Haryana Stood Third in DIPP list


Telangana, Haryana, Jharkhand and Gujarat make up the top five in states’ ease of doing business ranking, Meghalaya last


New Delhi: Andhra Pradesh has topped the ease of doing annual business ranking of states and union territories by the World Bank and Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP).

Telangana and Haryana are at the second and third positions, respectively, according to a statement issued by DIPP. Others in the top ten are Jharkhand (4), Gujarat (5), Chhattisgarh (6), Madhya Pradesh (7), Karnataka (8), Rajasthan (9) and West Bengal (10).

Meghalaya was ranked last at 36th position.

DIPP in collaboration with the World Bank conducts an annual reform exercise for all States/UTs under the Business Reform Action Plan (BRAP). “A large number of states have made significant progress in reforms suggested in BRAP 2017,” it said. The assessment under the BRAP 2017 is based on a combined score consisting of reform evidence score that is based on evidence uploaded by States/UTs and feedback score that is based on response garnered from the actual users of the services provided to the businesses.

DIPP said 17 states have achieved a reform evidence score of more than 90% and 15 have achieved a combined score of 90% and more. “The states which have achieved 80% or more reforms evidence score represent 84% of the country’s area, 90% of the country’s population and 79% of India’s GDP,” it said.

Number of reform actions implemented under BRAP 2017 increased to 7,758 from 2,532 in 2015.

Jio अस्तित्व मे आने से पहिले ही मिला उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा


 

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के 6 शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थानों का दर्जा दिया है. इन संस्थानों में 3 सरकारी और 3 निजी संस्थान शामिल हैं. इन निजी संस्थानों में एक ऐसा नाम भी सामने आ रहा है, जिसका नाम काफी प्रचलित नहीं है और उसे उत्कृष्ट संस्थानों में शामिल किया है. इस संस्थान का नाम है जियो इंस्टीट्यूट. खास बात ये है कि इस जियो इंस्टीट्यूट का नाम भी पहले नहीं सुना गया और इंटरनेट पर भी इसका अस्तित्व नहीं दिख रहा है.

सरकार की ओर एक ‘बिना अस्तित्व’ वाले कॉलेज या यूनिवर्सिटी को उत्कृष्ट संस्थान में शामिल करने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार जियो इंस्टीट्यूट रिलायंस का एक संस्थान है, लेकिन अभी तक इस संस्थान ने काम करना शुरू नहीं किया है. वहीं ट्विटर पर भी इस संस्थान का उल्लेख नहीं मिलता. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भी इन संस्थानों का नाम घोषित करते हुए जियो इंस्टीट्यूट का कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला और उन्हें भी ऐसे ही इसका नाम लिखना पड़ा.

बताया जा रहा है कि आने वाले कुछ साल में यह संस्थान अस्तित्व में आ सकता है. द प्रिंट वेबसाइट के अनुसार यूजीसी का कहना है कि जब यह तीन साल बाद अस्तित्व में आएगा तो इसके पास अधिक एटोनॉमी होगी. साथ ही इसे ग्रीन फील्ड कैटेगरी के अधीन चुना गया है. हालांकि अभी तक इंटरनेट पर जियो इंस्टीट्यूट के कैंपस, कोर्स आदि के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है. यह एक प्रोजेक्टेड संस्थान है.

वेबसाइट के अनुसार पैनल अधिकारी एन गोपाल स्वामी का कहना है, ‘हमनें जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत चुना है, जो कि नए संस्थानों के लिए होती है और उनका कोई इतिहास नहीं होता है. हमनें प्रपोजल देखा और इसके लिए चुना. उनके पास स्थान स्थान के लिए प्लान है, उन्होंने फंडिंग की है और उनके पास कैंपस है और इस कैटेगरी के लिए आवश्यक सबकुछ है.’

इस लिस्ट में शामिल होने से संस्थानों के स्तर और गुणवत्ता को तेजी से बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और पाठ्यक्रमों को भी जोड़ा जा सकेगा. इसके अलावा विश्व स्तरीय संस्थान बनाने की दिशा में जो कुछ भी जरूरी होगा, किया जा सकेगा. जावड़ेकर ने बताया कि रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिये टिकाऊ योजना, सम्पूर्ण स्वतंत्रता और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों को सार्वजनिक वित्त पोषण की जरूरत होती है.

बताया जा रहा है कि यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से कहीं आगे की चीज है और वास्तव में संस्थानों की पूर्ण स्वायत्तता जैसा है. इससे संस्थान अपना निर्णय ले सकेंगे. आज का निर्णय एक तरह से पूर्ण स्वायत्तता है और इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी छात्र को शिक्षा के अवसर एवं छात्रवृत्ति, ब्याज में छूट, फीस में छूट जैसी  सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सके.

साइबर सेल ने दिलवाए 10 हजार वापस, 9 हज़ार अभी भी बाकी

चंडीगढ़।

फर्जी कॉल कर शहर निवासियों से पैसे ठगने का काम पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद बदस्तूर जारी है। इस बार ठगों ने सेक्टर 29 की 25वर्षीय महिला भावना को निशाना बनाया। पीडि़ता ने अपनी शिकायत में बताया कि पहले उनके पास एक कॉल आई कि उनके बैंक अकाउंट में कुछ खराबी आ गई है। अगर आज उसका समाधान नहीं किया गया तो उनके खाते से 2 हजार रूपये काट दिए जाएंगे। जिस पर पीडि़ता राज़ी हो गई और अपना अकाउंट नंबर बता दिया जिसके बाद उक्त आरोपी ने उनसे उनका पिन नंबीर मांगा तो पीडि़ता को शक हुआ और पिन देने से मना कर दिया।

फिर आरोपी ने उनसे कहा कि उनके फोन पर एक ओटीपी नंबर आएगा उसे बता दें, पीडि़ता के ओटीपी नंबर बताते ही उनके खाते से 19 हज़ार रूपये निकाल लिए गए। पीडि़ता ने अपने पिता शैलेश कुमार के साथ इंडस्ट्रियल एरिया थाने में शिकायत दी जहां से यह मामला सेक्टर 17 साइबर सेल में भेज दिया गया। बाद पीडि़ता के खाते में  10000 रूपये बाद में उक्त पीडि़ता के खाते में डाल दिए गए पर अभी भी  9000 अभी भी बाकी हैं।

सुरजेवाला का कोई मानसिक एवं राजनैतिक स्तर नही है: विज

चंडीगढ़, 10 जुलाई

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि यदि दुष्यंत चौटाला उनके कथित आरोपों के दस्तावेज उपलब्ध करवाते हैं तो उसकी पूरी जांच करवाई जाएगी तथा किसी भी दोषी को छोड़ा नही जाएगा।
श्री विज ने आज यहां पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इनेलो के दुष्यंत चौटाला एक भ्रमित व्यक्ति है, जिनको स्वयं नही पता कि वह क्या कह रहे हैं और क्या कहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दुष्यंत हर बार अलग-अलग ब्यान दे रहा हैं। वह कभी लोकल परचेज में 100 करोड़ रुपये का घोटाला बता रहा है, तो कभी एनएचएम में 300 करोड़ का तथा कभी किसी और में बड़ा घोटाला होने का अंदेशा प्रकट कर रहा हैं। इसलिए उनकी बातों पर विश्वास नही किया जा सकता है, इसके बावजूद भी यदि वह सरकार को दस्तावेज उपलब्ध करवाएगें तो उसकी पूरी जांच करवाई जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री ने कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला के ब्यान को हास्यस्पद करार देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री से बहस के लिए एक स्तर होना चाहिए परन्तु सुरजेवाला का कोई मानसिक एवं राजनैतिक स्तर नही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही अपने करीब 60 वर्ष के शासन के दौरान न केवल खेती को बर्बाद किया है बल्कि किसानों को खुदकुशी करने के लिए मजबूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने जब किसानों को उनकी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ गुणा किया है तो कांग्रेस को यह हजम नही हो पा रहा है।
क्रमांक 2018

22 जुलाई को टोहाना में विशाल रैली से शुरू होगा चौथे चरण की यात्रा

चण्डीगढ़, 10 जुलाई।

होडल, पानीपत और मेवात में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति यात्रा को मिले जबरदस्त जनसमर्थन के बाद अब चौथे चरण की यात्रा कि तैयारी युद्ध स्तर पर चल रही है। जनक्रांति यात्रा का यह चरण 22 जुलाई को फतेहाबाद जिले के टोहाना से शुरू हो रहा है। इस दिन होडल, समालखा और पुन्हाना की तर्ज पर टोहाना में एक बड़ी रैली का आयोजन किया जा रहा है।

इस यात्रा की सफलता के लिये सांसद दीपेन्द्र सिंह हुड्डा ने 22 जुलाई तक अपने अन्य सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर कर्यकर्ता सम्मेलनों और जनसभाओं के आयोजन का तूफानी कार्यक्रम बनाया है। वे 13 जुलाई को बरवाला, 14 जुलाई को उकलाना, 15 जुलाई को नारनौंद व हांसी, 16 जुलाई को रतिया, 17 जुलाई को डबवाली, 18 जुलाई को रानिया, 19 जुलाई को टोहाना और 20 जुलाई को जींद में कार्यकर्ता सम्मेलनों तथा जनसभाओं के माध्यम से जनता को टोहाना रैली में पहुँचने के लिये प्रेरित करेंगे।

इसके अतिरिक्त पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ रघुबीर सिंह कादयान को जनक्रांति यात्रा के चौथे दौर का प्रभारी बनाया गया है, उनके साथ श्रीमती गीता भुक्कल, पूर्व सांसद श्री शादीलाल बत्रा, पूर्व मंत्री श्री सतपाल सांगवान को भी जिम्मेदारी सौंपी गयी है।

कांग्रेस के कई वरिष्ठ विधायक तथा नेताओं को टोहाना के साथ लगते विधानसभा चुनाव क्षेत्रों में जनता को रैली में पहुँचने के लिये निमंत्रण देने का काम सौंपा गया है। विधायक आनन्द सिंह दांगी को जुलाना तथा नारनौंद, विधायक जयतीर्थ दहिया को बरवाला, विधायक जयवीर बाल्मीकि तथा पूर्व विधायक सन्त कुमार को उचाना, विधायक श्री जगबीर सिंह मलिक व विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा को नरवाना तथा सफीदों, विधायक शकुंतला खटक व जयदीप धनखड़ को उकलाना, पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा को रतिया, पूर्व विधायक भारत भूषण बत्रा को हिसार, भीमसेन मेहता को फतेहाबाद से 22 जुलाई को टोहाना में होने वाली रैली के लिये भीड़ जुटाने का काम सौंपा गया है। डॉ रघुबीर सिंह कादयान यात्रा प्रभारी के अतिरिक्त हांसी हलके से ज्यादा से ज्यादा लोगों को रैली में पहुँचाने का काम भी देखेंगे।

पाँचवे तथा छठे चरण की जनक्रांति यात्रा के लिये क्रमशः महेंद्रगढ़ और यमुनानगर जिलों का चयन किया गया है जिसका विस्तृत कार्यक्रम तथा प्रभारी नेताओं की सूची शीघ्र जारी कर दी जायेगी।

SSP Sangrur Mandeep Singh Sidhu briefing media persons about arrest of drug smugglers

Sangrur, July 10, 2018: Four drug smugglers were arrested and 900 grams Heroin, supplied by a Delhi-based African national, recovered from them in Sangrur district.

The police said that three accused were residents of Bazigar Basti, Dhuri and one of Nabha in the district.

Around 1000 Alprasafe tablets were also recovered from them.

The investigation showed all the accused had bought these drugs from an African national staying in Uttam Nagar, New Delhi for Rs 11 lakh.

They used to sell Heroin to local addicts in small quantity.

Recovered household items which smugglers had purchased with drug money

These drug smugglers also used this drug money to purchase luxury household items and vehicles which have been confiscated by the police.

The recovered items included one Alto car, two Motorcycles, two Scooters, two Refrigerators, three washing machines, two water coolers, two LCD, 15 gas  cylinders, 2 steel almirah, one double bed and one sofa set.

don’t tax gift to wives, daughters-in law: Menka


New Delhi, July 10, 2018:

Minister for Women and Child Development Maneka Gandhi has urged Finance Minister Piyush Goyal to make amendments to the Income Tax Act so that gifts to wives or daughters-in-law are not taxed.

“As a society, the onus of ensuring economic empowerment of our women lies on each of us. Following several requests from women, especially wives and daughters-in-law, I have urged the Finance Minister to examine and suitably amend Section 64 of the Income Tax Act,” she tweeted.

The Section 64 deals with clubbing of incomes and provides that if a husband gifts an asset to his wife and the asset results in some income to the wife, the income will be added to the taxable income of the husband.

“The provision was originally formulated in 1960s under the assumption that wives and daughters-in-law would normally not have any independent taxable income,” the Union Minister tweeted late on Monday.

However, Gandhi said the act was having an adverse effect as women at present were becoming financially more independent.

“Today with women leaving an indelible mark in every field, the Act seems to have an adverse effect.

“It has come to fore through several requests that husbands and fathers-in-law are apprehensive to transfer assets to women in their families because they fear that income accruing from the asset will ultimately become a burden on them,” she added.

संबल कार्यक्रम की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई

मण्डी 10 जुलाई, 2018:

अतिरिक्त उपायुक्त श्री राघव शर्मा की अध्यक्षता में आज ‘सम्बल’ कार्यक्रम की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी ।

बैठक में उन्होंने बताया कि पहली जुलाई, 2018 को करसोग उपमंडल कीे सवामाहुं पंचायत में आयोजित किए गये जनमंच कार्यक्रम में जिला प्रशासन व रैडक्रास सोसायटी द्वारा सम्बल कार्यक्रम आयोजित किया गया । उन्होंने बताया कि इस अवसर पर 103 वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य की जांच की गयी, जिनमें से 45 लोगों को मौके पर ही दवाईयां वितरित की गयी तथा 13 लोगों के परीक्षण किए गए । उन्होंने बताया कि 13 लोगों के परीक्षण की रिपोर्ट प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र माहुंनाग के माध्यम से 11 जुलाई को भेजी जा रही है तथा उन्हें आवश्यक दवाईयों भी दी जा रही है तथा उनके निरंतर ईलाज की प्रक्रिया को जारी रखने के लिए समय-समय पर शिविरों का आयोजन किया जाता रहेगा ।

उन्होंने बताया कि पहली जुलाई को आयोजित शिविर की सफलता को ध्यान में रखते हुए दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के चिकित्सा जांच शिविरों का आयोजन किया जायेगा तथा जुलाई के अंतिम सप्ताह में गाड़ागुसैणी में वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित किया जायेगा । उन्होंने बताया कि शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवाओं के साथ विभिन्न प्रकार के परीक्षण भी लिये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा पेंशन संबंधी दस्तावेज भी बनाये जायेंगे ।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उददेश्य दूरदराज के क्षेत्रों में रह रहे वृद्व जन जो किसी न किसी बिमारी से ग्रस्त होते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से क्षेत्रीय अस्पताल या नागरिक चिकित्सालयों में अपने उपचार हेतु नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें घर के समीप स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है ।

बैठक में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अनुराधा शर्मा, सचिव जिला रैडक्रास सोसायटी श्री ओ.पी. भाटिया, तहसील कल्याण अधिकारी श्री जितेन्द्र सैणी भी उपस्थित थे ।

संविधान के रहते शरीया की क्या अवश्यक्ता …..

दिनेश पाठक , वरिष्ठ अधिवक्ता राजस्थान उच्च न्यायालय,एवं विश्व हिन्दू परिषद के विधि प्रमुख

हाल ही मे आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने देश के सभी जिलो मे दरुल कजा यानि इस्लामी शरिया अदालते खोलने का एलान किया है। ये एक साजिश की शुरुआत भर है अंजाम बहुत दुखदायी होने वाला है । आज शरिया अदालते कल शरिया के हिसाब की पुलिस ,अस्पताल बैंक न जाने क्या क्या खोलने का एलान होगा। ऐसा नही है कि ये एलान अचानक ही हुआ पूर्व मे भी ऐसी मांग उठती रही है। तथा आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अधीन देश मे लगभग 50 ऐसी शरिया अदालते काम कर रही है।

तीन तलाक पर अपनी फजीहत करा चुका आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की इस योजना के तहत जिसमे शरिया के अनुसार वैवाहिक समस्याओं के समाधान दिये जायेगे। इस समबन्ध मे 15 जुलाई को दिल्ली मे बोर्ड की बैठक मे चर्चा होगी।

सबसे पहले जानने की कोशिश करते है कि ये आल इण्डिया पर्सनल ला बोर्ड आखिर है क्या बला ? आल इण्डिया पर्सनल ला बोर्ड एक गैर सरकारी संगठन (एनजीऒ) है जिसकी स्थापना मे सबसे महत्वपूर्ण योगदान इंदिरा गांधी का रहा! यह एक निजी संस्था है खास बात यह है कि मुल्क की शिया और अहमदिया आबादी इनके निर्णयों मे भागीदार नही होती। अहमदिया/ कादयानी मुस्लिमो को तो इनकी सभा मे भी शरीक होने की इजाजत नही होती। हालंकि आरिफ मोहम्मद खान, ताहिर मोहम्मद जैसे मुस्लिम विद्वान और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू इसे समाप्त करने की मांग उठाते रहे है।

कहने को तो बोर्ड के गठन का उद्देश्य शरिया कानूनो को संरक्षित करना और आड़े आ रही कानूनी बाधाओं को ही दूर करना था …..लेकिन यह देश के मुसलमानो के स्वैच्छिक, धार्मिक निर्देशक और नियंत्रक की तरह काम करता है। जैसे कि मुस्लिम समाज का समस्त ठेका इसी ने ले रखा हो। ……इसने अयोध्या मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया…. इसने जयपुर साहित्य फेस्टिवल सलमान रुशदी की विडियो कांफ्रेसिंग को इस्लाम के लिये खतरा बता दिया…. यही नही योग, सूर्यनम्स्कार और वैदिक साहित्य संस्कृति का भी इस्लाम विरोधी कहकर विरोध किया।

शाहबानो मामले मे तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही मानने से इंकार कर दिया बाद मे राजीव गांधी की कांग्रेसी सरकार ने उलेमाओ और आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के दबाब मे संसद मे कानून लाकर फैसले को शरिया के अनुकूल पलट दिया। …. अब जबकि यह एनजीओ तीन तलाक पर अपनी लडाई हार चुका है सरकार लोक सभा मे बिल फास करा चुकी है राज्यसभा मे पास होना बाकी है तो शरिया अदालत का नया शिगूफा छोड दिया। लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड कैसे सुनिश्चित करेगी कि सभी के साथ न्याय हो रहा है और फैसला करने वाले काजी (जज) की क्या विश्वसनीयता होगी कि वो न्याय कर पायेगे? और उस फैसले की वैधानिकता क्या होगी। …..जब देश मे एक संविधान है और देश का संविधान देश के हर नागरिक के हितों की रक्षा करता है तो देश मे शरिया अदालत की आवश्यकता नही।

क्या मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का देश के संविधान मे भरोसा नही? या देश की न्यायपालिका पर शाहबानो केस की तरह भरोसा नही? इस देश मे एक संविधान है जिसके तहत ही देश की न्यायपालिका काम करती है यह कोई इस्लामिक देश नही न ही कोई कबीला जहां शरिया अदालतों की आवश्यकता हो न ही इस देश मे शरिया अदालतों का कोई स्थान है न ही कोई वैधानिकता। देश मे समानान्तर अदालते खोलना एक तरह का देशद्रोह है …..मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अगर कानून ही चाहता है तो सिर्फ सिविल मामलो मे ही क्यो? अपने ऊपर आपराधिक मामलो मे शरिया कानून क्यो लागू नही कराना चाहता ? मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की तर्ज पर देश की हजारो एनजीओ अदालते खोलने लगी तो देश की क्या स्थिति होगी ये विचारणीय विषय है।

मेरे विचार से अब समय आ गया है कि जब आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जैसी संस्था पर पाबन्दी लगायी जाये और सरकार को समान आचार संहिता लागू कर देनी चाहिये।

dineshpathak@demokraticfront.com

राजस्थान में देखते हैं चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है


मरुधरा के सियासी समर में मैदान सज चुका है. तलवारें दोनों तरफ से तन चुकी हैं. आखिर में बचा है बस सियासत का वही सबसे अहम सवाल कि आखिरकार राजस्थान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा?


हर पांच साल बाद सत्ता बदलने के लिए मशहूर राजस्थान की जनता फिर फैसला करने की तैयारी में है. सूबे की सियासी हवाओं में आजकल राजनीति की रेत उड़ने लगी है. राज्य कांग्रेस के नेताओं को भरोसा है सत्ता की गाड़ी उनकी तरफ आ रही है तो वसुंधरा राजे राजस्थान के सियासी इतिहास को बदलने के लिए जी जान से जुटी हैं.

अभी-अभी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर में प्रधानमंत्री मोदी का ग्रैंड शो सफलतापूर्वक पूरा करके राज्य की फिजा में केसरिया रंग भरने की कोशिश की है. पीएम के प्रोग्राम के बहाने उन्होंने पिछले साढ़े चार साल की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड राजस्थान की जनता और मीडिया के सामने पेश कर दिया है. सीएम ने प्रधानमंत्री लाभार्थी संवाद कार्यक्रम के तहत सरकारी योजनाओं से लाभ लेने वाले करीब तीन लाख लाभार्थियों को प्रधानमंत्री से रूबरू कराया. ये पहला ऐसा मौका था जब किसी मुख्यमंत्री ने अपने काम का लेखाजोखा ऑडियो विजुअल माध्यम से जनता और मीडिया के समक्ष रखा.

इस प्रोग्राम के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने भी वसुंधरा राजे सरकार के कामकाज की जमकर तारीफ की. सीएम का ये प्रोग्राम भी कांग्रेस के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि वो लोग लगातार राजस्थान सरकार के योजनाओं की नाकामी का ढिंढोरा पीटते रहे हैं.

मुख्यमंत्री ने अपने कामकाज को लेकर इस तरह की सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण के जरिए अपने विरोधियों को निरुत्तर करने की कोशिश की है. इतना ही नहीं, इस प्रोग्राम से राजस्थान बीजेपी में भी सकारात्मक संदेश गया है. राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और ढाई महीने के अंतराल के बाद नवनियुक्त राज्य के पार्टी अध्यक्ष का एक मंच पर होना कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार करने में कामयाब रहा है. जाहिर तौर पर इसका आगामी विधानसभा चुनाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.

उधर कांग्रेस के लोगों को लगता है कि राजस्थान पर पंजे की पकड़ बेहद मजबूत हो चुकी है. कांग्रेस के दो बड़े नेता सचिन और अशोक गहलोत दो धुरी होने के बावजूद राज्य के लोगों के सामने एकजुट नजर आने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस के आला नेता ये मान कर चल रहे हैं कि राजस्थान में बीजेपी हारी हुई लड़ाई लड़ रही है. तो उधर वसुंधरा राजे का मानना है कि कांग्रेस का यही आत्मविश्वास उसकी लुटिया डुबोएगा.

कांग्रेस हर मोर्चे पर तैयारी में जुटी है. मेरा बूथ, मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत गांव-गांव में अपने कार्यकर्ताओं में जान फूंकने में लगी है. गुजरात चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष के बाद सबसे पावरफुल पोस्ट पाने के बावजूद अशोक गहलोत भी राजस्थान की राजनीति में ही रमे हुए हैं. वो जयपुर से लेकर दिल्ली तक में लगातार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वसुंधरा सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताने में जुटे हुए हैं. हालांकि सामान्य आरोपों के अलावा कांग्रेस के नेताओं के हाथ वसुंधरा सरकार के खिलाफ कोई पुख्ता मुद्दा नहीं लग सका है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि वसुंधरा सरकार पर इस बार भ्रष्टाचार का कोई बड़ा आरोप नहीं लगा.

राजस्थान की राजनीति को जानने वालों का कहना है कि वसुंधरा राजे ने अपने पिछले कार्यकाल से काफी कुछ सीखा है. उन्होंने इस बार उन सभी तत्वों को सरकार से दूर रखा, जो सत्ता का दुरुपयोग करते हैं. सियासी और नौकरशाही में फिक्सर का काम करने वालों से उन्होंने दूरी बना ली. इसमें वसुंधरा के लिए कवच का काम करते हैं प्रिंसिपल सेक्रेटरी तन्मय कुमार. 1993 बैच के आईएएस अधिकारी तन्यम कुमार की गिनती राज्य के ईमानदार अफसरों में होती है. वसुंधरा राजे ने मौजूदा कार्यकाल में उन पर भरोसा जताया है. तन्मय कुमार मुख्यमंत्री के इस भरोसे पर पूरी तरह से खरे उतरे.

उनको जानने वाले बताते हैं कि अपने काम में रमे रहने वाले तन्मय कुमार के लिए रोजाना 14 से 15 घंटे काम करना आम बात है. ये उनकी आदत में शुमार है. आज जिस पद पर वो मौजूद हैं उसकी इबारत उनके कलेक्टर के तौर पर काम करने के दौरान ही लिखी गई. लोग बताते हैं कि सन 2005 में जब तन्मय कुमार कलेक्टर कोटा थे, उसी दौरान मुख्यमंत्री उनके कार्यशैली से प्रभावित हुई थीं. वो इलाका मुख्यमंत्री का चुनाव क्षेत्र है. इसी वजह से सीएम को उनकी कायशैली का पता चला.

मुख्यमंत्री ने उस दौरान तन्मय कुमार के कामकाज से प्रभावित होकर ही उन्हें 30 जून 2005 को मुख्यमंत्री ऑफिस में उपसचिव नियुक्त किया. 2005 से 2008 तक तन्मय कुमार ने मुख्यमंत्री के साथ काम किया. जब वसुंधरा राजे दोबारा मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होने तन्मय कुमार को सचिव के रूप में अपने साथ बुलाया. तन्मय कुमार बाद में मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी बने.

अपने मौजूदा कार्यकाल में तन्मय कुमार ने मुख्यमंत्री की उम्मीदों के मुताबिक राज्य सरकार की योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने और बढ़ाने का काम किया है. तन्मय कुमार पर लगातार निजी हमले होते रहते हैं. लोग उनके चरित्र पर भी उंगली उठाने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं. तन्मय कुमार के साथ जुड़े लोगों के मुताबिक ये वो लोग हैं, जो सत्ता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उन्हें निराशा मिली, इस वजह से आरोप लगाने पर उतर आए.

तस्वीर वसुंधरा राजे की फेसबुक वॉल से साभार

उनको करीब से जानने वाले ये भी दावा करते हैं इतने सारे हमलों के बावजूद उन्होने कभी ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं दिया. इतनी ताकतवर पोस्ट मिलने के बावजूद न तो तन्मय कुमार ने सरकारी घर बदला, न नौकर चाकर जैसी सुविधाएं बढ़ाईं और न ही अपने लिए सुरक्षाकर्मी ही रखा. तन्मय सियासी समीकरणों पर भी पैनी नजर रखते हैं. उनके हरफनमौला अंदाज ने उन्हें मुख्यमंत्री का सबसे विश्वासपात्र बना दिया है.

बहरहाल राजस्थान की सियासत आने वाले दिनों में और परवान चढ़ने वाली है. विपक्ष के नेता अभी से बदलाव की बयार महसूस करने लगे हैं. उधर, मुख्यमंत्री लगातार लोगों से संपर्क साधने में जुटी हैं. भामाशाह और अन्नपूर्णा जैसी योजनाओं को लेकर वसुंधरा सरकार काफी आशान्वित हैं. मिड डे मील में बच्चों को दूध देने की शुरुआत करके मिडिल क्लास को साधने की कोशिश सरकार ने की है. नौजवानों से लेकर महिलाओं और किसानों तक को सरकारी योजनाओं से लुभाने की कोशिश हुई है. मरुधरा के सियासी समर में मैदान सज चुका है. तलवारें दोनों तरफ से तन चुकी हैं. आखिर में बचा है बस सियासत का वही सबसे अहम सवाल कि आखिरकार राजस्थान की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा?