मदरसों के आधुनिकीकरण की और बढ़ती सरकार


इसके तहत मदरसों की जियो टैगिंग और उनका किसी भी मदरसा बोर्ड या राज्य बोर्ड से संबद्ध होना अनिवार्य कर दिया जाएगा


एमएचआरडी देश में मदरसा शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने की स्कीम (एसपीक्यूईएम) के तहत सुधार और बदलाव करने की योजना पर काम कर रही है. इसके तहत मदरसों का किसी भी मदरसा बोर्ड या राज्य बोर्ड से संबद्ध होना अनिवार्य कर दिया जाएगा. एचआरडी मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि राज्यों ने अपने प्रस्तावों को पेश कर दिया है, इसका अध्ययन किया जा रहा है और बजट को देखते हुए मदरसा शिक्षा व्यवस्था में सुधार की व्यापक योजना को लागू किया जाएगा.

सूत्र ने बताया कि ‘एसपीक्यूईएम का उद्देश्य मदरसा शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है और छात्रों को औपचारिक विषयों में राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली के मानकों को प्राप्त करने में सक्षम बनाना है. इसके साथ ही साथ सरकार मदरसों को मदरसा बोर्ड या राज्य स्कूल बोर्डों से अनिवार्य रूप से संबद्ध बनाने की योजना भी बना रही है.’

इस सुधार के तहत सरकार देश के मदरसों को जीपीएस के आधार पर चिह्नित करने की योजना पर भी काम कर रही है. सूत्र ने बताया कि ‘इसके लिए मंत्रालय मदरसों का पता लगाने के लिए विशेष पहचान को अनिवार्य कर सकती है ताकि जीपीएस के जरिए उनके लोकेशन का पता लगाया जा सके.’

पिछले साल मंत्रालय ने एपीक्यूएम योजना में शामिल मदरसों से कहा था कि वो अपना जीपीएस लोकेशन दें. जिस मदरसे ने जीपीएस लोकेशन नहीं दिया, उनके शिक्षकों का वेतन रोक दिया गया. कुछ मदरसे सरकार के इस कदम का विरोध कर सकते हैं क्योंकि वे इसे अपने स्वायत्ता में ‘सरकारी हस्तक्षेप’ मानते हैं.

इस योजना की मौजूदा विशेषताएं मदरसे को विज्ञान, गणित, भाषा, सामाजिक अध्ययन आदि जैसे औपचारिक विषयों के सिलेबस के मानदंड को बेहतर करके और शिक्षकों को ज्यादा वेतन देने के माध्यम से क्षमताओं को मजबूत करने में सक्षम बनाती हैं. इससे पहले भी मदरसों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूल से संबद्ध करके और शिक्षण सामग्री को को बेहतर करके मदरसों को बेहतर बनाने की कवायद की जा चुकी है. इसके जरिए इस तरह के मदरसों में पढ़ने वालों बच्चों को 5वीं, 6ठी, 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट लेने में आसानी हुई. मुस्लिम-बहुल इलाकों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार नई एकीकृत योजना में और स्कूल खोलने की योजना बना रही है, जिसे ‘समग्र शिक्षा अभियान’ कहा जा रहा है.

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