SC firm on Hapur lynching case wants fresh and fair probe within 2 weeks

 

The Supreme Court on Monday did not buy the Uttar Pradesh Police’s version that the Hapur lunching of two men by cow vigilantes, leading to the death of one of them, was a “road rage” incident which turned fatal.

Instead, a Bench, led by Chief Justice of India Dipak Misr a, ordered the Inspector General of Police, Meerut division, to conduct a separate enquiry into the incident and file a report with the Supreme Court in two weeks.

The court’s order came on a petition filed by the surviving victim, Samiudin, who was brutally assaulted by a mob on the pretext that they were transporting and butchering cows. Qasim Qureishi, a 45-year-old meat trader, died of his injuries after he was severely beaten along with Mr. Samiuddin by the mob on June 18.

The case was brought back to the limelight in a recent expose by the news channel NDTV in which one of the accused is caught on camera talking about the assault on the two men and of even denying water to one of the injured men.

Mr. Samiuddin has urged the court to cancel the bail of Yudhishthir Singh Sisodia, who was allegedly seen talking in the video.

The Bench directed the Uttar Pradesh government to respond to the plea by Mr. Samiuddin, represented by advocate Vrinda Grover, to set up a Special Investigation Team (SIT) comprising officers from outside the State. The victim sought that the trial be conducted outside Uttar Pradesh for fear of intimidation and the need for fair proceedings.

The Bench, also comprising Justices A.M. Khanwilkar and D.Y. Chandrachud, directed the Superintendent of Police of Hapur district to provide police protection to Mr. Samiuddin if he so requests. The petition has been posted for further hearing on August 28.

India rejects U.K. proposal on DNA tests for ‘illegal migrants’

India rejected a proposal by the U.K. to use DNA sampling to establish the nationality of illegal migrants living there citing “privacy issues”.

Although a Memorandum of Understanding on return of illegal migrants was initialled after due approval of the Union Cabinet in January by Minister of State for Home Kiren Rijiju, India refused to sign the final pact during the visit of Prime Minister Narendra Modi to U.K. in April.

As per the original MoU, security agencies in India were to verify the antecedents of illegal migrants without documents in the U.K. within 72 days and those with documents within 15 days.

If no report was given within the stipulated time frame, the illegal migrant would be deported automatically.

The agreement was put on indefinite hold after National Security Adviser Ajit Doval conveyed that the 15-day limit was unworkable.

Unethical, said India

“In one of the meetings, the U.K. authorities suggested that the nationality of document-less illegal migrants suspected to be Indians could be established by matching DNA samples of their family members living here. We raised objections that this was a breach of privacy and unethical. How do we know that the document-less person is an Indian,” said a senior Home Ministry official who attended the meeting.

According to the British government’s estimates, there are around 1,00,000 Indians overstaying their visa in the U.K.

India has contested this and said that as per their estimate, the number will not be more than 2,000.

Post-April, at least two high-level delegations from the U.K. have raised the issue with India.

During her first visit to India on November 7, 2016, British Prime Minister Theresa May said the U.K. would consider an improved visa deal “if at the same time we can step up the speed and volume of returns of Indians with no right to remain in the U.K.”

Twists and turns

In January, Union Cabinet approved the contents of a MoU on “return of illegal migrants” to be signed with U.K.

MoS Home Kiren Rijiju, who led a delegation to U.K the same month, signed the MoU.

In April, the pact was expected to be signed during the visit of Prime Minister Narendra Modi to London, but it was not included in the official list of business.

As per the original MoU, the security agencies in India were to verify the antecedents of document less illegal migrants in the U.K within 72 days and those with documents within 15 days. India pulled out of the pact saying the time frame was not feasible.

Cultural bonanza on the eve of Independence Day

pic for representational purposes only

Education Department of Chandigarh administration is organising a colourful cultural program on the eve of Independence day at Tagore Theater sector 18. This bonanza is scheduled at 3:00 pm onwards on 14th August,2018

 

आज का पांचांग

🌷🌷🌷🌷🌷पंचांग🌷🌷🌷

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – श्रावण
पक्ष – शुक्ल
तिथि – चतुर्थी
नक्षत्र – उत्तरा फाल्गुणी
योग – सिद्ध
करण – वणिज
राहुकाल:-
3:00PM – 4:30PM
🌞सूर्योदय – 05:52 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 19:02 (चण्डीगढ)
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चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 10:46 12:25 शुभ
अमृत 12:25 14:04 शुभ
शुभ 15:43 17:22 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 20:22 21:43 शुभ
शुभ 23:04 00:26 शुभ
अमृत 00:26 01:47 शुभ

पीएनबी घोटाले में उषा पर गिरि गाज़, होगा सीबीआई एक्शन

नई दिल्ली
सरकार ने पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) तथा  इलाहाबाद बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक ऊषा अनंतसुब्रमण्यम को सोमवार को सेवा से बर्खास्त कर दिया। एक आधिकारिक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है। करीब तीन महीने पहले अनंतसुब्रमण्यम से इलाहाबाद बैंक के प्रबंध निदेशक के रूप में सभी अधिकार वापस ले लिए गए थे। इतना ही नहीं सरकार ने सीबीआई को ऊषा अनंतसुब्रमण्यम के खिलाफ ऐक्शन लेने की इजाजात भी मिल गई है।

सीबीआई ने 14,000 करोड़ रुपये के पीएनबी घोटाले में जो आरोपपत्र दायर किया था उसमें अनंतसुब्रमण्यम को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, वह बैंक की कर्मचारी बनी हुई थीं। वह सोमवार को ही सेवानिवृत्त हो रही थीं, लेकिन उन्हें सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया।

अनंतसुब्रमण्यम पीएनबी में दो बार नेतृत्व वाली भूमिका में रहीं। वह अगस्त, 2015 से मई, 2017 के दौरान प्रमुख के पद पर रहीं। उसके बाद वह इलाहाबाद बैंक में चली गईं। वह जुलाई, 2011 से नवंबर, 2013 के दौरान भी पीएनबी की कार्यकारी निदेशक रहीं।

लोकसभा के साथ 11 राज्‍यों में विधानसभा चुनाव करा सकती है सरकारः सूत्र


इस साल के अंत में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं उसे छह महीना और टालकर लोकसभा चुनावों के साथ कराया जा सकता है


केंद्र सरकार अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही 11 राज्‍यों के विधानसभा चुनाव करा सकती है. बीजेपी सूत्रों ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के साथ राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, मिजोरम, छत्‍तीसगढ़ और हरियाणा जैसे राज्‍यों के चुनाव कराए जा सकते हैं. इसके लिए सभी पार्टियों की बैठक बुलाई जा सकती है. इस तरह से चुनाव कराने के लिए संविधान में संशोधन कराने की जरूरत भी नहीं है. बता दें कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व वाली केंद्र सरकार एक देश एक चुनाव की पैरवी करती रही है.

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. वहीं ओडिशा, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, मिजोरम में विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनावों के साथ होने वाले हैं. ऐसे में मुमकिन है कि सरकार इन सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही करा ले. सरकार जल्द ही इस मामले में ऑल पार्टी मीटिंग बुला सकती है.

जम्‍मू कश्‍मीर में अभी किसी की सरकार नहीं है. पीडीपी बीजेपी के अलग होने के बाद से वहां पर राज्‍यपाल का शासन है. ऐसे में वहां पर भी अगले साल चुनाव कराया जा सकता है. वहीं महाराष्‍ट्र, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्‍यों में समय से पहले चुनाव कराए जा सकते हैं.

अमित शाह ने विधि आयोग को एक राष्ट्र एक चुनाव पर अपना मत पत्र द्वारा स्पष्ट किया

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को एक देश एक चुनाव से संबंधित पत्र भेजा है. सोमवार को शाह ने पत्र लिख कर समकालिक चुनाव पर भारतीय जनता पार्टी का दृष्टिकोण स्पष्ठ किया. शाह ने पत्र में लिखा, ‘हमारे देश में देखा गया है कि पूरे वर्ष, किसी न किसी महीनों किसी न किसी राज्य में चुनाव हो रहे होते हैं.’

शाह ने लिखा, ‘सामान्यतः लोकसभा के एक पांच वर्षीय कार्यकाल में, औसतन, देश में हर साल पांच से सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं और साथ ही साथ बड़ी संख्या में स्थानीय प्राधिकरणों, जो स्थानीय स्व-शासन की महत्वपूर्ण इकाइयां हैं, के चुनाव भी उस दौरान होते हैं.’

सरकारी खजाने पर पड़ता है अतिरिक्त बोझ

बीजेपी अध्यक्ष ने पत्र में लिखा की चुनावों की इस मौजूदा प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक ऐसी स्थिति बन जाती है जिसमें समूचा देश राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर या स्थानीय अधिकारियों के स्तर पर, हर समय चुनावी मोड में ही रहता है. जिसके कारण सार्वजनिक खजाने को ऐसे आवधिक चुनावों के संचालन के लिए भारी बोझ उठाना पड़ता है. उन्होने कहा, ‘इस व्यय को पांच साल में एख साथ सभी चुनाव कराकर आसानी से कम किया जा सकता है.’

आचार संहिता से रुक जाते हैं विकास कार्य

शाह ने पत्र में लिखा कि चुनावों के समय कई सरकारी अधिकारियों का समय मूल कार्यों से हटकर चुनावों मे लग जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनावों के पहले इलाके में आचार संहिता लागू हो जाती है इसके कारण विकास कार्य रुक जाता है.

शाह ने कहा कि चुनवों की तारीख लागू होने के बाद से ही तमाम राजनीतिक दल आगामी चुनावों की तैयारियों जुट जाते हैं. ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखते हुए वह लघुकालिक और लोकलुभावन निर्णय लेने लगते हैं. जबकि निर्णय लेने का तरीका नीतिगत होना चाहिए.

आयोग और प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक करीब 50 मिनट चली. बैठक के बाद नकवी ने कहा कहा,

‘‘लगातार चुनाव का सिलसिला जारी रहने के चलते आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य प्रभावित होता है. इसके साथ ही चुनाव खर्च में भी बेतहाशा तेजी आती है.’’

उन्होंने कहा कि चुनाव का लगातार सिलसिला जारी रहने से वास्तविक मुद्दे पर ध्यान नहीं होता और जनता से जुड़़े विषय प्रभावी ढंग से नहीं उठ पाते. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब से देश में एक देश, एक चुनाव का माहौल बना है, तब से चुनावी प्रक्रिया के सबसे बड़े पक्षकार मतदाताओं ने इसका स्वागत किया है.

कांग्रेस एक देश एक चुनाव के पक्ष में नहीं

कांग्रेस एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कॉन्सेट को नकार चुकी है. पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और सिंघवी ने हाल ही में लॉ कमीशन से कहा कि एक साथ चुनाव भारतीय संघवाद की भावना के खिलाफ है.

Somnath’s family rejects CPI-M request to drape body with red flag

Kolkata, Aug 13, 2018:

Former Lok Sabha Speaker Somnath Chatterjee’s family on Monday turned down the request of the CPI-M leadership to drape the expelled member’s body in the red flag and allow him to be taken to the party’s West Bengal state headquarters here for people to pay their last respects.

“The party had requested us that they want to take the body to the state headquarters for partymen to pay their respects. But we said, we don’t want. The party had requested us that they wanted to drape the body with red flag. We refused,” Chatterjee’s daughter Anushila Basu said.

Chatterjee, a ten time Lok Sabha member — nine times as a CPI-M candidate and once as an independent backed by the party — was expelled on July 23, 2008, for refusing to step down as the Lok Sabha Speaker after the party withdrew support to the UPA-1 government protesting against the India-US civil nuclear deal.

He died at a Kolkata nursing home on Monday, aged 89.

Anushila recalled that she had seen her father shed tears the day the party expelled him.

She still vividly remembers the day the CPI-M politburo took the decision.

“I was in Delhi then. I told my father that from now on, you are a free bird. My father asked me whether he has been show caused? I told him the truth….After some time, I went to see him at his chamber. I found him sitting in his ante-chamber with tears rolling down his eyes,” she said.

Anushila said neither Chatterjee, nor any other family member, could accept the harsh decision.

However, she said Chatterjee to the last had a deep love for the party.

“We often tried to provoke him to speak against the party. But he never uttered a word against the party. So deep was his fondness.

“The divorce was only on pen and paper. But mentally, he was not divorced from the party,” she said.

Anushila said a number of other parties and others had come to his father with many lucrative offers. “But his answer was always the same — No”.

CPI-M sources said as per the party constitution, an expelled member has to apply for his re-entry into the party. Feelers had been sent to Chatterjee in that regard, but he refused to apply on his own. However, Chatterjee had let it be known that he would be game if the party on its own took him back.

“Somnath da is Somnath da. He is incomparable. We had tried to resolve the issue. But it got stalled on a technicality,” said CPI-M state secretariat member Rabin Deb.

“We continued to have regular connection/relation with him,” said CPI-M state Secretary Surjya Kanta Mishra.

36 साल बाद घर लौटे गजानन्द शर्मा


गजानंद को पाकिस्तान में 2 महीने की सजा दी गई थी. लेकिन काउंसलर एक्सेस नहीं होने के कारण उन्हें 36 साल पाकिस्तान की जेल में बिताना पड़ा


जयपुर से 36 साल पहले लापता गजानंद पाकिस्तान के जेल में बंद थे. सोमवार को पाकिस्तान ने उन्हें रिहा कर दिया. रिहाई के बाद वह भारत पहुंचे. पाकिस्तान के पंजाब से भारतीय नागरिकों को लेकर एक ट्रेन वाघा बॉर्डर पहुंची है. चार महीने पहले अप्रैल में जब पाकिस्तान से उनकी भारतीय नागरिकता से जुड़े दस्तावेज वैरिफिकेशन के लिए आए थे तब उनके परिवार को उनकी जानकारी मिली.

क्या है गजानंद शर्मा की कहानी?

पाकिस्तान ने अपनी जेलों में बंद 29 भारतीय कैदियों को रिहा कर दिया है. इनमें राजस्थान के गजानंद शर्मा भी हैं. गजानंद को पाकिस्तान में 2 महीने की सजा दी गई थी. लेकिन काउंसलर एक्सेस नहीं होने के कारण उन्हें 36 साल पाकिस्तान की जेल में बिताना पड़ा.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान सरकार 14 अगस्त को पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस के दिन 29 कैदियों को रिहा करेगा. इनमें 26 मछुआरे शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कभी भी मानवीय मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करना चाहता.

गजानंद शर्मा को लाहौर की लखपत जेल से रिहा किया गया है. वो जयपुर में फतेह राम का टीबा नाहरगढ़ के रहने वाले हैं. 1982 में गजानंद अचानक लापता हो गए थे. उसके बाद उनका कुछ पता नहीं लगा कि वो कहां गए. दरअसल, 1982 में घर से अचानक लापता हुए गजानंद के बारे में परिजनों को उनके पाकिस्तान जेल में होने की जानकारी उस समय लगी, जब मई में पुलिस अधिकारियों ने परिजनों से गजानंद की राष्ट्रीयता की पुष्टि करने के लिए संपर्क किया.

क्या कहना है घरवालों का?

पाकिस्तानी दस्तावेजों के अनुसार गजानंद ‘फॉरनर्स एक्ट’ में वहां की जेल में बंद थे. कुछ दिन पहले विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने गजानंद शर्मा की रिहाई की घोषणा की थी. गजानंद शर्मा की पत्नी मक्खी देवी ने कहा कि पति की रिहाई सुनकर वह बहुत खुश हैं. 7 मई 2018 को उनके जिंदा होने और उनके पाकिस्तान जेल में होने का पता लगा था. उनकी रिहाई को लेकर पूरे गांव में खुशी का माहौल है.

दस्तावेज में गजानंद के गांव का पता जयपुर जिले में सामोद स्थित महार कला गांव बताया गया है. पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि बहुत सालों से गजानन का परिवार जयपुर के ब्रह्मपुरी में रहने लगा है .

विजय बंसल ने ‘एससी एसटी एक्ट’ में स्वर्ण जतियों के हितों का ध्यान रखने का किया अनुरोध


देश भर में एससी-एसटी बिल के लोकसभा-राज्यसभा में पारित होने के बाद मच रहे घमासान के बीच राजस्थान के एक भाजपा विधायक ने सवर्ण समाज के हितों पर ध्यान देने की वकालत की है। भरतपुर के विधायक विजय बंसल ने सीएम वसुंधरा राजे को पत्र लिखकर कहा है कि सवर्ण समाज के हितों पर भी ध्यान दिया जाए।


जयपुर: 

एससी-एसटी बिल मामले में सवर्ण समाज का ध्यान रखने का अनुरोध पत्र में लिखा है। बंसल ने कहा कि यह पत्र व्यकितगत तौर पर लिखा गया है। कुछ लोग इस बिल का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे सामाजिक विषमता बढ़ रही है। ऐसे में सवर्ण समाज के हितों पर ध्यान रखा जाना सरकार का दायित्व है। समता आंदोलन समिति ने विजय बंसल से मिलकर एक ज्ञापन दिया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद एससी-एसटी बिल को केबिनेट के मंजूरी देने, लोकसभा व राज्यसभा में पारित कर देने से सवर्ण व ओबीसी समाज में गहरी नाराजगी है।

इस बिल में पहले से भी कानून कड़े कर दिए हैं। समिति सदस्यों ने इस बिल का विरोध करने का अनुरोध विजय बंसल से किया। समिति ने विधायकों व सांसदों को भी इस तरह के ज्ञापन दिए हैं। विजय बंसल के इस प्रयास की सवर्ण समाज, समता आंदोलन समिति का स्वागत किया है।