Manish Malhotra to Conducts LIVE class at Chandigarh on INIFD’s 24th anniversary

Chandigarh, July 12, 2018: To celebrate the 24th Anniversary of Chandigarh based INIFD – the largest network of Design Institute globally, a special live class was conducted by the Heartthrob of Bollywood and the most coveted Designer Manish Malhotra.

Pioneer in the Indian costume design space, ace Bollywood Fashion Designer Manish Malhotra has joined hands with Inter National Institute of Fashion Design (INIFD) and London School of Trends (LST) to impart specialized fashion education training online.

The program will facilitate students through extensive video lectures by Manish Malhotra along with study material that can enhance their skill and learn from his experience from the past 28 years in Fashion and Bollywood. The ‘Learn from Manish Malhotra’ digital programme shall be available from the current academic session.

The course will cover in-depth knowledge and training on a wide spectrum in the sector including Bollywood costumes, Bridal trousseau, Styling, Merchandising, Preparation for Fashion Weeks and much more.

“The diversity and demographics of everything is making the world come closer. Social media travel and interactions with one another is playing a key role to make his happen hence this thought of launching a fashion course. The course will offer an international Fashion and Interior Design curriculum curated and taught by globally renowned academics and industry leaders” says Manish Malhotra.

To ensure that more and more youth avail the benefits of this program, it is being offered completely free to all students who enrol for the Fashion and Interior Design Programs at any INIFD Centres across the globe.

The interviews for the admission to M.Sc. Environment Science on July 24th

The interviews for the admission to M.Sc. (Environment Science) 1st year for the candidates who have qualified the CET (PG) 2018 conducted by the University and have applied online for admission in the Department of Environment Studies, P.U., Chandigarh for the session 2018-2019 will be held on July 24th, 2018 at 10:00 A.M. in the Department of Environment Studies, Panjab University, Chandigarh. The applicants should come with all the original documents. No separate letter will be sent for interview.

Prof. Raghavan to visit CSIR

Principal Scientific Adviser to Government of India Prof. K. Vijay Raghavan will visit to CSIR-IMTECH on Saturday 14th July 2018 from 2 pm to 3:45 pm.

He shall address the members from scientific & industrial community on important issue of need for enhanced Industry-Academia engagement in R&D Collaborations within CRIKC institutions, Linking of Universities with National Research Laboratories and other issues of scientific importance to the nation.

 

योग के भतीजे ने नीरव से 6 लाख के गहने आधी कीमत पर खरीदे: इन्कम टैक्स


आयकर विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वे नीरव मोदी के करोड़ों की बिक्री के मामले में छानबीन कर रहे हैं और जांच में पता चला है कि योगेंद्र यादव के भतीजे ने 6 लाख रुपए के गहने खरीदे थे लेकिन दाम सिर्फ आधा चुकाया था


हरियाणा में योगेंद्र यादव की बहनों के घरों और अस्पतालों छापा पड़ा. इनकम टैक्स विभाग ने बुधवार को छापा मारा जो 27 घंटे बाद गुरुवार को खत्म हुआ. सवाल यह था कि आखिर इस छापे की वजह क्या है. दरअसल आईटी विभाग ने ज्वैलर नीरव मोदी मामले की जांच करते हुए योगेंद्र यादव की बहनों के घरे छापा मारा था. नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक को 13,000 करोड़ रुपए का चूना लगाकर देश छोड़ चुके हैं.

आयकर विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वे नीरव मोदी के करोड़ों की बिक्री के मामले में छानबीन कर रहे हैं. उनका कहना है कि जांच में पता चला है कि योगेंद्र यादव के भतीजे ने 6 लाख रुपए के गहने खरीदे थे लेकिन दाम सिर्फ आधा चुकाया था. टैक्स अधिकारियों का दावा है कि छापे के दौरान 29 लाख रुपए जब्त किए गए. साथ ही अस्पताल के लेनदेन में कर चोरी के भी सबूत मिले हैं.

दूसरी तरफ परिवार का कहना है, ‘नीरव मोदी के साथ हमारा कनेक्शन बस इतना था कि फरवरी 2017 में दिल्ली में नीरव मोदी के एक शोरूम से 3.5 लाख रुपए की एक अंगूठी खरीदी गई थी. छापे में जितना भी पैसा और एसेट्स मिला है वह हमारी टैक्सेबल इनकम से है.’


नीरव का मोदी से नहीं योग(योगेन्द्र) से रिश्ता निकला 

आआपा प्रमुख को यादव में दिख रहीं हैं आपार संभावनाएं


राजनीति की पल-पल बदलती परिस्थिति में आज अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव में सार्थकता नजर आने लगी है, लेकिन इन्हीं अरविंद केजरीवाल ने विचारों में अंतर के कारण योगेंद्र यादव को पार्टी से निकाल दिया था.


दिल्ली के राजनीतिक गलियारे में दो पुराने बिछड़े दोस्तों की फिर से मिलने की खबर से हलचल बढ़ गई है. यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि दो पुराने बिछड़े दोस्त एक बार फिर से एक होने जा रहे हैं. अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के दिल जुड़ने को लेकर कयासों का बाजार गर्म है. हालांकि, इस खबर पर अब तक किसी भी तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है लेकिन कुछ राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद इतना तो तय हो गया है कि अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के बीच जमी बर्फ अब कुछ-कुछ पिघलने लगी है. बर्फ पिघलने की सुगबुगाहट दोनों पार्टियों के अंदर देखी जा रही है.

बुधवार को स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने केंद्र सरकार पर उनके परिवार को तंग करने का आरोप लगाया था. यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर मोदी सरकार पर अपने रिश्तेदारों को परेशान करने का आरोप लगाया था. योगेंद्र यादव का कहना था कि मोदी सरकार इनकम टैक्स विभाग का इस्तेमाल कर मेरी बहन और भांजे को फंसाने का काम कर रही है. योगेंद्र यादव ने ट्विटर पर लिखा था कि मोदी सरकार को अगर रेड करनी है तो मेरे घर रेड करे, मेरे परिवार को क्यों तंग कर रहे हो?

बता दें कि हरियाणा के रेवाड़ी में कलावती अस्पताल और कमला नर्सिंग होम्स पर बुधवार को आईटी विभाग की रेड पड़ी थी. ये दोनों अस्पताल योगेंद्र यादव की बहन पूनम यादव और नीलम यादव के हैं. इंकम टैक्स विभाग को रेड में रु 20,00,000.00  मिलने का दावा भी किया गया, जिस पर योगेन्द्र यादव की कोई टिप्पणी नहीं आई

योगेंद्र यादव के रिश्तेदारों के यहां आईटी विभाग के छापे के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं. इस मसले पर सबसे दिलचस्प प्रतिक्रिया दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की आई. अरविंद केजरीवाल अपने पूर्व सहयोगी और स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव के परिवार के सदस्यों पर आईटी रेड का विरोध में उतर आए. अरविंद केजरीवाल ने इस मामले के बहाने पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा. केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि पीएम मोदी को बदले की राजनीति अब बंद कर देनी चाहिए.

बता दें कि केजरीवाल के कभी सहयोगी रहे और आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक योगेंद्र यादव हाल के दिनों में अपनी उपयोगिता को काफी मजबूती के साथ दर्शाया है. देश के कई राज्यों में स्वराज इंडिया पार्टी किसानों के समर्थन में किए गए अभियान की काफी तारीफ हुई है.

जानकारों का मानना है कि हाल के कुछ वर्षों में देश की सोशल मीडिया पर स्वराज इंडिया की तरफ से किसानों की समस्या को लेकर किए गए धरना और प्रदर्शन की काफी तारीफ हुई है. आईटी विभाग के द्वारा योगेंद्र यादव के रिश्तेदारों के यहां रेड को भी कहीं न कहीं इसी नजरिए से देखा जा रहा है. सोशल मीडिया पर स्वराज अभियान द्वारा जारी पदयात्रा को लेकर भी अब तरह-तरह की बातें सामने आ रही हैं.

दरअसल देश के कई राज्यों में किसानों की बेहतरी के लिए योगेंद्र यादव पदयात्रा कर रहे हैं. पिछले दिनों ही हरियाणा में स्वराज यात्रा निकाली गई. इस यात्रा को किसानों का अच्छा खासा समर्थन मिला था.

राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा आम है कि हरियाणा में स्वराज इंडिया का अच्छा-खासा जनाधार बढ़ा है. पार्टी के बढ़ते जनाधार को देखते हुए ही अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर से योगेंद्र यादव से नजदीकी बढ़ाने की दिशा में पहला कदम उठा दिया है.

हाल के कुछ दिनों में योगेंद्र यादव की पार्टी स्वराज इंडिया हरियाणा में आम आदमी पार्टी से ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है. साल 2019 लोकसभा चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में अपना वजूद तलाशने में लगी हुई है. आम आदमी पार्टी को चिंता इस बात की है कि दिल्ली की तरह हरियाणा में भी कहीं योगेंद्र यादव उसका नुकसान न कर दें.

पिछले साल दिल्ली के एमसीडी चुनाव में भी स्वराज इंडिया पार्टी को बेशक कुछ ज्यादा सफलता नहीं मिली थी, लेकिन पार्टी ने आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाई थी. नतीजा यह हुआ कि कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली नगर निगम चुनाव में मुंह की खानी पड़ी. ऐसे में अगर स्वराज इंडिया पार्टी हरियाणा में उतरती है तो वह भले ही सरकार न बना पाए, लेकिन आम आदमी पार्टी को सत्ता में आने से रोक जरूर सकती है.

राजनीति की पल-पल बदलती परिस्थिति में आज अरविंद केजरीवाल को योगेंद्र यादव में सार्थकता नजर आने लगी है, लेकिन इन्हीं अरविंद केजरीवाल ने विचारों में अंतर के कारण योगेंद्र यादव को पार्टी से निकाल दिया था. इसके बाद ही योगेंद्र यादव ने स्वराज इंडिया पार्टी का निर्माण किया.

वर्तमान में स्वराज इंडिया से जुड़े और पूर्व में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक प्रोफेसर आनंद कुमार ने अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के साथ आने की संभावना पर बात की. आनंद कुमार ने कहा, ‘देखिए योगेंद्र यादव ने अपनी तरफ से तो अलगाव की कोशिश नहीं की थी, क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने प्रशांत भूषण से टेलिफोन पर भी हेलो करने से मना कर दिया था. जब अरविंद केजरीवाल के पास इतना शिष्टाचार भी नहीं बचा था और इतना अहंकार आ गया था. तो अब फिर से साथ आने की पहल अरविंद केजरीवाल के निर्णय पर ही निर्भर करेगी. मुझे उम्मीद है कि वह (अरविंद केजरीवाल) सुधरेंगे. चुनाव सिर पर आ गया है. दिल्ली में नगर पालिका के चुनाव में भी आप का वोट प्रतिशत 54 से घटकर 27 प्रतिशत पर आ गया. अगर अरविंद केजरीवाल समझौते की बात करते हैं तो अच्छी बात है.’

आनंद कुमार आगे कहते हैं, ‘दिल्ली सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद अरविंद केजरीवाल का क्या भविष्य होगा, वह खुद ही जानते हैं. जहां तक योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण की बात है तो उन लोगों ने अपनी क्षमता दिखा दी है कि हमलोग देश में एक नया माहौल बना सकते हैं. सबकी मेहनत और कोशिश के बाद हमलोग राष्ट्रीय मंच पर आ गए हैं. मैं आपको बता दूं कि हमलोग अलग-अलग जरूर हो गए हैं, लेकिन सभी के मुद्दे तो एक ही हैं. हमलोग कोई प्रोफेशनल पॉलिटिक्स नहीं करते हैं. मैं अपनी भावनाओं के बारे में ही आपको बता सकता हूं कि हमलोग अरविंद केजरीवाल को अपना दुश्मन नहीं मानते हैं. हम तकलीफ महसूस करते हैं कि हमलोगों के पास एक अच्छा मौका था, जिसमें हमलोग राष्ट्रीय विकल्प बन सकते थे, लेकिन इन लोगों ने दिल्ली की सरकार को ही अपना अंतिम लक्ष्य मान लिया था. अगर ये लोग अपना दृष्टिकोण बदलेंगे और भारत के लिए सोचना शुरू करेंगे तो उनके लिए रास्ते बंद नहीं हुए हैं.’

वहीं अरविंद केजरीवाल और योगेंद्र यादव के साथ आने की संभावनाओं पर स्वराज इंडिया पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुपम बात की. अनुपम ने बताया, ‘सबसे पहले बता दूं कि आयकर विभाग की जो कार्रवाई हुई है, उसके पीछे साफ है कि योगेंद्र यादव किसानों और बेरोजगारी के मुद्दों पर केंद्र सरकार को जो लगातार घेर रहे थे, ये उसी का बदला है. इस कार्रवाई के बाद योगेंद्र यादव के सपोर्ट में कई पार्टियों के नेता सामने आए हैं. पं. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर इस कार्रवाई की निंदा की है. कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने भी इस पर अपनी नारजगी व्यक्त की है. रही बात अरविंद केजरीवाल के साथ आने की है तो हमलोगों ने कभी इस बात की चर्चा नहीं की है. मैं आपको बता दूं कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी लाइन बिल्कुल तय कर रखी है. देश में मोदी के समर्थन में या मोदी के विरोध में जो भी गठबंधन बन रहा है, उससे हमारा किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं होगा.’

अनुपम आगे कहते हैं, ‘जहां तक अरविंद केजरीवाल के साथ आने की बात है तो ये लोग अलग-अलग मोर्चे पर पहले भी ये काम करते रहे हैं. कई चैनल्स के जरिए यह बात हमलोगों तक आती रही है. बीच में कई मौकों पर तो इन लोगों ने अपने कैडर में भी और बाकी जगहों पर भी भ्रम फैलाने का काम किया है. लेकिन, हमारे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में अभी तक इस बात पर कोई अंतर नहीं पड़ा है. हमलोगों में इस बात को लेकर पूरी तरह से स्पष्टता है कि वह क्या करेंगे. यह तो हाइपोथेटिकल बातें हैं कि हमलोग अरविंद केजरीवाल के साथ नजर आएंगे. आज की तारीख में पार्टी के अंदर साथ आने की कोई चर्चा नहीं है.’

कुलमिलाकर कह सकते हैं कि दोनों तरफ से गिले-शिकवे हैं जो अभी भी दूर नहीं हुए हैं, लेकिन ऐसे भी गिले-शिकवे नहीं है कि दूर नहीं किए जा सकते हैं. दोनों पार्टियों के अंदर भी कई तरह की बात चल रही हैं. इसके बावजूद राजनीति में कुछ संभावनाएं हमेशा जिंदा रहती हैं.

नितीश – शाह कुछ तो है जो ‘सरकार’ बदले बदले से नज़र आते हैं


बीजेपी ने समय रहते लगता है नीतीश कुमार की नाराजगी को दूर कर दिया है


अपने एक दिन के बिहार दौरे में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने सुबह नाश्ते पर जेडीयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुलाकात की. बिहार दौरे की शुरुआत नीतीश के साथ मुलाकात से हुई. इस मुलाकात में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय और उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी साथ थे.

मुलाकात के बाद बाहर निकलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुस्कुराहट से बहुत कुछ साफ झलक रहा था. चेहरे की मुस्कुराहट और बॉडी लैंग्वेज बताने के लिए काफी थी कि दोनों दलों के बीच पिछले कुछ दिन से आ रही तनातनी खत्म हो गई है. हालांकि नाश्ते पर मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अमित शाह ने कुछ भी नहीं कहा.

लेकिन, पटना के बापू सभागार में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने नीतीश के साथ बीजेपी के रिश्ते और विपक्षी दलों को लेकर अपना स्टैंड साफ कर दिया. शाह ने कहा ‘नीतीश जी अलग थे लेकिन, भ्रष्टाचार का साथ छोड़कर चले आए. अब बिहार में कुछ नहीं होने वाला. लार टपकाना बंद कर दो. बिहार में चालीस की चालीस सीट जीतेंगे.’

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Amit Shah
@AmitShah

बिहार प्रदेश के शक्ति केंद्र प्रभारियों के साथ बैठक की। भाजपा की शक्ति उसका बूथ का कार्यकर्ता है, 2019 में इन शक्ति केंद्रों से ही भाजपा के नेतृत्व वाली एक शक्तिशाली NDA सरकार केंद्र में बनेगी। और बिहार में NDA गठबंधन चालीस की चालीस लोकसभा सीटें जीतेगा, इसमें कोई संशय नहीं।

अमित शाह ने आगे कहा कि हमें साथियों का सम्मान करने आता है. हमें साथियों को संभालने आता है. आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के एनडीए छोड़कर जाने पर तंज कसते हुए शाह ने एक बार फिर से नीतीश कुमार की तारीफ की. बीजेपी अध्यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं से पूछा कि चंद्रबाबू चले गए तो नीतीश कुमार हमारे साथ आ गए. अब आप ही बताइए नायडू के जाने का कोई फर्क पड़ेगा. इस पर कार्यकर्ताओं की तरफ से जवाब मिला ना.

बीजेपी अध्यक्ष के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू से गठबंधन को लेकर दिए गए इस बयान ने उन सभी अटकलों को खारिज कर दिया है, जिसमें दोनों दलों के रिश्तों में कड़वाहट के बाद एक बार फिर से अलग-अलग राह पर चलने की संभावना जताई जा रही थी.

हालांकि सूत्र बता रहे हैं कि इस मुलाकात में सीट शेयरिंग समेत और भी कई मुद्दों पर चर्चा हुई है. चर्चा आने वाले लोकसभा चुनाव में मिलकर विपक्षी दलों को मात देने पर भी हुई है. चर्चा आने वाले दिनों में सरकार के बेहतर प्रदर्शन और केंद्र की तरफ से दिए जाने वाले सहयोग पर भी हुई है. संगठन और सरकार में सहयोग की भी बात हुई है.

सूत्रों के मुताबिक, दोनों ही दलों के बड़बोले नेताओं को सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बयानबाजी बंद करने को भी कहा गया है. लेकिन, इस मुलाकात के बाद तय है कि अब विवादों को खत्म करने की कोशिश बीजेपी की तरफ से भी की गई है.

बीजेपी अध्यक्ष का सुबह-शाम दोनों वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खाने पर बैठना इस बात का संकेत है कि बीजेपी नीतीश कुमार को कितना वजन दे रही है. लेकिन, ऐसा ही नजरिया नीतीश कुमार का भी रहा है.

पिछले कुछ दिनों में लगाए जा रहे तमाम कयासों के बावजूद जेडीयू की दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश कुमार की अगुआई में सारे नेताओं ने साफ-साफ लहजे में इस बात का ऐलान किया कि 2019 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए का ही पार्ट रहेगी.

दरअसल, हकीकत यही है कि अमित शाह के साथ नीतीश कुमार की मुलाकात का खांका भी पहले ही तैयार हो गया था. दोनों दलों के नेताओं के बीच पर्दे के पीछे बात कर एक बेहतर माहौल बना दिया गया था. बेहतर माहौल में मुलाकात का असर दिख भी रहा था.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जो संदेश दिया उसमें नीतीश कुमार की अहमियत साफ-साफ दिख रही थी. अमित शाह ने बार-बार यह बताया कि कैसे अपने दम पर सत्ता में आने के बावजूद बीजेपी अपने सहयोगियों को भी साथ लेकर चल रही है. दो दिन पहले चेन्नई में भी अमित शाह ने इसी तरह का बयान दिया था, जिसमें उन्होंने मौजूदा सहयोगियों को सम्मान देकर नए साथियों की तलाश की बात कही थी.

फिलहाल, अमित शाह के पटना दौरे के बाद जेडीयू के साथ बीजेपी के हिचकोले खाते रिश्ते को लेकर लग रहे कयास खत्म होते दिख रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि सीट शेयरिंग से लेकर हर मुद्दे पर नीतीश कुमार को बीजेपी नाराज नहीं करेगी. यानी रिश्ता बराबरी का होगा या फिर राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी भले ही बड़े भाई की भूमिका में रहे लेकिन, बिहार में चेहरा नीतीश कुमार का ही आगे रहेगा.

हालांकि अमित शाह ने दावा किया कि यूपी में मायावती, अखिलेश, अजीत सिंह और कांग्रेस मिलकर भी चुनाव लड़े तो उनको बीजेपी हरा देगी. दावा पूरे देश में जीत का किया जा रहा है, लेकिन, हकीकत यही है कि इस वक्त चंद्रबाबू नायडू के एनडीए छोड़ने के बाद शिवसेना की तरफ से भी दबाव बढ़ा दिया गया है.

बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना ने अगला लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में नीतीश को साथ रखना बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. बीजेपी ने समय रहते लगता है नीतीश कुमार की नाराजगी को दूर कर दिया है. वरना, 2010 में मोदी के साथ अपनी तस्वीरों वाले विज्ञापन के छपने के चलते बीजेपी नेताओं को दिया गया डिनर रद्द करने वाले नीतीश कुमार मोदी के सबसे भरोसेमंद चाणक्य के सम्मान में इस तरह डिनर के साथ-साथ नाश्ते पर सहज नहीं दिखते.

AAP will organise a press conference on July 13 Friday

Aam Aadmi Party state co-president Dr. Balbir Singh and general secretary AAP Punjab & RTI activist Adv. Dinesh Chaddha will address the media on the issue of RTI information regarding Punjab jails tomorrow (July 13, 2018) at 3 PM at People convention centre sector 36 Chandigarh

हिट ऐंड रन न करें राहुल, सामने आ कर बहस करें जयंत सिन्हा

 


सिन्हा ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि वह हिंदी या अंग्रेजी किसी भी माध्यम में झारखंड लिंचिंग मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं.


केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा है. सिन्हा ने कहा कि राहुल ने व्यक्तिगत स्तर पर हमला बोला है और मेरी शिक्षा और मूल्यों पर सवाल खड़े किए हैं. इसलिए वह चुनौती देते हैं कि राहुल उनसे हिंदी या अंग्रेजी किसी भी माध्यम में झारखंड लिंचिंग मुद्दे पर बहस करें. लेकिन यह बहस सभ्यतापूर्वक होनी चाहिए.

सिन्हा ने यह भी कहा कि राहुल अपने सोशल मीडिया हैंडल के पीछे छिपकर शूट एंड स्कूट की राजनीति ना करें. लिंचिंग मामले पर सफाई देते हुए सिन्हा ने कहा, ’29 जून 2017 को हुई घटना बहुत भयानक और दर्दनाक थी और ऐसी घटनाओं की वह निंदा करते हैं. अपराध करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.’

सिन्हा ने कहा, ‘लोगों को लगता है कि अलीमुद्दीन हत्याकांड के दोषियों के लिए मेरे मन में सहानुभूति है और मैंने अपने घर में दोषियों का स्वागत किया लेकिन किसी भी तरह के अपराध को बढ़ावा देना मेरा मकसद नहीं है. लोगों को अगर ऐसा लग रहा है तो यह बहुत खेद का विषय है.’

लिंचिंग मामले के कोर्ट में होने का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी करना सही नहीं है. जिन लोगों को इस मामले में दिलचस्पी है, वह पहले कागजों और तथ्यों को पढ़ ले फिर अपनी राय बनाएं.

थरूर को चेताया गया


रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के लिए शब्दों का चुनाव करते समय सभी कांग्रेस नेताओं को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को समझना चाहिए.


बीजेपी पर निशाना साधते समय कांग्रेस नेता शशि थरूर द्वारा दिए गए बयान पर हंगामा हो गया है. शशि थरूर ने कहा था कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत से भारत ‘हिंदू पाकिस्तान’बन जाएगा. उनके इस बयान पर खुद कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें संयम बरतने की सलाह दी है.

कांग्रेस ने कहा कि भारत का लोकतंत्र इतना मजबूत है कि यह देश कभी पाकिस्तान नहीं बन सकता.

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के लिए शब्दों का चुनाव करते समय सभी कांग्रेस नेताओं को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी को समझना चाहिए. सुरजेवाला का यह ट्वीट शशि थरूर के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपने बयान के लिए माफी नहीं मांगेंगे.

बता दें कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने मंगलवार को कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगर 2019 का लोकसभा चुनाव जीतती है तो देश में ऐसे हालात पैदा होंगे जिससे भारत ‘हिंदू’ पाकिस्तान बन जाएगा.

बीजेपी नई तरह का संविधान लिखेगी जहां नहीं होगी अल्पसंख्यकों की कद्र

तिरुवनंतपुरम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए थरूर ने कहा था, बीजेपी नए तरह का संविधान लिखेगी जिससे ऐसे राष्ट्र का निर्माण होगा जो पाकिस्तान की तरह होगा और जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कोई कद्र नहीं होगी.

थरूर ने कहा था, ‘अगर वे (बीजेपी) लोकसभा चुनाव में दोबारा जीतते हैं, तो हम जिस लोकतांत्रिक संविधान को समझते हैं, उसका अस्तित्व नहीं रह जाएगा क्योंकि उनके पास वे सारे तत्व होंगे जो संविधान को तहस-नहस कर कोई नया संविधान लिखेंगे.’

थरूर ने आगे कहा, नया संविधान ऐसा होगा जो हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को मजबूत करेगा. यह संविधान अल्पसंख्यकों की समता को खत्म करेगा, हिंदू पाकिस्तान बनाएगा. अगर ऐसा होता है तो महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आजाद और स्वतंत्रता सेनानियों का वह भारत नहीं रह जाएगा जिसके लिए उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी थी.

थरूर के इस बयान पर बीजेपी ने करारा जवाब दिया था. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि थरूर के बयान पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए.

थरूर का बयान कांग्रेस की बेचैनी को दर्शाता है

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क्या ये माना जाए कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने बयान से कांग्रेस के भीतर की बेचैनी को खोलकर सबके सामने रख दिया है?


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिये कांग्रेस नेता शशि थरूर एक नई अपील और रिसर्च के साथ सामने आए हैं. थरूर ने कहा है कि, ‘अगर बीजेपी साल 2019 का लोकसभा चुनाव जीतती है तो वो एक नया संविधान बनाएगी जिससे भारत ‘हिंदू पाकिस्तान’ बन जाएगा’. थरूर ये मानते हैं कि पाकिस्तान की ही तरह भारत में भी अल्पसंख्यकों के अधिकार खत्म हो जाएंगे.

एक तरफ शशि थरूर साल 2019 में बीजेपी की जीत को लेकर अल्पसंख्यकों को डरा रहे हैं तो दूसरी तरफ बुद्धिजीवी मुसलमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को दूसरी सलाह दे रहे हैं. बुद्धिजीवी मुसलमानों ने राहुल को सलाह दी है कि वो मुसलमानों की बात न कर मुसलमानों की गरीबी और शिक्षा पर जोर दें. जाहिर तौर पर बुद्धजीवी भी नहीं चाहते कि साल 2019 का लोकसभा चुनाव हिंदू-मुस्लिम के नाम पर लड़ा जाए. तभी वो कांग्रेस से गुजारिश कर रहे हैं कि कांग्रेस पुराने सिद्धांतों पर अमल करे.

क्या अपने कोर वोटर्स की ओर लौट रही है कांग्रेस?

दूसरी तरफ शशि थरूर का ये बयान साल 2019 के लोकसभा चुनाव को सांप्रदायिक रंग देने के लिए काफी है. ऐसे में क्या ये माना जाए कि कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने बयान से कांग्रेस के भीतर की बेचैनी को खोलकर सबके सामने रख दिया है? क्या कांग्रेस एक बार फिर से अपने कोर मुस्लिम वोटर के भरोसे साल 2019 का चुनाव लड़ने का मन बना रही है? तभी राहुल गांधी भी बुद्धिजीवियों से मुलाकात में मुसलमानों को लेकर कांग्रेस की गलती मान रहे हैं?

हालांकि कांग्रेस ने शशि थरूर के बयान से किनारा कर लिया है. कांग्रेस ने थरूर के बयान को निजी बताया है. कांग्रेस में ये परंपरा है कि जिस बयान की वजह से विवाद होने पर पार्टी को बैकफुट पर जाना पड़े तो उस बयान से पल्ला झाड़ना ही ठीक है. इससे पहले भी कांग्रेस इसी तरह वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और मणिशंकर अय्यर के विवादास्पद बयानों से पल्ला झाड़ चुकी है.

लेकिन थरूर के बयानों की कमान से शब्दों का तीर तो निकल गया. बीजेपी अब इसे बड़ा सियासी मुद्दा जरूर बनाना चाहेगी. वैसे भी कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का आरोप लगा रही हैं. लेकिन अब थरूर का बयान ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिये हिंदू-मुस्लिम वोटों की जंग की जमीन तैयार कर रहा है.

हालांकि कांग्रेस साल 2014 की हार से सबक ले चुकी है. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा पर आई एंटनी रिपोर्ट में साफ कहा गया था कि कांग्रेस की मुस्लिम परस्त छवि ने उसे हिंदू विरोधी करार दिया जिसका खामियाजा उसे चुनाव में उठाना पड़ा. इसी रिपोर्ट के बाद कांग्रेस ने हिंदुत्व की छांव तले नई रणनीति बनाई थी.

राहुल गांधी ने गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में मंदिर परिक्रमा की तो उनके जनेऊ धारण का कांग्रेसी नेताओं ने प्रशस्तिगान भी किया था. वहीं यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी कहा था कि कांग्रेस कभी भी हिंदू विरोधी नहीं रही है बल्कि कांग्रेस को हिंदू विरोधी बताकर दुष्प्रचारित किया गया.

राजनीति की विडंबना ही है कि एक वक्त हिंदू शब्द ही ‘सेकुलर’ सियासत के दौर में सांप्रदायिक हो गया था. लेकिन सियासी मजबूरी के चलते कांग्रेस को हिंदू वोटबैंक को मनाने के लिए ये सफाई देनी पड़ गई कि वो हिंदू विरोधी नहीं है. इस तरह से कांग्रेस ने अपनी छवि को सॉफ्ट हिंदुत्व में बदलने की कोशिश भी की.

बीजेपी इस मुद्दे को भुनाएगी

 

लेकिन अब शशि थरूर ने कांग्रेस के किये-कराए पर एक तरह से पानी फेर दिया. बीजेपी अब जनता के बीच ‘हिंदू पाकिस्तान’ के मुद्दे को जमकर भुनाएगी.  बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस ने बार-बार हिंदुस्तान को नीचा दिखाने की कोशिश की है और हमेशा ही हिंदुओं को अपमानित करने का काम किया है.

थरूर का ये बयान बीजेपी के लिए उसी तरह फायदेमंद साबित हो सकता है जैसे कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने बयान दिया था. मनमोहन सिंह ने दो बड़ी बातें कही थीं. उन्होंने अल्पसंख्यकों को साधने के लिए कहा था कि मोदी के पीएम बनने से देश में खून की नदियां बह जाएंगी. साथ ही उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है.

2014 की तर्ज पर ही चुनाव लड़ने की योजना

अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण और मुस्लिमों को डराने की राजनीति के पुराने फॉर्मूले ने कांग्रेस को साल 2014 में सत्ता का वनवास दिला दिया था. मोदी लहर के चलते धार्मिक भावनाओं पर विकास की उम्मीद भारी पड़ी थी. बीजेपी को पहली दफे समाज के हर वर्ग से भारी संख्या में वोट मिले और बीजेपी ने अपने दम पर केंद्र में सरकार बनाई. बीजेपी की ऐतिहासिक जीत साबित करती है कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनाने में मुस्लिम मतदाताओं ने भी अपनी पुरानी डरी हुई सोच को बदला. बिना किसी भय के पूर्ण विश्वास के साथ मोदी पर अपनी आस्था जताई. आज देश के 22 राज्यों में बीजेपी और उसके गठबंधन की सरकारें हैं. बीजेपी और आरएसएस का डर दिखा कर चुनाव जीतने वाली पार्टियां अपने ही गढ़ में वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं.

2014 की तर्ज पर ही चुनाव लड़ने की योजना

ऐसे में बीजेपी के लेकर जहां विपक्ष ‘महागठबंधन’ के नाम पर एकजुट नहीं हो पा रहा है वहां शशि थरूर अल्पसंख्यकों को एक ही धारा में लाने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू पाकिस्तान को लेकर थरूर का बयान यूपीए शासनकाल में गृहमंत्री रहे पी चिदंबरम के ‘हिंदू आतंकवाद’ की यादें ताजा कर रहा है. चिदंबरम ने कहा था कि देश को हिंदू आतंकवाद से ज्यादा खतरा है. ऐसा लग रहा है कि जहां बीजेपी भी साल 2014 की तर्ज पर चुनाव लड़ना चाह रही है तो वहीं कांग्रेस भी साल 2014 की ही तर्ज पर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम कर रही है तभी वो किसी न किसी बहाने मुस्लिम मतदाताओं का मन टटोल रही है.

लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि कल तक मोदी सरकार की प्रशंसा कर कांग्रेस में विरोध का पात्र बनने वाले शशि थरूर अब मोदी सरकार के विरोध में क्यों उतर आए हैं? क्या इसकी बड़ी वजह ये है कि उन्हें सुनंदा पुष्कर मौत मामले में केंद्र से उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिल सकी? फिलहाल थरूर जमानत पर हैं लेकिन उनके विदेश जाने पर रोक है.