर की मां ने हादसे में अपनी एक बांह गंवा दी है. पूरा परिवार सदमे में है, सांत्वना के शब्द बेअसर साबित हो रहे हैं. दिहाड़ी मजदूर और संदीप कौर के पति जतिंदर ने बताया कि ‘लाऊस्पीकर से कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी, दशहरे के दिन पुलिस का भी कोई इंतजाम नहीं था.’ (शनिवार की शाम अस्पताल पहुंचे अमरिंदर सिंह संदीप कौर की बेड के पास पहुंचे थे और कहा था कि उनकी सभी जरुरतों का ध्यान रखा जाएगा)

Amritsar Train Accident Amrinder Singh

अमरिंदर सिंह अपना विदेश दौरा बीच में छोड़ 17 घंटे बाद 10 मिनट के लिए हादसे में घायल हुए लोगों को देखने अस्पताल पहुंचे 

ट्रेन के ड्राइवर को दोषी नहीं कहा जा सकता 

अमृतसर सिविल अस्पताल में डीएसपी और एसपी रैंक के अधिकारी जसप्रीत सिंह तथा शैलेंद्र सिंह की ड्यूटी लगी है. इन अधिकारियों का कहना है कि ट्रेन के ड्राइवर को दोषी नहीं कहा जा सकता क्योंकि धोबी घाट की दीवार से कुछ सौ मीटर की दूरी पर कायम चेकपोस्ट पर ड्राइवर को ग्रीन सिग्नल मिला था. जसप्रीत का सवाल है कि ‘अगर ग्रीन सिग्नल नहीं भी मिलता तो भी लोगों का यह अधिकार नहीं कि वो रेलवे ट्रैक पर चलें, ऐसा अधिकार है क्या?’

अभी तक हादसे में घायल हुए 113 लोगों को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया है. अस्पताल पहुंचे घायलों में से अभी कोई भी डिस्चार्ज नहीं हुआ. 39 लोगों की मौत हुई है जिसमें 3 जन के शव पहचान में नहीं आ रहे. गुरु तेग बहादुर अस्पताल में 27 घायलों को पहुंचाया गया है और 19 लोगों की मौत हुई है. कुछ घायलों को अन्य अस्पतालों में पहुंचाया गया है.

ओमान चांडी पर अप्राकृतिक दुष्कर्म का आरोप, केस दर्ज

10/21/2018, 7:18:08 AM नई दिल्ली:

केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी के खिलाफ अप्राकृतिक दुष्कर्म का मामला दर्ज किया है। पूर्व सीएम चांडी के खिलाफ ये आरोप एक ​महिला ने लगाए हैं। महिला का आरोप है कि चांडी ने ये कुकर्म उसके कारोबार को बढ़ावा देने के बदले में किया था। केरल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने शनिवार देर रात को इस बात की पुष्टि कर दी कि वह चांडी के खिलाफ आपराधिक मामले की जांच कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप है कि उन्होंने सौर ऊर्जा निवेश धोखाधड़ी मामले में आरोपी रही महिला के साथ तिरुवनंतपुरम स्थित अपने आधिकारिक आवास क्लिफ हाउस में साल 2013 में रेप किया था।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार (20 अक्टूबर) को तिरुवनंतपुरम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल प्राथमिकी में क्राइम ब्रांच ने आरोप लगाया कि पूर्व सीएम चांडी ने महिला के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए थे। ये संबंध महिला के कारोबार को बढ़ावा देने के बदले बनाए गए थे। हालांकि प्राथमिकी को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्राथमिकी के तथ्य भी अभी तक गोपनीय ही हैं।

क्राइम ब्रांच में की गई अपनी शिकायत में पीड़िता महिला का आरोप है कि वह चांडी से निजी तौर पर इसलिए मिलने गई थी ताकि वह उसके सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट को अपना राजनीतिक संरक्षण दें। इससे निजी निवेशक उसके प्रोजेक्ट की तरफ आकर्षित होंगे। महिला ने बताया सीएम के स्टाफ के कुछ लोगों ने उसे सीएम से मिलवाया था। महिला का आरोप है कि उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए पूर्व सीएम चांडी ने उससे अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए थे।

बता दें कि उच्च स्तरीय शिवरंजन क​मिशन ने हाल ही में केरल की राजनीति में भूचाल ला देने वाले सोलर घोटाले की जांच शुरू की थी। कमिशन ने सितंबर 2017 में पाया कि साल 2013 में केरल में राजनीति के शीर्ष पर बैठे लोगों ने आरोप लगाने वाली महिला के साथ उसके कारोबार को बढ़ावा देने के लिए यौन संबंध बनाए थे। कमिशन ने यह भी पाया कि भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत यौन संबंध के बदले पक्षपात करना भी अनैतिक कृत्य के दायरे में आता है। कमिशन ने सिफारिश की थी कि आरोप लगाने वाली महिला के द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर उसका शोषण करने वाले सभी लोगों के खिलाफ जांच की जाए।

मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने 26 सितंबर को दाखिल की गई जी. शिवरंजन कमिशन की 1073 पेज की रिपोर्ट को विधानसभा का विशेष सत्र बुलवाकर पटल पर रखवाया था। इस मामले में कांग्रेस नीत विपक्ष का बढ़ता दबाव और प्रदर्शन भी इसका एक कारण था। बाद में एक प्रेस वार्ता में उन सभी के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया जिन्होंने पीड़िता का कथित तौर पर यौन शोषण किया था। पीड़िता महिला ने युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के लगभग सभी बड़े नेताओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।