कार बाज़ार आएगा मनीमाजरा

 

 

नगर निगम चंडीगढ़ की 260वीं सदन की बैठक के दौरान आज हल्लोमाजरा स्थित निर्मित कार बाजार की जगह मनीमाजरा में कार बाजार के लिए सहमति बनी। पूर्व डिप्टी मेयर एवं भाजपा पार्षद अनिल दुबे की चेयरमैनशिप में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी। जिसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया है। गौरतलब है कि हल्लोमाजरा में मूलभूत सेवाओं की कमी थी, यहां पर गाडिय़ां भी सुरक्षित नहीं थी इसलिए शुरू से ही इसका विरोध चल रहा था।

अब मनीमजारा में जो खाली जगह पड़ी है उसमें गाडिय़ां भी सुरक्षित रहेंगी और यहां पर सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। निगम को यहां कुछ पैसे लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किंतु कांग्रेस पार्षद दविंदर सिंह बबला के यह कहने पर कि कुछ लोगों द्वारा इस जगह कार बाजार का विरोध किया जा रहा है। जवाब में अनिल दुबे ने कहा कि ओमप्रकाश बुद्धिराजा, नरेश पन्ना सहित कुछ लोगों ने इस पर एतराज किया है।

उन लोगों ने सुझाव दिया है कि कार बाजार यदि संडे की बजाय मंडे को कर दी जाए तो उन्हें भी कोई एतराज नहीं होगा। आज की बैठक शुरू होते ही बबला ने मेयर और निगम कमिश्नर से सवाल किया कि एक तरफ निगम ने विकास के सभी कार्य रोक रखे हैं दूसरी तरफ वह शहरवासियों पर तरह तरह के टैक्स लगाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में उनकी पार्टी इस बात का विरोध करेगी। बबला की शिकायत थी कि उनके वार्ड में कम्यूनिटी सेंटर का रेनोवेशन रोक दिया गया। इसके अलावा निगम के और भी विकास कार्य रोक दिए गए।

बबला के सवाल के बाद कमिश्नर व मेयर ने कहा कि यदि सब की राय बने तो कम्यूनिटी सेंटरों के निमार्ण कार्य चंडीगढ़ प्रशासन को दे दिया जाए। कार्य पूरा होने पर उसे वापस ले लिया जाए। सदन में इस बात पर सभी पार्षद सहमत दिखे फिर कमिश्नर ने कहा कि इस कार्य को वह जितना जल्दी हेागा पूरा करवाने का प्रयास करेंगे। पूर्व मेयर अरूण सूद व बबला द्वारा कमिश्नर व मेयर से सीधे सवाल किया गया कि फंड क्रं च को लेकर काफी पहले नगर प्रशासक व पंजाब के राज्यपाल से बैठक कर विचार विमर्श किया गया था।

उसके बाद उन्होंने दो तीन दिन में एडवाइजर से बात करने के बाद समस्या के निपटारे की बात की थी। किंतु आज तक कुछ पता नहीं चला। जवाब में कमिश्नर व मेयर ने कहा कि नगर प्रशासन की तरफ से निगम को पूरा सहयोग मिल रहा है। निगम के हिस्से का ८४.८० करोड़ आ चुका है शेष १०० करोड़ की और जरूरत है इतने में हमारे सभी कार्य पटरी पर आ जाएंगे। कमिश्नर ने कहा कि स्मार्ट सिटी के हिस्से में २४*७ पीने के पानी सप्लाई के शुरू करने के पैसे भी उनके पास आ गए हैं और काम भी शुरू हो चुका है। इसके लिए वह प्रशासन के धन्यवादी हैं। इसकेे अलावा चंडीगढ़ के अंतगर्त आने वालेे गांवों के विकास के लिए भी २५ करोड़ रूपये आ चुके हैं।

एलईडी के लिए भी काम शीघ्र शुरू हो जाएंगे। मेयर ने कहा कि निगम केा मिलने वाले सभी पैसे पाईप लाइन में हैं चुंकि प्रशासक शहर से बाहर हेैं जब वह वापस आएंगे तो शेष पैसे भी उन्हें शीघ्र मिल जाएंगे। बबला और अरूण सूद ने बारिश का हवाला देकर कहा कि शहर की सभी सडक़ें थोड़ी बरसात में ही भर जाती हैं। जल निकासी का कोई समूचित प्रबंध अब क्यों नहीं किया गया। दोपहर बाद २ बजे लंच ब्रेक होने तक किसी एजेंडे पर चर्चा नहीं शुरू हो चुकी थी खबर छापे जाने तक सदन की कार्रवाई जारी थी।

कैप्टन अभिमन्यु भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर झूठे व मनघड़ंत आरोप किस आधार पर लगा रहे हैं? कृष्णमूर्ति हुडा

file photo

हरियाणा के पूर्व मंत्री व प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता कृष्णमूर्ति हुड्डा ने एडवोकेट संत कुमार के माध्यम से वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को नोटिस दिया है और पूछा है कि वे बतायें कि हरियाणा के दिग्गज नेता व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर झूठे व मनघड़ंत आरोप किस आधार पर लगा रहे हैं ? कैप्टन अभिमन्यु को आगामी 2019 के चुनाव में अपनी बुरी तरह से सम्भावित हार निश्चित नजर आ रही है और उससे बचने के लिए वह ओच्छे हथकंडे अपना रहे हैं। सुदीप कलकल जो कि कैप्टन अभिमन्यु की कोठी जलाने में अभियुक्त है और पिछले 2½ वर्ष से जेल में है, उनका कांग्रेस से कोई रिश्ता नहीं है, ना ही वह कांग्रेस पार्टी का सदस्य है। वित्त मंत्री स्पष्ट करें कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने क्या सोच कर सुदीप कलकल को अपने निवास पर दिए खाने पर विशेषतौर पर बुलवाया था ? सुदीप कलकल का सम्बन्ध भाजपा व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु से है। कैप्टन अभिमन्यु के साथ आरोपी सुदीप कलकल की फोटो सोशल मीडिया में अनेकों बार देखी गई है।

कृष्ण मूर्ति हुड्डा ने कहा कि वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु पूर्व मुख्यमंत्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह हुड्डा व मेरे सीधे तौर पर रिश्तेदार हैं, लेकिन वित्त मंत्री की क्या मजबूरी है कि वह इस रिश्ते को छिपा रहे हैं ? पूर्व मुख्यमंत्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की भतीजी की शादी कैप्टन अभिमन्यु की बहन के लड़के के साथ हुई है और कैप्टन अभिमन्यु की दो भतीजियों की मेरे साले के लड़कों के साथ पांच साल पहले शादी हुई थी। यह बड़े खेद की बात है कि वह इस प्रकार के रिश्ते को छिपा कर और कितने छोटे स्तर पर उतर कर अपनी डूबती हुई नैय्या को पार करने के लिए मेरे उपर व चौ0 भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। वित्त मंत्री का स्तर देखिये कि उन्होंने 2½ वर्ष पूर्व मेरी पुत्रवधु को सारे नियम ताक पर रख कर रोहतक से चण्डीगढ़ बदल दिया था। वित्त मंत्री ने प्रतिशोधवश अपने राजनैतिक विरोधियों के परिवार की महिलाओं को भी नहीं बख्शा। मेरी पुत्रवधु श्रम विभाग में डिप्टी डायरेक्टर है। इन सब बातों के बाद हरियाणा की जनता समझ सकती है कि वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु किस छोटी सोच के नेता हैं ?

पूर्व मन्त्री ने कहा की वित्त मन्त्री पहली बार विधायक व मन्त्री बने है लेकिन उन्हें सत्ता का नशा चढ़ गया है और वह सत्ता के नशे में चूर हैं। 2019 में हरियाणा की जनता उनका पूरा नशा उतार देगी। मेरे बेटे गौरव हुड्डा को 2½ वर्ष बाद सीबीआई ने भाजपा सरकार के इशारे पर झूठा फँसाया गया है, केवल इसलिए कि पूर्व मुख्य मन्त्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को बदनाम किया जा सके। मेरा बेटा 100 प्रतिशत निर्दोष है, जिसको कि हम अदालत में साबित कर देंगे। वित्त मन्त्री कैप्टन अभिमन्यु को रोहतक के एडवोकेट सन्त कुमार के माध्यम से कानूनी नोटिस भेज दिया है। अगर वे 15 दिन में पूर्व मुख्य मन्त्री चौ0 भूपेन्द्र सिंह से अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के लिये माफी नहीं मांगते तो मैं उन पर अदालत में मानहानि का मुकद्मा करूंगा। वित्त मंत्री को पता चलेगा कि सस्ती लोकप्रियता के लिए अपने विरोधियों पर कीचड़ उछालने की कितनी कीमत चुकानी पड़ती है ?

मणिकर्ण घाटी में बादल फटने से ब्रहम गंगा नदी में बाढ़, कई जगह भू स्खलन

शिमला। हिमाचल में मॉनसून पीक पर है और हर तरफ बारिश आफत बनकर बरस रही है। कई जिलों में लैंड स्लाइड हो रहे हैं और सूबे की सभी नदियां उफान पर है। मणिकर्ण घाटी में बादल फटने से जहां ब्रहम गंगा नदी में बाढ़ आ गई है, वहीं पर पहाड़ी दरकने से शिमला चंडीगढ़ नेशनल हाईवे करीब एक घंटे तक बंद रहा।

बाढ़ में बहे तीन घर…

chandigarh shimla NH

ब्रह्मगंगा नदी में आई बाढ़ से नदी किनारे के तीन घर बह गए। साथ ही बाढ़ से दो पुल भी बह गए। इस घटना से लोग सकते में हैं। लोगों के नदी किनारे बने घर प्रशासन ने खाली करवा दिए हैं। कुल्लू के एसडीएम डा. अमित गुलेरिया ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि टीम क्षेत्र में भेजी गई हैं।

शिमला चंडीगढ़ हाईवे पर लगा 4 किमी लंबा जाम…

उधर भारी बारिश से चक्की मोड़ के पास हुए भू-स्खलन के कारण चंडीगढ़-शिमला राष्ट्रीय उच्च मार्ग करीब एक घंटे बंद रहा। इसके कारण दोनों ओर करीब 4 किलोमीटर लम्बा जाम लग गया। फोरलेन का निर्माण कर रही कंपनी ने 2 जे.सी.बी. मशीनों से सड़क पर गिरी चट्टानों व मलबे को हटाकर यातायात को बहाल किया। पहाड़ी से पत्थर लगातार गिर रहे थे। इसे देखते हुए बारी-बारी से एक तरफ के वाहनों को निकाला जा  रहा था।

To keep Hindutva intact, Hindu families should have five kids at least

 

BJP MLA from Bairia district Surendra Singh has once again managed to get several eyebrows raised with his controversial remark.

According to the BJP lawmaker, Hindu couples must have at least five children each to give a boost to Hindu population and Hindutva intact.

“It is the desire of every spiritual leader (mahant) for every couple to have a minimum of five children. This way the population will be under control, and Hindutva would remain intact,” ANI quoted Singh as saying.

Recently, Singh had come under fire for saying rape was a “natural pollution”, and that even Lord Ram would not have been able to end incidents of rape.

“I can say this with full confidence that even Lord Ram will not be able to prevent such instances. This is natural pollution, which has not left anybody untouched,” the BJP lawmaker had said, when he was asked about the rising cases of rape in Uttar Pradesh.

“It is people’s responsibility to treat others as their family, as their sisters. We can only control it through values, not the Constitution,” he added.

In June, he had shockingly compared the government officials to prostitutes. He had said those in flesh trade always completed their work after taking money, but officials wouldn’t complete their assignments even after taking money.

The BJP MLA is known for making controversial statements.

After the recent Kairana Lok Sabha and Noorpur assembly bypolls, he had blamed ministers in the Yogi Adityanath government for the party’s humiliating defeat at both places.

He had said if certain ministers were not removed from the state cabinet, the ruling party’s downfall in UP was certain.

In the past, Singh had said the 2019 Lok Sabha elections would be an “Islam vs Bhagwan” battle.

West Bengal re – named ‘Bangla’

 

The West Bengal Assembly passed a resolution on Thursday to rename the state as ‘Bangla’ in three languages — Bengali, English and Hindi.

The move is aimed at climbing the alphabetical sequence of state names in which West Bengal appears last in the list now. The State will have to wait for the nod from the Home Ministry for a final approval on the resolution.

Earlier, the Centre had rejected the state government’s proposals of having three names Bangla (in Bengali), Bengal (in English) and Bangal (in Hindi).

The Mamata Banerjee government’s proposal of renaming West Bengal as Paschim Bango in 2011 was also turned down by the Centre.

आज का राशिफल

दिनाँक 26/7/2018

मेष:
आज क्रोध पर संयम बरते। आर्थिक दृष्टिकोण से आज आय के मुकाबले खर्च अधिक रहेगा। आंखों में तकलीफ हो सकती है। किसी धार्मिक स्थल अथवा मांगलिक प्रसंग में उपस्थित रहने का आमंत्रण मिलेगा।

वृषभ:
आज शुरू किए गए नए कार्य अपूर्ण रह सकते हैं। खान-पान में उचित-अनुचित का विवेक रखें। आज कार्यभार अधिक हो सकता है। मन में किसी प्रकार के निषेधात्मक विचार को प्रवेश न करने दें। पारिवारिक वातावरण अच्छा रहेगा।

मिथुन:
आज का दिन आमोद-प्रमोद में बीतेगा। आज आप खुशी का अनुभव करेंगे। मित्रों और परिजनो के साथ घूमने-फिरने का आनंद उठा सकेंगे। वाहनसुख मिलेगा। आपके मान-सम्मान और लोकप्रियता में वृद्धि होने के संकेत हैं।

कर्क:
व्यवसाय में आज का दिन लाभदायी रहेगा। कार्यालय में साथ काम करने वालों का सहयोगा मिलेगा। परिजन आपके साथ आनंदपूर्वक समय बिताएंगे। व्यवसाय में प्रतिस्पर्धियों पर विजय प्राप्त करेंगे। कार्य में यश प्राप्त होगा।

सिंह:
आज सृजनात्मकता और कला संबंधी प्रवृत्तियों के लिए दिन श्रेष्ठ है। विद्यार्थीगण पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे। मित्रों से मुलाकात होगी। स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।

कन्या:
आजका दिन प्रतिकूलताओं से भरा हो सकता है। जीवनसाथी के साथ अनबन हो सकती है। माता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। स्थायी संपत्ति के काम में सावधानी बरतें। आर्थिक लेन-देन में जोखिम से बचें।

तुला:
आज का दिन आनंद में गुजरेगा। प्रतिस्पर्धियों का पक्ष कमजोर होगा इन पर विजय प्राप्त कर सकेंगे। प्रत्येक कार्य सफलता मिलेगी। स्वजनों के साथ आज मुलाकात हो सकती है। धार्मिक प्रवास से मन आनंद का अनुभव करेगा।

वृश्चिक:
विचारों की अधिकता के कारण मानसिक रूप से शिथिलता का अनुभव होगा। आपकी वाणी से आज किसी के मन को ठेस पहुंच सकती है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। मन ग्लानि से भरा रहेगा।

धनु:
आज धार्मिक प्रवास होगा। निर्धारित कार्यों को आज संपन्न कर सकेंगे। शारीरिक और मानसिक स्वस्थता बनी रहेगी। परिवार में मांगलिक प्रसंग बनेंगे। स्वजनों के साथ हुई मुलाकात मन को प्रसन्न करेगी। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।

मकर:
आज धार्मिक और आध्यात्मिक विषयो में रुचि रहने से उनके पीछे खर्च भी हो सकता है। कोर्ट-कचहरी से संबंधित कार्य सामने आ सकते हैं। व्यवसायिक कार्यों में विध्न उपस्थित होंगे।

कुंभ:
व्यवसायिक क्षेत्र में आपके लिए आज लाभदायी दिन है। मित्रों के साथ भेंट होने से मन में आनंद छाया रहेगा। उनके साथ प्रवास का आयोजन भी हो सकता है। नए कार्य का शुभारंभ आपके लिए लाभदायी रहेगा।

मीन:
व्यावसायिक दृष्टि से आज आपके लिए लाभदायी दिन है। आपकी कार्यसफलता के कारण उच्च अधिकारी आप पर प्रसन्न रहेंगे। व्यवसाय में प्रमोशन के भी योग हैं। व्यापारियों को व्यापार में लाभ होगा तथा कार्यक्षेत्र में प्रगति होगी। पिता से लाभ होगा।

आज का उपाय :- अच्छी हेल्थ के लिए घर में खुश कच्चा स्थान अवश्य रखें, यदि न रख सकें तो आलू का पौधा घर में रखें एस से घर मे सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।

एचसीएस रीगन कुमार सस्पेंड किए गए।

एचसीएस रीगन कुमार सस्पेंड किए गए।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिए आदेश

उत्कर्ष मामले में हुई प्रशासनिक जांच के बाद उठाया गया कदम

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन ने दी जानकारी

अनुमान लगा सकते है…. परिवर्तन की लहर किस और बह रही है……हरियाणा के चारों ओर…..: चाँदवीर हुडा

 

 

देश और प्रदेश में बहुत सी रैलियां होती है , सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी रैलियों में पूरा जोर लगा देती है । हमने मोदी की रैलियां भी सोशल मीडिया और मीडिया के माध्यम से देखी है ,अमित शाह की जींद रैली भी देखी ।
जिसमे पूरी बीजेपी ने जोर लगा रखा था फिर भी 70%कुर्सिया खाली थी । ये नज़ारा भी सबने देखा
और दूसरा नज़ारा चौटाला परिवार की रैलियां देखी जिसमे लोग आते 1500 । और दिखाने की कोशिश होती थी 30 हज़ार। ये नौटंकी भी हरियाणा की जनता ने सभी जिलो में देखा नकली हाज़री का ।
हमने और प्रदेश की जनता ने एक और अद्भुत नज़ारा देखा गया। जहा जिस जिले में भूपिंदर सिंह हुड्डा ने रैल्ली की तो किसी भी पंडाल में कुर्सिया नहीं लगायी । लोगों ने खड़ी रैली की । मंडियों के शेड्स में भीड़ में तिल रखने की जगह नहीं मिली और जनता ने खड़े होकर सुना । जनक्रांति यात्रा की चारोँ चरणों की रैलियों में शेड्स से ज्यादा भीड़ बाहर धुप में खड़ी रही । शेड्स में जगह नहीं मिल पायी । हम उदाहरण के तौर पर टोहाना की ही फ़ोटो डाल रहे हैं। एक में शेड्स से बहार का अद्भुत नज़ारा है और दूसरी में शेड्स के अंदर का नज़ारा है। जिसमे हुड्डा साब जनता का अभिवादन स्वीकार कर रहे है ।
आप देख सकते है और तुलना कर सकते है… दूसरी पार्टीयो की रैल्लियो से ..और ……अनुमान लगा सकते है…. परिवर्तन की लहर किस और बह रही है……हरियाणा के चारों ओर…..

कम ख़राब से अधिक ख़राब का चुनाव है इमरान खान


ईशनिंदा को लेकर बने कठोर पाकिस्तानी कानून का समर्थक होना, या फिर औरतों को लेकर पोंगापंथी वाले विचार जाहिर करना, इमरान खान को बहुत पीछे ले गया है.

यकीन जानिए यही वहाँ की ज़रूरत भी है।


इमरान खान ने बहुत पहले वादा किया था कि वे पाकिस्तान को बदल देंगे. लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें बदल दिया. देश का नेतृत्व करने का सपना पूरा करने में, उन्हें खुद को बदलने के लिए जितनी मेहनत करनी पड़ी, उतनी मेहनत शायद उन्हें ताज़ा चुनावों में खुद को प्रधानमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार साबित करने में नहीं हुई.

ऑक्सफर्ड से पढ़ाई कर, ब्रिटिश लहज़े वाली अंग्रेज़ी बोलने वाले एलीट, और ब्रिटिश अरबपति की बेटी से शादी करने वाले इमरान खान से लेकर उस इमरान खान तक, जो पाकिस्तान की राजनीति में उतरने के बाद कट्टर इस्लामिक विचारधारा का हो जाता है, उन्होंने खुद को काफी बदल लिया है. ईशनिंदा को लेकर बने कठोर पाकिस्तानी कानून का समर्थक होना, या फिर औरतों को लेकर पोंगापंथी वाले विचार जाहिर करना, इमरान खान को बहुत पीछे ले गया है.

2011 में आई उनकी ऑटोबायग्रफी, ‘पाकिस्तान: अ पर्सनल हिस्ट्री’ में वे एक जगह पाकिस्तानी सांसद सलमान तासीर की हत्या के लिए मुल्क के मौलानाओं को ज़िम्मेदार मानते दिखाई देते हैं. वे कहते हैं कि ईशनिंदा का कट्टर कानून ही उस हत्या की वजह है. 4 जनवरी 2011 को सलामन तासीर को उनके 26 साल के बॉडीगार्ड मलिक मुमताज़ हुसैन कादरी ने गोलियों से भून दिया था. वो पाकिस्तान में पंजाब के गवर्नर थे.

वजह, उनका बॉडीगार्ड ईशनिंदा कानून पर उनके कथित विरोध से नाराज़ था. पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून एक ज्वलंत मुद्दा है. सलमान तासीर को 26 गोलियां मारने वाले इस हत्यारे को साल 2016 में नवाज़ शरीफ सरकार ने फांसी की सज़ा दे दी. लेकिन सलमान तासीर को मारने के बाद मीडिया के सामने इस गार्ड ने कहा था, ‘ सलमान तासीर ईशनिंदक हैं, अल्लाह की बुराई करने वाले हैं और ऐसे शख्स को यही सज़ा मिलनी चाहिए थी.’

कादरी फांसी पर झूल गया लेकिन पाकिस्तान में इस्लामिक कट्टरवादियों के लिए शहीद और आदर्श बन गया. उसकी मौत से पूरे पाकिस्तान में कट्टर मुसलमानों में रोष फैल गया. और इस गुस्से ने एक राजनातिक दल को जन्म दिया ‘ तहरीक-ए-लबाएक पाकिस्तान ’, जिसने वहां के लोगों में फिलहाल अच्छी पकड़ बना ली है और ताज़ा चुनावों में उससे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद भी की जा रही है. अपने प्रचार में इस पार्टी के समर्थक कादरी की तस्वीर वाला झंडा लहराते हैं और ‘ ईशनिंदा करने वालों को मौत दो ’ के नारे भी लगाते हैं.

2011 में इमरान खान ने कादरी की जम कर निंदा की और मुल्लाओं के खिलाफ कार्रवाई न कर पाने के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया था. उस वक़्त इमरान ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उग्रवादी और अतिवादी सोच हमारे समाज के भीतर तक पैठ बना चुकी है और हमारा युवा उसका नुकसान उठा रहा है. कादरी जैसे लोग उस सोच के तहत चलते हैं जिसके मुताबिक इस्लाम खतरे में है और उसे उस खतरे से बचाने के लिए वे खुद फैसले करने लगते हैं. कादरी ने जो किया, उससे हमारे समाज में एक डर बैठ गया है. उसके साथ वैसा ही बर्ताव होना चाहिए, जैसा किसी भी दूसरे हत्यारे के साथ वाजिब हो.’

2013 के चुनावों में इमरान की बड़ी शर्मनाक हार हुई और उनकी पार्टी तीसरे नंबर पर आई. इमरान को उस चुनाव में एक ‘ताजा उम्मीद’ के तौर पर देखा जाने लगा था. उनकी रैलियों में भीड़ भी खूब आती थी, लेकिन वे उस भीड़ को वोटों में तब्दील कर पाने में नाकाम रहे. 2013 की करारी हार ने इमरान खान को भीतर से बदल दिया. उन्होंने महसूस किया कि अगर सत्ता पाकिस्तान की फौज के इशारे पर चलने से पाई जा सकती है, तो कट्टर इस्लामी सोच रख कर भी कुर्सी तक पहुंचा जा सकता है.

नतीजतन, उनकी पार्टी का मेलजोल अब धार्मिक उन्मादियों के साथ ज़बरदस्त तरीके से चल रहा है और इमरान खान समाज को पीछे ले जाने वाली हर लंपट सोच का साथ देते दिखाई दे रहे हैं. नवाज शरीफ की पार्टी ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज’ के खिलाफ अपनी लड़ाई में, इमरान की पार्टी ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ के नेता लोगों से साफ कहते हैं कि कादरी को अपने चुनावी बैनर पर रख कर चलने वालों और उसे मौत देने वालों में से किसी एक को उन्हें चुनना है. इमरान खान इस संदेश को तब और मजबूत करते दिखाई देते हैं, जब रैली में आने वाली भीड़ को वे खुद बताते हैं, ‘कोई मुसलमान खुद को तब तक मुसलमान नहीं कह सकता, जब तक वो ये न मान ले कि हजरत मोहम्मद के बाद कोई पैगंबर हुआ ही नहीं.’

इमरान के इस बयान के बाद पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अहमदी संप्रदाय में डर और घबराहट फैल गई है, जो ये मानते हैं कि पैगंबर हजरत मोहम्मद के बाद भी कोई और पैगंबर था. लिहाजा पूरी चुनावी प्रक्रिया से अहमदियों को बाहर रखा गया और इससे वे खुद को बहुत असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.

अपनी एक रैली में इमरान खान ने भीड़ से साफ कहा, ‘हम संविधान की धारा 295 C के हक में हैं और उसको बनाए रखने के लिए कुछ भी करेंगे.’ आपको बता दें कि इस कानून के तहत पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ कोई गलत बात कहने वाले को सीधे मौत की सजा का प्रावधान है.

पाकिस्तान की सेना भी प्रधानमंत्री पद के लिए इमरान के रास्ते आसान करती जा रही है. क्योंकि सेना को लगता है कि शरीफ और भुट्टो की वंशवाद की राजनीति से इमरान खान की राजनीति बेहतर है. फौज, इमरान खान को कम खतरनाक भी मानती है. लेकिन ये पूरी तस्वीर नहीं है. पाकिस्तान में भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे राजनेताओं की वजह से भी इमरान खान की लोकप्रियता बढ़ी है.

एवनफील्ड अपार्टमेंट्स घोटाले में नवाज़ शरीफ और उनकी बेटी जेल में हैं, जबकि भ्रष्टाचार के आरोपों में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के आसिफ ज़रदारी जेल जा चुके हैं. इसके ठीक उलट इमरान की छवि है. भ्रष्टाचार को लेकर उनका दामन साफ तो है ही, अपने प्रचार से उन्होंने ये छवि बना ली है कि इस चुनाव में दरअसल उनकी लड़ाई मुल्क के माफियाओं के साथ है.

इस तरह ये देख पाना बहुत आसान है कि पाकिस्तान में युवा वर्ग, इमरान की ‘सत्ता के मुखालिफ’ वाली छवि यानी ‘एंटी- इस्टैबलिशमेंट’ वाले रुख से क्यों उम्मीदें लगाए बैठा है. साफ है, उसे लगता है कि सिर्फ इमरान खान पाकिस्तान से गंदगी हटा सकते हैं और बड़े सामाजिक-आर्थिक संकट में गहरे डूबे मुल्क को बाहर निकाल सकते हैं.

लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स ने कराची यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हुमा बकाई का ये बयान छापा- ‘निराशा भरे इस माहौल में वही उम्मीद की एक किरण हैं. उनके पास पहले से कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. उन्होंने भयंकर ग़लतियां भी की हैं. लेकिन ये भी सच है कि हमने पाकिस्तान की दोनों बड़ी पार्टियों को आज़मा कर देख लिया है और वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे हैं.’

बावजूद इसके कि पाकिस्तानी वोटरों के सामने घटिया विकल्प हैं, इमरान भी कोई अच्छा विकल्प नहीं दे पाए हैं और इसकी कई सारी वजहें हैं. जैसे- वे कई सालों से राजनीति में हैं. लेकिन अब तक सरकार में नहीं रहे, उनके पास बहुत कम प्रशासनिक अनुभव है और भ्रष्टाचार को खत्म करने के अलावा उनके पास कोई एजेंडा नहीं है.

2013 में उनके हाथों में केपीके यानी खैबर पख्तूनवा की हुकूमत आई, लेकिन वे वहां अपना कोई भी वादा पूरा करने में नाकाम रहे हैं. उन्होंने 2013 में कहा था कि खैबर पख्तूनवा को एक आदर्श राज्य बनाया जाएगा. लेकिन ज़मीनी रिपोर्ट बताती है कि उनके वादों और ज़मीनी सच्चाई में जमीन-आसमान का फर्क है.

इस्लामाबाद में रहने वाले लेखक और एक्टिविस्ट अरशद महमूद ने जर्मनी की पत्रिका डाएचे वेले को बताया, ‘तस्वीर यहां वैसी ही है, जैसी पहले थी. कोई तब्दीली नहीं आई है. क्योंकि पीटीआई के कार्यकर्ता खुद को कानून से ऊपर समझते हैं और कभी भी प्रशासन के साथ सहयोग नहीं करते.’ कुछ लोगों का ये कहना भी है कि इमरान की पार्टी ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ में अंदरूनी झगड़े भी बहुत हैं. केपीके के कई विधायकों ने अपने ही चीफ मिनिस्टर और इमरान खान के खिलाफ झंडा बुलंद कर रखा है.

इमरान का दावा है कि उन्हें सत्ता मिली तो वे पाकिस्तान को एक इस्लामिक वेलफेयर स्टेट में बदल देंगे. अब इस तरह के वादे उस मुल्क के लिए तो त्रासदी लाने के नुस्खे की तरह ही होंगे, जहां बैलेंस ऑफ पेमेंट यानी भुगतान संतुलन बहुत कमज़ोर अवस्था में है, मुद्रा की कीमत गिरती जा रही है, तेल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, बिजली और पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है, नवजातों की मौत का अनुपात दुनिया में सबसे ज़्यादा है और ह्यूमन डेवलेपमेंट इंडेक्स पर पाकिस्तान बहुत नीचे है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में मुल्क 119 देशों में 106वें नंबर पर है. इस तरह इमरान खान के लिए वादे पूरा करना लगभग असंभव तो है ही, पीटीआई के मुखिया नीतियों और विचारों के स्तर पर भी काफी सतही मालूम होते हैं.

लंदन के संडे टाइम्स के एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान में चीन का मॉडल वे कैसे लागू करेंगे, तो इमरान कुछ बता ही नहीं पाए, जबकि उनके प्रचार में इसका वादा किया गया है. इमरान ने कहा, ‘हमें इस बात से सीखना है कि चीन ने अपने मुल्क में उद्योगों के साथ क्या किया.’ जब सवाल पूछा गया कि उनके पास कुल मिला कर योजना क्या है, तो उनका जवाब था, ‘हमारी प्राथमिकता सार्वभौमिक विदेश नीति की है, उसके बाद इस्लामिक वेलफेयर स्टेट और तीसरे नंबर पर चीन का मॉडल पाकिस्तान में लागू करना, ये हमारी प्राथमिकताएं हैं.’

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे विस्तार से इसे बता सकते हैं, उनकी आंखें भावशून्य हो गईं, जैसे उन्हें कुछ सूझ ही नहीं रहा हो कि क्या जवाब दें. यहां तक कि उनके करीब के साथी भी मानते हैं कि उनके बॉस इस मामले में थोड़े कमज़ोर हैं. पार्टी के उपाध्यक्ष असद उमर का कहना है, ‘इसे कुछ इस तरह कहें तो बेहतर होगा कि वे रणनीति के धुरंधर नहीं हैं. वे कभी किसी संस्था का हिस्सा नहीं रहे हैं और किसी संस्था के दायरे में बंध कर काम करना नहीं जानते.’

लेकिन सत्ता की खोज में इमरान खान का इस्लामवाद की ओर झुकाव खतरनाक है, खास तौर पर तालिबान की तरफ उनका नरम रुख. इसीलिए उन्हें ‘तालिबान खान’ कह कर भी बुलाया जाने लगा है. खैर, उत्तरी केपीके में सत्ता में बैठी उनकी पार्टी की तब काफी बदनामी हुई थी , जब 2017 में उसने हक्कानिया मदरसों के लिए 30 लाख डॉलर अनुदान के तौर पर दे दिए थे.

ये मदरसे तालिबानी आतंकियों के स्कूल माने जाते रहे हैं. इमरान ने ये तक मांग कर डाली थी कि तालिबान को पाकिस्तानी शहरों में दफ्तर खोलने की इजाज़त दी जाए. उन्होंने ये भी मांग की थी कि अमेरिका तालिबानियों पर ड्रोन से हमल करना बंद करे. बदले में तालिबान चाहता है कि सरकार से बातचीत में इमरान ही तालिबानियों का प्रतिनिधित्व करें.

खतरे की घंटी भारत के लिए भी है. अगर इमरान का पार्टी इन चुनावों में बहुमत से पीछे रह जाती है, तो हाफिज़ सईद के चुनावी फ्रंट अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक, शरीफ को कुर्सी की दौड़ से बाहर करने के लिए, इमरान को सरकार बनाने के लिए मदद कर सकती है. हाफिज़ सईद यानी मुंबई हमलों की साजिश रचने वाला आरोपी. जाहिर है, खतरा भारत को भी है.

उधर पूरे पाकिस्तान में किए गए ओपिनियन पोल इशारा करते हैं कि हालांकि इमरान की पार्टी पीटीआई शरीफ और भुट्टो की पार्टियों से बढ़त पा जाएगी, किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाएगा. जानकारों का मानना है कि उस हालत में इमरान, नवाज़ और शाहबाज़ शरीफ को बाहर रखने के लिए पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से हाथ मिला लेंगे.

डॉन में अपने एक लेख में इरफान हुसैन लिखते हैं, ‘पीपीपी के लिए ये सौदा बुरा नहीं होगा. धूर्त ज़रदारी आला-दर्ज़े का मोलभाव करेंगे क्योंकि उन्हें मालूम है कि इमरान देश के प्रधानमंत्री बनने को बेताब हैं.’ इसका मतलब ये हुआ कि अनुभवहीन इमरान उन लोगों के हाथों से इस्तेमाल होंगे, जो राजनीतिक अनुभव में उनसे बेहतर हैं. जाहिर है नया पाकिस्तान बनाने के जो वादे उन्होंने कर रखे हैं, वे पूरे नहीं होने हैं.

इमरान के खिलाफ सबसे घातक तर्क पाकिस्तानी फौज को लेकर दिया जा रहा है. रावलपिंडी के जनरलों ने इमरान को इस जगह तक किसी रणनीति के तहत ही पहुंचाया है. जाहिर है मौका आने पर बदले में वह अपना हिस्सा मांगने में पीछे नहीं रहेगी. इमरान खान के पक्ष में पलड़ा झुकाने के लिए फौज की ओर से कितनी कोशिशें हुई हैं. ये समझने के लिए एक उदाहरण काफी होगा.

डेली टाइम्स के संपादक रज़ा रूमी ने ब्रिटेन के ‘द टाइम्स’ की क्रिस्टीना लैंब को बताया, ‘इन चुनावों के दौरान कवरेज के लिए मीडिया को धमकाया गया है, कि वे अपनी हदों में रहें. चेतावनी दी गई है कि नवाज शरीफ को लेकर पॉज़िटिव खबरें न लिखें , उनकी पार्टी की रैलियों की कवरेज न हो, फौज की ओर से की गई हत्याओं के खिलाफ पख्तूनों का विरोध प्रदर्शन न कवर किया जाए, अदालतों और जजों की आलोचना से बचा जाए और इमरान की पूर्व पत्नी रेहाम खान की उस किताब का बिलकुल ज़िक्र न किया जाए, जिसमें उन्होंने इमरान के बारे में कई विवादास्पद बातें कही हैं.’

मतलब ये कि अगर इमरान जीते भी, तो उनकी सरकार पर ‘लोकप्रियता’ की मोहर नहीं लग पाएगी. जाहिर है बाद में सिविल-मिलिट्री तनाव बढ़ सकता है. हालांकि फौज उनको स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन इमरान की विश्वसनीयता में कमी से बाद में सेना को नुकसान हो सकता है, क्योंकि जैसा कि हुसैन हक्कानी ने लिखा है कि पाक फौज सत्ता की आदी तो है, लेकिन बिना किसी ज़िम्मेदारी के.

अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हक्कानी ने अपनी किताब में लिखा था, ‘पाकिस्तान संवैधानिक तौर पर लोकतंत्र है, वहां तानाशाही नहीं है. लेकिन अगर कठपुतलियों की डोर दिखने लगे, तो नतीजा जो भी हो, ज़िम्मेदारी कठपुतलियों को नचाने वालों की ही होती है. तो फौज दोनों हाथ में लड्डू रखना चाहती है. यानी सत्ता तो चाहिए, लेकिन बिना ज़िम्मेदारी के.’

खैर, पाकिस्तानी मतदाताओं को एक खराब स्क्रिप्ट पक़ड़ा दी गई है. अब उन्हें ‘सबसे कम खराब’ को चुनना है. और इस तरह पाकिस्तानियों के लिए इमरान ही एकमात्र विकल्प बचते हैं.

Pakistan election in disarray as incumbent rejects result


Pakistan Muslim League-Nawaz alleges ballot is rigged in favour of Imran Khan’s party


Pakistan’s general election has been plunged into chaos after the incumbent Pakistan Muslim League-Nawaz (PMLN) said it would reject the result amid widespread allegations that the military was rigging the ballot in favour of the party led by the former cricketer Imran Khan.

With only a third of the vote counted by 3am – an hour after the result was officially due – Khan’s Pakistan-Tehreek-e-Insaf (PTI) led in 110 seats, with the PMLN trailing on 68.

Most projections held that the PTI would go on to win between 107 and 120 seats out of a total 272 in the lower-house, exceeding expectations and delivering the role of prime minister to Khan for the first time.

The Election Commission of Pakistan(ECP), an independent body, blamed the delay in announcing the result on a breakdown in the Results Transmission Software it purchased from a British company.

“There’s no conspiracy, nor any pressure in delay of the results,” the ECP secretary, Babar Yaqoob, told reporters. “The delay is being caused because the result transmission system has collapsed.”

But Shehbaz Sharif, the leader of the PMLN, said his party “wholly rejects” the result of the election, telling a press conference that his party’s polling agents had been evicted from dozens of stations by security officials before a final tally was reached, leaving them unable to monitor potential tampering.

Supporters of Imran Khan, who is head of the Pakistan Tehreek-e-Insaf party, celebrate on a street during general election in Islamabad

“The mandate of millions of people who came out to vote has been humiliated. Our democratic process has been pushed back by decades,” said Sharif.

The PMLN, which tried to curb the power of the military while in office, has claimed for months that the establishment was “engineering” the vote against it.

The party’s former leader Nawaz Sharif, who on 13 July began a legally-dubious 10 year prison sentence for corruption, has accused the deputy head of the country’s all-powerful ISI spy agency of leadinga campaign against the PMLN. He said it included pressure on its candidates to defect, a spate of court cases and the silencing of supportive media channels.

As election workers sorted through massive piles of paper ballots, almost all the parties – except the PTI – alleged that their polling agents had been excluded from polling stations.

Bilawal Bhutto, the leader of the liberal Pakistan People’s Party (PPP) – the country’s third-largest party – tweeted it was “inexcusable and outrageous” that his activists had been excluded “across the country”.

The complaint was echoed by his rival Khadim Rizvi, the foul-mouthed cleric who leads the far-right Islamist group, Tehreek-e-Labbaik (TLP). “This is the worst rigging in history,” said a spokesman for Rizvi.

The PMLN senator Musadik Malik told journalists that security officials had taken over proceedings inside polling stations, with a particular focus on constituencies where the race was close between the PTI and PMLN.

“If what most political parties are alleging is true,” Aqil Shah of Oklahoma University said, “it would be the biggest theft of an election since the 1970s”, adding that the the parties should “unite and demand a repeat.”

PTI leaders batted away the claims. Pakistan’s likely next finance minister Asad Umar said that only those “sympathetic to India” were crying foul, while the rest of Pakistan “can see the country is going towards betterment.”

Terming the vote a “contest between the forces of good and evil”, Naeem ul Haq, a spokesperson for Khan, said the party chairman would address the nation at 2pm on Thursday.

Concerns about the electoral process were heightened after the ECP last month announced it would allow military officials inside polling stations, and granted them ultimate authority on proceedings there, while the armed forces announced it would deploy 371,000 troops on the day of the election, a fivefold increase on 2013 despite greatly improved security across the nation.

After a bloody campaign in which a terrorist attack in the eastern province of Balochistan killed 151 people at a rally, fears of election day violence were confirmed. Within hours of the polls opening, a suicide attack in Balochistan’s capital, Quetta, added 31 to the death toll and was later claimed by Isis.

The allegations of vote-rigging marred what was supposed to have been only the second transfer of power from one civilian government to another in Pakistan’s coup-prone 71-year existence.

Many supporters argued that 65-year-old Khan, the captain who brought home the 1992 cricket World Cup and a notable philanthropist, could fulfil his promises to end corruption and turn Pakistan into an “Islamic welfare state”.

At a street-party in Islamabad, PTI supporters danced ahead of the announcement of the official results.

Earlier in the day, 20-year-old Muhammad Junaid brandished his ink-stained thumb outside a polling station in Islamabad and said: “We want change”. His friend, Muhammad Salman, 20, said that an entire generation of young voters were turning out for Khan after being unable to vote in 2013.

Electoral projections suggested that the PTI would easily be able to form a coalition that would deliver the required 136-seat majority, drawing on the support of natural allies in the federally administered tribal areas and independent candidates.

Analyst Fasi Zaka argued that long-term instability would be limited: “Shehbaz Sharif is not a rabble-rouser, he is an administrator,” he said, adding that the PPP would also quickly cool down if it received the projected 40 or so seats.

Analysts said that, from an economic perspective, a stable PTI-led coalition would help the country deal with a looming current-account crisis.

“In September we have to go to the IMF to ask for the biggest bailout in Pakistan’s history, of between $15bn to $18bn,” said Adnan Rasool of Georgia State University. “If you have a strong coalition you can push through policy measures that we need in order to secure that kind of bailout, which is to take away subsidies and reduce budget deficit and reduce the value of the currency – again.”

But, he added, “this has been a selection process, not an election. It is embarrassing to watch.”