मोदी का व्यवहार जैसे कोई सड़कछाप व्यक्ति हों: इमरान मसूद
अब इमरान मसूद एक बार फिर वही गलती कर रहे हैं. मसूद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर फिर एक विवादित बयान दिया है.
कांग्रेस नेता इमरान मसूद कौन हैं ? 2014 के पहले शायद ही इनको कोई जानता होगा. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और आस-पास के इलाकों में इनकी पहचान रही होगी. एक इलाके भर में इनका वजूद रहा होगा, लेकिन, पहली बार पिछले लोकसभा चुनाव में सबको पता चला कि आखिर ये जनाब हैं कौन? कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसा बयान दिया जिसके बाद देश भर में सियासी बवाल मच गया था.
2014 लोकसभा चुनाव में यूपी के सहारनपुर में एक रैली के दौरान मसूद ने अपने भाषण के दौरान मोदी की ‘बोटी-बोटी काटने’ का विवादित बयान दिया था. उस वक्त पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी. मोदी की लोकप्रियता चरम पर थी. यूपीए सरकार के दस साल के शासनकाल के बाद देशभर में परिवर्तन की लहर चल रही थी. मोदी उस परिवर्तन के नायक के तौर पर अपने-आप को पेश कर रहे थे. ऐसे वक्त में मोदी के खिलाफ इस तरह का बयान देने वाले इमरान मसूद का बयान उल्टा कांग्रेस के लिए ही महंगा पड़ गया था.
अब इमरान मसूद एक बार फिर वही गलती कर रहे हैं. मसूद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर फिर एक विवादित बयान दिया है. मसूद ने उन्हें एक सड़कछाप नेता कह दिया है. कांग्रेस नेता इमरान मसूद से जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाने को लेकर सवाल किया गया तो मसूद ने कहा कि ‘राहुल गांधी ने नवाज शरीफ या इमरान खान को तो गले नहीं लगाया न. प्रधानमंत्री जी को इसका जवाब शालीनता से देना चाहिए था. लेकिन वो ऐसे रिएक्ट कर रहे थे, जैसे कोई सड़कछाप व्यक्ति हों.’
इमरान मसूद के बयान से एक बार फिर खलबली मच गई है. उनके बयान पर सवाल खड़े हो रहे हैं. मसूद ने एक बार फिर भाषा की मर्यादा लांघी है. कांग्रेस ने दो साल पहले उन्हें यूपी में उपाध्यक्ष पद से नवाजा है. अब इस जिम्मेदारी के बावजूद मसूद का मोदी पर अमर्यादित बयान जारी है. तो सवाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से भी पूछे जा रहे हैं. राहुल से सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं क्योंकि, अविश्वास प्रस्ताव पर संसद के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गले मिलने को लेकर बीजेपी पर नफरत की राजनीति करने का आरोप लगाया था.
राहुल ने दिखाने की कोशिश की थी कि बीजेपी के लोग भले ही हमसे नफरत करें, हम उनसे विरोधी होने के बावजूद प्यार से गले लगते हैं. लेकिन, अब इस मुद्दे पर कांग्रेस को जवाब देना होगा, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जवाब देना होगा, क्या इस तरह की भाषा से वो सहमत हैं. नफरत और प्यार का अंतर समझाने वाले राहुल गांधी इसे किस रूप में देखते हैं. क्योंकि अब सवाल राहुल गांधी की उस प्यार की राजनीति पर भी उठेंगे जो कि उन्होंने मोदी को संसद में गले लगाकर किया था.
इस मुद्दे पर बीजेपी भी कांग्रेस और राहुल गांधी को घेर रही है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने फर्स्टपोस्ट से बातचीत में कहा ‘कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कहते हैं कि वो नफरत नहीं प्यार करते हैं, लेकिन, उनके नेताओं का बयान नफरत वाला होता है.’ शाहनवाज हुसैन ने इमरान मसूद के 2014 के मोदी पर दिए उस आपत्तिजनक बयान की भी याद दिलाई जिसमें मसूद ने बोटी-बोटी काटने की बात कही थी.
बीजेपी प्रवक्ता ने दावा किया कि ‘जिस तरह 2014 में मसूद के बयान के बाद मोदी की जीत हुई थी, ठीक उसी तरह कांग्रेस को फिर से यह नफरत वाला बयान उल्टा पड़ेगा और 2019 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में फिर से बीजेपी की ही जीत होगी.’ बीजेपी के दावे में कितना दम है यह तो वक्त बताएगा, लेकिन, ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने इतिहास से सबक नहीं लिया है. कांग्रेस हमेशा एक ही तरह की गलती बार-बार दोहराती रही है.
सोनिया गांधी ने गुजरात में 2007 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया था. इस बयान पर भी खूब हंगामा हुआ था. बीजेपी ने इस बयान को खूब भुनाया और चुनाव परिणाम कांग्रेस के खिलाफ रहा. लेकिन, कांग्रेस ने इससे सबक नहीं लिया. 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले भी कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को कांग्रेस अधिवेशन के बाहर चाय का स्टॉल लगाने की सलाह दे दी थी.
चाय वाले का बेटा बताने वाले मोदी ने इस बयान को अपने पाले में खूब भुनाया. अय्यर का बयान कांग्रेस को उल्टा पड़ गया. फिर भी मणिशंकर अय्यर ने इससे सबक नहीं लिया. अभी पिछले साल खत्म हुए गुजरात के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला था. लेकिन, चुनाव के आखिरी चरण में मणिशंकर अय्यर ने फिर से मोदी पर निजी बयान दे डाला. अय्यर ने उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच कह डाला.
मोदी ने एक बार फिर से अय्यर के इस बयान को कांग्रेस की सोच से जोड़ कर गुजरात की जनता के सामने पेश कर दिया. मोदी ने इस बयान को अपने पिछड़े और गरीब तबके से जोड़ दिया. लिहाजा कांग्रेस को चुनावी समर में यह बयान उल्टा पड गया. बीजेपी की गुजरात में मिली जीत में इस बयान को लेकर भी खूब चर्चा हुई. कांग्रेस ने मणिशंकर अय्यर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
लेकिन, कांग्रेस के दूसरे नेता इससे सबक लेने को तैयार नहीं दिख रहे हैं. यहां तक कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से बार-बार दी गई हिदायत और मोदी के खिलाफ किसी भी तरह की टिप्पणी से बचने की नसीहत का असर नहीं दिख रहा है. लोकसभा चुनाव में अभी भी वक्त है. कांग्रेस के पास अभी भी संभलने का वक्त है. कांग्रेस को समझना होगा मोदी पर जितना प्रहार होगा, मोदी उतने ही मजबूत होंगे. राहुल गांधी को अपने नेताओं पर लगाम लगानी होगी, वरना संसद में गले मिलने की प्यार की राजनीति महज दिखावा बनकर रह जाएगी.