बुलेट ट्रेन मामला अब गोदरेज अड़ा


गौरतलब है कि किसान और आदिवासी पहले ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं


केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन परियोजना के सामने एक नई चुनौती पैदा हो गई है. परियोजना के लिए विकरोली में प्रस्तावित अपनी प्राइम लोकेशन के अधिग्रहण के खिलाफ गोदरेज ग्रुप ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

समूह ने परियोजना का मार्ग बदलने की बात कही है ताकि उसकी कंपनी गोदरेज कंस्ट्रक्शन की लगभग 8.6 एकड़ जमीन उससे बाहर आ सके. बता दें कि मुंबई और अहमदाबाद के बीच बन रहे 508.17 किलोमीटर लंबे रेल ट्रेक का 21 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड होगा. अंडरग्राउंड ट्रैक का एक पॉइंट विकरोली में है. गोदरेज ग्रुप की तरफ से पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसपर 31 जुलाई को एक जज की बेंच द्वारा सुनवाई की जा सकती है.

गौरतलब है कि किसान और आदिवासी पहले ही इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं. गुजरात के चार किसानों ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है. बता दें कि पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे से साथ अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी ती.

देश की पहली बुलेट ट्रेन करीब 350 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी और अहमदाबाद से मुंबई की दूरी को तीन घंटे में तय करेगी. अपने सफर के दौरान ट्रेन 12 स्टेशन पर रुकेगी जिसमें से चार महाराष्ट्र में हैं.

अन्तरिक्ष में भारत के खिलाफ पाकिस्तान की आँख बन रहा चीन


उपग्रह पीआरएसएस-1 और पाकटीईएस-1 ए को पश्चिमोत्तर चीन में जिउकान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से पूर्वाह्न 11 बजकर 56 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया.


चीन ने पाकिस्तान के लिए सोमवार को दो दूर संवेदी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया. तकरीबन 19 साल के दौरान लॉन्ग मार्च -2 सी रॉकेट का यह पहला अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक प्रक्षेपण है.

उपग्रह पीआरएसएस-1 और पाकटीईएस-1 ए को पश्चिमोत्तर चीन में जिउकान उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से पूर्वाह्न 11 बजकर 56 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया.

पीआरएसएस -1 पाकिस्तान को बेचा गया चीन का पहला ऑप्टिकल रिमोट सेंसिंग उपग्रह है और किसी विदेशी खरीदार के लिये चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (सीएएसटी) द्वारा विकसित 17 वां उपग्रह है.

पाकिस्तान द्वारा विकसित वैज्ञानिक प्रयोग उपग्रह पाकटीईएस-1 ए को उसी रॉकेट से उसकी कक्षा में भेजा गया. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार अगस्त 2011 में संचार उपग्रह पाकसैट -1 आर के प्रक्षेपण के बाद से चीन और पाकिस्तान के बीच एक और अंतरिक्ष सहयोग हुआ है.

पीआरएसएस-1 का इस्तेमाल जमीन और संसाधन के सर्वेक्षण, प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी, कृषि अनुसंधान, शहरी निर्माण और सीमा एवं सड़क क्षेत्र के लिए रिमोट सेंसिंग सूचना उपलब्ध कराने के लिए किया जायेगा.

सोमवार का यह प्रक्षेपण लॉन्ग मार्च रॉकेट श्रृंखला का 279 वां अभियान और करीब दो दशक के बाद पहला अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक प्रक्षेपण है. 1999 में इसने मोटोरोला के इरिडियम उपग्रह का प्रक्षेपण किया था.

आतंकियों ने माँ को मार बेटे की पढ़ाई लूट ली


अब्‍दुल माजिद अपने बड़े बेटे का दाखिला जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर मेडिकल काजेल में कराना चाहते थे. शायद आतंकियों को यही बात बुरी लग गई. जिसके चलते रविवार रात आतंकियों ने अब्‍दुल माजिद के घर में धावा बोल दिया.


जम्मू : 

बेटे का मेडिकल कालेज में दाखिल कराने के लिए जम्‍मू कश्‍मीर के एक परिवार ने हाल में अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेंचा था. यह दंपति अपने बेटे का दाखिला मेडिकल कालेज में करा पाता, इससे पहले आतंकियों को घर में मौजूद रुपयों की भनक लग गई. रविवार रात्रि हथियारों से लैस आतंकियों ने इस दंपति के घर में धावा बोल दिया. घर की मालकिन ने बेटे की पढ़ाई का वास्‍ता दिया तो आतंकियों का गुस्‍सा सातवें आसमान में पहुंच गया. झल्‍लाएं आतंकियों ने चाकू से इस महिला का गला रेत दिया. जिसके बाद खून से लथपथ महिला जमीन पर पड़ी तड़पती रही और आतंकी  घर मे लूटपाट करते रहे  आतंकियों के घर से जाने के बाद इस घर के मुखिया ने पड़ोसियों से मदद मांगी. किसी तरह इस महिला को अस्‍पताल तक ले जाया गया. जहां डाक्‍टरों ने महिला को मृत घोषित कर दिया.

यह दर्दनाक वारदात जम्मू – कश्मीर के बांदीपुरा के शाहगुंद गांव की है. दरअसल, अब्‍दुल माजिद अपनी पत्‍नी शकीला बेगम और चार बेटों के साथ इसी गांव में रहते थे. अब्‍दुल माजिद के बेटे ने हाल में 12वीं की परीक्षा पास की थी. अब्‍दुल माजिद चाहते थे कि उनका बेटा कश्‍मीर में फैले आतंकवाद से दूर जाकर अपना भविष्‍य बनाए. अपने बेटे का भविष्‍य बनाने के लिए उन्‍होंने कुछ दिनों पहले अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेंचा था. वह अपने बेटे का दाखिला जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर मेडिकल काजेल में कराना चाहते थे. शायद आतंकियों को यही बात बुरी लग गई. जिसके चलते रविवार रात आतंकियों ने अब्‍दुल माजिद के घर में धावा बोल दिया. दो आतंकी घर के बाहर रुके, जबकि एक आतंकी घर के भीतर दाखिल हो गया. घर के भीतर घुसे आतंकी ने हथियारों के बल पर परिवार के सभी सदस्‍यों को बंधक बना लिया और लूटपाट करने लगे.

आतंकी घर में मौजूद पूरा रुपया और सोने के आभूषण अपने साथ ले जाना चाहते थे, जिससे अब्‍दुल माजिद अपने बेटे को जम्‍मू-कश्‍मीर से बाहर न भेज सके. अपने बेटे के बेहतर भविष्‍य के लिए बुने सपनों को बिखरता देख शकीला विफर पड़ी. उसने अपने बेटे की पढ़ाई का वास्‍ता देकर आतंकियों को रोकने की कोशिश की. इसी बात ने आतंकियों के गुस्‍से को सातवें आसमान में पहुंचा दिया. झल्‍लाए आतंकी ने अपनी जेब से छुरा निकाला और शकीला की गर्दन रेत दी. खून से लथपथ शकीला को वही पड़ा छोड आतंकी फिर लूटपाट में लग गए. घर में लूटपाट की वारदात को अंजाम देने के बाद आतंकी घर से फरार हो गए. जिसके बाद  अब्‍दुल माजिद अपनी पत्‍नी शकीला को लेकर श्रीनगर के एक हॉस्पिटल पहुंचे. जहां चिकित्‍सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

सूत्रों के अनुसार, मामले की छानबीन के लिए पहुंची पुलिस ने घर से कुछ दूरी पर लूटे गए रुपयों का एक हिस्‍सा पड़ा हुआ पाया. इससे यह साफ हो गया कि इस वारदात को रुपए हासिल करने के मकसद से नहीं बल्कि अब्‍दुल माजिद के बेटे की पढ़ाई रोकने के इरादे से अंजाम दिया गया था. प्रथम दृष्‍टया इस दर्दनाक वारदात के लिए लश्‍कर-ए-तैयबा को जिम्‍मेदार माना जा रहा है. वहीं बांदीपुरा पुलिस ने स्पेशल टीम का गठन कर मामले की छानबीन शुरू कर दी है.

 

 

 

‘हम अपने मौजूदा सहयोगियों को सम्मान देंगे और लोकसभा चुनावों के पहले नए दोस्त लाएंगे और राष्ट्र को एक स्वच्छ सरकार देंगे.’ शाह


चेन्नई में अमित शाह ने कहा तमिल गौरव और तमिल भाषा की रक्षा के लिए बीजेपी और उसकी तमिलनाडु इकाई की तरह कोई भी पार्टी प्रतिबद्ध नहीं है.


चेन्नई : 

बीजेपी और उसके कुछ घटक दलों में तल्खी के बीच पार्टी प्रमुख अमित शाह ने सहयोगियों को सम्मान देने और अगले साल लोकसभा चुनाव के पहले केंद्र में एनडीए का विस्तार करते हुए नए दोस्तों को लाने का इरादा जताया. तमिलनाडु में पार्टी अपना जनाधार बढ़ाने के लिए गठबंधन करने पर विचार कर रही है. अमित शाह ने तमिल गौरव का आह्वान करते हुए जोर दिया कि बीजेपी की तरह कोई और पार्टी इसकी रक्षा के लिए उतना प्रतिबद्ध नहीं है.

शहर के बाहरी हिस्से में बीजेपी के शक्ति और महाशक्ति केंद्रों के करीब 15000 सदस्यों की बैठक में उन्होंने कहा, ‘हम अपने मौजूदा सहयोगियों को सम्मान देंगे और लोकसभा चुनावों के पहले नए दोस्त लाएंगे और राष्ट्र को एक स्वच्छ सरकार देंगे.’

शक्ति केंद्र के प्रभारी के पास बूथ स्तरीय पांच पदाधिकारियों के पार्टी संबंधी कार्य पर नजर रखने की जिम्मेदारी होती है जबकि महाशक्ति केंद्र का पदाधिकारी शक्ति केंद्र के पांच पदाधिकारियों पर नजर रखता है.

शाह ने कहा कि लोकसभा चुनावों के पहले वह तमिलनाडु में अपने नए सहयोगियों की घोषणा करेंगे. तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी पार्टी-द्रमुक का नाम लिए बिना शाह ने कहा कि उसने तमिल गौरव के मुद्दे पर दुष्प्रचार अभियान शुरू कर दिया था.

उन्होंने कहा, ‘तमिल गौरव का मुद्दा जो उठा रहे हैं वो हमारे खिलाफ दुष्प्रचार में लिप्त हैं. तमिल गौरव और तमिल भाषा की रक्षा के लिए बीजेपी और उसकी तमिलनाडु इकाई की तरह कोई भी पार्टी प्रतिबद्ध नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘‘जब वे केंद्र में यूपीए के साथ सत्ता में थे तो रेलवे टिकट का प्रिंट तमिल भाषा में नहीं होता था. नरेंद्र मोदी जब सत्ता में आए तो ऐसा हुआ. बीजेपी सभी राज्यों के गौरव का सम्मान करती है क्योंकि यह हमारी संस्कृति में है.’’

इलाहाबाद = प्रयाग = प्रयागराज??????


2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने भी इलाहाबाद का नाम बदलने की वकालत की थी.


लखनऊ जुलाई 9, 2018 :

नाम बदलने की परंपरा में अब इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग उठने लगी है. अगर सब कुछ सही रहा तो संगम नगरी इलाहाबाद का नाम ‘प्रयाग’ हो जाएगा. इसकी कवायद के लिए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री व सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने राज्यपाल राम नाईक को पत्र लिखा है और उनसे इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने में मदद का अनुरोध किया है.

योगी सरकार काफी पहले से ही इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की कोशिश में है. इससे पहले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने की बात रख चुके हैं. इस सम्बन्ध में सिद्धार्थनाथ ने कहा कि राज्यपाल राम नाईक जब महाराष्ट्र के सांसद थे तब उन्होंने ‘बॉम्बे’ को ‘मुंबई’ के नाम से बदलने में मदद की थी. उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इलाहाबाद का नाम ‘प्रयाग’ करने पर विचार करने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा है. उम्मीद है वह इस पत्र को गंभीरता से लेकर मेरे अनुरोध पर विचार करेंगे.

गौरतलब है कि इससे पहले उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने भी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयाग’ करने के सम्बन्ध में बयान दिया था. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इलाहाबाद की पहचान यहां तीन नदियों के संगम की वजह से है, इसलिए इसका नाम ‘प्रयागराज’ होना चाहिए.

उन्होंने कुंभ आयोजन से पहले इस काम को पूरा करने का आश्वासन भी दिया था. अब स्वास्थ्य मंत्री का राज्यपाल को लिखा पत्र भी इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है. साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि 2019 में होने वाले कुंभ से पहले योगी सरकार इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयाग’ कर देगी.

स्वास्थ्य मंत्री के अलावा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इलाहाबाद का नाम बदलने की मांग की है. अखाड़ा परिषद के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरी ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कहा कि कुंभ मेला से पहले इलाहाबाद का नाम प्रयाग कर देना चाहिए. बता दें कि 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह और राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने भी इलाहाबाद का नाम बदलने की वकालत की थी.

आआपा अध्यक्ष के आरोप सिरे से गलत हैं : उपराज्यपाल


उपराज्यपाल अनिल बैजल ने ने यह प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस आरोप पर दी है कि उपराज्यपाल शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करने में ‘चुनिंदा’ रवैया अपना रहे हैं.


उपराज्यपाल अनिल बैजल ने सोमवार को कहा कि दिल्ली सरकार और केन्द्र के बीच सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘ चुनिंदा तरीके से स्वीकार करने का ’ आरोप ‘ गलत ’ है और उनके बयान का ‘चुनिंदा’ तरीके से हवाला दिया गया. बैजल ने यह प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस आरोप पर दी है कि उपराज्यपाल शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करने में ‘चुनिंदा’ रवैया अपना रहे हैं.

केजरीवाल ने उपराज्यपाल को लिखे पत्र में कहा था , ‘आप इस निर्णय को लेकर चयनात्मक कैसे हो सकते हैं. इस मामले में आपको अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए कि या तो आप सभी मामले को किसी नियमित पीठ के समक्ष रखेंगे , और इसलिए आप आदेश का कोई हिस्सा स्वीकार नहीं करेंगे. या आपको इस निर्णय को पूरा स्वीकार करना चाहिए और इसे लागू करना चाहिए. ’’

केजरीवाल ने पत्र में कहा , ‘आप कैसे कह सकते हैं कि आप आदेश का यह पैरा स्वीकार करेंगे , लेकिन उसी आदेश का वह पैरा नहीं स्वीकार करेंगे. ’

बैजल ने मुख्यमंत्री पर मीडिया को अपना पत्र लीक करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने केजरीवाल को जवाब दिया , ‘आपका पत्र मेरे कार्यालय में पहुंचने से पहले यह सोशल और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पास पहुंच चुका है.’

उपराज्यपाल कार्यालय के बयान के अनुसार , बैजल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने छह जुलाई के उनके पत्र का ‘ चुनिंदा तरीके से हवाला ’ दिया और उच्चतम न्यायालय के चार जुलाई के फैसले को चयनित तरीके से स्वीकार करने का उनका आरोप ‘‘ गलत ’’ है.

“मैं चीजों को तत्काल बदलने के लिए जादू नहीं कर सकता हूं” कुमारस्वामी


बीजेपी की ओर से गठबंधन को ‘नापाक’ और लोगों के साथ धोखा बताने पर उन्होंने कहा कि उनको डर है कि चुनाव फिर हो सकते हैं जो निराधार है

कुमार स्वामी ने मनोहन सिंह के ब्यान की याद ताज़ा कार्वा दी जहां उन्होने जादू की छड़ी का उल्लेख करते हुए अपनी असमर्थता जताई थी.


कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने सोमवार को कहा कि उन्हें राज्य के विभिन्न मुद्दों का निपटारा करने के लिए समय चाहिए. उन्होंने कहा, ‘अजीब परिस्थितियों में इस सरकार का गठन हुआ है. मुझे वक्त चाहिए. मैं चीजों को तत्काल बदलने के लिए जादू नहीं कर सकता हूं.’

उन्होंने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधायकों द्वारा उठाए गए सिंचाई परियोजना से लेकर अवैध बालू खनन और अन्य मुद्दों का हवाला दिया. चर्चा के दौरान कुमारस्वामी और विपक्ष के नेता बीएस येदियुरप्पा के बीच जबर्दस्त तकरार हुई. येदियुरप्पा ने सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन की आलोचना की.

कुमारस्वामी ने कहा कि सरकार ने इंसानियत के साथ समाज के हर तबके की मदद के लिए काम करना शुरू कर दिया है. बीजेपी की ओर से गठबंधन को ‘नापाक’ और लोगों के साथ धोखा बताने पर उन्होंने कहा कि उनको डर है कि चुनाव फिर हो सकते हैं जो निराधार है. उन्होंने कहा, ‘गठबंधन सरकार बनी रहेगी और प्रभावी तरीके से सरकार के लिए काम करेगी.’

कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी गठबंधन की सरकार के पास बहुमत है और ना कि सिर्फ 37 जेडी (एस) विधायक हैं. उन्होंने कहा कि 2006 में जब जेडी (एस)-बीजेपी की सरकार थी, सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनने के लिए उन्हें समर्थन दिया था. क्या तब लोकतंत्र की हत्या नहीं हुई थी?

कुमारस्वामी ने कहा, ‘कोई भी यह दावा नहीं कर सकता था कि मैं मुख्यमंत्री बन सकता हूं. यहां तक कि मैं भी नहीं. क्योंकि स्थिति इस तरह की थी, लेकिन फैसले लिए गए और मैंने प्रभार संभाला. इसलिए मैं खुद को परिस्थितियों की पैदाइश कहता हूं.’

ऋषि कपूर ओर तापसी पुन्नु अभिनीत “मुल्क” का ट्रेलर हुआ रिलीस फिल्म 3 अगस्त को


ऋषि कपूर और तापसी पन्नू से सजी इस फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है जिस पर देशद्रोह का आरोप लगा है


अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन में बनी फिल्म ‘मुल्क’ का ट्रेलर रिलीज हो चुका है. इस फिल्म में दिग्गज कलाकार ऋषि कपूर और तापसी पन्नू ने जबरदस्त एक्टिंग की है, जो कि ट्रेलर में भी साफ तौर पर दिखाई दे रहा है. इस फिल्म का टीजर कुछ दिनों पहले ही रिलीज किया गया था.

मुल्क का ट्रेलर हुआ रिलीज

ऋषि कपूर और तापसी पन्नू की अपकमिंग फिल्म ‘मुल्क’ का ट्रेलर रिलीज कर दिया गया है. इस ट्रेलर में तापसी पन्नू और ऋषि कपूर की एक्टिंग को देखर तो आप उनके मुरीद ही हो जाएंगे. ये फिल्म एक बेगुनाह के सिर से देशद्रोह का कलंक मिटाने की कहानी है. इस फिल्म में तापसी पन्नू वकी आरती मोहम्मद का किरदार निभाती हुई नजर आएंगी जबकि ऋषि कपूर मुराद अली मोहम्मद के किरदार में नजर आएंगे. दोनों इस ट्रेलर में हर जगह छाए हुए हैं. बनारस और लखनऊ की झलक दिखाती इस फिल्म में तापसी देशद्रोह का केस लड़ती हुई नजर आने वाली हैं.

ऋषि कपूर पर लगा है देशद्रोह का आरोप

आपको बता दें कि, ऋषि कपूर और तापसी पन्नू से सजी इस फिल्म की कहानी एक ऐसे परिवार की है जिस पर देशद्रोह का आरोप लगा है. ये परिवार विवाद में उलझने के बाद अपना सम्मान दोबारा पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है. फिल्म में ऋषि कपूर पर देशद्रोह का आरोप लगा है जिसकी वकील तापसी पन्नू हैं. वही ऋषि कपूर का केस लड़ती हैं. ये फिल्म 3 अगस्त को रिलीज होने वाली है.

हम पैट्रोलियम मंत्रालय की दया पर नहीं है : सर्वोच्च न्यायालय


पीठ ने यह टिप्पणियां उस वक्त कीं जब शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि इस मंत्रालय ने रविवार को ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे से अवगत कराया है


सुप्रीम कोर्ट ने औद्योगिक इकाइयों में पेट कोक के इस्तेमाल से संबंधित मामले में नाराजगी के साथ फटकार लगाई कि क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय खुद को भगवान या सुपर सरकार मानता है. और सोचता है कि बेरोजगार जज उसकी दया पर हैं. जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने यह तीखी टिप्पणियां उस वक्त कीं जब शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि इस मंत्रालय ने रविवार को ही पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे से अवगत कराया है. यह कोक औद्योगिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल होता है.

शीर्ष अदालत ने इस रवैये पर कड़ा रूख अपनाते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय पर इस लापरवाही के लिए 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर पर्यावरणविद् अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता द्वारा 1985 में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार पर भी एक लाख रूपए का जुर्माना किया क्योंकि उसने राजधानी में अनेक रास्‍तों पर यातायात अवरूद्ध होने की समस्या को दूर करने के लिए कोई समयबद्ध स्थिति रिपोर्ट पेश नहीं की. पीठ ने कहा कि दस मई के अदालत के आदेश के अनुसार दिल्ली सरकार को छह सप्ताह के भीतर इस बारे में हलफनामा दाखिल करना था लेकिन उसने न तो ऐसा किया और न ही उसकी ओर से कोई वकील उपस्थित हुआ. पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार इन आदेशों के प्रति गंभीर नहीं है.

पीठ ने पेट्रोलियम एंव प्राकृतिक गैस मंत्रालय के खिलाफ ये तल्ख टिप्पणियां उस वक्त कीं जब अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने उसे सूचित किया कि इस मंत्रालय से उसे कल ही जवाब मिला है. इस पर नाराजगी व्यक्त करते हुये पीठ ने कहा, ‘क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय भगवान है? क्या वे भगवान हैं? उनसे कह दीजिये कि वे पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की बजाए अपना नाम बदल कर भगवान कर लें.’

पीठ ने कहा, ‘क्या पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय सुपर सरकार है? क्या वह भारत सरकार से ऊपर है? हमें बताएं कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की क्या हैसियत है? वे किसी भी आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं?’

नाडकर्णी ने जब यह कहा कि उनका हलफनामा तैयार है और इसे आज ही दाखिल कर दिया जाएगा तो जस्टिस लोकुर ने पलट कर कहा, ‘यदि वे (पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय) आदेशों पर अमल नहीं करना चाहते हैं तो वे पालन नहीं करें. और क्या वे सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के बेरोजगार जज उन्हें समय देंगे. क्यों हमें उनकी दया पर रहना होगा.’

पीठ ने अतिरिक्त् सालिसीटर जनरल को दिन में हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हुए कहा, ‘हम पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को जवाब भेजने के लिए अपने हिसाब से वक्त लगाने के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के रवैये से आश्चर्यचकित हैं. यह विलंब सिर्फ पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ‘सुस्ती’ के कारण हुआ है.’

पीठ ने इस मंत्रालय पर 25 हजार रुपए लगाते हुए कहा कि यदि जुर्माने की राशि सुप्रीम कोर्ट सेवा प्राधिकरण में 13 जुलाई तक जमा नहीं कराई गई तो वह जुर्माने की राशि बढ़ा देगी. अदालत इस मामले में अब 16 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा.

इससे पहले, संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्याय मित्र की भूमिका निभा रही वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को पेट कोक के आयात पर प्रतिबंध लगाने तथा प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के बारे में जवाब देना था.

मुफ्त यात्रा के जरिये 2019 पार लगाएगी आआपा


दिल्ली सरकार के इस योजना के शुरुआत के साथ ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों को सब्सिडी देने पर रोक लगा दी थी.


दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की मंजूरी दे दी है. अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना की मंजूरी दे दी. इस योजना की मंजूरी मिलने के साथ ही दिल्ली की हर विधानसभा से 1100 वरिष्ठ नागरिकों को अब योजना का लाभ मिलेगा.

बता दें कि दिल्ली सरकार ने अपने पिछले बजट में भी इस योजना का जिक्र किया था, लेकिन उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह योजना काफी दिनों से अटकी पड़ी थी.

दिल्ली सरकार योजना के शुरुआत में 5 रूट तय किए हैं. ये रूट मथुरा-वृदांवन, हरिद्वार-ऋषिकेश-नीलकंठ, पुष्कर-अजमेर, अमृतसर-बाघा-आनंतपुर साहिब, वैष्णो देवी-जम्मू हैं. योजना के तहत दिल्ली के 77 हजार वरिष्ठ नागरिकों को सरकार मुफ्त में तीर्थ यात्रा कराएगी. तीर्थयात्रा 3 दिन और 2 रात की होगी.

दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फेंस कर इसकी जानकारी दी. कैलाश गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए कहा,‘8 जनवरी 2018 को कैबिनेट ने इस योजना की मंजूरी दे दे थी, लेकिन दिल्ली के उपराज्यपाल की तरफ से इस पर आपत्ति लगा दी गई थी. इसी वजह से इस योजना को अब तक लागू नहीं किया गया. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली सरकार और एलजी के बीच चल रहे अधिकारों की लड़ाई में एक लकीर खींच दी थी. इसके बाद ही दिल्ली सरकार ने इस योजना को लागू करने का फैसला किया है.

इससे पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर इस योजना के बारे में जानकारी दी थी. मुख्यमंत्री तीर्थ योजना के तहत दिल्ली के हर विधानसभा से हर साल 1100 यात्रियों को तीर्थ यात्रा करवाई जाएगी. इस तीर्थयात्रा का पूरा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी. इस तरह हर साल 77 हजार वरिष्ठ नागरिकों को मुफ्त में पांच तीर्थस्थलों का भ्रमण कराया जाएगा.

इस योजना का लाभ पाने के लिए कुछ जरूरी बातों का भी ख्याल रखना होगा.

1- यात्रा करने वाला आदमी दिल्ली का नागरिक होना चाहिए

2- यात्रा करने वाले की उम्र 60 से अधिक होनी चाहिए.

3- इस योजना के लिए चयनित नागरिक अपने साथ एक 18 साल से अधिक उम्र के एक सहयोगी को भी ले जा सकेंगे, जिसका भी पूरा खर्च दिल्ली सरकार ही उठाएगी.

4- सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा.

5- इस योजना का लाभ उठाने वाले व्यक्ति को सेल्फ सर्टिफिकेशन से बताना होगा कि उसने सही सूचनाएं दी हैं और पहले कभी इस योजना का लाभ नहीं उठाया है.

6- तीर्थयात्रा के लिए चयनित व्यक्तियों को एक लाख का बीमा होगा.

7- तीर्थयात्री एसी बसों से तीर्थयात्रा पर जाएंगे. खाने-पीने की व्यवस्था भी दिल्ली सरकार के तरफ से ही की जाएगी.

8- सभी आवेदन पत्र ऑनलाइन भरे जाएंगे. आवेदन पत्र डिविजनल कमिश्नर ऑफिस, संबंधित विधानसभा के विधायक या फिर तीर्थ यात्रा कमेटी के ऑफिस से भरे जाएंगे.

9- लॉटरी से ड्रॉ तीर्थयात्रियों का चयन किया जाएगा

10- संबंधित विधायक सर्टिफाई करेंगे कि तीर्थयात्रा करने वाला व्यक्ति दिल्ली का नागरिक है.

बता दें कि पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली सरकार ताबड़तोड़ फैसले ले रही है. साल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार लगातार एक के बाद एक ऐसे फैसले ले रही है, जिसका संबंध सीधे आम जनता से जुड़ा हुआ है. मोहल्ला क्लिनिक का मामला हो या फिर घर-घर राशन डिलवरी का ये कुछ ऐसे फैसले हैं जो कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की जनता से जोड़ने का काम करेगी.

दूसरी तरफ दिल्ली सरकार के इस योजना के शुरुआत के साथ ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. हाल ही में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हज यात्रा पर जाने वाले हाजियों को सब्सिडी देने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद से ही कई धार्मिक यात्राओं पर भी सब्सिडी पर सवाल खड़े किए जाने लगे हैं. ऐसे में अरविंद केजरीवाल का यह फैसला विरोधियों को नागवार गुजर सकता है.

इसके बावजूद कई राज्य सरकारें धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों को सब्सिडी देती रही हैं. मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने साल 2012 में तीर्थयात्रियों के लिए एक योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत शिरडी, अजमेर शरीफ, बद्रीनाथ, केदारनाथ, जगन्नाथ पुरी, द्वारका, वैष्णो देवी जैसे कई और तीर्थस्थलों पर वरिष्ठ नागरिकों को भेजा जाता है.

साल 2012 में राज्य के 51 जिलों के 89 हजार वरिष्ठ नागरिकों ने इस योजना का लाभ उठाया था. यही नहीं राज्य की शिवराज सरकार ने पाकिस्तान में ननकाना साहेब और हिंगलाज माता मंदिर, मानसरोवर यात्रा, श्रीलंका में सीता मंदिर और अशोक वाटिका की यात्रा पर जाने वालों को भी 50 फीसदी खर्च उठाती है.

उत्तर प्रदेश सरकार भी मानसरोवर यात्रा और सिंधू दर्शन यात्रा के लिए सब्सिडी देती रही है. मानसरोवर यात्रा के लिए योगी सरकार ने पिछले साल ही 50 हजार रुपए राशि को बढ़ा कर एक लाख रुपए कर दिया.

देश में कई ऐसे राज्य हैं जो धार्मिक यात्रा पर जाने वाले लोगों को सब्सिडी देते हैं. गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा और असम जैसे राज्यों में भी तीर्थ यात्रा के लिए विशेष सब्सिडी दी जाती है. हाल के दिनों में तीर्थाटन पर दी जा रही सब्सिडी को लेकर सवाल भी उठे हैं, जिसके बाद से कई राज्यों ने सब्सिडी में कटौती करना भी शुरू कर दिया है. ऐसे में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने गैर मुस्लिमों के लिए भी तीर्थ यात्रा की योजना शुरू कर इसको और हवा देने का काम किया है.