4 से 5 साल की 59 बच्चियों को तहखाने में भूखे प्यासे रखा कैद


दिल्ली के एक स्कूल में चार से पांच साल की बच्चियों को तहखाने में बंद करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बच्चों को पांच घंटे से भी ज्यादा समय के लिए भूखे प्यासे तहकाने में बंद रखा गया


दिल्ली के राबिया पब्लिक स्कूल में चार से पांच साल की बच्चियों को तहखाने में बंद करने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि बच्चों को पांच घंटे से भी ज्यादा समय के लिए भूखे प्यासे तहखाने में बंद रखा गया. मिली जानकारी के अनुसार, तहखाने में पंखा तक नहीं था और भीषण गर्मी से बच्चियों की हालत खराब हो गई थी.

दिल्ली पुलिस ने सेंट्रल दिल्ली के हौज काजी में एक प्राइवेट स्कूल के खिलाफ मामला दर्ज किया है. चांदनी चौक के राबिया पब्लिक स्कूल के खिलाफ बच्चियों को घंटों तक तहखाने में बंद रखने को लेकर मामला दर्ज किया गया है. स्कूल ने चार से पांच साल की 20 से ज्यादा बच्चियों को बंधक बना कर रखा. बच्चों के माता-पिताओं ने आरोप लगाया है कि सोमवार को मंथली फीस जमा न होने पर स्कूल ने बच्चियों को पांच घंटे तक तहखाने में बंद रखा. स्कूल की छुट्टी के बाद जब अभिभावक अपने बच्चों को लेने स्कूल गए, तब उन्हें इस घटना के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद अभिभावकों ने स्कूल में जमकर हंगामा किया.

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने जांच के आदेश दे दिए हैं. साथ ही स्कूल के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर ली गई है. साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है.

अभिभावकों का आरोप है कि बच्चों को बिना भूखे-प्यासे पांच घंटों तक बेसमेंट में बंद रखा गया. जब वो अपने बच्चों को स्कूल लेने पहुंचे तब जाकर उनके बच्चियों को बाहर निकाला जा सका. इस मामले को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल ने एक न्यूज चैनल के साथ बातचीच में कहा है सभी आरोप झूठे हैं. उन्होंने इस तरह के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है.

प्रिंसिपल ने कहा है कि बेसमेंट कोई सजा देने की जगह नहीं है. दरअसल ये एक एक्टिविटी रूम है, जहां बच्चे खेलते और म्यूजिक सीखते हैं. ये एक तरह का क्लासरूम है. हालांकि पुलिस ने स्कूल के खिलाफ आईपीसी की धारा 342 और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 75 के तहत हौज काजी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया है. पुलिस का कहना है कि हमने स्कूल के प्रिंसिपल को नोटिस भेजा है. साथ ही हम पीड़ित बच्चों के माता-पिता के बयान भी दर्ज करेंगे.