राजनीति के रास्ते आगे बढ़ रही है वाजपेयी की विरासत


अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए बीजेपी के नेता उससे होने वाले फायदों को भी खूब भुना रहे हैं


हरिद्वार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश को लेकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हरकी पैड़ी पहुंचे. इस मौके पर कई और नेता-मंत्री भी मौजूद रहे. उनके साथ अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भी परिवार समेत मौजूद थी. अटल जी की अस्थियां मोक्षदायिनी गंगा में विसर्जित कर दी गईं.

इस मौके पर भी बीजेपी के सभी दिग्गजों की मौजूदगी यह बताने के लिए काफी था कि कैसे बीजेपी आलाकमान ने अपने सबसे प्रिय नेता की विरासत को संजोने, संभालने और उसको आगे बढ़ाने के लिए अपने-आप को अटल जी के प्रति समर्पित कर दिया है.

राजनीति के एक युग का अंत

16 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी ने जब दिल्ली में एम्स में अंतिम सांसे लीं. उस दिन सुबह से लेकर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, मोदी सरकार के सभी मंत्रियों के अलावा बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों तक सबने एम्स से लेकर बाद में उनके सरकारी आवास तक अपने-आप को सीमित कर दिया. पल-पल उनकी सेहत का समाचार लेने के लिए सभी तत्पर रहे.

अगले दिन सुबह जब उनके पार्थिव शरीर को बीजेपी के केंद्रीय कार्यालय में लाया गया तो वहां भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लगातार पार्टी दफ्तर में वहां मौजूद रहे, जहां बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ताओं के अलावा अटल जी को चाहने वालों का श्रद्धांजलि देने के लिए तांता लगा था. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस मौके पर लगातार मोदी-शाह के साथ बैठे दिखे. इसके बाद अंतिम यात्रा में स्मृति स्थल तक बीजेपी के सभी नेता अंतिम यात्रा में पैदल ही गए.

उनके अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि यात्रा को विसर्जित करने की बात हो या फिर बीजेपी शासित राज्यों में उनकी विचारों और उनके सिद्धांतों को आगे बढ़ाने की बात हो, बीजेपी की तरफ से प्रयास जारी है.

अटल बिहारी वाजपेयी की कर्मभूमि यूपी रही है. यूपी के बलरामपुर से ही अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार 1957 में सांसद चुने गए. बाद में उन्होंने प्रधानमंत्री रहते लखनऊ का भी प्रतिनिधित्व किया. कानपुर में उन्होंने पढ़ाई की थी. इस लिहाज से यूपी से उनका काफी गहरा नाता रहा है.

कर्मभूमि है यूपी 

अटल जी के पंचतत्व में विलीन होने के बाद अब उनकी यादों को संजोने के लिए यूपी सरकार ने कई बड़े फैसले किए हैं. यूपी में चार स्थलों लखनऊ, कानपुर, बलरामपुर और आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक बनाने का फैसला किया गया है जहां से उनकी यादें जुड़ी हुई हैं. इसके अलावा यूपी सरकार ने तय किया है कि प्रदेश की हर छोटी-बड़ी नदियों में अटल अस्थि कलश को विसर्जित किया जाएगा. हालाकि सबसे पहले हरिद्वार में अस्थि कलश यात्रा के बाद उनका अस्थि विसर्जन किया गया है.

यूपी के अलावा बिहार समेत देश के लगभग हर राज्य में उनका अस्थि विसर्जन किया जा रहा है. लेकिन, इस वक्त मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरफ से अटल जी के सम्मान में नई-नई घोषणाओं का अंबार लग रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के सात शहर भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और सतना को अटल स्मार्ट सिटी का नाम दिया है. ये सभी शहर अब अटल स्मार्ट सिटी कहे जाएंगे.

इसके अलावा उनके नाम पर और भी कई योजनाओं का नामकरण किया जा रहा है. अगले साल से मध्य प्रदेश के स्कूलों में अटल जी की जीवनी भी पढ़ाई जाएगी. भोपाल में बन रहे विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का नाम भी अटल जी के नाम पर करने का फैसला किया गया है.

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्यप्रदेश में ही हुआ था. प्रारंभिक शिक्षा भी उनकी वहीं हुई थी. यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने प्रदेश की मिट्टी मैं पैदा हुए इस महान शख्स की यादों को अनंत काल के लिए यादगार बनाने में लगे हैं.

वाजपेयी, शिवराज और विधानसभा चुनाव

दरअसल, मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं. पिछले पंद्रह साल से प्रदेश की सत्ता में बीजेपी है. इस वक्त राज्य भर में अलग-अलग जगहों पर दौरा करके शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार बनाने की कवायद कर रहे हैं. लिहाजा वह पार्टी के भीष्म पितामह के नाम और काम के दम पर लोगों को जोड़ने में जुटे हैं.

बात अटल जी के सम्मान की कही जा रही है. लेकिन, उनकी जिंदगी से जुड़े हर उस स्थल को विकसित करने, उनके नाम पर सात स्मार्ट शहर का नाम रखने और उनके नाम पर हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने जैसी तमाम कोशिशों से लगता है कि मुख्यमंत्री चौहान  विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता, उनके चाहने वालों का प्यार और उनके प्रति समर्पण को अपने लिए भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें कुछ गलत भी नहीं है, क्योंकि अटल जी बीजेपी के सबसे बड़े और कद्दावर नेता थे.

दरअसल बीजेपी अटल जी के नाम और उनके काम का फायदा आगे भी लेना चाह रही है. उनके आदर्शों और उनके विचारों की पोटली को अपना विरासत बनाकर उसे सहेजने की उसकी कोशिश से इस बात की झलक मिल रही है कि पार्टी उनकी विरासत को लेकर कितनी सजग है.

यूपी भी पीछे नहीं

मध्यप्रदेश भले ही अटल जी की जन्मभूमि रही हो, लेकिन, उनकी कर्मभूमि यूपी को ही माना जाता है. उनकी कर्मभूमि यूपी में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनकी यादों को संजोने-संवारने के प्रति दिखाया गया उत्साह, इतिहास में शामिल हो चुके इस अजातशत्रु के सम्मान में स्मारक का निर्माण कराना और सर्वजन के लोकप्रिय अपनी मधुर वाणी से सबको मंत्रमुग्ध करने वाले जननेता की अस्थियों को पूरे प्रदेश की नदियों में प्रवाहित करना यह दिखाता है कि योगी भी अटल जी के प्रति सम्मान के साथ-साथ उनके प्रति अपने समर्पण और लगाव को दिखाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

भले ही मध्यप्रदेश में अभी विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में यूपी के भीतर भी अटल जी के नाम, काम और उनके सपने को साकार करने को लेकर योगी सरकार अपनी वचनबद्धता और प्रतिबद्धता दिखा रही है. उनके नाम का सियासी फायदा लेने से बीजेपी यूपी में भी नहीं हिचकेगी.

बीजेपी की तरफ से देश भर में अटल बिहारी वाजपेयी के काम को लेकर जिस तरह से दिखाने और आगे बढ़ाने की कोशिश हो रही है, उससे साफ है कि वो अटल जी की विरासत पर पूरी तरह से अपना हक जता रही है. अटल जी की उदार छवि के नाम पर उन्हें नेहरुवादी बताने वालों के लिए पार्टी कोई स्पेस नहीं छोड़ना चाहती.

भाजपा विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है


प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी अटल जी की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा


16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में जबरदस्त बदलाव किया है. स्वर्गीय वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है. भारतीय जनता पार्टी नवंबर में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है. उनके भाषणों और कविताओं के जरिए लोगों को जोड़ने की योजना है. स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर कई स्थानों का नामकरण किया जा रहा है. सरकारी योजनाओं का नामकरण भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की योजना है. अब तक बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर योजनाओं का नामकरण करती रही है.

गांव-गांव में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

चुनावी रणनीति के पहले चरण में 22 से 25 अगस्त के बीच सभी जिला मुख्यालय में और आगामी 25 से 30 अगस्त के बीच सभी विकासखंड और ग्राम पंचायतों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी. अटल जी की अस्थियों को नर्मदा-क्षिप्रा सहित प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने बताया कि पार्टी की सभी इकाईयों को श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने के लिए कहा गया है. मुख्य आयोजन 21 अगस्त को भोपाल में और 22 अगस्त को ग्वालियर में होगा. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अस्थि कलश वितरण के कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए जाने के कारण कलश के भोपाल पहुंचने की संभावनाएं बहुत कम हो गईं हैं. मीडिया प्रभारी पाराशर ने कहा कि कलश ग्वालियर पहुंच सकता है. इसके बाद राज्य की नदियों में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.

मध्यप्रदेश, अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही रही है. ग्वालियर और विदिशा से वाजपेयी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ग्वालियर में वे माधवराव सिंधिया से हुए मुकाबले में चुनाव हार गए थे. विदिशा से वे 1991 का लोकसभा चुनाव लड़े थे. बाद में उन्होंने विदिशा सीट से त्यागपत्र दे दिया था. शिवराज सिंह चौहान पहली बार लोकसभा में वाजपेयी द्वारा खाली की गई सीट से उप चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इस कारण वाजपेयी का शिवराज सिंह चौहान से लगाव भी काफी था. उमा भारती के भारी विरोध के बाद भी वाजपेयी ने ही शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था.

जब अटल जी जीवित थे तब उनके नाम पर था सुशासन संस्थान

साल 2004 तक केंद्र की सत्ता में रही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कामकाज को भारतीय जनता पार्टी सुशासन के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करती रही है. मध्यप्रदेश सरकार के कामकाज में सुशासन लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2007 में सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान की स्थापना की थी. यह संस्थान सरकार की फ्लैगशिप स्कीम का लगातार विश्लेषण करता रहता है. नीति और नियमों में भी बदलाव के सुझाव सरकार को दिए जाते हैं. इसी संस्थान ने राज्य के सभी 51 जिलों में सीएम यंग प्रोफेशनल्स फॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 51 युवाओं को नियुक्त किया है. वे जिले की राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाओं की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री को भेजते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रेलवे स्टेशन से लेकर स्मार्ट सिटी तक का नामकरण वाजपेयी के नाम पर करने का ऐलान किया है. ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में भव्य स्मारक और स्मृति भवन भी बनाया जाएगा. स्मारक भोपाल में भी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

ग्वालियर के गोरखी के जिस विद्यालय में वाजपेयी कक्षा छह से आठ तक पढ़े थे उसे उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इसमें स्मार्ट क्लास, प्लेनेटोरियम और म्यूजियम बनाया जाएगा, साथ ही अटल जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

भोपाल में 600 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे ग्लोबल स्किल पार्क का नाम स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखा जाएगा. प्रदेश के स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जा रहे सात शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना में वाजपेयी के नाम पर विश्वस्तरीय पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे. इन पुस्तकालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में युवाओं के लिए कोचिंग, शोध और सामाजिक चिंतन के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

इसी तरह सात स्मार्ट सिटी में बन रहे इनक्यूबेशन सेंटर्स का नाम भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर होगा. इन सेंटर्स पर मध्यप्रदेश के युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की प्रतिमा के साथ उनके कार्यों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके. प्रदेश में श्रमिकों के बच्चों के लिए बनाए जा रहे चार श्रमोदय विद्यालयों के नाम भी स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखे जाएंगे. विदिशा में शुरू हो रहे मेडिकल कॉलेज का नाम भी अटल जी के नाम पर रखा जाएगा. भोपाल के अत्याधुनिक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है.

मुख्य धारा में आ सकते हैं वाजपेयी के परिजन

मध्यप्रदेश सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जीवनी अगले सत्र से शामिल करने जा रही है. वाजपेयी के प्रति पार्टी नेतृत्व,अति सक्रियता दिखाकर राज्य के ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश कर रहा है. मध्यप्रदेश में वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा मुरैना से सांसद हैं. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ अनूप मिश्रा भी हर संस्कार को पूरा कराने में लगातार सक्रिय हैं. स्वर्गीय वाजपेयी का भी अनूप मिश्रा से काफी लगाव था.

एक समय राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री रहे अनूप मिश्रा इन दिनों पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं. वाजपेयी के निधन के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी अनूप मिश्रा को वापस राज्य में सक्रिय कर सकती है. ग्वालियर-चंबल संभाग में मिश्रा का काफी असर है. राज्य में पार्टी की आंतरिक राजनीति के कारण अनूप मिश्रा सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. मिश्रा के अलावा वाजपेयी परिवार का कोई अन्य सदस्य राजनीति में नहीं है.

श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेसी भी हिस्सा ले सकते हैं?

हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा को पूरी तरह अराजनीतिक रखने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि श्रद्धाजंलि सभा में पार्टी के झंडे नहीं लगाए जाएंगे. इसके बाद भी कांग्रेस को लग रहा है कि वाजपेयी के निधन को बीजेपी चुनाव में भुनाना चाहती है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश भर में होर्डिंग लगाए गए हैं, उससे लग रहा है कि वाजपेयी की मौत को बीजेपी इवेंट के रूप में प्रस्तुत कर रही है. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने सभी कांग्रेस नेताओं से अपील की है कि वे श्रद्धांजलि सभा में जरूर हिस्सा लें. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.

अटल जी की जीवनी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में होगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की जीवनी अगले वर्ष से स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी. स्वर्गीय अटल जी के नाम से तीन राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किए जाएंगे. पांच-पांच लाख रुपए के यह पुरस्कार कविता, पत्रकारिता और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिए जाएंगे.

कानून व्यवस्था बनाए रखने में नाकाम हुई खट्टर सरकार, ऐसी सरकार को एक दिन भी गद्दी पर रहने का अधिकार नहीं : सुरजेवाला


प्रदेश में अराजकता व जंगलराज- मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र के मंदिर में तिहरा हत्याकांड, मंदिर भी सुरक्षित नहीं


चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के विधानसभा क्षेत्र के श्रीगोविंद धाम मंदिर में दो पुजारियों और एक सेवक की हत्या और मंदिर में लूटपाट को प्रदेश में फैली अराजकता और जंगल राज का जीता-जागता प्रमाण बताया है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि करनाल के मंगलौरा गांव में मंदिर में पुजारी विनोद शर्मा, रविन्द्र व सेवादार सुलतान की हत्या से साबित हो गया है कि भाजपा सरकार में कानून का शासन खत्म हो गया है और प्रदेश में बदमाश बेखौफ है, जिन्हें कानून का कोई भय नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीगोविंद धाम मंदिर में जिस प्रकार से बदमाशों ने तीन हत्याएं की, दो लोगों की जीभ काट दी और दानपात्र लूट लिया, उससे साफ जाहिर है कि अब खट्टर सरकार में ना मंदिर सुरक्षित हैं, ना मंदिर के पुजारी और ना ही मंदिर के दान पात्र। ऐसी सरकार को एक दिन भी गद्दी पर रहने का अधिकार नहीं है।

हरियाणा में बढ़ रही हत्याओं और अदालतों में हुई गैंगवार की घटनाओं का हवाला देते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि पिछले चार सालों में प्रदेश में गैंगवार, फिरौती, रंगदारी व अदालतों में हत्याओं की वारदात लगातार बढ़ रही हैं, जो पहले प्रदेश में कभी नहीं हुई। इस सरकार की विफलता के कारण आज प्रदेश का कोई भी कोना सुरक्षित नहीं है और लोग भय में जीने को मजबूर हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल के पास ही गृह मंत्रालय भी है। प्रदेश में हो रहे अपराधों के लिए सीधे मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। अपराध रोकने में नाकाम मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए अपने कार्यकाल में सिर्फ अधिकारियों को बदलने का काम किया है।

भाजपा शासनकाल में प्रदेश में स्थापित हो चुके अराजकता और जंगलराज का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री के पास गृह मंत्रालय होने के बावजूद मुख्यमंत्री के खुद के विधानसभा क्ष्रेत्र के लोग खुद को असुक्षित महसूस कर रहे हैं।

हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और अपहरण के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि समाचारों के अनुसार प्रदेश में जनवरी से जून तक 440 हत्या, 66 गैंग रेप व 603 बलात्कार के मामले सामने आ चुके हैं।

Farhan is portrayed as milkha singh in west bengal text book


Later in a tweet, Derek O’Brien replied the education minister told him that the book was not for a goverment schools neither it is published by the government.


Hindi film actor Farhan Akthar has asked the state government to make changes in a textbook which has used his photograph in place of Olympian Milkha Singh. The photograph is from the 2013 movie “Bhaag Milkha Bhaag”, where the actor played the athlete.

Posting a picture of the textbook which has his photograph, Akthar tweeted, “To the Minister of School Education, West Bengal. There is a glaring error with the image used in one of the school text books to depict Milkha Singh-ji. Could you please request the publisher to recall and replace this book? Sincerely”.


Farhan Akhtar

@FarOutAkhtar

To the Minister of School Education, West Bengal.
There is a glaring error with the image used in one of the school text books to depict Milkha Singh-ji. Could you please request the publisher to recall and replace this book?
Sincerely. @derekobrienmp

Lyfe Ghosh@Lyfeghosh


image of @FarOutAkhtar is portrayed as milkha singh in west bengal text book. not at all shocked. its became regular incident here @ShefVaidya @ShankhNaad


Speaking to reporters on the matter, the Education Minister Partha Chatterjee said he would personally look into it. “We will look into it and rectify the mistake. It should not have happened,” he said. He also tagged Trinamool Congress spokesperson Derek O’Brien in his tweet.

Later in a tweet, Derek O’Brien replied the education minister told him that the book was not for a goverment schools neither it is published by the government. “… Checked with Education Min of State. He tells me it isn’t a text book for government schools. Nor is it published by government. Trying to track the private publishing company. They ought to correct the mistake in future editions,” he tweeted.

Vajpayee never buckled under pressure, he was ‘Atal’ after all: Modi


Right from his adolescence till the end of his life, Vajpayee lived for the aspirations of the people of the country, PM Narendra Modi said at the prayer meeting.


Addressing an all-party prayer meeting on Monday to remember Atal Bihari Vajpayee, Prime Minister Narendra Modi said the former prime minister was true to his name while taking tough decisions and never buckled under pressure. Right from his adolescence till the end of his life, Vajpayee lived for the aspirations of the people of the country, Modi said at the prayer meeting.

“Vajpayee-ji has set an example for all, he dedicated his life to the nation right from adolescence till the end of his life. In his youth itself he had decided that he wanted to serve his fellow Indians,” Modi said.

Saying that Vajpayee entered politics when only one party dominated the political discourse, Modi said that despite spending several years in the opposition, the 93-year-old leader never compromised on his ideology.

“He spent several years in opposition, but never compromised his ideology. His efforts ensured that India became a nuclear power and attributed the tests to the brilliance of our scientists. He never buckled under pressure. He was Atal after all,” Modi said.

Narendra Modi visits Atal Bihari Vajpayee in new delhi after becoming chief minister of Gujarat  

The meeting was held a day after the former PM’s ashes were immersed in the river Ganga. The prayer meeting was attended by Union Minister Rajnath Singh, Congress leader Ghulam Nabi Azad, RSS chief Mohan Bhagwat, BJP veteran LK Advani and former Jammu and Kashmir Chief Minister Mehbooba Mufti among others.

The prayer meeting started with a short documentary on the life of the former PM. UPA chairperson Sonia Gandhi and Congress chief Rahul Gandhi did not attend the meeting due to functions linked to the birth anniversary of former prime minister Rajiv Gandhi.

Modi further said it was Vajpayee who changed the narrative when some countries were cornering India on the Kashmir issue. “Due to Vajpayee ji, terrorism became an important issue on the world stage,” he said. No party was willing to support Vajpayee when he formed the government for 13 days, Modi said, referring to the short-lived NDA government in 1996.

“The government fell. He did not lose hope and remained committed to serving the people,” he told the gathering and added that Vajpayee showed the way when it came to coalition politics. He distinguished himself as a parliamentarian and was proud of parliamentary traditions, Modi said.

Delhi court allows Tharoor to travel abroad


He is going to the Swiss city also to seek international aid for the floods-hit Kerala.


A Delhi court on Monday allowed Congress leader Shashi Tharoor to travel to Geneva to express condolences to the family of former United Nations Secretary-General Kofi Annan and also to seek international aid for Kerela,which is reeling under unprecedented floods.

Additional Chief Metropolitan Magistrate Samar Vishal allowed Mr. Tharoor to travel on Monday after his counsel said the politician worked under Annan for 10 years and he was his mentor at the United Nations.

Annan died on August 18, 2018.

Senior advocate Vikas Pahwa and advocate Gaurav Gupta, appearing for Mr. Tharoor, also told the court that the politician was going to seek international assistance through the United Nations for the victims of Kerala floods.

The Thiruvananthapuram MP is on regular bail in a case relating to his wife Sunanda Pushkar’s death almost four years ago in a luxury hotel in New Delhi.

“I am allowing the application. Inform the investigating officer about your schedule,” the Judge said.

Counsel said Mr. Tharoor was scheduled to leave on August 20 evening and return the next day.

Sunanda Pushkar was found dead in a suite of a luxury hotel in the city on the night of January 17, 2014. The couple was staying in the hotel, as the official bungalow of Shashi Tharoor was being renovated at that time.

Vinesh became first women wrestler to win gold in Asian Games


She becomes the first Indian woman wrestler to win gold, and first woman wrestler to win back-to-back medals, at the event


Vinesh Phogat on Monday created history by becoming the first Indian woman wrestler to win a gold medal at the Asian Games, brushing aside her rivals with remarkable ease in the 50kg category here.

Vinesh was a medal-favourite in her category and was likely to face stiff competition from Japan’s Yuki Irie whom she outplayed 6-2 in the final.

It is surely a ground-breaking achievement for the 23-year-old firebrand Haryana wrestler, who is connected to Dangal-famed Phogat family.

Putting behind her heart-breaking loss at the Olympics two years ago, Vinesh began her victorious campaign with a revenge win against Chinese Yanan Sun against whom she had suffered that terrible leg injury which cut short her journey in Rio.

This time Vinesh did not give her opponent any chance and came out a dominant winner with a 8-2 score.

In the next bout she brushed aside the challenge of Korea’s Hyungjoo Kim by technical superiority. She ended the bout with a four-point throw.

Vinesh’s semifinal lasted just 75 seconds as she moved into the final with a ‘fitley’ She was already up 4-0 and then rolled over her opponent thrice with leg-lock.

The gold also enabled Vinesh to achieve another feat as she became the only woman wrestler to win two medals in back-to-back Asian Games.

Vinesh had earlier won a bronze medal in the 48kg category at the 2014 Incheon Asian Games.

Vinesh also won back-to-back gold medals in Glasgow and Gold Coast Commonwealth Games this year.

Earlier, Sakshi Malik paid the price for being over-defensive and was left to fight for bronze in the 62kg category.

CWG silver medallist Pooja Dhanda will also fight for bronze after losing her semifinal in the 57kg.

Pinki was the only girl to not reach the medal round as she lost her first round bout in the 53kg category against Mongolia’s Sumiya Erdenechimeg. She could not score a single point and lost her bout by technical superiority.

Sumit Malik, the last remaining Indian in the men’s freestyle, bit the dust in the 125kg category as he could not resist his opponent even for two minutes, losing by technical superiority.

Thus, the men’s campaign finished with just one gold medal from Bajrang Punia (65kg).

Sakshi, playing her first Asian Games, was hardly challenged before her semifinal round as she easily won against Thailand’s Salinee Srisombat (10-0) and Ayaulym Kassymova (10-0).

She was up 4-0 in her semifinal bout against Kyrgyzstan’s Aisuluu Tynybekova but lost six points in a row by the end of first period.

She led 7-6 with a throw but became too defensive with 10 seconds to go. The Kyrgyz took advantage and pushed Sakshi out of the mat to pocket the match-wining two points.

Pooja lost just one point en route the semifinals as she outclassed Thailand’s Orasa Sookdongyor (10-0) and Uzbekistan’s Nabira Esenbae (12-1) but lost the last-four clash on technical superiority to Korea’s Myong Suk Jong.

The rebel group declares Khaira as President of the Punjab unit of AAP

Photo by Rakesh Shah

CHANDIGARH:

The rebel group of Aam Aadmi Party(AAP) today announced the name of Bholath MLA Sukhpal Singh Khaira as President of the Punjab unit of AAP. Khaira was recently removed from the post of Leader of Opposition.

Khaira said that he has accepted the post of state president as per wish of his party workers in Punjab and in foreign countries. He said that Punjab was passing througj a tough time and Congress and SAD were hand in glove. He demanded that Congress had called shortest two day long session of Vidhan Sabha to discuss Bargari firing incident and Justice Ranjit Singh Commission report. He demanded 15 day long session as no issue could be debated at short session of two days.

Unidentified miscreants have opened fired at the residence of President AISSF

 

Ferozepur August 20, 2018:  On Sunday night, some unidentified miscreants reported to have fired at the paternal residence of Karnail Singh Peer Mohammad, President All India Sikh Students Federation.  However, there had been no loss of life.

As per the statement given  the police by Gurcharan Singh Peer Mohammad father of Karnail Singh, has stated that he went to the Gurudwara in the wee hours to pay his obeisance and on return back to home, he found that there were number of firing spots on the main gate of the house and empty cartridges were lying scattered on the floor.  Even the neighbours did not notice any firing sound and did not notice anyone.

In the complaint to the police, none has been pointed behind the incident and also not expressed suspicion against anyone.

The matter was reported to the police who collected the empty cartridges and had initiated the man hunting by intensifying the checking at the nakas.

Gurcharan Singh however stated that they had no enmity with anybody and his son Karnail Singh is living in Chandigarh since long while his younger son is working as Deputy Jail Superintendent at Kapurthala.

He however, urged the police to conduct a special high level investigation to bring the culprits on surface involved in the firing incident.

According to the preliminary observations, SHO Mkhu Harinder Singh said, the empty shells are of .12 bore gun used in firing.

Atal’s ashes to be immersed in river The Gomati at Lucknow

 

Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee had a long association with Lucknow and its lifeline –the river Gomti.

On Thursday, the ashes of the departed leader will be immersed in the same river which found a frequent mention in his speeches during his five-time tenure as Member of Parliament from this constituency. A similar ritual will also be carried out in other rivers of the state.

Bharatiya Janata Party (BJP) MP, MLAs and MLCs have been directed by the top brass of the Uttar Pradesh unit to be in their respective parliamentary and Assembly constituencies on the day of the immersion of the ashes and the `Kalash Yatra’, which will precede it.

A total of 20 ‘asthi kalash’ are expected to reach Lucknow on Tuesday where they will be placed at the BJP headquarters to enable the people to pay homage to the former Prime Minister. Following this, ‘asthi kalash yatras’ will start for the 18 divisions of the state on Wednesday.

The ashes of the leader will be immersed in the main rivers of the state thereafter. For example, the river Ganga at Garhmukteshwar in Meerut division, Mandakani in Chitrakoot, Saryu in Ayodhya, Sangam in Allahabad, Ramganga in Moradabad, Rapti in Gorakhpur, Betwa in Jhansi, Tamsa in Azamgarh have been zeroed in upon for the ashes immersion ceremony.

This will be followed by ‘shradhanjali sabhas’ in the 92 district units of the party.

Massive arrangements are underway in Lucknow for the final farewell to the former PM whose ashes will be immersed in river Gomti. Around one lakh people are expected to take part in the prayer meet and the immersion ceremony which will be held at the Jhule Lal park on the river embankment.

Seating arrangement for 20,000 people is being made for the prayer meet which will be attended by Chief Minister Yogi Adityanath and his ministerial colleagues. Also present on the occasion will be Home Minister Rajnath Singh, who is also the MP from Lucknow.

Members from Vajpayee’s family are also expected to be present on the occasion. Lucknow was the ‘karamabhoomi’ of the late PM.

A BJP leader said that it has been decided to send invitations to leaders and presidents of all political parties including the Congress, the Samajwadi Party and the Bahujan Samaj Party for the prayer meet.

Senior BJP leaders including general secretary Sunil Bansal, state general secretary Gobind Shukla have been regularly visiting the Jhule Lal park to monitor the arrangements.

The cabinet meeting slated for Tuesday is expected to take some vital decisions regarding the naming of important buildings after Vajpayee.