Bir Devinder Singh strongly condemned appointment of new VC

Chandigarh, July 24, 2018:

Former Punjab Deputy Speaker, Bir Devinder Singh strongly condemned presence of the local BJP-RSS workers at the joining of the new Vice-Chancellor Dr Raj Kumar, Panjab University (PU).

With this, the alleged ideological affiliation of the new VC with RSS-BJP has been exposed. “It is quite disturbing to learn that the new VC of Punjab University, Dr Raj Kumar is an RSS man from Banaras Hindu University,” said Bir Devinder in a statement issued here on Tuesday.

He stated that the Panjab University represented the liberal ethos and culture of Punjab in the world of academia. It’s Senate, Syndicate and Vice Chancellors have always guarded the rich heritage and maintained appropriate balance, keeping in mind the region’s aspirations. Therefore, the appointment of all previous VCs was made keeping in view the sensitivity of Punjabis.

“It seems bizarre that the selection committee did not find even one Professor from the Punjab University or any other university of Punjab, worthy of the august post despite having illustrious academic careers. The new VC has no connect with Punjab region,” he added.

Bir Devinder alleged that the search committee set up to find suitable candidate for the post was packed with RSS/BJP appointed/ affiliated persons. It is strange enough that out of about 160 applicants, only 9 were shortlisted and all the shortlisted professors had RSS/BJP connections. “It is another extreme of intellectual dishonesty that neither in search committee, nor among the candidates, a single person belonged to minorities, schedule castes or schedule tribes, he pointed out while terming the  presence of the Chandigarh BJP president Sanjay Tandon and other RSS people “supervising” the joining of the new VC.

The senior leader warned that any attempt to ‘saffronise’ the PU by changing its secular character would be resisted at every level. He also urged the faculty and students of the PU affiliated colleges and the university campus to keep vigil on any activities and new policies brought in by the new VC. “The appointment of the new VC has posed a big question mark on the future of the Panjab University,” he said.

कांग्रेस्स से भाजपा में आए लाल सिंह ने बनाई नयी पार्टी


बीजेपी-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने कहा है कि वे अब अपनी नई पार्टी बनाएंगे, जो ‘डोगरा स्वाभिमान और संगठन’ के लिए काम करेगी


जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के बाद अब बीजेपी में भी विद्रोह की आग सुलगती दिख रही है. बीजेपी-पीडीपी सरकार में मंत्री रहे चौधरी लाल सिंह ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. चौधरी लाल सिंह का कहना है कि वे अब अपनी नई पार्टी बनाएंगे, जो ‘डोगरा स्वाभिमान और संगठन’ के लिए काम करेगी.

बीते रविवार को जम्मू के, गांधी नगर इलाके में, टीचर भवन ऑडिटोरियम में करीब एक हज़ार की भीड़ को उन्होंने संबोधित भी किया. चौधरी लाल सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत जैसे ही ‘जय डोगरा’ के नारे से की, भीड़ ने भी इसी नारे से उनका जयघोष किया. इसके बाद चौधरी ने एक घंटे तक डोगरी भाषा में यहां के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने बार-बार लोगों को याद दिलाया कि कैसे डोगरा समुदाय ने सख्त हाथों से 1947 में जम्मू-कश्मीर को अपने काबू में रखा. चौधरी ने दावा किया कि एक बार उन्हें मौका मिले, तो डोगरा समुदाय का वो सम्मान वे फिर से वापस ले आएंगे.

जम्मू-कश्मीर के संसाधनों और मुख्यमंत्री की सीट को बांटने का प्रस्ताव

कभी कांग्रेसी रहे, 59 बरस के लाल सिंह ने 2014 के चुनावों से पहले बीजेपी से हाथ मिला लिया था. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अपनी पार्टी बनाई हैं, जिसका निशान बाघ और बकरी है. बसोहली से विधायक लाल सिंह बताते हैं कि उनकी पहली प्राथमिकता जम्मू-कश्मीर और वहां के संसाधनों को दो हिस्सों में बांटने की है. सिर्फ इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी भी तीन-तीन साल के लिए दोनों ही हिस्सों को बारी-बारी से मिले, बेशक राज किसी भी पार्टी का हो.

लाल सिंह चौधरी ने बताया- ‘मेरी पार्टी, बगैर धर्म-जाति और समुदाय देखे, जम्मू के लोगों के भले के लिए काम करेगी. लेकिन मेरी पार्टी राजनैतिक उद्देश्यों के लिए नहीं, बल्कि जम्मू के डोगरा समुदाय के गौरव के लिए काम करेगी. हमने 21 बिंदुओं को लेकर योजना तैयार की है, जिसे हम आने वाले दिनों में ज़मीन पर उतारेंगे.’

पीडीपी-बीजेपी सरकार में स्वास्थ्य और वन मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालने वाले लाल सिंह उन दो मंत्रियों में से एक थे, जिन्होंने कठुआ रेप केस के आरोपी के पक्ष में रैली की थी और इसकी वजह से बाद में महबूबा के मंत्रिमंडल से निकाले भी गए. चौधरी ने कठुआ मामले में सीबीआई जांच की मांग भी की थी.

लाल सिंह चौधरी बताते हैं- ‘हमारी पार्टी डोगरा समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करेगी. हम कोई राजनैतिक दल नहीं बना रहे. ये बस राज्य में हो रही पक्षपातपूर्ण राजनीति के खिलाफ लड़ाई लड़ने की हमारी कोशिश है.’

बीते रविवार को लाल सिंह ने अपनी रैली में लोगों से कहा कि ‘जम्मू का इलाका संसाधनों से भरपूर है, फिर भी यहां कोई विकास नहीं हुआ. जम्मू हर मामले में हमेशा पीछे रह जाता है. हमारी एक नदी से 20 हज़ार मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है, फिर भी बिजली की कटौती सबसे ज़्यादा हम ही झेलते हैं. जम्मू के प्राकृतिक संसाधनों जैसे, जंगल, पानी और टूरिज़्म से जुड़े फायदे सबसे पहले जम्मू के लोगों को मिलने चाहिए, फिर कश्मीर को.’ चौधरी ने मांग की कि जम्मू और कश्मीर दोनों ही जगहों के लिए अलग-अलग लोक सेवा आयोग बनाने चाहिए. उन्होंने कठुआ रेप मामले में क्राइम ब्रांच को ढीली जांच के लिए जम कर लताड़ा भी.

दंभी और बीजेपी की आंखों में किरकिरी माने जाते हैं लाल सिंह

अपनी कांग्रेसी छवि के चलते लाल सिंह चौधरी सूबे के कई बीजेपी नेताओं की आंखों की किरकिरी बने हुए थे. पार्टी के सूत्र बताते हैं कि दरअसल लाल सिंह चौधरी को कभी बतौर ‘बीजेपी नेता’ संगठन के लोगों ने स्वीकार किया ही नहीं. उन्हें हमेशा ‘बाहरी आदमी’ की हैसियत से जाना जाता रहा. इसीलिए जम्मू के राजनैतिक गलियारे इन अफवाहों से पटे पड़े हैं कि हो सकता है पीडीपी के एक पूर्व एमएलसी विक्रमादित्य सिंह भी उनका साथ देने जल्दी ही उनकी पार्टी में शामिल हो जाएं. विक्रमादित्य सिंह ने भी कुछ दिनों पहले अपनी पार्टी छोड़ी थी. इसके अलावा कांग्रेस नेता शामलाल शर्मा, जो सूबे के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे हैं और उनके भाई पूर्व कांग्रेस सांसद मदन लाल शर्मा, दोनों लाल सिंह चौहान की पार्टी का दामन थाम सकते हैं. लेकिन ये सब सिर्फ अफवाहें हैं. फिलहाल तो लाल सिंह चौधरी को अकेले ही चलना होगा.

जम्मू-कश्मीर की बीजेपी इकाई को उसी वक्त शक हो गया था, जब लाल सिंह चौधरी ने पार्टी की बैठकों में आना छोड़ दिया. यहां तक कि सरकार गिरने के बाद, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जम्मू में हुई रैली में भी उन्होंने शिरकत नहीं की. एक मौका तो ऐसा भी आया कि जब लाल सिंह और सूबे के बीजेपी अध्यक्ष रविंदर रैना, सीमा पर पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित लोगों से मिलने गए, तो एक दूसरे से बात तक नहीं की. बीजेपी के एमएलसी और वरिष्ठ नेता अविनाश राय खन्ना ने पत्रकारों से कहा, ‘आप खुद देख सकते हैं कि हवा किस ओर बह रही है और लाल सिंह की नीयत क्या है. बेशक वे कहें कि उनका दल राजनीतिक नहीं है, लेकिन ऐसा है नहीं. सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व को इस आशय की रिपोर्ट भेजी जा चुकी है.’

लेकिन जम्मू के ही एक और बड़े नेता ने, नाम न छापने की शर्त पर बताया कि लाल सिंह चौधरी सीधे अमित शाह से ही बात करते हैं. सूबे के किसी भी बीजेपी नेता से बात करना वे अपनी शान के खिलाफ समझते हैं, ‘वे इतने अहमक हैं कि प्रदेश अध्यक्ष अगर उन्हें फोन भी करें, तो वे उठाते नहीं.’ उनका कहना है कि ‘बीजेपी अध्यक्ष अभी मेरे सामने बच्चे हैं और मुझे राजनीति सिखाने से पहले खुद सीख लें.’

लेकिन मौजूदा हालात लाल सिंह के पक्ष में

जम्मू-कश्मीर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व पर लगातार दबाव बना रही है कि सूबे में जल्दी ही सत्ता में वापस लौटना होगा, वर्ना पार्टी आपना जनाधार किसी भी ऐसी पार्टी के हाथों खो देगी, जो जम्मू के हितों की बात करेगी और ऐसे भावनात्मक मुद्दे उछालेगी, जिससे लोग उन्हें वोट दें.

लेकिन जम्मू-कश्मीर में बीजेपी या पीडीपी की मदद के बिना कोई भी मिली-जुली सरकार बनती फिलहाल दिखती नहीं. क्योंकि पीडीपी बिखर रहे अपने घर को ठीक करने में जुटी है और नेशनल कांफ्रेंस अपने विधायकों की रखवाली इस डर से कर रही है कि कहीं वे नाराज़ होकर किसी और पार्टी में न चले जाएं.

फिलहाल, चूंकि सूबे में गवर्नर रूल अभी कुछ महीने और जारी रहने की संभावना है, तीसरे मोर्चे की हकीकत बिखरती लग रही है. ज़ाहिर है कि लाल सिंह चौधरी को मौजूदा हालात में फायदा मिल सकता है, क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी को सूबे में फैलाने के लिए कुछ वक्त मिल जाएगा, साथ ही जम्मू के राजनैतिक माहौल को अपने लायक बनाने के मौके भी मुहैया होंगे. जम्मू में वे एक नई राजनैतिक ताकत बनने की उनकी महत्वाकांक्षा पूरी होती है या नहीं, ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि बीजेपी अगले आम चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है. ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है.

आज का पांचांग

विक्रम संवत – 2075
अयन – दक्षिणायन
गोलार्ध – उत्तर
ऋतु – वर्षा
मास – आषाढ
पक्ष – शुक्ल
तिथि – त्रयोदशी
नक्षत्र – मूल
योग – ऐन्द्र
करण – कौलव

राहुकाल:-
12:00PM – 1:30PM

🌞सूर्योदय – 05:40 (चण्डीगढ)
🌞सूर्यास्त – 19:18 (चण्डीगढ)
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🚩व्रत -🚩
प्रदोष व्रत।
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चोघड़िया मुहूर्त- एक दिन में सात प्रकार के चोघड़िया मुहूर्त आते हैं, जिनमें से तीन शुभ और तीन अशुभ व एक तटस्थ माने जाते हैं। इनकी गुजरात में अधिक मान्यता है। नए कार्य शुभ चोघड़िया मुहूर्त में प्रारंभ करने चाहिएः-
दिन का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
लाभ 05:38 07:20 शुभ
अमृत 07:20 09:03 शुभ
शुभ 10:45 12:27 शुभ
लाभ 17:34 19:16 शुभ
रात्रि का चौघड़िया (दिल्ली)
चौघड़िया प्रारंभ अंत विवरण
शुभ 20:34 21:52 शुभ
अमृत 21:52 23:10 शुभ
लाभ 03:03 04:21 शुभ