मानसेर लैंड घोटाला सीबीआई के ढुलमुल रवैये के चलते कानूनी प्रक्रिया धीमी; अगली सुनवाई 4 अक्तूबर को

 

मानसेर लैंड घोटाला मामले की गुरूवार को विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। इस दौरान मामले के आरोपी व पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कोर्ट में पेश हुए। इस केस में पिछली सुनवाई में बचाव पक्ष ने कोर्ट से चार्जशीट के बचे हुए डॉक्यूमेंट्स की मांग की थी। वहीं गुरूवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने बचाव पक्ष को चार्जशीट के डॉक्यूमेंट्स भी दिए।

सुनवाई खत्म होने के बाद बचाव पक्ष के वकील एसपीएस परमार ने कहा कि सीबीआई ने चार्जशीट के डॉक्यूमेंट्स उन्हें पूरे नहीं दिए और जो डॉक्यूमेंट्स दिए गए, उनमें से बड़ी संख्या में डॉक्यूमेंट कम हैं। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए हैं कि अगली सुनवाई से पहले पूरे डॉक्यूमेंट्स बचाव पक्ष को दिए जाएं। वहीं, मामले की अगली सुनवाई 4 अक्तूबर को होगी।

बता दें कि मानेसर के तीन गांवों में किसानों को अधिग्रहण के नाम पर डराकर उनसे सस्ती दरों पर जमीन खरीदकर बाद में बिल्डरों के साथ साठगांठ कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया था। आरोपियों ने मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों को आईएमटी के नाम पर जमीन अधिग्रहण का भय दिखाकर कुछ नेताओं के साथ मिलकर जमीन की खरीद-फरोख्त में धोखाधड़ी की।

अधिग्रहण का भय दिखाकर किसानों से जमीन लेने के लिए आरोपियों ने कुछ दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर भी किए थे। अगस्त 2014 में इस मामले का खुलासा होने के बाद सीबीआई ने सितंबर, 2015 में आरोपियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और तत्कालीन आईएएस अधिकारियों समेत कुल 34 लोगों व रियल एस्टेट कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। आरोपियों पर हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को औने-पौने दाम पर बेचने का आरोप है।

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