गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘ट्रेलर’ दिखाई दिया था और लोकसभा चुनाव में ‘पूरी पिक्चर’ दिखाई देगी : कांग्रेस


गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लोकसभा चुनावों में भी यही रणनीति रहेगी


गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के साथ मिलकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी. अब कांग्रेस फिर से उसी तैयारी में है. कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी बीजेपी विरोधी ताकतें मिलकर रहेंगी.

कांग्रेस का यह भी दावा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘ट्रेलर’ दिखाई दिया था और लोकसभा चुनाव में ‘पूरी पिक्चर’ दिखाई देगी जो सबको चौंका देगी. पार्टी के गुजरात प्रभारी राजीव सातव ने कहा, ‘गुजरात विधानसभा चुनाव में सबने ट्रेलर देखा था, असली पिक्चर लोकसभा चुनाव में दिखेगी. गुजरात में लोकसभा के नतीजे चौंकाने वाले होंगे. ‘गौरतलब है कि पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के जरिए सामाजिक गठजोड़ बनाकर कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी चुनौती दी थी.

मिलकर चुनौती देने की तैयारी

गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश प्रभारी बनाए गए लोकसभा सदस्य सातव ने राज्य में गठबंधन और सामाजिक गठजोड़ के सवाल पर कहा, ‘लोकसभा चुनाव में हम गुजरात में उन सभी ताकतों को अपने साथ लेंगे जो बीजेपी और उसकी सोच के खिलाफ हैं. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं.’

पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात की 26 लोकसभा सीटों में से कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. यह पूछे जाने पर कि क्या इस बार कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर पाएगी तो सातव ने कहा, ‘इस बार हम सबको चौंकाने वाले हैं। आज के समय में गुजरात में पूरी तरह कांग्रेस के पक्ष में माहौल है। हम एक रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार हम भाजपा से ज्यादा सीटें जीतेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘राज्य में संगठन को हम प्रदेश से लेकर बूथ स्तर तक मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं. अगले कुछ महीनों में गुजरात में हमारे पास पहले से मजबूत संगठन होगा. ‘

योगी के अफसर या सपा के कार्यकर्ता

 


योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इससे पहले आरोप लगाया था कि सरकार के अधिकारी एसपी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है


यूपी में भले ही 15 महीने से योगी सरकार काम कर रही है लेकिन योगी सरकार के अधिकारियों के दिमाग पर एसपी सरकार ही काबिज है. ताजा मामला रविवार को सामने आया है, जहां एसपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के 2014 के सहारनपुर रैली के भाषण को 29 जून को शासनादेश के रूप में जारी कर दिया गया.

राज्य सरकार की अधिकृत शासनादेश की वेबसाइट पर 29 जून को जारी शासनादेशों में 27 जून को शाम 7 से 28 जून शाम 7 बजे तक जारी शासनादेश दिए गए हैं. इसमें उच्च शिक्षा विभाग के अनुभाग-6 के सूचना का अधिकार विषय से जारी शासनादेश में पूर्व एसपी प्रमुख मुलायम सिंह यादव का दो पेज का भाषण है.

‘एसपी की केंद्र में सरकार बनी तो गरीबों को मुफ्त अनाज -मुलायम’ शीर्षक से जारी शासनादेश में सहारनपुर रैली का भाषण दिया गया है. इस रैली में मुलायम ने तब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी को अल्पसंख्यक विरोधी और यूपीए सरकार को कमजोर और डरपोक सरकार बताया था. रैली में उन्होंने केंद्र में एसपी सरकार बनने पर गरीबों को मुफ्त अनाज की घोषणा भी की थी.

‘सरकार के अधिकारी एसपी के कार्यकर्ता’

योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने इससे पहले आरोप लगाते हुए कहा था कि सरकार के अधिकारी एसपी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है.

हमेशा विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरने वाले राजभर अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे है. उन्होंने एक बयान में कहा था कि लोगों ने मोदीजी को तब चुना जब उन्हें कांग्रेस से एक अच्छा विकल्प मिला. जनता कांग्रेस से खुश नहीं थी इसीलिए ये फैसला लिया.

मायावती ने विपक्षी दलों के एकजुट होने के कारण भाजपा की बयानबाजी पर रोष जताया

लखनऊ।

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी पर आज जमकर हमला बोला है। मायावती ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में सामूहिक दुष्कर्म के साथ ही स्विस बैंक में भारतीयों के धन में इजाफा तथा विपक्षी दलों के एकजुट होने के कारण भाजपा की बयानबाजी पर रोष जताया है। मायावती ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कहा जतिवादी, जनविरोधी और अहंकारी भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियां एकजुट हो रही हैं। इससे भाजपा के पेट में भयंकर दर्द हो रहा है। इसी सब भी छटपटाहट में भाजपा लगातार बड़ी-बड़ी गलतियां करती जा रही है। देश की जनता कालाधन व जीएसटी के कारण शोषण से कराह रही है। इसके बीच ही विपक्षी दल एक हो रहे हैं। अब तो सब मिलकर भाजपा पर एकसाथ प्रहार करेंगे। अब भाजपा का जनता से कोई वास्ता नहीं लग रहा है। जनता भी भाजपा की चाल को अब समझ गई है। उनके ही गठबंधन के दल उनसे अलग होते जा रहे हैं। मायावती ने कहा कि स्विटजरलैंड के बैकों में दुनिया भर के बड़े-बड़े पूंजीपति अपना धन रखने को अपनी शान समझते हैं। इनमें से अधिकांश काला धन भी होता है। इन सब के बीच में वहां भाजपा के चहेते भारतीय पूंजीपतियों के धन में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस काला धन की वृद्धि का श्रेय भाजपा को लेना चाहिए। श्रेय लेने में इनका कोई जवाब नहीं है। उन्होंने कहा कि देशहित का मूल प्रश्न यह है कि भारत में कमाया गया धन विदेशी बैंकों में क्यों। इससे केंद्र सरकार की नीयत और उनकी नीति व बड़े-बड़े दावों की पोल खुल रही है। उन्होंने कहा कि वैसे देशहित का मूल प्रश्न यह है कि भारत में कमाया गया धन विदेशी बैंकों में क्यों जमा है। उन्होंने कहा कि क्या मोदी सरकार यह अपराध स्वीकार करने को तैयार है कि विदेशी बैकों में जमा देश का कालाधन वापस लाकर उसे देश के प्रत्येक गरीब परिवार के हर सदस्य को 15 से 20 लाख रुपये देने के उसके चुनावी वायदे पूरी तरह से छलावा साबित हुये हैं। बसपा प्रमुख ने कहा कि देश की गरीब और मेहनतकश आम जनता आने वाले सभी चुनावों में मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी इस सवाल का जवाब जरूर चाहेगी कि भाजपा सरकार की नीतियों से अमीर लोग और ज्यादा धनवान तथा गरीब और ज्यादा गरीब क्यों होते जा रहे हैं। सवाल यह है कि भारतीय धन्नासेठों के धन में इतनी वृद्धि कैसे हुई है और इस सम्बन्ध में केन्द्र सरकार की नीयत, उनकी नीति तथा बड़े-बड़े दावों का क्या हुआ। भाजपा की केन्द्र तथा राज्य सरकारें निजी क्षेत्र को अंधाधुंध बढ़ावा दे रही हैं। जहां दलितों और पिछड़ों की हमेशा से उपेक्षा होती आयी है. मायावती ने कहा कि भारतीय रुपये का लगातार अवमूल्यन क्यों हो रहा है तथा भारतीय पासपोर्ट की अहमियत खासकर अमेरिका में लगातार क्यों कम होती जा रही है, सरकार को इस बात का भी जवाब जनता को ज़रुर देना चाहिये। मायावती ने पूछा कि भारतीय रूपया की कीमत में लगातार गिरावट और अमेरिका में भारतीय पासपोर्ट की अहमियत क्यों कम होती जा रही है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि सवा सौ करोड़ों के इस देश में दिखावे के लिए गैस सिलेंडर देकर उसके प्रचार में जमीन आसमान एक कर देना संकीर्ण चुनावी राजनीति है। इससे ज्यादा गैस कनेक्शन हर साल देने की सामान्य प्रक्रिया रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मध्य प्रदेश के मंदसौर गैंगरेप की घटना को अति निंदनीय और अति शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि शिवराज चौहान सरकार को इस मामले में सख्त कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि भाजपा को भी अपने उन सांसद व विधायक के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया। इसकी आड़ में अपनी राजनीति रोटी सेंकने की घिनौनी हरकत की है। जीएसटी लागू हुए एक साल पूरे होने पर मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह इसकी पूरी ईमानदारी समीक्षा करे और जो भी कमियां सामने आती हैं, उन्हें दूर करे। मायावती ने अमेरिका का जिक्र करते हुए कहा कि इस देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ‘अमेरिका फस्र्ट’ की नीति के कारण वहां भारतीय मूल के लोगों का शोषण तथा गिरफ्तारी जैसी घटनाएं शुरु हो गयी हैं। इन घटनाक्रमों पर केन्द्र सरकार की खामोशी उसकी विफलता व कमजोरी को ही साबित करती है। उन्होंने मांग की कि मोदी सरकार अमेरिका में भारतीय पासपोर्ट धारकों के हित तथा सुरक्षा की गारण्टी लेकर इस सम्बन्ध में तत्काल कदम उठाये।

अनाधिकृत घुसपैठियों के विरुद्ध उचित कार्यवाही हो : विहिप

जयपुर ,1 जुलाई

विश्व हिन्दू परिषद की प्रान्तीय स्तर की केन्द्रीय प्रबन्ध समिति के सदस्य श्री दिनेश चन्द्र की अध्यक्षता में समपन्न दो दिवसीय बैठक में राष्ट्रीय गौ रक्षण एवम् संवर्धन मंत्रालय कार्यालय स्थापित करने की केंद्र से मांग की गई।

परिषद के विधि प्रमुख श्री दिनेश पाठक ने बताया कि गत 24 और 25 जून को दिल्ली में आयोजित बैठक में केंद्र और राज्यों को राष्ट्र सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ अनिवार्य कदम उठाने की सिफारिशें की गई थीं जिनमे सीमा पार से अनाधिकृत गुसपैठ को रोकने के लिए सख्त कदम उठाये जाएँ ख़ास तौर पर त्रिपुरा से लगी सीमा और बंगलादेश से लगते क्षेत्रों में।
बैठक में सिफारिश की गई कि राज्य अपने स्तर पर अनाधिकृत घुसपैठ का पता लगाएं और देशद्रोह कानून के तहत आवश्यक कार्यवाही करें।
इसके अतिरिक्त केन्द्रीय और राज्य सरकारें गौ रक्षण संवर्धन मंत्रालय स्थापित करें जिससे कि कृषि और पर्यावरण को भी लाभान्वित किया जा सके।

सोमनाथ भारती को करना पड़ेगा ट्रायल का सामना, कोर्ट ने दिया आदेश


भारती पर आरोप है कि खिड़की एक्सटेंशन रेड में उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया


दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री सोमनाथ भारती को शनिवार को कोर्ट ने ट्रायल का सामना करने का आदेश दिया है. यह ट्रायल 2014 खिड़की एक्सटेंशन रेड मामले में किया जाएगा. भारती पर आरोप है कि इस रेड में उन्होंने भीड़ का नेतृत्व किया.

कोर्ट ने भारती के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि इस मामले में पुलिस ने सही से जांच नहीं की. कोर्ट ने भारती समेत कई आरोपियों पर छेड़छाड़, धमकी जैसे कई मामले दर्ज किए हैं. इनमें से कई आरोपियों पर महिलाओं के खिलाफ किए गए अपराध का मामला है जोकि गैर-जमानती है.

एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने अपने आदेश में कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि भारती को किस तरह की ऑफिशियल ड्यूटी ने रात के एक बजे विदेशी महिलाओं पर हमला करने के लिए कहा.

बता दें कि भारती समेत 16 लोगों के खिलाफ इस मामले में केस दर्ज किया गया है. गौरतलब है कि मालवीय नगर के विधायक अपने समर्थकों के साथ कथित तौर पर खिड़की एक्सटेंशन में युगांडा मूल के 9 लोगों के घर में घुस गए थे.

कोर्ट ने भारती और उनके सहयोगियों के खिलाफ धारा 147/149, 354, 354C, 342, 506, 143, 509, 153A, 323, 452, 427 और 186 के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया है.

अपने आदेश में मजिस्ट्रेट ने यह भी कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि महिलाओं को पीटा गया. कुछ महिलाओं ने यह भी आरोप लगाया कि उनके साथ छेड़छाड़ की गई, उन्हें भीड़ के सामने ही पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया.

वहीं अपनी सफाई में भारती ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली थी कि युगांडा के नागरिक उस इलाके में ड्रग्स और वेश्यावृत्ति का व्यापार कर रहे हैं. हालांकि पुलिस जांच में सामने आया कि उस रात इलाके से कोई ड्रग्स नहीं मिला.

मर्सिडीज कार और दूध पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता : मोदी


पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को यदि स्वीकार किया जाता है तो इससे खाद्यान्न और कई जरूरी वस्तुओं पर कर बढ़ जाएगा


GST लागू होने के एक वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए कर कानून से विकास, सरलता और पारदर्शिता आई है.

मोदी ने ट्वीट किया है, ‘जीएसटी विकास, सरलता और पारदर्शिता लेकर आया है. यह संगठित कारोबार और उत्पादकता को बढ़ावा देता है , कारोबार सुगमता को और गति देता है, इससे लघु और मझोले उद्योगों को लाभ हो रहा है.’

अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में 24 जून को प्रधानमंत्री ने जीएसटी को सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण करार देते हुए कहा था कि नई व्यवस्था ‘ईमानदारी का उत्सव’ है जिसने देश में ‘इंस्पेक्टर राज’ खत्म कर दिया है.

प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘यदि ‘एक देश एक कर’ सुधार के लिए मुझे सबसे ज्यादा किसी को श्रेय देना है तो मैं राज्यों को श्रेय देता हूं.’

उन्होंने कहा था, ‘जीएसटी सहकारी संघवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां सभी राज्यों ने मिलकर देशहित में फ़ैसला लिया और तब जाकर देश में इतना बड़ा कर सुधार लागू हो सका.’

मोदी ने तीन अलग-अलग ट्वीट में डॉक्टर्स डे और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स डे का भी जिक्र किया हैं.

उन्होंने लिखा है, ‘उनका पेशा मानवों में सबसे सभ्य और पावन है. यह देखना बहुत ही सुखद है कि भारतीय डॉक्टर खुद को दुनिया भर में बेहतर साबित कर रहे हैं और अनुसंधान तथा नवोन्मेष के क्षेत्र में लीक से हटकर काम कर रहे हैं.’

चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (सीए) के लिए मोदी ने लिखा है, ‘देश के निर्माण में सीए समुदाय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. आशा करते हैं कि सीए समुदाय देश के विकास में अपना योगदान जारी रखेगा.’

प्रधानमंत्री ने जीएसटी में एकल दर व्यवस्था को किया खारिज

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत सभी वस्तुओं पर एक ही दर से कर लगाने की अवधारणा को भी खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि मर्सिडीज कार और दूध पर एक ही दर से कर नहीं लगाया जा सकता.

उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत सभी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाने की कांग्रेस पार्टी की मांग को यदि स्वीकार किया जाता है तो इससे खाद्यान्न और कई जरूरी वस्तुओं पर कर बढ़ जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर ही अप्रत्यक्ष करदाताओं का आधार 70 प्रतिशत तक बढ़ गया. इसके लागू होने से चेक-पोस्ट समाप्त हो गए, इसमें 17 विभिन्न करों, 23 उपकरों को समाहित कर एक बनाया गया है.

मोदी ने कहा कि जीएसटी समय के साथ बेहतर होने वाली प्रणाली है. इसे राज्य सरकारों , व्यापार जगत के लोगों और संबंध पक्षों से मिली जानकारी और अनुभवों के आधार इसमें लगातार सुधार किया गया है.

जीएसटी में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, सेवाकर, राज्यों में लगने वाले मूल्यवर्धित कर (वैट) तथा अन्य करों को समाहित किया गया है. इसका उद्देश्य इंस्पेक्टर राज को समाप्त करते हुये अप्रत्यक्ष करों को ‘सरल’ बनाना है.

प्रधानमंत्री ने ‘स्वराज्य’ पत्रिका को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘यह काफी आसान होता कि जीएसटी में केवल एक ही दर रहती लेकिन इसका यह भी मतलब होगा कि खाद्य वस्तुओं पर कर की दर शून्य नहीं होगी. क्या हम दूध और मर्सिडीज पर एक ही दर से कर लगा सकते हैं ?’

उन्होंने कहा , ‘इसलिए कांग्रेस के हमारे मित्र जब यह कहते हैं कि हमारे पास जीएसटी की केवल एक दर होनी चाहिए, उनके कहने का मतलब है कि वह खाद्य पदार्थों और दूसरी उपभोक्ता जिंसों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाना चाहते हैं. जबकि वर्तमान में इन उत्पादों पर शून्य अथवा पांच प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा है.’

स्वराज पत्रिका की वेबसाइट पर जारी साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि आजादी के बाद से जहां 66 लाख अप्रत्यक्ष करदाता ही पंजीकृत थे वहीं एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद इन करदाताओं की संख्या में 48 लाख नए उद्यमियों का पंजीकरण हुआ है.

जब आचार्य कृपलानी राज ऋषि पुरुषोत्तम दास टंडन से हारे थे.


राजर्षि टंडन जिस भारतीय संस्कृति और भारतीयता की बात कांग्रेस में करते थे, नेहरू उसे सांप्रदायिकता मानते थे


इतिहास में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो होते तो ‘बहुत’ हैं, मगर जाने बहुत ‘कम’ जाते हैं. भारत रत्न पुरुषोत्तम दास टंडन भी उन्हीं नामों में से एक हैं. 1 अगस्त 1882 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में जन्मे पुरुषोत्तम दास टंडन का व्यक्तित्व बहुआयामी था.

पुरुषोत्तम दास टंडन वकील, पत्रकार, भाषा अभियानी, राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में नैतिकता और राष्ट्रवादी मूल्यों के प्रबल पक्षधर थे. उनके जीवन को किसी एक वृत्त में समेट पाना बहुत मुश्किल है. उनके महान व्यक्तित्व और कृतित्व के कारण उन्हें 1948 में ‘राजर्षि’ की पदवी से विभूषित किया गया.

कांग्रेस से जुड़ाव और स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका

अपनी शिक्षा-दीक्षा के बाद वकालत को पेशे के रूप में अपनाने वाले पुरुषोत्तम दास टंडन का शुरुआती जुड़ाव 1899 में ही कांग्रेस से हो गया था. वे 1899 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़कर अंग्रेजों के खिलाफ चलने वाली गतिविधियों में शामिल होने लगे थे. अंग्रेजों के खिलाफ गतिविधियों की वजह से उनकी पढ़ाई भी अवरोधित हुई और उन्हें इलाहबाद के म्योर सेंट्रल कॉलेज से निकाल दिया गया था.

हालांकि बाद में उन्होंने अन्य कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1906 में वकालत के पेशे में आ गए. वकालत के साथ-साथ स्वतंत्रता के आंदोलन की गतिविधियों में भी राजर्षि टंडन सक्रिय रहे.

उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें 1919 में जलियावाला बाग़ हत्याकांड के अध्ययन के लिए बनी समिति में भी जगह दी गई. इसके बाद 1921 में महात्मा गांधी के कहने पर राजर्षि टंडन ने वकालत छोड़कर खुद को स्वतंत्रता आंदोलन के कार्य में लगा लिया.

वकालत छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह से कूदने के बाद पुरुषोत्तम दास टंडन 1930 में महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले से गिरफ्तार कर लिए गए.

उन्होंने उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन का संचालन बढ़-चढ़कर किया था, लिहाजा उन्हें दंड में कारावास की सजा मिली. लंदन में महात्मा गांधी की गोलमेज बैठक में शामिल होने से पहले भारत में जिन स्वतंत्रता आंदोलन के क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया गया था, उनमें पुरुषोत्तम दास टंडन भी थे.

नैतिकता के प्रबल पक्षधर

पुरुषोत्तम दास टंडन व्यक्तिगत जीवन में नैतिकता के प्रबल पक्षधर थे. उनके कथनी और करनी में साम्य था. आधुनिक भारत में शैक्षिक चिंतन पुस्तक में उनके नैतिक जीवन को लेकर कई उदाहरण हैं, जो बेहद रोचक प्रेरणादायी हैं. मसलन, 1905 में बंगभंग आंदोलन के दौरान उन्होंने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का संकल्प लिया तो खाने में खांडसारी का उपयोग करने लगे थे.

वर्ष 1921-22 में लखनऊ जेल में रहते हुए उन्होंने नमक खाना छोड़ दिया था. टंडन जी जब उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर थे, उसी दौरान उनके पुत्र का चयन लोक सेवा आयोग के लिए हो गया. उन्होंने अपने पुत्र से यह पद छोड़ने का आग्रह किया. ये तमाम उदाहरण, नैतिकता के प्रति उनके अटल सिद्धांतों को प्रदर्शित करती हैं.

महान हिंदी सेवी राजर्षि टंडन

पुरुषोत्तम दास टंडन के जीवन का एक बड़ा पक्ष उनका हिंदी के प्रति अगाध प्रेम है. उस कालखंड में हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप में स्थापित करने को लेकर उनके प्रयास अद्वितीय थे. वर्ष 1910 में उन्होंने नागिरी प्रचारिणी सभा की स्थापना बनारस में की. वर्ष 1918 में हिंदी विद्यापीठ और 1947 में ‘हिंदी रक्षक दल’ की स्थापना भी राजर्षि टंडन ने ही की थी.

ऐसा कहा जाता है कि वे जिन संस्थानों में अथवा संगठनों में प्रमुख भूमिका में रहे, वहां हिंदी के अलावा कोई और शब्द स्वीकार ही नहीं करते थे. जब देश में हिंदी की लिपि को लेकर मतभेद की स्थिति उत्पन्न हुई उस दौरान पुरुषोत्तम दास टंडन ने महात्मा गांधी तक का विरोध किया और हिंदी को राजभाषा और देवनागरी को राजलिपि के रूप में स्वीकृत कराया.

राजनीतिक जीवन में पंडित नेहरू से मतभेद

स्वतंत्रता के पश्चात पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस के अग्रणी नेता के रूप में स्थापित हो चुके थे. राजर्षि टंडन के विचारों में भारतीयता और राष्ट्रवाद कूट-कूट कर भरा था, लेकिन वे पंडित जवाहर लाल नेहरू की पसंद नहीं थे.

हालांकि राजर्षि टंडन के सरदार पटेल से बहुत ही मधुर संबंध थे. महेश चंद्र शर्मा की पुस्तक ‘दीन दयाल उपाध्याय: कर्तव्य और विचार’ में लिखा है कि अक्तूबर 1949 में जब नेहरू विदेश यात्रा पर थे तब सरदार पटेल ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए कांग्रेस की समिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को सदस्य बनाने का प्रस्ताव पारित करा दिया.

तब राजर्षि टंडन ने उस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा था, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राजनीतिक संस्था नहीं है. उसके लोग कभी चुनावी झंझटों में पड़े नहीं हैं. वास्तव में जमीयते-उल-उलेमा जैसी सांप्रदायिक संस्था के लोग कांग्रेस में घुसे हुए हैं, उनको रोकना चाहिए. संघ का सांस्कृतिक दृष्टिकोण शास्त्रशुद्ध है.’

इस प्रस्ताव ने कांग्रेस में मतभेद पैदा किया और विदेश से वापस आते ही पंडित नेहरू ने इस प्रस्ताव को वापस ले लिया.

राजर्षि टंडन के बरक्स नेहरू की हार

प्रस्ताव वापस लिए जाने और पार्टी पर वर्चस्व को लेकर कांग्रेस का मतभेद तीव्र हो गया था. नेहरू बनाम पटेल गुट के इस संघर्ष के केंद्र बनकर उभरे राजर्षि टंडन. झंगियानी ने अपने शोध में लिखा है, ‘यह एक पार्टी का अंतरसंग्राम था. वर्ष 1950 के दलीय अध्यक्ष चुनाव ने इसे रेखांकित किया.’

दरअसल 1950 में हुए कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पटेल समर्थित उम्मीदवार थे पुरुषोत्तम दास टंडन जबकि नेहरू ने आचार्य कृपलानी को समर्थन दिया था. कृपलानी की हार हुई और राजर्षि टंडन विजयी हुए. यह नेहरू की करारी हार थी. नेहरू इससे इतने क्षुब्ध थे कि वे कार्यसमिति तक में जाने से मना कर दिए थे. नेहरू ने राजर्षि टंडन की जीत को ‘सांप्रदायिकता’ की जीत बताने की पुरजोर कोशिश की थी.

पटेल की मृत्यु, नेहरू का दबाव और टंडन का इस्तीफा

यह कहा जाता है कि नेहरू कांग्रेस में खुद से बड़ा न कोई चेहरा देखना चाहते थे और न ही ऐसे किसी चेहरे को उभरने ही देना चाहते थे. कांग्रेस के 56वें अधिवेशन में टंडन की जीत से नाराज नेहरू ने उन्हें सांप्रदायिक करार देते हुए खुद को कांग्रेस से अलग कर लेने की धमकी तक दे दी. नेहरू की धमकी का दबाव इतना बना की पटेल गुट इसका प्रतिवाद नहीं कर पाया.

राजर्षि टंडन भारतीय संस्कृति और भारतीयता की बात कांग्रेस में करते थे, लेकिन नेहरू उन्हें सांप्रदायिकता मानते थे. जबकि उनको जमीयते-उल-उलेमा से दिक्कत भले न थी. उधर 1950 में पटेल अस्वस्थ हो रहे थे, दूसरी तरफ नेहरू के गुट ने कांग्रेस पर कब्जा करने जैसी स्थिति बना ली थी. आखिरकार राजर्षि टंडन ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए भी राजर्षि टंडन के विचार उनके निजी विचार कहे जाने लगे जबकि इसके उलट नेहरू का हर विचार कांग्रेस नीति वाक्य बन गया था.

कहीं न कहीं नेहरू की तत्कालीन राजनीति में भारतीयता की बात करना उनको चुनौती देने जैसा था, और इस चुनौती को देने वाला लगभग हर व्यक्ति तब हाशिए पर चला गया. राजर्षि टंडन भी उन्हीं में से एक थे. नेहरू को भारतीयता की बजाय आयातित समाजवाद और साम्यवाद ज्यादा आकर्षित कर रहा था. जो भी उनके इस आकर्षण में आड़े आया वो उनकी आंख की किरकिरी बन गया.

धूम्रपान आपकी ही नहीं ओरों की जिंदगी को भी खतरे में डाल सकता है

अमृतसर से उत्तराखंड के लाल कुंआ जाने वाली ट्रेन में आज अचानक आग लगने से अफरा तफरी मच गई। अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर मौजूद रेलवे की बचाव टीम ने आग पर काबू पाया और क्लियरेंस के बाद ट्रेन को लाल कुआं के लिए रवाना कर दिया। हादसे में किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है।

अमृतसर से लाल कुआं के लिये जाने वाली एक्सप्रेस ट्रेन में यह हादसा अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर हुआ जिस वजह से तुरन्त आग पर काबू पाने में मदद मिल गई और जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ।

ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों के मुताबिक ट्रेन के सेकंड क्लास डिब्बे के टॉयलेट में से अचानक धुआं उठने लगा जिसके बाद ट्रेन में अफरा तफरी मच गई और लोग अपनी जान बचाने को दौड़ पड़े। यात्रियों ने पानी डालकर आग बुझाने का प्रयास किया और रेलवे के अधिकारियों को सूचना दी।

खिड़कियों के शीशे तोड़कर बोगी में भरा धुंआ बाहर निकाला गया। कुछ ही देर में रेलवे के अधिकारी रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे आग पर काबू पा लिया गया।

स्टेशन निदेशक बलजोत सिंह गिल समेत रेलवे का तकनीकी स्टाफ भी प्लेटफार्म नम्बर 2 पर खड़ गाड़ की ओर दौड़ पड़े और आग पर काबू पाया।

बलजोत सिंह गिल का मानना है कि किसी यात्री ने ट्रेन के टॉयलेट में जाकर बीड़ी या सिगरेट पीकर डस्टबिन में डाल दी होगी जिससे यह आग लगी।

ज्ञातव्य है कि रेस्क्यू ऑपरेशन के कारण ट्रेन को लगभग आधा घन्टा अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर रोका गया।पूरी तसल्ली होने पर ही उसे आगे रवाना किया गया।